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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

तीसरा भारतीय अंतरिक्ष सम्मेलन और भारत का पहला एनालॉग मिशन

  • 12 Nov 2024
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, चंद्रयान-3, गगनयान, यूरोपीय संघ, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड, राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन, एनालॉग मिशन

मेन्स के लिये:

उपग्रह संचार, अंतरिक्ष अन्वेषण और भारतीय महत्वाकांक्षाएँ, एनालॉग मिशन और अंतरिक्ष अनुसंधान

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों? 

नई दिल्ली में आयोजित तीसरे भारतीय अंतरिक्ष सम्मेलन में भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं पर प्रकाश डाला गया, जिसमें उपग्रह संचार (Satellite Communication- Satcom) और भारत-यूरोपीय संघ अंतरिक्ष साझेदारी पर ध्यान केंद्रित किया गया। डिजिटल इंडिया और भारत के महत्त्वाकांक्षी अंतरिक्ष लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में सैटकॉम की भूमिका पर मुख्य चर्चा की गई।

  • एक अन्य घटनाक्रम में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नेतृत्व में लेह, लद्दाख में भारत के पहले मंगल और चंद्रमा एनालॉग मिशन का उद्घाटन किया गया; यह मिशन अंतरिक्ष आवास परीक्षण के लिये अलौकिक स्थितियों का अनुकरण करता है।

तीसरे भारतीय अंतरिक्ष सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं ?

  • उपग्रह संचार (सैटकॉम): संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री ने डिजिटल इंडिया में सैटकॉम की परिवर्तनकारी भूमिका पर प्रकाश डाला।
    • सैटकॉम अनुप्रयोग विभिन्न क्षेत्रों जैसे दूरसंचार, आपदा प्रबंधन, कृषि, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा को सहायता तथा वंचित क्षेत्रों तक पहुँच प्रदान करते हैं।
    • सैटकॉम सुधार 2022 नीति अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नवाचार एवं सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देती है।
  • वैश्विक अंतरिक्ष नेता के रूप में भारत का उदय: चंद्रयान-3 और आगामी गगनयान मिशन सहित भारत की उपलब्धियाँ अंतरिक्ष अन्वेषण में इसकी अग्रणी भूमिका को दर्शाती हैं।
    • भारत अब अंतरिक्ष में एक वैश्विक साझेदार के रूप में कार्य कर रहा है, जिसका लक्ष्य एक मज़बूत नेटवर्क विकसित करना है जो स्थलीय बुनियादी ढाँचे का पूरक हो।
  • भारत-यूरोपीय संघ अंतरिक्ष सहयोग: यूरोपीय संघ के राजदूत ने अंतरिक्ष अन्वेषण में साझा लक्ष्यों पर प्रकाश डालते हुए भारत की गतिशील अंतरिक्ष शक्ति के रूप में सराहना की।
    • प्रस्तावित संयुक्त पहलों में पृथ्वी अवलोकन, प्रशिक्षण और अंतरिक्ष सुरक्षा शामिल हैं।
    • वर्ष 2025 यूरोपीय संघ-भारत शिखर सम्मेलन से अंतरिक्ष प्रशासन और अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग को और मज़बूत करने की उम्मीद है।
    • भारत यूरोपीय संघ के प्रोबा-3 उपग्रह को प्रक्षेपित करने के लिये तैयार है, जो सूर्य के अवलोकन पर केंद्रित है, यह भारत-यूरोपीय संघ सहयोग में एक मील का पत्थर साबित होगा।
  • प्रोबा-1 और प्रोबा-2 मिशनों की सफलता के बाद, यह यूरोपीय संघ के लिये भारत का तीसरा प्रक्षेपण है, जिससे इसरो की एक विश्वसनीय वैश्विक साझेदार के रूप में स्थिति मज़बूत हुई है।
  • अंतरिक्ष स्टार्टअप: वर्ष 2020 के अंतरिक्ष सुधारों के बाद अंतरिक्ष-केंद्रित स्टार्टअप के को स्वीकार किया गया, भारत में अब 300 से अधिक अंतरिक्ष-केंद्रित स्टार्टअप हैं जो आर्थिक विकास एवं नवाचार में योगदान दे रहे हैं।
    • स्टार्टअप्स में वृद्धि के कारण प्रतिभा पलायन में कमी आई है तथा नासा जैसी वैश्विक एजेंसियों से भारतीय प्रतिभाओं को आकर्षित किया गया है।
  • भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की महत्वाकांक्षाएँ:  भारत के दीर्घकालिक उद्देश्यों में गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, वर्ष 2040 तक मानवयुक्त चंद्र लैंडिंग और वर्ष 2035 तक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना शामिल हैं। वर्ष 2040 तक अंतरिक्ष पर्यटन की योजनाएँ, अभिनव और समावेशी अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति भारत के समर्पण को उज़ागर करती हैं।

अंतरिक्ष क्षेत्र सुधार 2020

  • वर्ष 2020 में भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र सुधारों की घोषणा की, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में निजी अभिकर्त्ताओं की बढ़ी हुई भागीदारी और वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की बाज़ार हिस्सेदारी को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन है।
    • भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (Indian National Space Promotion and Authorisation Centre- IN-SPAC) की स्थापना तथा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (New Space India Limited- NSIL) की भूमिका को बढ़ाना सुधार के दो प्रमुख क्षेत्र हैं।
      • अंतरिक्ष विभाग के तहत एक स्वायत्त एजेंसी IN-SPACe का उद्देश्य उद्योग, शिक्षा और स्टार्टअप को बढ़ावा देना, गैर-सरकारी अंतरिक्ष गतिविधियों को विनियमित करना तथा वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा हासिल करना है। इसका मुख्यालय अहमदाबाद में है।
      • NSIL, जिसका मुख्यालय बंगलुरु में है, अंतरिक्ष विभाग Department of Space- DOS), के तहत भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है यह इसरो की वाणिज्यिक शाखा है जो भारतीय उद्योगों को उच्च प्रौद्योगिकी अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियों को करने में सक्षम बनाने और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के वाणिज्यिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिये ज़िम्मेदार है।

सैटकॉम सुधार 2022

  • इसे दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications- DoT) द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिसका उद्देश्य उपग्रह-आधारित संचार नेटवर्क अनुप्रयोग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना था। 
    • प्रसंस्करण समय को 6-8 महीने से घटाकर 6 सप्ताह करने से, सुधार सेवा प्रदाताओं के लिये उपग्रह संचार प्रणाली स्थापित करना आसान बना देंगे। 
  • सुधारों का उद्देश्य विभिन्न चरणों में शुल्क कम करके व्यापार सुगमता को बढ़ाना और अंतरिक्ष क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना है।

भारत का पहला मंगल और चंद्रमा एनालॉग मिशन क्या है?

  • एनालॉग मिशन: एनालॉग मिशन ऐसे स्थानों पर किये जाने वाले फील्ड परीक्षण हैं जो अंतरिक्ष के कठोर वातावरण से मिलते-जुलते होते हैं। ये मिशन अंतरिक्ष उड़ान से संबंधित विभिन्न समस्याओं का समाधान खोजने के लिये महत्त्वपूर्ण होते हैं, जैसे- जीवन समर्थन प्रणालियों की कार्यप्रणाली, मनोवैज्ञानिक चुनौतियाँ और लंबी अवधि के मिशनों में मानव स्वास्थ्य को बनाए रखना।
  • भारत का पहला मंगल और चंद्रमा एनालॉग मिशन, इसरो के नेतृत्व में AAKA स्पेस स्टूडियो, लद्दाख विश्वविद्यालय के सहयोग से तथा लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद के सहयोग से किया जा रहा है।
  • उद्देश्य: यह मिशन पृथ्वी से परे एक स्थायी आधार स्थापित करने की चुनौतियों से निपटने हेतु एक अंतर-ग्रहीय आवास में जीवन का अनुकरण करता है तथा भारत की अंतरिक्ष महत्त्वाकांक्षाओं का समर्थन करता है। 
  • यह मंगल और चंद्रमा के आवास की स्थितियों पर ध्यान केंद्रित करता है तथा कठोर वातावरण के प्रति मानव अनुकूलन को समझने के लिये एकांत में स्थिरता, जीवन समर्थन प्रणालियों और मनोवैज्ञानिक कल्याण का अध्ययन करता है।
  • लद्दाख, अंतरिक्ष परीक्षण के लिये आदर्श: लद्दाख को इसकी अनूठी पर्यावरणीय विशेषताओं के लिये चुना गया था जो मंगल और चंद्रमा के समान ही हैं। इस क्षेत्र की ऊँचाई, शुष्क जलवायु और अत्यधिक तापमान में उतार-चढ़ाव इसे अंतरिक्ष आवास प्रौद्योगिकियों के परीक्षण के लिये एक आदर्श स्थान बनाते हैं। 
    • 15°C से -10°C तक के तापमान के साथ, यह मिशन बाह्य अंतरिक्ष वातावरण की तापीय चुनौतियों का अनुकरण करता है। 
    • लद्दाख में समुद्र तल की तुलना में ऑक्सीज़न का स्तर केवल 40% होने के कारण, यह मंगल ग्रह जैसी कम दबाव की स्थितियों के लिये जीवन रक्षक प्रणालियों का परीक्षण करने का आदर्श स्थान बन जाता है। यहाँ की विशेष भौतिक परिस्थितियाँ मंगल और चंद्रमा के वातावरण से मिलती हैं, जिससे अंतरिक्ष अन्वेषण के लिये आवश्यक तकनीकों की जाँच करना संभव होता है।
    • इस क्षेत्र की चट्टानी, रेतीली मिट्टी भी मंगल ग्रह और चंद्रमा की रेगोलिथ जैसी है, जो इसे रोवर गतिशीलता और इन-सीटू संसाधन उपयोग पर अनुसंधान के लिये योग्य बनाती है।
  • तकनीकी परीक्षण: शोधकर्त्ता अंतरिक्ष आवासों को समर्थन देने के लिये उन्नत प्रौद्योगिकियों का परीक्षण करेंगे, जिनमें शामिल हैं:
    • सर्केडियन प्रकाश व्यवस्था: नींद के पैटर्न और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिये दिन के प्रकाश चक्रों का अनुकरण करती है।
    • हाइड्रोपोनिक्स: अंतरिक्ष में सतत् खाद्य विकास के लिये एक प्रणाली है, जो अंतरिक्ष यात्री पोषण सुनिश्चित करती है।
    • स्टैंडअलोन सौर ऊर्जा प्रणाली: आवास स्वतंत्रता के लिये नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान करती है।
  • एनालॉग मिशन का महत्त्व: यह वैज्ञानिकों को पृथ्वी पर रहते हुए अंतरिक्ष अभियानों में उत्पन्न होने वाली शारीरिक, मानसिक और परिचालन चुनौतियों का अध्ययन करने को सक्षम बनाता है।
    • एनालॉग मिशन अंतरिक्ष यात्रियों को क्षुद्रग्रहों, मंगल और चंद्रमा के निकट-अवधि तथा भविष्य के अन्वेषण के लिये तैयार करते हैं।

विश्व में एनालॉग मिशन 

  • मरुस्थल अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी अध्ययन (डेज़र्ट RATS): राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) के नेतृत्व में यह कार्यक्रम मुख्य रूप से अमेरिका के एरिज़ोना के रेगिस्तान में आयोजित किया जाता है।
    • डेज़र्ट रैट्स एक क्षेत्रीय अभियान है, जो चंद्रमा और मंगल ग्रह पर स्थितियों का अनुकरण करने के लिये चुनौतीपूर्ण वातावरण में मिशन रोवर तथा अतिरिक्त वाहन गतिविधि का परीक्षण करता है।
  • नासा एक्सट्रीम एनवायरनमेंट मिशन ऑपरेशन्स (नीमो): अंतरिक्ष यात्री एक्वेरियस में रहते हैं, जो विश्व का एकमात्र अनुसंधान केंद्र है जोकि समुद्र के नीचे है। 
  • हवाई अंतरिक्ष अन्वेषण एनालॉग और सिमुलेशन (HI-SEAS):  यह एक मंगल और चंद्रमा अन्वेषण एनालॉग अनुसंधान स्टेशन है, जो वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय मूनबेस एलायंस (IMA) द्वारा संचालित है।
    • IMA एक गैर-लाभकारी संगठन है जो चंद्र अन्वेषण को बढ़ावा देने हेतु अग्रणी वैज्ञानिकों, शिक्षकों और उद्यमियों को एकत्रित करता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत का मंगल और चंद्रमा एनालॉग मिशन देश के अंतरिक्ष अन्वेषण लक्ष्यों में किस प्रकार योगदान देता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

इसरो द्वारा प्रक्षेपित मंगलयान

  1. को मंगल ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है। 
  2. के कारण अमेरिका के बाद मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाला भारत दूसरा देश बना। 
  3. ने भारत को अपने अंतरिक्ष यान को अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह की परिक्रमा करने में सफल होने वाला एकमात्र देश बना दिया।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न 1.  अंतरिक्ष स्टेशन से आप क्या समझते हैं? भारत के संदर्भ इसकी उपयोगिता स्पष्ट कीजिये। (2019)

प्रश्न 2. भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य क्या है जिसे इसके पहले के मिशन में हासिल नहीं किया जा सका? जिन देशों ने इस कार्य को हासिल कर लिया है उनकी सूची दीजिये। प्रक्षेपित अंतरिक्ष यान की उपप्रणालियों को प्रस्तुत कीजिये और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के ‘आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केंद्र’ की उस भूमिका का वर्णन कीजिये जिसने श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण में योगदान दिया है। (2023)

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