लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

शासन व्यवस्था

भारत में भुखमरी की स्थिति

  • 20 Jan 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विभिन्न राज्यों में भुखमरी और संबंधित पहले, सामुदायिक रसोई और संबंधित योजनाएंँ

मेन्स के लिये:

भारत में भूख और कुपोषण, संबंधित सरकारी पहल, इस स्थिति से निपटने के लिये आगे की राह 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया है कि हाल के वर्षों में किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में भुखमरी से मृत्यु (भूख से मृत्यु) की कोई सूचना नहीं मिली है।

प्रमुख बिंदु 

  • याचिका:
    • न्यायालय में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कैसे भुखमरी से होने वाली मौतें जीवन के अधिकार और सामाजिक ताने-बाने की गरिमा को समाप्त कर रही हैं और गरीबों व भूखे लोगों को खिलाने के लिये देश भर में सामुदायिक रसोई जैसे उपायों कों स्थापित करने की आवश्यकता है।
    • याचिका में राजस्थान की अन्नपूर्णा रसोई, कर्नाटक में इंदिरा कैंटीन, दिल्ली की आम आदमी कैंटीन, आंध्र प्रदेश की अन्ना कैंटीन, झारखंड मुख्यमंत्री दल भट और ओडिशा के आहार केंद्र का भी ज़िक्र  किया गया है।
    • सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय:
    • SC ने केंद्र से एक "मॉडल" सामुदायिक रसोई (Community kitchen) योजना की संभावना तलाशने को कहा है ताकि वह गरीबों के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये राज्यों का समर्थन कर सके।
    • इसने केंद्र से एक मॉडल योजना बनाने और राज्यों को उनके व्यक्तिगत भोजन की आदतों के आधार पर दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिये कहा गया है।
    • केंद्र द्वारा एक राष्ट्रीय खाद्य जाल बनाने का आह्वान किया गया जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दायरे से बाहर है।

भारत में खाद्य संबंधी आँकड़े:

  • संबंधित डेटा:
    • खाद्य और कृषि रिपोर्ट, 2018 में कहा गया है कि भारत में दुनिया के 821 मिलियन कुपोषित लोगों में से 195.9 मिलियन लोग रहते हैं, जो दुनिया के भूखे लोगों का लगभग 24% है। भारत में अल्पपोषण की व्यापकता 14.8% है, जो वैश्विक और एशियाई दोनों के औसत से अधिक है।
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण द्वारा 2017 में बताया गया था कि देश में लगभग 19 करोड़ लोग हर रात खाली पेट सोने को मजबूर हैं।
    • इसके अलावा सबसे चौंकाने वाला आँकड़ा सामने आया है कि देश में पाँच साल से कम उम्र के हर दिन लगभग 4500 बच्चे भूख और कुपोषण के कारण मर जाते हैं, जबकि अकेले भूख के कारण हर साल तीन लाख से अधिक बच्चों की मौतें होती हैं।
  • कुपोषण का कारण:
    • भारत में कुपोषण के कई आयाम हैं, जिनमें शामिल हैं:
      • कैलोरी की कमी- हालाँकि सरकार के पास खाद्यान्न का अधिशेष है, लेकिन कैलोरी की कमी है क्योंकि आवंटन और वितरण उचित नहीं है। यहाँ तक ​​कि आवंटित वार्षिक बजट का भी पूरी तरह से उपयोग नहीं किया गया है।
      • प्रोटीन की कमी- प्रोटीन को दूर करने में दालों का बड़ा योगदान है। हालाँकि इस समस्या से निपटने के लिये पर्याप्त बजटीय आवंटन नहीं किया गया है। विभिन्न राज्यों में मध्याह्न भोजन के मेनू से अंडे गायब होने के कारण, प्रोटीन सेवन में सुधार करने का एक आसान तरीका विलुप्त हो गया है।
      • सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी (जिसे ‘प्रच्छन्न भुखमरी (hidden hunger) के रूप में भी जाना जाता है): भारत सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी के गंभीर संकट का सामना कर रहा है। इसके कारणों में खराब आहार, बीमारी या गर्भावस्था एवं दुग्धपान के दौरान सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की बढ़ी हुई आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं किया जाना शामिल है।  
    • अन्य कारक:
  • सरकारी हस्तक्षेप:
    • ‘ईट राइट इंडिया मूवमेंट’: भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा नागरिकों के लिये सही तरीके से भोजन ग्रहण करने हेतु आयोजित एक आउटरीच गतिविधि।   
    • पोषण (POSHAN) अभियान: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018 में शुरू किया गया यह अभियान स्टंटिंग, अल्पपोषण, एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोर बालिकाओं में) को कम करने का लक्ष्य रखता है।  
    • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना: यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित यह केंद्र प्रायोजित योजना एक मातृत्व लाभ कार्यक्रम है, जो 1 जनवरी, 2017 से देश के सभी ज़िलों में लागू है।
    • फूड फोर्टिफिकेशन: फूड फोर्टिफिकेशन या फूड एनरिचमेंट का आशय चावल, दूध और नमक जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों में प्रमुख विटामिनों और खनिजों (जैसे आयरन, आयोडीन, जिंक, विटामिन A और D) को संलग्न करने की प्रक्रिया है, ताकि उनकी पोषण सामग्री में सुधार लाया जा सके।
    • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013: यह कानूनी रूप से ग्रामीण आबादी के 75% और शहरी आबादी के 50% को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Targeted Public Distribution System) के तहत रियायती खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है।
    • मिशन इंद्रधनुष: यह 2 वर्ष से कम आयु के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को 12 वैक्सीन-निवारक रोगों (VPD) के विरुद्ध टीकाकरण के लिये लक्षित करता है।
    • एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना: वर्ष 1975 में शुरू की गई यह योजना 0-6 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिये छह सेवाओं का पैकेज प्रदान करती है।

आगे की राह

  • कृषि-पोषण लिंकेज योजनाओं में कुपोषण से निपटने के मामले में व्यापक प्रभाव उत्पन्न कर सकने की क्षमता है और इसलिये इन पर अधिक बल देने की आवश्यकता है। 
  • शीघ्र निधि संवितरण: सरकार को निधियों का शीघ्र संवितरण और पोषण से जुड़ी योजनाओं में धन का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
  • संसाधनों का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना: कई बार इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया है कि विभिन्न पोषण-आधारित योजनाओं के तहत किया गया व्यय इस मद में आवंटित धन की तुलना में पर्याप्त कम रहा है। इसलिये क्रियान्वयन पर अधिक बल देने की आवश्यकता है। 
  • अन्य योजनाओं के साथ अभिसरण: पोषण का विषय महज़ आहार तक ही सीमित नहीं होता है और आर्थिक व्यवस्था, स्वास्थ्य, जल, स्वच्छता, लैंगिक दृष्टिकोण तथा सामाजिक मानदंड जैसे कारक भी बेहतर पोषण में योगदान करते हैं। यही कारण है कि अन्य योजनाओं का उचित क्रियान्वयन भी बेहतर पोषण में योगदान दे सकता है। 
  • प्रधानमंत्री पोषण योजना: प्रधानमंत्री पोषण योजना का उद्देश्य स्कूलों में संतुलित आहार प्रदान करके स्कूली बच्चों के पोषण को बढ़ाना है। प्रत्येक राज्य के मेनू में दूध और अंडे को शामिल करके, जलवायु परिस्थितियों, स्थानीय खाद्य पदार्थों आदि के आधार पर मेनू तैयार करने से विभिन्न राज्यों में बच्चों को सही पोषण प्रदान करने में मदद मिल सकती है।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2