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भारतीय अर्थव्यवस्था

राष्ट्रीय अवसंरचना कार्यक्रम

  • 09 Sep 2019
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

वित्तीय वर्ष 2019-20 से लेकर वित्तीय वर्ष 2024-25 तक प्रत्येक वर्ष के लिये एक राष्ट्रीय अवसंरचना कार्यक्रम (National Infrastructure Pipeline) बनाने हेतु एक कार्यबल का गठन किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • केंद्रीय वित्त मंत्री ने आर्थिक मामलों के विभाग (Department of Economic Affairs- DEA) के सचिव की अध्यक्षता में इस कार्यबल का गठन किया गया है।
  • इस कार्यबल की संरचना इसप्रकार है:
1. सचिव, आर्थिक मामले विभाग (DEA) अध्‍यक्ष
2. मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी, नीति आयोग अथवा उनके नामिती सदस्य
3. सचिव, व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय अथवा उनके नामिती सदस्य
4. प्रशासनिक मंत्रालय के सचिव सदस्य
5. अपर सचिव (निवेश), आर्थिक मामले विभाग सदस्य
6. संयुक्त सचिव, अवसंरचना नीति और वित्त प्रभाग, डीईए सदस्य सचिव

  • यह कार्यबल वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिये पाइपलाइन परियोजनाओं पर 31 अक्तूबर, 2019 तक और वित्तीय वर्ष 2021-25 के लिये सांकेतिक पाइपलाइन पर 31 दिसंबर, 2019 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
  • राष्ट्रीय अवसंरचना से जुड़ी परियोजनाओं में ग्रीनफील्ड (Greenfield) और ब्राउनफील्ड (Brownfield) परियोजनाएँ भी शामिल होंगी, जिनमें से प्रत्येक पर 100 करोड़ रुपए से अधिक की लागत आएगी।

“ग्रीनफील्ड परियोजना का तात्पर्य ऐसी परियोजना से है जिसमें किसी पूर्व कार्य/परियोजना का अनुसरण नहीं किया जाता है। अवसंरचना में अप्रयुक्त भूमि पर तैयार की जाने वाली परियोजनाएँ जिनमें मौजूदा संरचना को फिर से तैयार करने या ध्वस्त करने की आवश्यकता नहीं होती है, उन्हें ग्रीन फील्ड परियोजना कहा जाता है। जिन परियोजनाओं को संशोधित या अपग्रेड किया जाता है, उन्हें ब्राउनफील्ड परियोजना कहा जाता है।

  • चालू वर्ष के लिये प्रगतिशील योजनाओं के लिये डीपीआर की उपलब्धता, कार्यान्वयन की व्यवहार्यता, वित्तपोषण योजना में समावेश और प्रशासनिक स्वीकृति की तत्परता/उपलब्धता भी शामिल होगी। प्रत्येक मंत्रालय/विभाग परियोजनाओं की निगरानी के लिये ज़िम्मेदार होगा ताकि उनके कार्यान्वयन को समय पर और लागत के अनुरूप सुनिश्चित किया जा सके। कार्यबल, इंडिया इनवेस्टमेंट ग्रिड (India Investment Grid-IIG) और राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष (National Investment & Infrastructure Fund-NIIF), आदि के माध्यम से निजी निवेश की आवश्यकता वाली परियोजनाओं के मज़बूत विपणन को भी सक्षम बनाएगा।

राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष (NIIF)

  • राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष (NIIF) देश में अवसंरचना क्षेत्र की वित्तीय समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करने वाला और वित्तपोषण सुनिश्चित करने वाला भारत सरकार द्वारा निर्मित किया गया एक कोष है।
  • NIIF की स्थापना 40,000 करोड़ रुपए की मूल राशि के साथ की गई थी, जिसमें आंशिक वित्त पोषण निजी निवेशकों द्वारा किया गया था।
  • इसका उद्देश्य अवसंरचना परियोजनाओं को वित्त पोषण प्रदान करना है जिनमें अटकी हुई परियोजनाएँ शामिल हैं।
  • NIIF में 49% हिस्सेदारी भारत सरकार की है तथा शेष हिस्सेदारी विदेशी और घरेलू निवेशकों की है।
  • केंद्र की अति महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी के साथ NIIF को भारत का अर्ध-संप्रभु धन कोष माना जाता है।
  • अपने तीन फंडों- मास्टर फंड, फंड ऑफ फंड्स और स्ट्रैटेजिक फंड से परे यह 3 बिलियन डॉलर से अधिक की पूंजी का प्रबंधन करता है।
  • इसका पंजीकृत कार्यालय नई दिल्ली में है।

इंडिया इन्वेस्टमेंट ग्रिड (IIG)

  • इंडिया इन्वेस्टमेंट ग्रिड (IIG) एक संवादात्मक और डायनामिक वेब पोर्टल है जो समग्र भारत, इसके राज्यों और क्षेत्रों में तथा विभिन्न योजनाओं के तहत शुरू की गई परियोजनाओं में निवेश या प्रौद्योगिकी की आवश्यकता के बारे में जानकारी उपलब्ध कराता है।
  • यह वाणिज्य मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry & Internal Trade- DPIIT) तथा राष्ट्रीय निवेश संवर्द्धन और सुविधा एजेंसी (National Investment Promotion and Facilitation Agency), इन्वेस्ट इंडिया (Invest India) की एक पहल है।
  • इसका उद्देश्य निवेश को बढ़ावा देना और परियोजना की खोज तथा संवर्द्धन को कारगर बनाना है।

कार्यबल की संदर्भ शर्तें

(Terms of Reference)

  1. वित्तीय वर्ष 2019-20 में शुरू हो सकने वाली तकनीकी रूप से व्यवहार्य और वित्तीय/आर्थिक रूप से व्यवहार्य अवसंरचना परियोजनाओं की पहचान करना।
  2. वित्तीय वर्ष 2021-25 के बीच शेष 5 वर्षों में से प्रत्येक के लिये प्रगतिपूर्ण परियोजनाओं को सूचीबद्ध करना।
  3. वार्षिक अवसंरचना निवेश/पूंजीगत लागत का अनुमान लगाना।
  4. वित्तपोषण के उपयुक्त स्रोतों की पहचान करने में मंत्रालयों का मार्गदर्शन करना।
  5. परियोजनाओं की निगरानी के लिये उपाय सुझाना, ताकि लागत और समय में कमी लाई जा सके।

आवश्यकता

  • स्थायी आधार पर एक व्यापक और समावेशी विकास हासिल करने के लिये गुणवत्तायुक्‍त बुनियादी ढाँचे की उपलब्धता एक पूर्व-आवश्यकता है।
  • भारत की उच्च विकास दर को बनाए रखने के लिये बुनियादी ढाँचे में निवेश भी आवश्यक है।
  • वर्ष 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर का सकल घरेलू उत्पाद अर्जित करने के लिये, भारत को बुनियादी ढाँचे पर लगभग 1.4 ट्रिलियन डॉलर (100 लाख करोड़ रुपए) खर्च करने की आवश्यकता है। पिछले एक दशक (वित्त वर्ष 2008-17) में, भारत ने बुनियादी ढाँचे पर लगभग 1.1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया है। अब चुनौती के तौर पर वार्षिक बुनियादी ढाँचे में निवेश को बढ़ाना है ताकि बुनियादी ढाँचे की कमी भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर बाधा न बन सके।

पृष्ठभूमि

  • भारत के प्रधानमंत्री ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कहा था कि अगले पाँच वर्षों में बुनियादी ढाँचे पर 100 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। इन बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ शामिल होंगी।
  • इस स्‍तर पर एक बुनियादी ढाँचे के कार्यक्रम को लागू करने के लिये यह महत्त्वपूर्ण है कि परियोजनाएँ पर्याप्त रूप से तैयार की जाएँ और समयबद्ध रूप से इनकी शुरुआत की जाए। इसी श्रृंखला में एक वार्षिक बुनियादी ढाँचे का प्रारूप विकसित किया जाएगा। इस कार्य को पूर्ण करने के लिये ही वित्तीय वर्ष 2019-20 से लेकर वित्तीय वर्ष 2024-25 तक के प्रत्येक वर्ष के लिये एक राष्ट्रीय अवसंरचना कार्यक्रम (National Infrastructure Pipeline) बनाने हेतु इस कार्यबल का गठन किया गया है।

स्रोत: PIB

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