रिवर सिटीज़ एलायंस
स्रोत: पी.आई.बी.
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) ने भारत के नगरों में क्षमता निर्माण, ज्ञान साझाकरण और विशेषज्ञ मार्गदर्शन के माध्यम से नदी-संवेदनशील नगर नियोजन को बढ़ावा देने हेतु रिवर सिटीज़ एलायंस (RCA) के लिये एक मास्टर प्लान को स्वीकृति प्रदान की है।
- रिवर सिटीज़ एलायंस (RCA): इसकी संकल्पना भारत में नदीय नगरों (नदी के समीप या किनारे अवस्थित नगर) को अपनी नदियों के साथ सहजीवी संबंध बनाए रखने में मदद करने के लिये की गई है।
- वर्ष 2021 में 30 नदीय नगरों के साथ लॉन्च किये गए RCA का विस्तार 145+ नगरों में हो चुका है।
- वर्तमान में इसका प्रबंधन जल शक्ति मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) और आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय नगर कार्य संस्थान (NIUA) द्वारा किया जा रहा है।
- यह नगरीय नदी प्रबंधन योजनाओं (URMP) के निर्माण में सहायक है।
- नगरीय नदी प्रबंधन योजनाएँ (URMP): NIUA और NMCG द्वारा वर्ष 2020 में शुरू की गई URMP रूपरेखा, नदियों के नगरीय प्रबंधन में पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक आयामों पर विचार सुनिश्चित करने के लिये इस प्रकार का पहला उपागम प्रस्तुत करती है।
- पाँच नगरों, अर्थात् कानपुर, अयोध्या, छत्रपति संभाजी नगर, मुरादाबाद और बरेली ने URMP विकसित किये हैं, जिसमें छत्रपति संभाजी नगर के खाम नदी संरक्षण मिशन को विश्व संसाधन संस्थान से वैश्विक मान्यता प्राप्त हुई है।
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रिवाइव अवर ओशन पहल
स्रोत: डाउन टू अर्थ
अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन डायनेमिक प्लैनेट द्वारा शुरू की गई 'रिवाइव अवर ओशन' पहल का उद्देश्य समुद्री संरक्षित क्षेत्र (MPA) बनाने के लिये स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाकर समुद्री संरक्षण को बढ़ावा देना तथा मत्स्य पालन और पर्यटन के माध्यम से सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
- रिवाइव अवर ओशन: यह पहल कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता ढाँचे के 30X30 लक्ष्य के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 30% महासागरों को संरक्षित करना है।
- यह आरंभ में सात देशों - UK, पुर्तगाल, ग्रीस, तुर्किये, फिलीपींस, इंडोनेशिया और मैक्सिको - को लक्षित करता है, जहाँ स्थानीय समुदायों को प्रभावी ढंग से MPA स्थापित करने और प्रबंधित करने के लिये सशक्त बनाया जाएगा।
- यह MPA को आर्थिक परिसंपत्तियों के रूप में रेखांकित करता है, जिसमें मेडिस द्वीप (स्पेन) जैसे उदाहरण शामिल हैं, जहाँ मत्स्य-निषेध क्षेत्र पर्यटन के माध्यम से प्रतिवर्ष 16 मिलियन अमेरिकी डॉलर की आय होती है।
- यह पहल वर्ष 2023 हाई सीज़ ट्रीटी के अनुरूप है, जिसे लागू होने के लिये 60 देशों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता है (भारत ने हाई सीज़ ट्रीटी पर हस्ताक्षर किये हैं)।
- MPA: MPA समुद्री संसाधनों के संरक्षण के लिये प्रबंधित एक क्षेत्र है, जिसमें पारिस्थितिकी तंत्र, आवास या मत्स्य पालन की सुरक्षा के लिये कुछ गतिविधियों पर प्रतिबंध होता है।
- मत्स्यन और अनुसंधान जैसी कुछ गतिविधियाँ अभी भी बहुउद्देशीय MPA में हो सकती हैं।
- प्रोटेक्टेड प्लेनेट रिपोर्ट, 2024 के अनुसार, यद्यपि 16,000 से अधिक MPA विश्व के 8% महासागरों को कवर करते हैं, परन्तु केवल 3% ही पूर्णतः संरक्षित हैं।
- कई MPA निम्नस्तरीय प्रबंधन से ग्रस्त हैं या बॉटम ट्रॉलिंग जैसी विनाशकारी गतिविधियों की अनुमति देते हैं।
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रूस के लिये क्रीमिया का महत्त्व
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच, क्रीमिया पुनः चर्चा का विषय बन गया है, विशेष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस टिप्पणी के बाद कि अमेरिका क्रीमिया को रूस के भाग के रूप में मान्यता देगा।
- क्रीमिया: यह एक स्वायत्त क्षेत्र है जो वर्ष 2014 से पहले यूक्रेन का भाग था, यह काला सागर और आज़ोव सागर के बीच अवस्थित है।
- क्रीमिया संकीर्ण पेरेकोप इस्तमुस के माध्यम से मुख्य भूभाग से जुड़ा हुआ है तथा अरबात बालू गर्त का टोंका इसे आज़ोव सागर से अलग करता है।
- यह केर्च जलडमरूमध्य और क्रीमियन ब्रिज के माध्यम से रूस से जुड़ा हुआ है।
- रूस का ऐतिहासिक दावा: क्रीमिया वर्ष 1954 में सोवियत नेता निकिता ख्रुश्चेव द्वारा यूक्रेन को सौंपने से पूर्व सदियों तक रूस के साम्राज्य का भाग था। रूस इस निर्णय को पूर्व में हुआ अन्याय मानते हुए इसका विरोध करता है।
- रूस के लिये क्रीमिया का महत्त्व: रूस की तटरेखा 37,000 किमी से अधिक क्षेत्रफल में विस्तृत है, लेकिन इसका अधिकांश भाग उत्तरध्रुवीय वृत्त (Arctic Circle) के उत्तर में स्थित है, जहाँ समुद्री हिम के कारण शीत ऋतु में अनेक बंदरगाह अनुपयोगी हो जाते हैं।
- रूस की सीमा से लगा सर्वाधिक तप्त समुद्री क्षेत्र काला सागर, भूमध्य सागर तक पहुँच प्राप्त करने की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- क्रीमिया का भूगोल, विशेष रूप से सेवस्तोपोल बंदरगाह, कोष्णजल वाले बंदरगाहों तक रूस की पहुँच के लिये आवश्यक है तथा काला सागर और भूमध्य सागर में शक्ति प्रक्षेपण की दृष्टि से इसका महत्त्वपूर्ण सामरिक सैन्य महत्त्व है।
- क्रीमिया की सुरक्षा सुनिश्चित करती है कि रूस काला सागर में आर्थिक गलियारों को नियंत्रित कर सकेगा, जो दक्षिणी यूरोप और पश्चिम एशिया के लिये व्यापार और ऊर्जा मार्गों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
और पढ़ें: रूस-यूक्रेन संघर्ष
कुकुंबर मोजेक वायरस और RNA साइलेंसिंग
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
एक जर्मन अनुसंधान दल ने "प्रभावी डबल-स्ट्रैंडेड राइबोन्यूक्लिक एसिड (dsRNA)" विकसित किया है, जो शक्तिशाली स्माल इंटरफेरिंग RNA (siRNA) से समृद्ध है, जो कि कुकुंबर मोजेक वायरस (CMV) जैसे विषाणुओं के विरुद्ध पादपों की प्रतिरक्षा को बढ़ाता है। इस विधि ने पारंपरिक तरीकों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए CMV वायरल लोड को 80% तक कम कर दिया।
- यह नवाचार वायरस का सटीक पता लगाने और उसे निष्प्रभावी करने के लिये RNA साइलेंसिंग, एक प्राकृतिक पादप प्रतिरक्षा का उपयोग किया गया है।
कुकुंबर मोजेक वायरस क्या है?
- परिचय: CMV सबसे आम और विश्व स्तर पर प्रचलित पादप विषाणुओं में से एक है। यह ब्रोमोविरिडे परिवार (Bromoviridae family) में कुकुमोवायरस (Cucumovirus) जीनस से संबंधित है।
- यह अपने विस्तृत मेज़बान (Host) क्षेत्र के लिये जाना जाता है, यह सब्जियों, अनाज, सजावटी पादपों और औषधीय पादपों सहित 1,200 से अधिक पादपों की प्रजातियों को प्रभावित करता है।
- लक्षण: CMV के कारण पादपों की पत्तियों पर पीले धब्बे (अनियमित, हल्के धब्बे या धारियाँ), विकृत या मोजेक पैटर्न वाली पत्तियाँ और अवरुद्ध विकास होता है।
- लक्षण आमतौर पर न केवल खीरे में बल्कि खरबूजे, केले, कद्दू और अन्य बगीचे के पादपों में भी देखे जाते हैं।
- संचरण: यह मुख्य रूप से एफिड्स जैसे रस चूसने वाले कीटों के माध्यम से फैलता है। लगभग 90 एफिड प्रजातियाँ वायरस को संचारित करने में सक्षम हैं, जिससे रोकथाम मुश्किल हो जाती है।
- एफिड्स छोटे, मुलायम शरीर वाले कीड़े होते हैं जो अपने संकीर्ण मुंह का इस्तेमाल पौधों के तने और पत्तियों से तरल पदार्थ चूसने के लिये करते हैं। ये सुपरफैमिली एफिडोइडिया से संबंधित हैं।
- भारत पर प्रभाव: भारत में, CMV के कारण केले की फसल में 25-30% तक उपज की हानि होती है, तथा कद्दू, खीरे और खरबूजे में 70% तक संक्रमण होता है।
- CMV से संक्रमित पौधों में मोजेक रंग का विकृत रूप, अवरुद्ध विकास, तथा विकृत फल दिखाई देते हैं; अभी तक इसका कोई मान्यता प्राप्त उपचार नहीं है।
नोट: खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, पादपों के कीट और रोग विश्व की वार्षिक फसल का लगभग 40% नष्ट कर देते हैं, जिससे विश्व को 220 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान होता है। इसमें से, अकेले पादपों के वायरस प्रत्येक वर्ष 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के नुकसान का कारण बनते हैं।
पादपों में RNA साइलेंसिंग क्या है?
- RNA साइलेंसिंग पादपों में एक प्राकृतिक रक्षा तंत्र है, जो उन्हें वायरस से लड़ने में मदद करता है।
- जब कोई वायरस किसी पौधे को संक्रमित करता है, तो वह डबल-स्ट्रैंडेड RNA (dsRNA) का प्रवेश कराता है, जो पौधे की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रतिक्रिया करने के लिये संकेत देता है।
- RNA साइलेंसिंग की कार्यप्रणाली: जब कोई वायरस किसी पौधे को संक्रमित करता है, तो पौधा डाइसर जैसे एंज़ाइम (DCL) को सक्रिय करता है।
- DCL dsRNA को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर देते हैं, जिन्हें छोटे इंटरफेरिंग RNAs (siRNAs) कहते हैं।
- ये siRNAs पौधे की रक्षा प्रणाली को वायरल RNA को पहचानने और नष्ट करने में मार्गदर्शन करते हैं, जिससे संक्रमण फैलने से रोका जा सके।
- RNA साइलेंसिंग की सीमाएं: पौधे द्वारा उत्पन्न सभी siRNA वायरस से लड़ने में प्रभावी नहीं होते हैं।
- CMV तेज़ी से उत्परिवर्तित होता है, जो प्रायः पौधे की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली से अप्रभावित रह जाता है, जिससे इस प्रक्रिया की विश्वसनीयता कम हो जाती है।
- मानव द्वारा विकसित RNA साइलेंसिंग प्रौद्योगिकियाँ:
- पोषद-प्रेरित जीन साइलेंसिंग (HIGS): इसमें पादपों को आनुवंशिक रूप से रूपांतरित कर वायरस से सुरक्षा प्रदान करने वाले dsRNA का उत्पादन होता है, जिससे निरंतर सुरक्षा मिलती है।
- हालाँकि, इसका उपयोग विनियमन, उच्च लागत और संभावित वायरल प्रतिरोध के कारण सीमित है।
- स्प्रे-प्रेरित जीन साइलेंसिंग (SIGS): यह एक बेहतर विकल्प है जिसमें पादपों को RNA स्प्रे से उपचारित किया जाता है। इससे आनुवंशिक रूपांतरण के बिना पौधे की प्रतिरक्षा अनुक्रिया सक्रिय होती है।
- SIGS लागत प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता सीमित है, क्योंकि परंपरागत dsRNA फॉर्मूलेशन से siRNAs के यादृच्छिक मिश्रण उत्पन्न होते हैं, जिनमें से अनेक वायरस से प्रभावी रूप से सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहते हैं।
- पोषद-प्रेरित जीन साइलेंसिंग (HIGS): इसमें पादपों को आनुवंशिक रूप से रूपांतरित कर वायरस से सुरक्षा प्रदान करने वाले dsRNA का उत्पादन होता है, जिससे निरंतर सुरक्षा मिलती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. मानव प्रजनन प्रौद्योगिकी में अभिनव प्रगति के संदर्भ में "प्राक्केन्द्रिक स्थानांतरण ”(Pronuclear Transfer) का प्रयोग किस लिये होता है। (2020) (a) इन विट्रो अंड के निषेचन के लिये दाता शुक्राणु का उपयोग उत्तर: (d) व्याख्या:
प्रश्न. प्राय: समाचारों में आने वाला Cas9 प्रोटीन क्या है? (2019) (a) लक्ष्य-साधित जीन संपादन (टारगेटेड जीन एडिटिंग) में प्रयुक्त आण्विक कैंची। उत्तर: (a) प्रश्न. विज्ञान में हुए अभिनव विकासों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही नहीं है? (2019) (a) विभिन्न जातियों की कोशिकाओं से लिये गए DNA के खंडों को जोड़कर प्रकार्यात्मक गुणसूत्र रचे जा सकते है। उत्तर: (a) |
PMLA, 2002 के दायरे में I4C
स्रोत: द हिंदू
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साइबर धोखाधड़ी से निपटने और अवैध धन के लेन-देन पर नज़र रखने के लिये, वित्त मंत्रालय के तहत राजस्व विभाग ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) को विशेष रूप से धारा 66 के तहत धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के दायरे में शामिल किया है।
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र: I4C साइबर अपराध के मुद्दों के समाधान के लिये एक राष्ट्रीय स्तर का समन्वय केंद्र है।
- यह गृह मंत्रालय की एक पहल है जिसे वर्ष 2018 में अनुमोदित किया गया एवं वर्ष 2020 में राष्ट्र को समर्पित किया गया। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- यह साइबर अपराधों से निपटने के लिये विधि प्रवर्तन एजेंसियों (LEAs) के लिये एक समन्वित एवं व्यापक ढाँचा प्रदान करता है।
- PMLA के साथ I4C का एकीकरण: PMLA की धारा 66 सूचना के प्रकटीकरण से संबंधित है।
- यह निदेशक या निर्दिष्ट प्राधिकारी को स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 के अंतर्गत कर, शुल्क, विदेशी मुद्रा या अवैध तस्करी से संबंधित विधियों के तहत कार्य करने वाले अधिकारियों या निकायों को सूचना प्रदान करने की अनुमति देता है।
- I4C के एकीकरण का उद्देश्य प्रवर्तन निदेशालय (ED) एवं अन्य प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सूचना साझा करके तथा प्राप्त करके वित्तीय जालसाजी पर नज़र रखना तथा अंतर्राष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी की पहचान करना है।
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