प्रारंभिक परीक्षा
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना
- 06 May 2022
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हाल ही में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत सभी 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिये शेष पाँच महीनों (मई से सितंबर 2022 तक) हेतु चावल और गेहूँ के आवंटन को संशोधित किया है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना:
- परिचय:
- ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ को कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में गरीब और संवेदनशील वर्ग की सहायता करने के लिये ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज’ (PMGKP) के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था।
- वित्त मंत्रालय इसका नोडल मंत्रालय है।
- प्रारंभ में इस योजना की शुरुआत तीन माह (अप्रैल, मई और जून 2020) की अवधि के लिये की गई थी, जिसमें कुल 80 करोड़ राशन कार्डधारक शामिल थे। बाद में इसे नवंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया था।
- इस योजना के चरण- I और चरण- II क्रमशः अप्रैल से जून, 2020 तथा जुलाई से नवंबर, 2020 तक संचालित थे।
- योजना का तीसरा चरण मई से जून 2021 तक संचालित था।
- योजना का चौथा चरण जुलाई-नवंबर 2021 के दौरान संचालित किया गया।
- समाज के गरीब और कमज़ोर वर्गों के प्रति चिंता और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीएम-जीकेएवाई योजना को और छह महीने अर्थात् सितंबर 2022 (चरण VI) तक बढ़ा दिया है।
- इस योजना के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से पहले से ही प्रदान किये गए 5 किलोग्राम अनुदानित खाद्यान्न के अलावा प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत 5 किलोग्राम अतिरिक्त अनाज (गेहूँ या चावल) मुफ्त में उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- PMGKAY के इस नए संस्करण में इसके महत्त्वपूर्ण घटकों में से एक का अभाव है जो कि वर्ष 2020 के PMGKAY में उपस्थित था: NFSA के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक परिवार के लिये प्रतिमाह 1 किलोग्राम मुफ्त दाल।
- ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ को कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में गरीब और संवेदनशील वर्ग की सहायता करने के लिये ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज’ (PMGKP) के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था।
- व्यय:
- PMGKAY चरण I-V में सरकार लगभग 2.60 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी।
- PMGKAY-V में 53344.52 करोड़ रुपए की अनुमानित अतिरिक्त खाद्य सब्सिडी होगी।
महत्त्व और उससे संबंधित चुनौतियाँ:
- महत्त्व:
- यह उन दैनिक श्रमिकों और अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमियों की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, जिन्होंने कोविड-19 प्रेरित लॉकडाउन के मद्देनज़र अपनी नौकरी खो दी।
- चुनौतियाँ:
- एक प्रमुख मुद्दा यह है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभार्थी अंतिम जनगणना (2011) पर आधारित हैं, हालाँकि तब से खाद्य-असुरक्षा से जुड़े लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है, जो कि अब इस योजना के तहत शामिल नहीं हैं।