प्रारंभिक परीक्षा
आर्कटिक में रूस-चीन की सहभागिता
हाल ही में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने रूस की सेना के निर्माण और आर्कटिक क्षेत्र में चीनी हित को चेतावनी दीी।
- विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार चीन ने आर्कटिक क्षेत्र में रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी को गहरा किया है।
सहभागिता के संबंध में चिंताएँ:
- रूसी सैन्य बल निर्माण:
- रूस ने एक नई आर्कटिक कमान की स्थापना की है और सैकड़ों नए और पूर्व सोवियत-युग के आर्कटिक सैन्य स्थल खोले हैं, जिनमें हवाई क्षेत्र और गहरे पानी के बंदरगाह शामिल हैं।
- नए ठिकानों, नए हथियार प्रणालियों के साथ महत्त्वपूर्ण रूसी सैन्य निर्माण तथा हाइपरसोनिक मिसाइलों सहित अपने सबसे उन्नत हथियारों के लिये परीक्षण स्थल के रुप में आर्कटिक क्षेत्र का उपयोग करना।
- रूस ने एक नई आर्कटिक कमान की स्थापना की है और सैकड़ों नए और पूर्व सोवियत-युग के आर्कटिक सैन्य स्थल खोले हैं, जिनमें हवाई क्षेत्र और गहरे पानी के बंदरगाह शामिल हैं।
- चीन का दावा:
- चीन ने खुद को आर्कटिक का निकटवर्ती-राष्ट्र घोषित कर दिया है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा आइसब्रेकर बनाने की योजना में जुटा है और आर्कटिक के उत्तरी क्षेत्र में ऊर्जा, अवसंरचना और अनुसंधान परियोजनाओं पर अरबो डॉलर खर्च कर रहा है।
- जलवायु परिवर्तन:
- जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक बर्फ पिघल रही है, जिससे यहाँ अधिक जलमार्ग खुलने की उम्मीद है, जिसके कारण इस क्षेत्र में अधिक रूचि रखी देखी जा सकती है।
- इन चैनलों का उन राष्ट्रों द्वारा प्रयोग किया जा सकता है जो नए शिपिंग मार्गों का पता लगाने में जुटे हैं, जिनकी जानकारी से लंबी और महँगी यात्राएँ छोटी तथा सस्ती की जा सकती हैं, और यह वाणिज्यिक क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन लाएगा।
- जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक बर्फ पिघल रही है, जिससे यहाँ अधिक जलमार्ग खुलने की उम्मीद है, जिसके कारण इस क्षेत्र में अधिक रूचि रखी देखी जा सकती है।
- जबकि चीन आर्कटिक राष्ट्र नहीं है, रूस के साथ उसकी गहरी रणनीतिक साझेदारी और आर्कटिक में बढ़ते सहयोग ने अमेरिका को चिंतित कर दिया है, जिसका मानना है कि उनके बढ़ते सहयोग अमेरिकी मूल्यों एवं हितों के खिलाफ है।
आर्कटिक में राष्ट्रों के बीच सहयोग:
- आठ आर्कटिक राष्ट्र - अमेरिका, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और रूस हैं।
- ये आर्कटिक परिषद का हिस्सा हैं, जो अंतर सरकारी मंच है जिसका गठन इस क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये किया गया था।
- अब तक तीन बार आर्कटिक देशों ने कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौतों पर बातचीत की है। जो हैं -
- आर्कटिक में वैमानिकी और समुद्री खोज एवं बचाव पर सहयोग पर समझौता (हस्ताक्षरित 2011),
- आर्कटिक में समुद्री तेल प्रदूषण की तैयारी और प्रतिक्रिया (Preparedness and Response) पर सहयोग पर समझौता (हस्ताक्षरित 2013),
- अंतर्राष्ट्रीय आर्कटिक वैज्ञानिक सहयोग बढ़ाने पर समझौता (हस्ताक्षरित 2017)।
भारत के लिये आर्कटिक क्षेत्र की प्रासंगिकता:
- परिचय:
- आर्कटिक क्षेत्र में भारत के हित वैज्ञानिक, पर्यावरणीय, वाणिज्यिक और साथ ही रणनीतिक हैं।
- भारत वर्ष 2013 में आर्कटिक परिषद का पर्यवेक्षक बना और पर्यवेक्षक के रूप में इसकी सदस्यता वर्ष 2018 में अगले पाँच वर्षों के लिये नवीनीकृत की गई है।
- राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR) पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार, भारत के ध्रुवीय अनुसंधान कार्यक्रम के लिये नोडल एजेंसी है, जिसमें आर्कटिक अध्ययन शामिल है।
- भारत का विदेश मंत्रालय आर्कटिक परिषद को बाहरी इंटरफ़ेस प्रदान करता है।
- अनुसंधान स्टेशन:
- आर्कटिक के साथ भारत का जुड़ाव वर्ष 1920 में पेरिस में स्वालबार्ड संधि पर हस्ताक्षर के साथ हुआ।
- भारत ने जुलाई 2008 में नॉर्वे के स्वालबार्ड में ‘हिमाद्री’ नाम से एक शोध केंद्र खोला।
- इसने वर्ष 2014 से कोंग्सफजॉर्डन फोजर्ड में IndARC नामक एक मल्टी-सेंसर मूर्ड ऑब्जर्वेटरी भी तैनात की है।
- भारत पर प्रभाव:
- आर्कटिक पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र के वायुमंडलीय, समुद्र विज्ञान और जैव-भू-रासायनिक चक्रों को प्रभावित करता है।
- इसके अलावा आर्कटिक जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के प्रति संवेदनशील है।
- समुद्री बर्फ/बर्फ छत्र के पिघलने से समुद्र तथा वातावरण के गर्म होने से प्रभाव प्रकट हो रहेे हैं।
- यह लवणता के स्तर को कम करेगा, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भूमि और महासागरों के बीच बढ़ते तापमान के अंतर, उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के सूखा और उच्च अक्षांशों पर वर्षा में वृद्धि करेगा।
- आर्कटिक पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र के वायुमंडलीय, समुद्र विज्ञान और जैव-भू-रासायनिक चक्रों को प्रभावित करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रिलिम्स: Q. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2014)
उपरोक्त में से कौन 'आर्कटिक परिषद' के सदस्य हैं? (a) 1, 2 और 3 उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प (d) सही है। Q. आर्कटिक की बर्फ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों के पिघलने से पृथ्वी पर मौसम के प्रतिमानों (Patterns) और मानवीय गतिविधियों पर अलग-अलग प्रभाव कैसे पड़ता है? व्याख्या कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2021) |
स्रोत: द हिंदू
प्रारंभिक परीक्षा
बैंक धोखाधड़ी की जाँच हेतु रजिस्ट्री
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने धोखाधड़ी करने वाली वेबसाइटों, फोन और धोखाधड़ी करने वाले द्वारा उपयोग किये जाने वाले विभिन्न तरीकों का डेटाबेस बनाने के लिये फ्रॉड रजिस्ट्री स्थापित करने पर विचार किया है।
फ्रॉड रजिस्ट्री
- परिचय:
- रजिस्ट्री का डेटाबेस जालसाज़ो को धोखाधड़ी को दोहराने से रोकने में मदद करेगा क्योंकि वेबसाइटों या फोन नंबरों को काली सूची में डाल दिया जाएगा।
- भुगतान प्रणाली के प्रतिभागियों को वास्तविक समय में धोखाधड़ी की निगरानी के लिये इस रजिस्ट्री तक पहुँच प्रदान की जाएगी।
- जागरूकता का विस्तार:
- ग्राहकों को उभरते जोखिमों के बारे में शिक्षित करने के लिये समग्र धोखाधड़ी डेटा प्रकाशित किया जाएगा।
- लोकपाल योजना:
- इस योजना के तहत वर्ष 2021-22 के दौरान लगभग 4.18 लाख शिकायतें प्राप्त हुईं, जबकि पिछले वर्ष यह 3.82 लाख थी।
- वर्ष 2020 में 96.5% की तुलना में वर्ष 2021 में लगभग 97.9% मामलों का निपटारा किया गया।
- पिछले वित्त वर्ष के दौरान RBI को मिली लगभग 39 फीसदी शिकायतें डिजिटल लेनदेन से संबंधित थीं।
- अन्य संबंधित पहल:
- बैंकिंग, NBFC और डिजिटल भुगतान प्रणालियों में सेवा की कमियों को दूर करने के लिये एकीकृत उपभोक्ता शिकायत निवारण तंत्र।
- एक राष्ट्र एक लोकपाल:
- प्रधान मंत्री ने वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र को सरल और विनियमित संस्थाओं के ग्राहकों के लिये अधिक उत्तरदायी बनाने हेतु एक राष्ट्र एक लोकपाल का शुभारंभ किया।
- प्रधान मंत्री ने वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र को सरल और विनियमित संस्थाओं के ग्राहकों के लिये अधिक उत्तरदायी बनाने हेतु एक राष्ट्र एक लोकपाल का शुभारंभ किया।
बैंकिंग लोकपाल योजना:
- परिचय:
- यह योजना भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के संबंध में ग्राहकों की शिकायतों को त्वरित और लागत प्रभावी तरीके से हल करने के लिये शुरू की गई थी।
- यह भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की तीन लोकपाल योजनाओं- वर्ष 2006 की बैंकिंग लोकपाल योजना, वर्ष 2018 की एनबीएफसी (NBFCs) के लिये लोकपाल योजना और वर्ष 2019 की डिजिटल लेन-देन की लोकपाल योजना को समाहित करता है।
- एकीकृत लोकपाल योजना भारतीय रिज़र्व बैंक विनियमित संस्थाएँ जैसे बैंक, एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ) और प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट प्लेयर द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं में कमी से संबंधित ग्राहकों की शिकायतों का निवारण प्रदान करेगी, अगर शिकायत का समाधान ग्राहकों की संतुष्टि के अनुसार नहीं किया जाता है या विनियमित इकाई द्वारा 30 दिनों की अवधि के भीतर जवाब नहीं दिया जाता है।
- इसमें गैर-अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंक भी शामिल हैं जिनकी जमा राशि 50 करोड़ रुपए या उससे अधिक है।
- यह योजना RBI लोकपाल तंत्र के क्षेत्राधिकार को तटस्थ बनाकर 'एक राष्ट्र एक लोकपाल' दृष्टिकोण अपनाती है।
लोकपाल:
- यह एक सरकारी अधिकारी होता है जो सार्वजनिक संगठनों के खिलाफ आम लोगों द्वारा की गई शिकायतों का समाधान करता है। लोकपाल (ओम्बड्समैन) का यह विचार स्वीडन से लिया गया है।
- लोकपाल किसी सेवा या प्रशासनिक प्राधिकरण के खिलाफ शिकायतों के समाधान के लिये विधायिका द्वारा नियुक्त एक अधिकारी है।
- भारत में निम्नलिखित क्षेत्रों में शिकायतों के समाधान के लिये लोकपाल की नियुक्ति की जाती है।
- बीमा लोकपाल
- आयकर लोकपाल
- बैंकिंग लोकपाल
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स: भारत में बैंकिंग लोकपाल की संस्था के संदर्भ में, कौन-सा एक कथन सही नहीं है? (2010) (a) बैंकिंग लोकपाल की नियुक्ति भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की जाती है उत्तर: (c) व्याख्या:
अतः विकल्प (c) सही है। |
स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
फॉकलैंड द्वीप
प्रिलिम्स के लिये:फॉकलैंड द्वीप और उसके पड़ोस का स्थान, फॉकलैंड द्वीप समूह का संघर्ष। मेन्स के लिये:भारत के हितों पर उसके पड़ोस देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव, फॉकलैंड द्वीप समूह। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने फॉकलैंड प्रादेशिक मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय वार्ता को फिर से शुरू करने के अर्जेंटीना के अभियान को समर्थन दिया।
फाॅकलैंड द्वीप:
- फाॅकलैंड द्वीप समूह, जिसे माल्विनास द्वीप या स्पेनिश इस्लास माल्विनास भी कहा जाता है, दक्षिण अटलांटिक महासागर में यूनाइटेड किंगडम का आंतरिक स्वशासी समुद्रपारीय क्षेत्र है।
- यह दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी सिरे से लगभग 300 मील उत्तर पूर्व में और मैगलन जलडमरूमध्य के पूर्व में स्थित है।
- पूर्वी फाॅकलैंड में राजधानी और प्रमुख शहर स्टेनली स्थित है, यहाँ कई बिखरी हुई छोटी बस्तियाँ और साथ ही एक रॉयल एयरफोर्स बेस भी है जो माउंट प्लेजेंट में स्थित है।
- फाॅकलैंड द्वीप दो मुख्य द्वीप ईस्ट फाॅकलैंड और वेस्ट फाॅकलैंड एवं लगभग 200 छोटे द्वीपों का हिस्सा है
- फाॅकलैंड द्वीप समूह की सरकार दक्षिण जॉर्जिया और दक्षिण सैंडविच द्वीप समूह के ब्रिटिश समुद्रपारीय क्षेत्र का भी संचालन करती है, जिसमें शैग और क्लर्क चट्टानें शामिल हैं।
फाॅकलैंड द्वीप समूह का इतिहास:
- फाॅकलैंड को पहली बार अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1765 में बसाया गया था, लेकिन उन्हें वर्ष 1770 में स्पेन द्वारा खदेड़ दिया गया था, जिन्होंने 1767 के आसपास फ्राँसीसी बस्ती को खरीद लिया था।
- युद्ध की धमकी के बाद वर्ष 1771 में वेस्ट फाॅकलैंड पर ब्रिटिश चौकी को बहाल कर दिया गया था, लेकिन फिर फाॅकलैंड पर अपना दावा किये बिना आर्थिक कारणों से ब्रिटिश वर्ष 1774 में द्वीप से विस्थापित हो गए।
- स्पेन ने वर्ष 1811 तक पूर्वी फाॅकलैंड (जिसे सोलेदाद द्वीप भी कहा जाता है) को लेकर एक समझौता किया।
- वर्ष 1820 में अर्जेंटीना सरकार, जिसने वर्ष 1816 में स्पेन से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की थी, ने फाॅकलैंड पर अपनी संप्रभुता की घोषणा की।
- वर्ष 1831 में अमेरिकी युद्धपोत ने पूर्वी फाॅकलैंड पर अर्जेंटीना की बस्ती को नष्ट कर दिया, जो इस क्षेत्र में सील का शिकार करते थे।
- वर्ष 1833 की शुरुआत में एक ब्रिटिश सेना ने हिंसा के बिना अर्जेंटीना के अधिकारियों को द्वीप से निष्कासित कर दिया। वर्ष 1841 में फाॅकलैंड में एक ब्रिटिश नागरिक को लेफ्टिनेंट गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया और वर्ष 1885 तक इन द्वीपों पर लगभग 1,800 लोगों का एक ब्रिटिश समुदाय बस गया।
- अर्जेंटीना ने द्वीपों पर ब्रिटेन के कब्ज़े का लगातार विरोध किया।
- द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के बाद फाॅकलैंड द्वीपों पर संप्रभुता का मुद्दा तब संयुक्त राष्ट्र (UN) में स्थानांतरित हो गया, जब वर्ष 1964 में द्वीपों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र समिति द्वारा उपनिवेशवाद पर बहस शुरू की गई थी।
- वर्ष 1965 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विवाद का शांतिपूर्ण समाधान खोजने हेतु ब्रिटेन और अर्जेंटीना को विचार-विमर्श के लिये आमंत्रित करने वाले एक प्रस्ताव को मंज़ूरी दी।
- इस मुद्दे पर फरवरी 1982 में चर्चा चल ही रही थी की अप्रैल में अर्जेंटीना की सैन्य सरकार ने फाॅकलैंड पर आक्रमण कर दिया।
- इस कार्रवाई के कारण फाॅकलैंड द्वीप में युद्ध शुरू हो गया जो 10 सप्ताह बाद स्टेनली में अर्जेंटीना की सेना के आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हुआ।
- हालांँकि ब्रिटेन और अर्जेंटीना ने वर्ष 1990 में पूर्ण राजनयिक संबंधों को फिर से स्थापित किया, लेकिन दोनों देशों के मध्य संप्रभुता का मुद्दा विवाद का विषय बना रहा।
- 21वीं सदी की शुरुआत में ब्रिटेन ने द्वीप पर करीब 2,000 सैनिकों की तैनती को जारी रखा।
- जनवरी 2009 में नया संविधान लागू हुआ जिसने फाॅकलैंड की स्थानीय लोकतांत्रिक सरकार को मज़बूत किया और द्वीपवासियों के लिये क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति को निर्धारित करने का उनका अधिकार सुरक्षित रखा। मार्च 2013 में आयोजित जनमत संग्रह में द्वीपवासियों ने ब्रिटिश विदेशी क्षेत्र बने रहने हेतु लगभग सर्वसम्मति से मतदान किया।
द्वीप पर विभिन्न दावों के आधार:
- वर्ष 1493 के एक आधिकारिक दस्तावेज़ के आधार पर अर्जेंटीना ने फाॅकलैंड पर अपना दावा प्रस्तुत किया जिसे टॉर्डेसिलस की संधि (1494) द्वारा संशोधित किया गया। इस संधि के तहत स्पेन और पुर्तगाल ने द्वीपों की दक्षिण अमेरिका से निकटता, स्पेन का उत्तराधिकार, औपनिवेशिक स्थिति को समाप्त करने की आवश्यकता के आधार पर नई दुनिया को आपस में बांँट लिया।
- वर्ष 1833 से ब्रिटेन ने फाॅकलैंड द्वीप पर अपने "स्वतंत्र, निरंतर, प्रभावी कब्ज़ें, व्यवसाय और प्रशासन" के आधार पर दावा प्रस्तुत किया जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर में मान्यता प्राप्त आत्मनिर्णय के सिद्धांत को फाॅकलैंड के निवासियों पर लागू करने के अपने दृढ़ संकल्प पर आधारित था।
- ब्रिटेन ने ज़ोर देकर कहा कि औपनिवेशिक स्थिति को समाप्त करने से अर्जेंटीना के शासन और उसकी इच्छा के विरुद्ध फाॅकलैंड के नागरिकों पर नियंत्रण की स्थिति उत्पन्न होगी।
स्रोत: द हिंदू
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 30 अगस्त, 2022
राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस
भारतीय समाज में छोटे और लघु उद्योगों के महत्त्व को मान्यता देने हेतु प्रतिवर्ष 30 अगस्त को ‘राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस’ का आयोजन किया जाता है। यह दिवस आम लोगों को रोज़गार प्रदान करने में छोटे व्यवसायों के महत्त्व को मान्यता प्रदान करता है और उन्हें प्रोत्साहित करने हेतु समर्पित है। भारत जैसे विकासशील देश में छोटे पैमाने के उद्योग आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे क्षेत्रों की सामरिक प्रासंगिकता को ध्यान में रखते हुए इनके विकास की आवश्यकता पर विशेष बल दिया गया है। परिणामस्वरूप छोटे उद्योगों के लिये सरकारी नीतिगत सहायता की प्रवृत्ति लाभकारी और छोटे उद्यमों के विकास के अनुकूल रही है। 30 अगस्त, 2000 को लघु उद्योग क्षेत्र के लिये एक व्यापक नीति पैकेज़ की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य भारत में छोटी फर्मों को महत्त्वपूर्ण सहायता प्रदान करना था। 30 अगस्त, 2001 को लघु उद्योग मंत्रालय ने नई दिल्ली में लघु उद्यमियों के लिये एक ‘लघु उद्योग सम्मेलन’ आयोजित किया, साथ ही लघु उद्योग के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रदान किये गए, तभी से प्रतिवर्ष 30 अगस्त को ‘राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस’ का आयोजन किया जाता है।
‘G-20’
केंद्रीय शिक्षा मंत्री इंडोनेशिया के बाली में आयोजित होने वाली ‘G-20 चौथे शिक्षा कार्य समूह और शिक्षा मंत्रियों की बैठक’ में हिस्सा लेंगे। इस दौरान वह शिक्षा के माध्यम से ज़्यादा सशक्त, समावेशी, न्यायसंगत और बेहतर भविष्य बनाने की दिशा में भारत की सर्वोत्तम पहलों को साझा करेंगे। वह G-20 सदस्य देशों के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकों में भी भाग लेंगे और भारत की अध्यक्षता में होने वाली अगली ‘G-20 शिक्षा कार्य समूह और शिक्षा मंत्रियों की बैठक’ के लिये भारत की ओर से निर्धारित प्राथमिकता वाले विषयों को सामने रखेंगे। G-20, 19 देशों और यूरोपीय संघ (EU) का एक अनौपचारिक समूह है, जिसकी स्थापना वर्ष 1999 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ हुई थी। G-20 के सदस्य देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया गणराज्य, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। भारत ने G-20 के संस्थापक सदस्य के रूप में दुनिया भर में वंचित लोगों को प्रभावित करने वाले महत्त्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिये इस मंच का उपयोग किया है। समवर्ती रूप से भारत-फ्राँस के नेतृत्त्व वाले अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की सफलता को लेकर भारत की नेतृत्त्वकारी भूमिका अक्षय ऊर्जा में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने की दिशा में संसाधन जुटाने में एक महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेप के रूप में विश्व स्तर पर प्रशंसित है। इसके अलावा 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के दृष्टिकोण से वैश्विक प्रतिमान में ‘नए भारत’ के लिये एक परिवर्तनकारी भूमिका की उम्मीद है, जो कोविड-19 महामारी के बाद विश्व अर्थव्यवस्था और वैश्विक आपूर्ति शृंखला के एक महत्त्वपूर्ण व विश्वसनीय स्तंभ के रूप में उभरेगा।
डॉ. समीर वी. कामत
हाल ही में देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ. समीर वी कामत को रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग का सचिव तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। डॉ. समीर कामत DRDO के वर्तमान अध्यक्ष जी. सतीश रेड्डी की जगह लेंगे। इसके अलावा कामत को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त किया गया है। वे अगले आदेश या फिर 60 वर्ष की आयु पूरी करने तक इस पद पर रहेंगे। हालाँकि इससे पहले इन्हें नेवल सिस्टम्स एंड मैटेरिएल्स प्रभाग महानिदेशक 1 जुलाई 2017 में नियुक्त किया गया था। उनका पूरा नाम डॉ. समीर वेंकटपति कामत है। डॉ. कामत ने वर्ष 1985 में IIT खड़गपुर से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में बीटेक ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की थी। देश की रक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाने के लिये डॉ. कामत ने कई तरह के बेहतरीन उपकरण और प्रणालियों को तैयार किया। DRDO की स्थापना वर्ष 1958 में रक्षा विज्ञान संगठन (Defence Science Organisation- DSO) के साथ भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (Technical Development Establishment- TDEs) तथा तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय (Directorate of Technical Development & Production- DTDP) के संयोजन के बाद की गई थी। DRDO वर्तमान में 52 प्रयोगशालाओं का एक समूह है जो रक्षा प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों जैसे- वैमानिकी, शस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, लड़ाकू वाहन, इंजीनियरिंग प्रणालियाँ, इंस्ट्रूमेंटेशन, मिसाइलें, उन्नत कंप्यूटिंग और सिमुलेशन, विशेष सामग्री, नौसेना प्रणाली, लाईफ साइंस, प्रशिक्षण, सूचना प्रणाली तथा कृषि में कार्य कर रहा है।