एनएफएसए रैंकिंग 2022 | 11 Jul 2022

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय खाद्य और सुरक्षा अधिनियम, राज्य रैंकिंग सूचकांक, एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड (ONORC)।

मेन्स के लिये:

एनएफएसए इंडेक्स रैंकिंग का महत्त्व, राष्ट्रीय खाद्य और सुरक्षा अधिनियम, 2013, बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा, सरकारी नीतियांँ एवं हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के लिये राज्य रैंकिंग सूचकांक का पहला संस्करण जारी किया गया।

सूचकांक के बारे में:

  • परिचय:
    • यह सूचकांक राज्यों के साथ परामर्श के बाद देश भर में NFSA के कार्यान्वयन और विभिन्न सुधार पहलों की स्थिति एवं प्रगति के दस्तावेज़ीकरण का प्रयास करता है।
    • यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किये गए सुधारों पर प्रकाश डालता है तथा सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा एक क्रॉस-लर्निंग एन्वायरनमेंट व स्केल-अप सुधार उपायों का निर्माण करता है।
    • वर्तमान सूचकांक काफी हद तक NFSA वितरण पर केंद्रित है और इसमें भविष्य में खरीद, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) वितरण शामिल होंगे।
  • मूल्यांकन का आधार:
    • राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की रैंकिंग के लिये सूचकांक का निर्माण तीन प्रमुख स्तंभों पर किया गया है, जो लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के माध्यम से NFSA के एंड-टू-एंड कार्यान्वयन को कवर करता है। ये स्तंभ हैं:
      i) NFSA - कवरेज, लक्ष्यीकरण और अधिनियम के प्रावधान
      ii) डिलीवरी प्लेटफॉर्म
      iii) पोषण संबंधी पहल

राज्यों का प्रदर्शन:

  • सामान्य श्रेणी के राज्य:
    • ओडिशा पहले स्थान पर है, उसके बाद उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
  • विशेष श्रेणी के राज्य:
    • त्रिपुरा विशेष श्रेणी के राज्यों (उत्तर-पूर्वी राज्यों, हिमालयी राज्यों और द्वीपीय राज्यों) में शीर्ष स्थान पर है।
    • हिमाचल प्रदेश और सिक्किम क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
  • सबसे खराब प्रदर्शन वाले राज्य:
    • पंजाब, हरियाणा और दिल्ली सबसे निचले पांँच राज्यों में शामिल हैं।

food-security

सूचकांक का महत्त्व:

  • अभ्यास के निष्कर्षों से पता चलता है कि अधिकांश राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने डिजिटलीकरण, आधार सीडिंग तथा ePoS इंस्टॉलेशन में अच्छा प्रदर्शन किया है, जो सुधारों की मज़बूती और मानकों को दोहराता है।
    • हालांँकि राज्य और केंद्रशासित प्रदेश कुछ क्षेत्रों में अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकते हैं। राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों में राज्य खाद्य आयोगों के कार्यों को अच्छी तरह से संचालित करने एवं उनका संचालन करने जैसे अभ्यास, अधिनियम की वास्तविक भावना को और मज़बूत करेंगे।
  • इससे राज्यों के बीच उनके प्रदर्शन को बेहतर करने के लिये स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा मिलेगा।

सूचकांक से संबंधित चुनौतियाँ:

  • इसमें NFSA के अंतर्गत अन्य मंत्रालयों और विभागों द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं एवं कार्यक्रमों को शामिल नहीं किया गया है।
  • सूचकांक केवल TPDS संचालन की दक्षता को दर्शाता है, यह किसी निश्चित राज्य या संघ क्षेत्र में भूख, कुपोषण या दोनों के स्तर को नहीं दर्शाता है।

ओडिशा रैंकिंग का महत्त्व:

  • ओडिशा ने वर्ष 2015 में राज्य में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के संचालन हेतु मज़बूत एंड-टू-एंड कंप्यूटरीकरण के साथ NFSA को अपनाने का निर्णय लिया।
  • 25 करोड़ डिजिटल लाभार्थियों के डेटाबेस को सार्वजनिक किया गया है साथ ही और 378 राशन कार्ड प्रबंधन प्रणाली (RCMS) केंद्र , 314 ब्लॉकों तथा 64 शहरी स्थानीय निकायों (ULB) के डेटा को अद्यतन किया गया है।
  • इसके अलावा खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण विभाग की 152 खाद्य भंडारण सुविधाओं को पूरी तरह से स्वचालित कर दिया गया है, जिसमें 1.87 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न की रीयल-टाइम इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डिंग राज्य भर में 12,133 उचित मूल्य स्टोरों को भेजी गई है।
  • जुलाई 2021 से राज्य भर में वन नेशन, वन राशन कार्ड (ONORC) कार्यक्रम शुरू किया गया।
    • इसके लागू होने के बाद PDS लाभार्थी अब खाद्यान्न प्राप्त करने के लिये अपनी पसंद और सुविधा के किसी भी उचित मूल्य के राशन की दुकान या खुदरा विक्रेता को चुन सकते हैं।
    • लगभग 1.10 लाख परिवार अंतर-राज्यीय सुविधा के माध्यम से राशन प्राप्त कर रहे हैं और 533 परिवारों को हर महीने अंतर-राज्यीय कार्यक्रम के माध्यम से राशन प्राप्त होता है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA):

  • अधिसूचित: 10 सितंबर, 2013।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिये लोगों को वहनीय मूल्‍यों पर अच्‍छी गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्‍न की पर्याप्‍त मात्रा उपलब्‍ध कराते हुए उन्‍हें खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करना है।
  • कवरेज: लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत ग्रामीण आबादी की 75 प्रतिशत और शहरी आबादी की 50 प्रतिशत आबादी को रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना।
    • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) समग्र तौर पर देश की कुल आबादी के 67 प्रतिशत हिस्से को कवर करता है।
  • पात्रता:
    • राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत आने वाले प्राथमिकता वाले परिवार।
    • अंत्योदय अन्न योजना के तहत कवर किये गए परिवार।
  • प्रावधान:
    • प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न, जिसमें चावल 3 रुपए किलो, गेंहूँ 2 रुपए किलो और मोटा अनाज 1 रुपए किलो प्रदान करना।
    • हालाँकि अंत्योदय अन्न योजना के तहत मौजूदा प्रतिमाह प्रति परिवार 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान करना जारी रहेगा।
    • गर्भवती महिलाओं और स्‍तनपान कराने वाली माताओं को गर्भावस्‍था के दौरान तथा बच्चे के जन्‍म से 6 माह बाद तक भोजन के अलावा कम-से-कम 6000 रुपए का मातृत्‍व लाभ प्रदान किये जाने का प्रावधान है।
    • 14 वर्ष तक के बच्चों के लिये भोजन।
    • खाद्यान्न या भोजन की आपूर्ति न होने की स्थिति में लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ता देना।
    • ज़िला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत किये गए प्रावधानों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. केवल 'गरीबी रेखा से नीचे (BPL) की श्रेणी में आने वाले परिवार ही सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के पात्र हैं।
  2. परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सबसे अधिक उम्र वाली महिला ही राशन कार्ड निर्गत किये जाने के प्रयोजन से परिवार की मुखिया होगी।
  3. गर्भवती महिलाएँ एवं दुग्ध पिलाने वाली माताएँ गर्भावस्था के दौरान और उसके छ: महीने बाद तक प्रतिदिन 1600 कैलोरी वाला राशन घर ले जाने की हकदार हैं।

उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली और लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के माध्यम से सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा के मुद्दे को संबोधित किया गया है। 5 जुलाई, 2013 को अधिनियमित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) ने खाद्य सुरक्षा में कल्याण आधारित दृष्टिकोण के बदलाव को चिह्नित किया।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 की मुख्य विशेषताएंँ:

  • 75% ग्रामीण आबादी और 50% शहरी आबादी को TPDS के तहत प्रतिमाह 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति की समान पात्रता के साथ कवर किया जाएगा।
  • गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 6 महीने से 14 वर्ष की आयु के बच्चे एकीकृत बाल विकास सेवाओं (ICDS) तथा मध्याह्न भोजन (MDM) योजना के तहत निर्धारित पोषण मानदंडों के अनुसार भोजन के हकदार होंगे। 6 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों के लिये उच्च पोषण मानदंड निर्धारित किये गए हैं।
  • गर्भवती महिलाएंँ और स्तनपान कराने वाली माताएंँ भी कम-से-कम 6,000 रुपए का मातृत्व लाभ पाने की हकदार होंगी ।
  • NFSA के कार्यान्वयन से पहले राज्य सरकारों द्वारा मुख्य रूप से तीन प्रकार के राशन कार्ड जारी किये जाते थे जैसे कि गरीबी रेखा से ऊपर (APL), गरीबी रेखा से नीचे (BPL) और अंत्योदय (AAY) राशन कार्ड अलग-अलग रंगों के होते हैं। NFSA,2013 के अनुसार, APL और BPL समूहों को फिर से दो श्रेणियों- गैर-प्राथमिकता और प्राथमिकता में वर्गीकृत किया गया है, अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • राशन कार्ड जारी करने के उद्देश्य से परिवार की 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की सबसे बड़ी महिला को घर की मुखिया होगी, अत: कथन 2 सही है।
  • गर्भवती महिलाएँ तथा स्तनपान कराने वाली माताएँ 600 कैलोरी ऊर्जा एवं प्रतिदिन 18-20 ग्राम प्रोटीन के पूरक आहार के तौर पर माइक्रोन्यूट्रिएंट फोर्टिफाइड फूड और/या एनर्जी डेंस फूड के रूप में राशन प्राप्त करने की हकदार हैं। अत: कथन 3 सही नहीं है।

अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड