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भारतीय अर्थव्यवस्था

वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 के लिये ASI परिणाम

  • 10 Feb 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण, सकल वर्द्धित मूल्य, सकल घरेलू उत्पाद (GDP), निवल वर्द्धित मूल्य, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO)

मेन्स के लिये:

सकल वर्द्धित मूल्य और आर्थिक विकास का आकलन करने में इसका महत्त्व, उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण (ASI), संवृद्धि और विकास

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation- MoSPI) ने वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 की संदर्भ अवधि के लिये उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण (Annual Survey of Industries- ASI) के परिणाम जारी किये जिन्हें ASI 2020-21 और ASI 2021-22 कहा जाता है।

ASI 2020-21 और ASI 2021-22 परिणामों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • सकल वर्द्धित मूल्य (GVA) में वृद्धि:
    • वर्ष 2019-20 की तुलना में वर्ष 2020-21 में GVA में 8.8% की वृद्धि हुई है जो कि मुख्य रूप से इनपुट में तेज़ गिरावट (4.1%) के कारण, जो कि कोविड द्वारा प्रभावित वर्ष के दौरान सेक्टर में आउटपुट के संक्षेपण (1.9%) की भरपाई के कारण हुआ है।
    • वर्ष 2021-22 में औद्योगिक उत्पादन में उच्च वृद्धि के कारण, GVA में विगत वर्ष की तुलना में 26.6% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो मूल्य के संदर्भ में 35% से अधिक बढ़ी।
    • वर्ष 2021-22 में क्षेत्र द्वारा पंजीकृत निवेशित पूंजी, इनपुट, आउटपुट, GVA, निवल आय और निवल लाभ जैसे अधिकांश महत्त्वपूर्ण आर्थिक मापदंडों के स्तर के साथ-साथ विकास में भी तीव्र वृद्धि देखी गई तथा इसने पूर्ण मूल्य के संदर्भ में महामारी-पूर्व स्तर को भी पार कर लिया है।
  • प्रमुख उद्योग चालक:
    • वर्ष 2021-22 में इस वृद्धि के मुख्य चालक मूल धातु, कोक और परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पाद, फार्मास्युटिकल उत्पाद, मोटर वाहन, खाद्य उत्पाद तथा रासायनिक एवं रसायन उत्पादों की विनिर्माण जैसे उद्योग थे।
      • इन उद्योगों ने कुल मिलाकर वर्ष 2020-21 की तुलना में 34.4% की GVA वृद्धि और 37.5% की आउटपुट वृद्धि के साथ, क्षेत्र के कुल GVA में लगभग 56% का योगदान दिया।
  • क्षेत्रीय प्रदर्शन:
    • GVA के संदर्भ में गुजरात वर्ष 2020-21 में शीर्ष पर तथा वर्ष 2021-22 में दूसरे स्थान पर रहा जबकि महाराष्ट्र वर्ष 2021-22 में पहले और वर्ष 2020-21 में दूसरे स्थान पर रहा
      • तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश ने विनिर्माण GVA में योगदान देने वाले शीर्ष पाँच राज्यों में निरंतर अपना स्थान बनाए रखा है।
  • रोज़गार रुझान:
    • महामारी के कारण वर्ष 2020-21 में रोज़गार में मामूली गिरावट के बावजूद वर्ष 2021-22 में क्षेत्र में कुल अनुमानित रोज़गार में वर्ष-प्रति-वर्ष (Y-o-Y) 7.0% की वृद्धि देखी गई।
      • वर्ष 2021-22 में इस क्षेत्र में नियोजित व्यक्तियों की अनुमानित संख्या महामारी-पूर्व स्तर से 9.35 लाख से अधिक हो गई और साथ ही इस सेक्टर में प्रत्येक कर्मचारी द्वारा अर्जित औसत वेतन विगत वर्षों की तुलना में वर्ष 2020-21 में 1.7% तथा वर्ष  2021-22 में 8.3% की वृद्धि हुई।
    • वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 दोनों में विनिर्माण क्षेत्र में सबसे अधिक लोगों को रोज़गार प्रदान करने वाले शीर्ष पाँच राज्यों में तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और हरियाणा शामिल हैं।
      • इन राज्यों ने कुल मिलाकर दोनों वर्षों में देश के कुल विनिर्माण नियोजन में लगभग 54% का योगदान दिया।

सकल वर्द्धित मूल्य (GVA)

  • उत्पादन के दौरान उत्पादक द्वारा वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में किया संवर्द्धन GVA द्वारा आँका जाता है। 
  • इसकी गणना कुल आउटपुट से इनपुट (मध्यवर्ती खपत) की लागत घटाकर की जाती है।
  • यह सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का एक प्रमुख घटक है, जो आर्थिक विकास को दर्शाता है। GVA वृद्धि दरें क्षेत्रीय प्रदर्शन में अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं जो आर्थिक विश्लेषण तथा नीति निर्माण में सहायता करती हैं।
  • GVA = GDP + उत्पादों पर सब्सिडी - उत्पादों पर कर।
  • GVA से मूल्यह्रास घटाने पर निवल वर्द्धित मूल्य (Net Value Added- NVA) प्राप्त होता है।
    • NVA मध्यवर्ती खपत तथा स्थिर पूंजी की खपत दोनों के मूल्यों को घटाकर आउटपुट का मूल्य है।

उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण (ASI) क्या है ?

  • परिचय:
    • उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण (ASI) भारत में औद्योगिक आँकड़ों का प्रमुख स्रोत है। इसकी शुरुआत वर्ष 1960 में वर्ष 1959 को आधार वर्ष मानकर की गई थी साथ ही वर्ष 1953 के सांख्यिकी संग्रह अधिनियम के तहत वर्ष 1972 को छोड़कर यह सर्वेक्षण वार्षिक रूप से जारी किया जाता है।
    • ASI 2010-11 से सर्वेक्षण सांख्यिकी संग्रह अधिनियम, 2008 के तहत आयोजित किया जा रहा है।
      • सांख्यिकी संग्रहण अधिनियम, 2008 को वर्ष 2017 में सांख्यिकी संग्रहण (संशोधन) अधिनियम, 2017 के रूप में संशोधित किया गया है, जो संपूर्ण भारत में लागू है।
    • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ASI का संचालन करता है। NSO,  MoSPI का हिस्सा है।
      • MoSPI जारी आँकड़ों एवं गुणवत्ता के लिये ज़िम्मेदार है।
  • विस्तार एवं कवरेज: 
    • ASI फैक्ट्री अधिनियम, 1948 की धारा 2(m)(i) और 2(m)(ii) के तहत पंजीकृत कारखानों को कवर करता है।
    • बीड़ी और सिगार विनिर्माण प्रतिष्ठान, बीड़ी और सिगार श्रमिक (रोजगार की शर्तें) अधिनियम, 1966 के तहत पंजीकृत हैं।
    • विद्युत के उत्पादन, पारेषण और वितरण में लगे विद्युत उपक्रम, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) के साथ पंजीकृत नहीं हैं।
    • 100 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के व्यवसाय रजिस्टर (BRE) में शामिल हैं, जिसे राज्य सरकारों द्वारा अद्यतन रखा जाता है, जब भी राज्य सरकारें ऐसी सूची प्रदान करती हैं।
  • डेटा संग्रहण तंत्र:
    • ASI के लिये डेटा वर्ष 2017 में संशोधित सांख्यिकी संग्रह अधिनियम 2008 तथा वर्ष  2011 में इसके तहत बनाए गए नियमों के तहत चयनित कारखानों से एकत्र किये जाते है।

भारत का औद्योगिक क्षेत्र

  • भारत ने अपनी विनिर्माण गतिशीलता में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव देखा है। परंपरागत रूप से कपड़ा, हस्तशिल्प और कृषि-आधारित उद्योगों में अपनी प्रगति के लिये जाना जाने वाले इस देश ने अपने विनिर्माण पोर्टफोलियो में विविधता दर्शायी है।
  • कोविड-19 महामारी के बाद औद्योगिक उत्पादन में लगातार सुधार हो रहा है।
    • वित्त वर्ष 2021-22 में कोविड महामारी से उबरने के बाद औद्योगिक उत्पादन में 11.4% की दोहरे अंक की वृद्धि दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2022-23 में औद्योगिक उत्पादन में 5.2% की वृद्धि हुई।
      • वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल से अक्तूबर की अवधि के दौरान औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) ने पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 6.9% की संचयी वृद्धि दर्ज की।
      • उपरोक्त अवधि के दौरान विनिर्माण, खनन और विद्युत क्षेत्र के सूचकांक में क्रमशः 6.4%, 9.4% तथा 8.0% की वृद्धि हुई।
  • 'मेक इन इंडिया' जैसी पहल ने एक अनुकूल कारोबारी वातावरण बनाया और साथ ही निवेश तथा स्वदेशी विनिर्माण को प्रोत्साहित किया है।
  • उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (PLI) विभिन्न क्षेत्रों को बढ़ावा दे रहे हैं और भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का लक्ष्य रख रहे हैं।
  • आठ प्रमुख उद्योगों का संयुक्त सूचकांक अक्तूबर 2022 के सूचकांक की तुलना में अक्तूबर 2023 में 12.1% (अनंतिम) बढ़ गया।
    • सभी आठ प्रमुख उद्योगों (अर्थात् सीमेंट, कोयला, कच्चा तेल, विद्युत, उर्वरक, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद और इस्पात) के उत्पादन में वर्ष 2022 के इसी महीने की तुलना में अक्तूबर 2023 में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई।
  • जैसे-जैसे उद्योग 4.0, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी प्रौद्योगिकियों को अपनी विनिर्माण प्रक्रियाओं में एकीकृत करना महत्त्वपूर्ण है तथा इसके लिये एक कुशल एवं अनुकूलनीय कार्यबल की आवश्यकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. 'आठ मूल उद्योगों के सूचकांक (इंडेक्स ऑफ एट कोर इंडस्ट्रीज़)' में निम्नलिखित में से किसको सर्वाधिक महत्त्व दिया गया है? (2015)

(a) कोयला उत्पादन
(b) विद्युत उत्पादन
(c) उर्वरक उत्पादन
(d) इस्पात उत्पादन

उत्तर: (b)


प्रश्न 2. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)

  1. पिछले दशक में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में लगातार बढ़ती रही है।
  2. पिछले दशक में बाज़ार कीमतों पर (रुपए में) सकल घरेलू उत्पाद लगातार बढ़ाता रहा है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न.1 "सुधारोत्तर अवधि में सकल-घरेलू-उत्पाद (जी.डी.पी.) की समग्र संवृद्धि में औद्योगिक संवृद्धि दर पिछड़ती गई है।" कारण बताइए। औद्योगिक नीति में हाल में किये गए परिवर्तन औद्योगिक संवृद्धि दर को बढ़ाने में कहाँ तक ​​सक्षम हैं? (2017)

प्रश्न. 2 सामान्यतः देश कृषि से उद्योग और बाद में सेवाओं को अंतरित होते हैं, पर भारत सीधे कृषि से सेवाओं को अंतरित हो गया है। देश में उद्योग के मुकाबले सेवाओं की विशाल संवृद्धि के क्या कारण हैं? क्या भारत  सशक्त औद्योगिक आधार के बिना एक विकसित देश बन सकता है? (2014)

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