शासन व्यवस्था
शहरी नियोजन सुधार: नीति आयोग
- 18 Sep 2021
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारत की जनगणना 2011, सकल घरेलू उत्पाद, शहरीकरण मेन्स के लिये:भारत में शहरीकरण की वर्तमान स्थिति तथा शहरी विकास से संबंधित योजनाएँ/कार्यक्रम |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नीति आयोग ने 'भारत में शहरी नियोजन क्षमता में सुधार' (Reforms in Urban Planning Capacity in India) शीर्षक से रिपोर्ट जारी की है।
प्रमुख बिंदु
- भारत में शहरीकरण:
- शहरीकरण स्तर (राष्ट्रीय):
- 31.1% (भारत की जनगणना 2011) शहरीकरण स्तर के साथ, वर्ष 2011 में भारत की शहरी जनसंख्या 1210 मिलियन थी।
- शहरीकरण कस्बों (Towns) और शहरों (Cities) में रहने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि को संदर्भित करता है।
- पूरे देश में शहरी केंद्रों (Urban centres) का वितरण और शहरीकरण (Urbanisation) की गति एक समान नहीं है।
- देश की 75% से अधिक शहरी जनसंख्या 10 राज्यों- महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और केरल में विद्यमान है।
- 31.1% (भारत की जनगणना 2011) शहरीकरण स्तर के साथ, वर्ष 2011 में भारत की शहरी जनसंख्या 1210 मिलियन थी।
- राज्यवार परिदृश्य:
- राष्ट्रीय औसत से ऊपर: गोवा, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में शहरीकरण का स्तर 40% से अधिक है।
- राष्ट्रीय औसत से नीचे: बिहार, ओडिशा, असम और उत्तर प्रदेश में शहरीकरण का स्तर राष्ट्रीय औसत (31.1% ) से कम है।
- केंद्रशासित प्रदेश: दिल्ली, दमन और दीव, चंडीगढ़ तथा लक्षद्वीप में शहरीकरण का स्तर 75% से अधिक है।
- शहरीकरण स्तर (राष्ट्रीय):
- शहरी नियोजन क्षमता में सुधार की आवश्यकता:
- बढ़ता शहरीकरण: भारत की शहरी जनसंख्या विश्व जनसंख्या का 11% है।
- हालांँकि, निरपेक्ष संख्या (Absolute Numbers) से, भारत में शहरी जनसंख्या संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, पश्चिमी यूरोप और दक्षिण अमेरिका जैसे अत्यधिक शहरीकृत देशों/क्षेत्रों से अधिक है।
- वर्ष 2011से 2036 के दौरान,भारत में कुल जनसंख्या में 73% वृद्धि के लिये शहरी विकास ही ज़िम्मेदार होगा।
- भारतीय अर्थव्यवस्था का केंद्र: शहरीकरण भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 60% का योगदान देता है।
- हालांँकि भारत में बड़े पैमाने पर अपर्याप्त अर्थव्यवस्था का स्तर मौज़ूद है।
- भारत के राष्ट्रीय विकास लक्ष्य:
- आर्थिक विकास लक्ष्य: वर्ष 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था।
- रोज़गार लक्ष्य: वर्ष 2030 तक कुल कार्यबल 0.64 बिलियन होने का अनुमान है, जिसमें से 0.26 बिलियन शहरी क्षेत्रों में कार्यरत होंगे।
- बुनियादी अवसंरचना लक्ष्य: राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 11 बड़े औद्योगिक गलियारों का निर्माण, कई मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क का निर्माण।
- पर्यावरण संरक्षण लक्ष्य: नदी का कायाकल्प, शहरों में स्वच्छ वायु आदि।
- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP): NIP के अंतर्गत शहरी क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण हिस्सा (17%) शामिल है।
- NIP वर्ष 2020-25 की अवधि के दौरान 111 लाख करोड़ रुपए के अनुमानित निवेश के साथ देश में बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं की सुविधा प्रदान करता है।
- भारत की वैश्विक प्रतिबद्धताएँ:
- SDG (लक्ष्य 11): सतत् विकास को प्राप्त करने के लिये अनुशंसित तरीकों में से एक के रूप में शहरी नियोजन को बढ़ावा देना।
- यूएन-हैबिटेट का नया शहरी एजेंडा: इसे वर्ष 2016 में हैबिटेट-III में अपनाया गया था। यह शहरी क्षेत्रों के नियोजन, निर्माण, विकास, प्रबंधन और सुधार के सिद्धांतों को प्रदर्शित करता है।
- यूएन-हैबिटेट (2020) यह एक अवधारणा के रूप में स्थानिक स्थिरता का उल्लेख करता है। यह सुझाव देता है कि किसी शहर की स्थानिक स्थितियाँ सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय मूल्य तथा कल्याण उत्पन्न करने के लिये अपनी क्षमता को बढ़ा सकती हैं।
- पेरिस समझौता: भारत के राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDC) में वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 33% से 35% तक कम करने के लक्ष्य शामिल हैं।
- बढ़ता शहरीकरण: भारत की शहरी जनसंख्या विश्व जनसंख्या का 11% है।
- सिफारिशें:
- स्वस्थ शहरों की योजना: रिपोर्ट में 5 वर्ष की अवधि के लिये '500 स्वस्थ शहर कार्यक्रम (500 Healthy Cities Programme)' नामक केंद्रीय क्षेत्र की योजना की भी सिफारिश की गई है। इसके अंतर्गत राज्यों और स्थानीय निकायों द्वारा संयुक्त रूप से प्राथमिक शहरों और कस्बों का चयन किया जाएगा।
- इस कार्यक्रम से शहरी भूमि का इष्टतम उपयोग भी हो सकता है।
- शहरी शासन को पुनर्स्पष्ट करना: अधिक संस्थागत स्पष्टता और बहु-अनुशासनात्मक विशेषज्ञता के माध्यम से शहरी चुनौतियों को हल करना।
- राज्य स्तर पर एक शीर्ष समिति के गठन की सिफारिश की गई है ताकि योजना, कानूनों (नगर और देश नियोजन संबंधी या शहरी और क्षेत्रीय विकास अधिनियम, अन्य प्रासंगिक अधिनियमों सहित) की नियमित समीक्षा की जा सके।
- निजी क्षेत्र की भूमिका को सुदृढ़ बनाना: इसके अंतर्गत तकनीकी परामर्श सेवाओं की खरीद हेतु उचित प्रक्रियाओं को अपनाना, सार्वजनिक क्षेत्र में परियोजना संरचना और प्रबंधन कौशल को मज़बूत करना तथा निजी क्षेत्र के परामर्शियों को शामिल करना है।
- मानव संसाधन को सुदृढ़ करने और मांग-आपूर्ति संतुलन के लिये उपाय: भारत सरकार के एक सांविधिक निकाय के रूप में 'राष्ट्रीय नगर और ग्राम योजनाकारों की परिषद' का गठन।
- साथ ही आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) के ‘नेशनल अर्बन इनोवेशन स्टैक’ के भीतर एक 'नेशनल डिजिटल प्लेटफॉर्म ऑफ़ टाउन एंड कंट्री प्लानर्स' बनाने का सुझाव दिया गया है।
- शहरी नियोजन के रहस्योद्घाटन के लिये ‘सिटीज़न आउटरीच अभियान'।
- शहरी नियोजन शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ बनाना।
- स्वस्थ शहरों की योजना: रिपोर्ट में 5 वर्ष की अवधि के लिये '500 स्वस्थ शहर कार्यक्रम (500 Healthy Cities Programme)' नामक केंद्रीय क्षेत्र की योजना की भी सिफारिश की गई है। इसके अंतर्गत राज्यों और स्थानीय निकायों द्वारा संयुक्त रूप से प्राथमिक शहरों और कस्बों का चयन किया जाएगा।
शहरी विकास से संबंधित योजनाएँ/कार्यक्रम
- स्मार्ट सिटीज: इसका उद्देश्य ऐसे शहरों को बढ़ावा देना है जो मुख्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराएँ और अपने नागरिकों को एक गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करे तथा एक स्वच्छ और टिकाऊ पर्यावरण एवं 'स्मार्ट' समाधानों के प्रयोग का अवसर दें।
- अमृत मिशन: इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर घर में पानी की आपूर्ति और सीवरेज कनेक्शन के साथ नल की व्यवस्था हो।
- स्वच्छ भारत मिशन-शहरी: इसका उद्देश्य शहरी भारत को खुले में शौच से मुक्त करना तथा देश में 4041 वैधानिक कस्बे में नगरीय ठोस अपशिष्ट का शत-प्रतिशत वैज्ञानिक प्रबंधन सुनिश्चित करना है ।
- हृदय योजना: राष्ट्रीय विरासत शहर विकास एवं वृद्धि योजना (हृदय) का लक्ष्य शहरी नियोजन, आर्थिक विकास तथा विरासत संरक्षण को एक समावेशी तरीके और शहर की विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से एकीकृत करना है।
- प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी: इस योजना का लक्ष्य पात्र शहरी गरीबों (झुग्गीवासी सहित) को पक्के घर उपलब्ध कराना है।