भारतीय अर्थव्यवस्था
असंगठित क्षेत्र उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण 2023-24
- 26 Dec 2024
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:असंगठित क्षेत्र उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण (ASUSE), असंगठित गैर-कृषि प्रतिष्ठान, अनौपचारिक क्षेत्र, MSME, स्वयं सहायता समूह (SHG), सहकारी समितियाँ, योजित सकल मूल्य, आउटपुट का सकल मूल्य, औपचारिक क्षेत्र, आपूर्ति शृंखला, न्यूनतम मज़दूरी, राज्य के नीति निदेशक तत्त्व मेन्स के लिये:भारत में असंगठित क्षेत्र के उद्यमों की स्थिति, संबंधित चुनौतियाँ और आगे की राह |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने अक्तूबर, 2023- सितंबर, 2024 की संदर्भ अवधि हेतु वर्ष 2023-24 के लिये असंगठित क्षेत्र उद्यमों (ASUSE) के वार्षिक सर्वेक्षण के परिणाम जारी किये।
- संदर्भ अवधि एक विशिष्ट समय-सीमा है, जिसका उपयोग डेटा या सांख्यिकी एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने के लिये किया जाता है।
ASUSE क्या है?
- परिचय: ASUSE विशेष रूप से विनिर्माण, व्यापार और अन्य सेवा क्षेत्रों (निर्माण को छोड़कर) में असंगठित गैर-कृषि प्रतिष्ठानों की विभिन्न आर्थिक और परिचालन से जुड़ी विशेषताओं को मापना है।
- असंगठित गैर-कृषि प्रतिष्ठान असंगठित या अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यम हैं, जिनमें MSMEs, किराये के श्रमिकों वाली घरेलू इकाइयाँ और स्वयं के खाते वाले उद्यम शामिल हैं।
- कवरेज़:
- भौगोलिक: संपूर्ण भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के गाँवों को छोड़कर, जहाँ पहुँचना कठिन है)।
- क्षेत्रवार: तीन क्षेत्रों अर्थात विनिर्माण, व्यापार और अन्य सेवाओं से संबंधित असंगठित गैर-कृषि प्रतिष्ठान।
- स्वामित्व: स्वामित्व, साझेदारी (सीमित देयता भागीदारी को छोड़कर), स्वयं सहायता समूह (SHG), सहकारी समितियाँ, सोसायटी/ट्रस्ट आदि।
- सर्वेक्षण समय-सीमा: पहला पूर्ण ASUSE 2021-22 (अप्रैल 2021 - मार्च 2022) में आयोजित किया गया था, इसके बाद दूसरा सर्वेक्षण अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 तक किया गया।
- वर्तमान तीसरा सर्वेक्षण (ASUSE 2023-24) अक्तूबर, 2023 से सितंबर, 2024 तक के लिये जारी किया गया था।
- नमूना आकार: ASUSE 2023-24 में, 16,842 सर्वेक्षणित प्रथम चरण इकाइयों (ग्रामीण में 8,523 और शहरी में 8,319) से कुल 4,98,024 प्रतिष्ठानों (ग्रामीण में 2,73,085 और शहरी में 2,24,939) से डेटा एकत्र किया गया था।
- प्रथम चरण की इकाइयाँ ग्रामीण क्षेत्रों में जनगणना गाँव और शहरी क्षेत्रों में ब्लॉक थीं।
ASUSE 2023-24 परिणामों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रतिष्ठानों में वृद्धि: प्रतिष्ठानों की कुल संख्या 12.84% बढ़कर वर्ष 2022-23 में 6.50 करोड़ से वर्ष 2023-24 में 7.34 करोड़ हो गई है।
- "अन्य सेवा" क्षेत्र में सर्वाधिक 23.55% की वृद्धि तथा विनिर्माण क्षेत्र में 13% की वृद्धि देखी गयी।
- GVA वृद्धि: सकल मूल्य वर्द्धन (GVA) में 16.52% की वृद्धि हुई, जो मुख्य रूप से "अन्य सेवाओं" क्षेत्र में 26.17% की वृद्धि के कारण हुई।
- प्रति श्रमिक GVA में 5.62% की वृद्धि हुई, जो वर्ष 2022-23 में 1,41,769 रुपए से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 1,49,742 रुपए हो गई।
- प्रति प्रतिष्ठान आउटपुट: प्रति प्रतिष्ठान सकल उत्पादन मूल्य (GVO) वर्तमान मूल्यों में 6.15% बढ़कर 4,63,389 रुपए से 4,91,862 रुपए हो गया।
- GVO से तात्पर्य किसी प्रतिष्ठान द्वारा किसी विशिष्ट अवधि के दौरान उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य से है।
- श्रम बाज़ार का प्रदर्शन: इस क्षेत्र में 12 करोड़ से अधिक श्रमिकों को रोज़गार मिला, जो 2022-23 से एक करोड़ से अधिक की वृद्धि है, जो मज़बूत श्रम बाज़ार वृद्धि का संकेत है।
- "अन्य सेवा" क्षेत्र में 17.86% की सर्वाधिक वार्षिक वृद्धि देखी गई, जिसके बाद विनिर्माण क्षेत्र में 10.03% की वृद्धि हुई।
- महिला उद्यमिता: महिला स्वामित्व वाली स्वामित्व प्रतिष्ठान वर्ष 2022-23 में 22.9% से बढ़कर 2023-24 में 26.2% हो गई, जो महिलाओं के व्यवसाय स्वामित्व में सकारात्मक प्रवृत्ति का संकेत है।
- वेतन में सुधार: वर्ष 2023-24 में नियोजित श्रमिकों के लिये औसत पारिश्रमिक में 13% की वृद्धि हुई, जिसमें सबसे अधिक वृद्धि विनिर्माण क्षेत्र (16%) में देखी गई।
- डिजिटल पैठ: इंटरनेट का उपयोग करने वाले प्रतिष्ठानों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2022-23 में 21.1% से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 26.7% हो गई है, जो व्यावसायिक परिचालन में डिजिटल की ओर अग्रसर एक मज़बूत प्रवृत्ति को दर्शाता है।
मुख्य अवधारणाएँ और परिभाषाएँ:
- उद्यम: वित्तीय और निवेश निर्णयों में स्वायत्तता के साथ वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करने वाली इकाई, जो संसाधन आवंटन के लिये ज़िम्मेदार है।
- असंगठित गैर-कृषि प्रतिष्ठान: वे निगमित नहीं हैं (अर्थात् न तो कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत हैं और न ही कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत)।
- विनिर्माण प्रतिष्ठान: सामग्री को नए उत्पादों में बदलने या रखरखाव और मरम्मत सहित विनिर्माण सेवाएँ प्रदान करने में शामिल इकाइयाँ।
- पारिश्रमिक: नियमित भुगतान (वेतन, मज़दूरी, बोनस) और सामाजिक सुरक्षा लाभों के लिये नियोक्ता का योगदान, जिसमें स्वास्थ्य देखभाल या मनोरंजन जैसे भुगतान शामिल हैं।
- सकल मूल्य संवर्धन (GVA): GVA उत्पादन और मध्यवर्ती उपभोग (इनपुट) के सकल मूल्य के बीच का अंतर है।
- किराये पर काम करने वाले श्रमिक प्रतिष्ठान (HWE): वह प्रतिष्ठान जिसमें कम से कम एक कर्मचारी नियमित रूप से कार्यरत हो।
- अन्य सेवा प्रतिष्ठान: वे विभिन्न सेवा गतिविधियों में लगे असंगठित उद्यमों को संदर्भित करते हैं जो व्यापार और विनिर्माण श्रेणियों में नहीं आते हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था में असंगठित गैर-कृषि इकाइयों का क्या महत्त्व है?
- रोज़गार प्रदाता: वर्ष 2018-19 के आर्थिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारत का 93% कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत है, जिससे यह सबसे बड़ा रोज़गार प्रदाता बन गया है।
- क्षेत्रीय संतुलन: अनौपचारिक उद्यम ग्रामीण क्षेत्रों का औद्योगिकीकरण करके और सीमित पूंजी वाले व्यक्तियों को रोज़गार प्रदान करके क्षेत्रीय असंतुलन को कम करने में मदद करते हैं।
- उद्यमिता: छोटी अनौपचारिक फर्म विशेष रूप से महिलाओं, युवाओं और हाशिये पर रहने वाले समुदायों के व्यक्तियों जैसे कमजोर समूहों के लिये उद्यमिता को बढ़ावा देती हैं।
- औपचारिक क्षेत्र के लिये समर्थन: यह औपचारिक क्षेत्र को ऐसी वस्तुएँ और सेवाएँ प्रदान करता है जिनका बड़ी फर्मों द्वारा या औपचारिक उद्यमों की आपूर्ति शृंखलाओं का समर्थन करके कुशलता से उत्पादन नहीं किया जा सकता है।
- गतिशील भूमिका: असंगठित क्षेत्र में सेवाओं में 38%, व्यापार (मुख्य रूप से खुदरा) में 35%, तथा विनिर्माण में 27% फर्में कार्यरत हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में अनौपचारिक उद्यमों के महत्त्व को दर्शाता है।
भारत में असंगठित गैर-कृषि इकाइयों से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- लैंगिक असमानताएँ: अनौपचारिक कार्यबल में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी है, फिर भी उन्हें कम वेतन, आय अस्थिरता और सामाजिक सुरक्षा के अभाव सहित कई गंभीर असुविधाओं का सामना करना पड़ता है।
- अनियंत्रित कारकों के प्रति सुभेद्यता: भारत में मानसून के सीज़न के दौरान निर्माण गतिविधियाँ प्रायः रुक जाती हैं, जिससे प्रवासी श्रमिकों को स्थायी रोज़गार नहीं मिल पाता।
- रोज़गार सुरक्षा का अभाव: अनौपचारिक रोज़गार में स्वभावतः औपचारिक रोज़गार से संबंधित सुरक्षा और लाभ जैसे लिखित अनुबंध, न्यूनतम मज़दूरी, सवेतन अवकाश और विनियमित कार्य घंटे का अभाव होता है।
- कर चोरी: कई कंपनियां कानूनी प्रणाली से राजस्व और व्यय को छिपाकर करों की चोरी करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप सरकारी राजस्व में अत्यधिक हानि होती है।
- विकास में चुनौतियाँ: दीर्घकालिक स्थिरता चिंता का विषय बनी हुई है, वर्ष 2015-2023 तक इस क्षेत्र की विकास दर केवल 2% का न्यूनतम विस्तार दर्शा रही है।
- सटीक आँकड़ों का अभाव: वर्ष 2018-19 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत का 93% कार्यबल अनौपचारिक है, जबकि नीति आयोग की न्यू इंडिया के लिये रणनीति में इसका अनुमान 85% लगाया गया है।
- राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) की 'असंगठित क्षेत्र सांख्यिकी समिति की रिपोर्ट', 2012 में दावा किया गया है कि 90% से अधिक कार्यबल अनौपचारिक है, हालाँकि स्रोत निर्दिष्ट नहीं किये गए हैं।
आगे की राह
- औपचारिकता को प्रोत्साहित करना: पंजीकरण प्रक्रियाओं को सरल बनाकर, छोटी फर्मों के लिये करों को कम करके, तथा व्यवसायों को श्रम और सुरक्षा मानकों का अनुपालन करने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करके औपचारिकता को प्रोत्साहित करना।
- सशक्तिकरण के लिये स्वयं सहायता समूह: स्वयं सहायता समूह (SHG) की स्थापना से अनौपचारिक कर्मचारियों को उनके कार्य की स्थिति और आर्थिक सुरक्षा में सुधार के लिये आवश्यक उपकरण और सहायता प्रदान की जा सकती है।
- व्यापक डेटाबेस: अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर विस्तृत डेटा एकत्र करने से नीति निर्माताओं को सूचित निर्णय लेने, लक्षित हस्तक्षेप डिजाइन करने और नीति प्रभाव का आकलन करने में मदद मिलती है।
- समान कार्य के लिये समान वेतन: सरकार को राज्य नीति के निदेशक तत्त्वों के अनुच्छेद 39(d) के अनुसार समान कार्य के लिये समान वेतन सुनिश्चित करने के उपायों को लागू करना चाहिये।
- क्षमता विकास: अनौपचारिक श्रमिकों के लिये कौशल विकास कार्यक्रम प्रदान करना, जिसमें बढ़ईगीरी, प्लंबिंग, सिलाई, खाद्य प्रसंस्करण, डिजिटल साक्षरता और सॉफ्ट स्किल जैसे ट्रेड शामिल हों।
- नए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिये अनुभवी कर्मचारियों के लिये प्रशिक्षुता और मार्गदर्शन कार्यक्रम शुरू करना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारतीय अर्थव्यवस्था में असंगठित गैर-कृषि प्रतिष्ठानों की भूमिका का आकलन कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. प्रधानमंत्री MUDRA योजना का लक्ष्य क्या है? (2016) (a) लघु उद्यमियों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाना उत्तर: (a) प्रश्न: प्रच्छन्न बेरोज़गारी का आमतौर पर अर्थ होता है- (2013) (a) बड़ी संख्या में लोग बेरोज़गार रहते हैं उत्तर:(c) मेन्सप्रश्न. भारत में सबसे ज्यादा बेरोज़गारी प्रकृति में संरचनात्मक है। भारत में बेरोज़गारी की गणना के लिये अपनाई गई पद्धतियों का परीक्षण कीजिये और सुधार के सुझाव दीजिये। (2023) |