भारतीय समाज
विकलांगता: चुनौती और अधिकार
- 28 Oct 2021
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प्रिलिम्स के लिये:दिव्यांगजन अधिकार नियम, 2017, विश्व विकलांगता दिवस मेन्स के लिये:विकलांग व्यक्तियों के अधिकार और संबंधित चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा हवाई अड्डों पर दिव्यांगों के लिये पहुँच सुनिश्चित करने हेतु मसौदा मानदंड जारी किये गए हैं।
- यह मसौदा ‘दिव्यांगजन अधिकार नियम, 2017’ का अनुसरण करता है, जिसके तहत सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को दिव्यांग व्यक्तियों हेतु पहुँच मानकों के लिये सामंजस्यपूर्ण दिशा-निर्देश तैयार करने की आवश्यकता है।
- यह मसौदा उन विभिन्न बुनियादी ढाँचागत आवश्यकताओं का विवरण प्रदान करता है, जो एक हवाई अड्डे को दिव्यांग व्यक्तियों की सुविधा हेतु प्रदान करना चाहिये।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- किसी एक विशिष्ट सीमा के भीतर कोई गतिविधि, जिसे मनुष्य के लिये सामान्य माना जाता है, को करने में अक्षमता को दिव्यांगता कहा जाता है।
- दिव्यांगता भारत जैसे विकासशील देशों में एक महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है।
- विकलांगता के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने हेतु संयुक्त राष्ट्र द्वारा 3 दिसंबर को ‘विश्व विकलांगता दिवस’ के रूप में चिह्नित किया गया है।
- पिछले वर्ष राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा विकलांगता पर जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लगभग 2.2% आबादी किसी-न-किसी तरह की शारीरिक या मानसिक अक्षमता से पीड़ित है।
- विकलांग व्यक्तियों से संबंधित मुद्दे:
- भेदभाव:
- निरंतर भेदभाव उन्हें शिक्षा, रोज़गार, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य अवसरों तक समान पहुँच से वंचित करता है।
- विकलांग व्यक्तियों से जुड़ी गलत धारणाओं और अधिकारों की समझ के अभाव के कारण उनका दैनिक जीवन काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
- विकलांग महिलाएँ और लड़कियाँ यौन एवं अन्य प्रकार की लैंगिक हिंसा के प्रति काफी संवेदनशील होती हैं।
- स्वास्थ्य:
- विकलांगता के अधिकांश मामलों को रोका जा सकता है, जिनमें जन्म के दौरान चिकित्सा संबंधी मुद्दों, मातृ स्थितियों, कुपोषण, साथ ही दुर्घटनाओं और चोटों से उत्पन्न होने वाली विकलांगताएँ शामिल हैं।
- हालाँकि भारत जागरूकता की कमी, देखभाल और बेहतर एवं सुलभ चिकित्सा सुविधाओं की कमी जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। इसके अलावा पुनर्वास सेवाओं तक पहुँच, उपलब्धता और उपयोग की भी कमी है।
- शिक्षा:
- विकलांगों के लिये विशेष स्कूल, स्कूलों तक पहुँच, प्रशिक्षित शिक्षकों एवं शैक्षिक सामग्री की उपलब्धता का अभाव भी एक बड़ी समस्या है।
- रोज़गार:
- भले ही कई वयस्क दिव्यांग उत्पादन कार्य करने में सक्षम हैं, परंतु वयस्क दिव्यांगों की सामान्य आबादी की तुलना में बहुत कम रोज़गार दर है।
- पहुँच:
- भवनों, परिवहन, सेवाओं तक भौतिक पहुँच अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
- अपर्याप्त डेटा और आँकड़े:
- परिशुद्ध और तुलनीय डेटा एवं आँकड़ों की कमी विभिन्न नीतियों में दिव्यांग व्यक्तियों को शामिल करने में बाधा डालती है।
- भेदभाव:
- संवैधानिक प्रावधान:
- राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत के अंतर्गत अनुच्छेद-41 में कहा गया है कि राज्य अपनी आर्थिक क्षमता एवं विकास की सीमा के भीतर कार्य, शिक्षा व बेरोज़गारी, वृद्धावस्था, बीमारी तथा अक्षमता के मामलों में सार्वजनिक सहायता के अधिकार को सुरक्षित करने के लिये प्रभावी प्रावधान करेगा।
- संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची में 'दिव्यांगों और बेरोज़गारों को राहत' विषय निर्दिष्ट है।
- संबंधित पहलें:
आगे की राह
- सुलभ और दुर्लभ के बीच की बढ़ती दूरी को समाप्त करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सभी क्षेत्रों में पहुँच स्थापित कर इस अंतराल को खत्म करना होगा।
- इस तरह के प्रयासों में दिव्यांग व्यक्तियों को शामिल करने पर शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिये लोगों को शामिल करना; अभिगम्यता कानूनों और विनियमों को लागू करना; भौतिक पहुँच और सार्वभौमिक स्थिति में सुधार करना; वैमनस्य को कम करना तथा विकलांग व्यक्तियों के साथ सार्थक रूप से जुड़ने के लिये व्यक्तियों व समुदायों हेतु उपकरण विकसित करना शामिल है।
- अंततः इस उद्देश्य को प्राप्त करने के प्रमुख तरीकों में से एक है- निर्णय और नीति निर्माण में दिव्यांग व्यक्तियों को शामिल करना तथा उन मामलों में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना जो उनके जीवन को नियंत्रित करते हैं।