चौथी भारत-स्विस वित्तीय वार्ता | 13 May 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चौथी भारत-स्विस वित्तीय वार्ता का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया।
प्रमुख बिंदु:
वार्ता की मुख्य विशेषताएँ:
- वार्ता के दौरान दोनों देशों द्वारा निवेश, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA), राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढाँचा कोष (NIIF), फिनटेक, स्थायी वित्त और सीमा पार वित्तीय सेवाओं सहित विभिन्न पहलुओं पर सहयोग हेतु अनुभवों को साझा किया गया।
- इसके अतिरिक्त बुनियादी ढाँचों के वित्तपोषण के साथ-साथ जी-20, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण से उत्पन्न कर चुनौतियों से संबंधित मामलों पर भी चर्चा की गई।
- दोनों पक्षों ने स्वच्छता और कोविड के पश्चात की दुनिया पर समन्वित द्विपक्षीय कार्यवाही के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
भारत-स्विट्ज़रलैंड संबंध:
- राजनैतिक संबंध:
- वर्ष 1948 में नई दिल्ली में भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच मित्रता की संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति और स्विटजरलैंड की तटस्थता की पारंपरिक नीति ने दोनों देशों के बीच घनिष्ठता को बढ़ावा दिया है।
- आर्थिक संबंध:
- भारत-स्विट्जरलैंड द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) पर बातचीत चल रही है।
- भारत-ईएफटीए व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते (TEPA) पर भी बातचीत जारी है।
- यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड का अंतर-सरकारी संगठन है।
- ये देश यूरोपीय संघ (EU) का हिस्सा नहीं हैं, जिसके साथ भारत एक अलग व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है जिसे भारत-यूरोपीय संघ आधारित व्यापार और निवेश समझौता कहा जाता है।
- अन्य क्षेत्रों में सहयोग:
- एक ‘इंडो-स्विस ज्वाइंट रिसर्च प्रोग्राम’ (ISJRP) वर्ष 2005 में शुरू किया गया था।
- कौशल प्रशिक्षण: दोनों देशों के कई संस्थानों ने भारत में कौशल प्रशिक्षण के उच्चतम मानकों को लागू करने के लिये सहयोग किया है। जैसे:
- भारतीय कौशल विकास परिसर और विश्वविद्यालय, जयपुर।
- इंडो-स्विस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, पुणे।
- वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर, आंध्र प्रदेश।
- निम्न कार्बन और जलवायु अनुकूल शहरों के विकास हेतु क्षमता निर्माण (CapaCITIES):
- ‘स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन’ (SDC) भारतीय शहरों में CapaCITIES परियोजना के कार्यान्वयन का समर्थन कर रहा है।
- CapaCITIES परियोजना का उद्देश्य भारतीय शहरों की क्षमताओं को मज़बूत करना, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिये उपायों की पहचान करना, योजना बनाना और एकीकृत तरीके से वर्तमान स्थितियों को जलवायु परिवर्तन हेतु अनुकूल बनाना है।