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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

बिम्सटेक के कृषि मंत्रियों की दूसरी बैठक

  • 11 Nov 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बिम्सटेक/BIMSTEC, IFPRI

मेन्स के लिये:

नेबरहुड फर्स्ट नीति, भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समूह और समझौते, वैश्विक समूह

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने बंगाल की खाड़ी बहुक्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग उपक्रम (बिम्सटेक) की दूसरी कृषि‍ मंत्री-स्तरीय बैठक की मेज़बानी की।

बैठक की मुख्य विशेषताएँ:

  • भारत ने सदस्य देशों से कृषि क्षेत्र में परिवर्तन के लिये आपसी सहयोग को मज़बूत करने के लिये एक व्यापक क्षेत्रीय रणनीति विकसित करने में सहयोग करने का आग्रह किया।
  • इसने सदस्य देशों से एक पोषक भोजन के रूप में बाजरा के महत्त्व और उसके उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिये भारत द्वारा किये गए प्रयास-अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष - 2023 के दौरान सभी के लिये एक अनुकूल कृषि खाद्य प्रणाली और एक स्वस्थ आहार अपनाने का भी आग्रह किया।
  • कृषीय जैवविविधता के संरक्षण एवं रसायनों के उपयोग को कम करने के लिये प्राकृतिक और पारिस्थितिक कृषि को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
    • डिजिटल खेती और सटीक खेती के साथ-साथ भारत में 'वन हेल्थ' दृष्टिकोण के तहत कई पहलें भी साकार होने की दिशा में हैं ।
  • क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा, शांति और समृद्धि के लिये बिम्सटेक देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने पर मार्च 2022 में कोलंबो में आयोजित 5वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भारत के वक्तव्य पर प्रकाश डाला गया।
  • बिम्सटेक कृषि सहयोग (2023-2027) को मज़बूत करने के लिये कार्य योजना को अपनाया गया।
  • बिम्सटेक सचिवालय और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं और कृषि कार्य समूह के तहत मत्स्य पालन एवं पशुधन उप-क्षेत्रों को लाने की मंज़ूरी दी गई है।

बिम्सटेक (BIMSTEC):

  • परिचय:
    • बिम्सटेक क्षेत्रीय संगठन है जिसमें सात सदस्य देश शामिल हैं: पाँच दक्षिण एशिया से हैं, जिनमें बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशिया से म्याँमार एवं थाईलैंड दो देश शामिल हैं।
    • यह उप-क्षेत्रीय संगठन 6 जून, 1997 को बैंकॉक घोषणा के माध्यम से अस्तित्व में आया।
    • बिम्सटेक क्षेत्र में लगभग 1.5 बिलियन लोग शामिल है, जो 2.7 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के साथ वैश्विक आबादी का लगभग 22% है।
    • बिम्सटेक सचिवालय ढाका में है।
    • संस्थागत तंत्र:
      • बिम्सटेक शिखर सम्मेलन
      • मंत्रिस्तरीय बैठक
      • वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक
      • बिम्सटेक वर्किंग ग्रुप
      • व्यापार मंच और आर्थिक मंच
  • महत्त्व:
    • तेज़ी से बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में विकास सहयोग के लिये एक प्राकृतिक मंच के रूप में बिम्सटेक के पास विशाल क्षमता है और भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक धुरी के रूप में अपनी अनूठी स्थिति का लाभ उठा सकता है।
    • बिम्सटेक के बढ़ते मूल्यों को इसकी भौगोलिक निकटता, प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक और मानव संसाधनों तथा समृद्ध ऐतिहासिक संबंधों एवं क्षेत्र में गहन सहयोग को बढ़ावा देने के लिये सांस्कृतिक विरासत को महत्त्वपूर्ण माना जा सकता है।
    • बंगाल की खाड़ी में हिंद-प्रशांत क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण केंद्र बनने की क्षमता है, यह ऐसा स्थान है जहाँ पूर्व और दक्षिण एशिया की प्रमुख शक्तियों के रणनीतिक हित टकराते हैं।
    • यह एशिया के दो प्रमुख उच्च विकास केंद्रों- दक्षिण और दक्षिण- पूर्व एशिया के बीच एक पुल के रूप में कार्य करता है।

बिम्सटेक की चुनौतियाँ:

  • बैठकों में विसंगति: बिम्सटेक ने हर साल मंत्रिस्तरीय बैठकें आयोजित करने और हर दो साल में शिखर सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई, लेकिन 20 वर्षों में केवल पाँच शिखर सम्मेलन हुए हैं।
  • सदस्य देशों द्वारा उपेक्षित: ऐसा लगता है कि भारत ने बिम्सटेक का उपयोग केवल तभी किया है जब वह क्षेत्रीय विन्यास में SAARC के माध्यम से काम करने में विफल रहा और अन्य प्रमुख सदस्य देश जैसे कि थाईलैंड तथा म्याँमार बिम्सटेक के बज़ाय ASEAN की ओर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • व्यापक फोकस क्षेत्र: बिम्सटेक का फोकस बहुत व्यापक है, जिसमें कनेक्टिविटी, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि आदि जैसे सहयोग के 14 क्षेत्र शामिल हैं। यह सुझाव दिया जाता है कि बिम्सटेक को छोटे फोकस क्षेत्रों के लिये प्रतिबद्ध रहना चाहिये और उनमें कुशलतापूर्वक सहयोग करना चाहिये।
  • सदस्य देशों के बीच द्विपक्षीय मुद्दे: बांग्लादेश म्याँमार के रोहिंग्याओं के सबसे खराब शरणार्थी संकटों में से एक का सामना कर रहा है जो म्याँमार के रखाइन राज्य में क़ानूनी कार्यवाही करने से बच रहे हैं। म्याँमार और थाईलैंड के बीच सीमा पर संघर्ष चल रहा है।
  • BCIM: चीन की सक्रिय सदस्यता के साथ एक और उप-क्षेत्रीय पहल, बांग्लादेश-चीन-भारत-म्याँमार (BCIM) फोरम के गठन ने बिम्सटेक की अनन्य क्षमता के बारे में अधिक संदेह पैदा किया है।
  • आर्थिक सहयोग पर अपर्याप्त फोकस: अधूरे कार्यों और नई चुनौतियों पर ध्यानाकर्षण होने पर ज़िम्मेदारियों के बोझ बढ़ता है।
    • वर्ष 2004 में एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) हेतु रूपरेखा के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बावज़ूद बिम्सटेक इस लक्ष्य से बहुत दूर है।

आगे की राह

  • सदस्य देशों के बीच बिम्सटेक मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की आवश्यकता है।
    • चूँकि यह क्षेत्र स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा की चुनौतियों का सामना कर रहा है और एकजुटता तथा सहयोग की आवश्यकता पर बल दे रहा है जिससे एफटीए बंगाल की खाड़ी को संपर्क, समृद्धि एवं सुरक्षा का पुल बना देगा।
  • भारत को इस धारणा का मुकाबला करना होगा कि बिम्सटेक एक भारत-प्रभुत्व वाला ब्लॉक है, इस संदर्भ में भारत गुजराल सिद्धांत का पालन कर सकता है जो द्विपक्षीय संबंधों में लेन-देन के प्रभाव को सशक्त करने का इरादा रखता है।
  • बिम्सटेक को भविष्य में नीली अर्थव्यवस्था, डिजिटल अर्थव्यवस्था और स्टार्ट-अप तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के बीच आदान-प्रदान तथा लिंक को बढ़ावा देने जैसे नए क्षेत्रों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिये।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (पीवाईक्यू)  

प्रश्न. आपके विचार में क्या बिमस्टेक, सार्क (SAARC) की तरह एक समानांतर संगठन है? इन दोनों के बीच क्या समानताएँ और असमानताएँ हैं? इस नए संगठन के बनाए जाने से भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य कैसे प्राप्त हुए हैं? (मेन्स-2022)

स्रोत: पी.आई.बी.

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