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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 28 Aug, 2023
  • 34 min read
प्रारंभिक परीक्षा

डिजिटल स्वास्थ्य क्रांति का अग्रदूत- मिज़ोरम

स्रोत: पी.आई.बी.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (National Health Authority- NHA) ने देश भर में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन को त्वरित रूप से अपनाने के लिये 100 माइक्रोसाइट्स परियोजना की घोषणा की।

  • मिज़ोरम अपनी राजधानी आइज़ोल में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन माइक्रोसाइट की शुरूआत करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है।

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन:

  • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन एक राष्ट्रीय पहल है जिसका उद्देश्य देश के डिजिटल स्वास्थ्य अवसंरचना को विकसित करना है। इसकी शुरुआत सितंबर 2021 में की गई थी।
    • ‘आयुष्मान भारत’ भारत की एक प्रमुख योजना है जिसे यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 की सिफारिश के अनुसार लॉन्च किया गया था।

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) माइक्रोसाइट: 

  • परिचय
    • ABDM माइक्रोसाइट्स परिभाषित भौगोलिक क्षेत्र हैं जहाँ छोटे और मध्यम स्तर के निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं तक पहुँच के केंद्रित प्रयास किये जाएँगे।
      • माइक्रोसाइट परियोजना का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि निजी क्लीनिक, छोटे अस्पताल और प्रयोगशालाओं सहित सभी स्वास्थ्य सुविधाएँ ABDM-सक्षम बनें और मरीज़ों को डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने में मदद कर सकें।
      • इस कार्यक्रम के तहत एक इंटरफेसिंग एजेंसी के पास क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं तक पहुँचाने के लिये ऑन-ग्राउंड टीम होगी।
  • कार्यान्वयन:
    • इन माइक्रोसाइट्स का कार्यान्वयन मुख्य रूप से ABDM के राज्य मिशन निदेशकों द्वारा किया जाता है जो  NHA के वित्तीय संसाधनों और व्यापक मार्गदर्शन द्वारा समर्थित हैं।
  • लाभ:
    • मरीज़ इन सुविधाओं का ऑनलाइन अपॉइंटमेंट, ई-प्रिस्क्रिप्शन, ई-रिपोर्ट, ई-बिल, ई-सहमति, ई-रेफरल और ई-फीडबैक जैसी डिजिटल सेवाओं से लाभ उठा सकते हैं।
      • इन ABDM-सक्षम सुविधाओं के माध्यम से सृजित लोगों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड को उनके आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खातों (ABHAs) से निर्बाध रूप से जोड़ा जा सकता है।
      • इसके अलावा किसी भी ABDM-सक्षम व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड (Personal Health Record- PHR) एप्लीकेशन के माध्यम से प्राप्त ये रिकॉर्ड मोबाइल उपकरणों पर सुगमता से साझा करने योग्य हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि मरीज़ आसानी से अपनी स्वास्थ्य जानकारी ग्रहण करने में सक्षम होंगे।
  • वर्तमान प्रगति:  
    • यह अभूतपूर्व उपलब्धि केवल मिज़ोरम तक ही सीमित नहीं है; आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्य में भी ABDM माइक्रोसाइट्स को लागू करने में पर्याप्त प्रगति देखी जा रही है।
    • यह सामूहिक प्रयास व्यापक स्वास्थ्य देखभाल डिजिटलीकरण की दिशा में एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का प्रतीक है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण:

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) भारत की प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा/आश्वासन योजना "आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना" को लागू करने के लिये ज़िम्मेदार शीर्ष निकाय है।
    • इसे राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिये रणनीति डिज़ाइन करने, तकनीकी बुनियादी ढाँचे के निर्माण और "राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन" के कार्यान्वयन की भूमिका सौंपी गई है।
  • NHA राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी का उत्तराधिकारी है, जो 23 मई, 2018 से एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में कार्य कर रहा है।
    • कैबिनेट के निर्णय के अनुसार, पूर्ण कार्यात्मक स्वायत्तता के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी को 2 जनवरी, 2019 को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के रूप में पुनर्गठित किया गया था।

प्रारंभिक परीक्षा

भारत में अपूर्ण रियल एस्टेट परियोजनाएँ

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा गठित नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (नीति आयोग) के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत की अध्यक्षता वाली एक समिति ने भारत में लिगेसी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के स्थगित होने/रोके जाने के मुद्दे को हल करने के लिये कई सिफारिशें पेश की हैं।

  • केंद्रीय सलाहकार परिषद ने रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 के तहत एक समिति के गठन की सिफारिश की थी।
  • भारतीय बैंक संघ के अनुसार, भारत में चिह्नित किये गए 4.12 लाख आवास परिसरों में से लगभग 2.4 लाख जो कि ज़्यादातर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में हैं, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में हैं।

प्रमुख सिफारिशें:

  • अपूर्ण परियोजनाओं के लिये मॉडल पैकेज:
    • नोएडा और ग्रेटर नोएडा से शुरू होकर विशिष्ट क्षेत्रों में रुकी हुई परियोजनाओं के लिये डिज़ाइन किये गए "मॉडल पैकेज" की शुरुआत।
      • इसके तहत अन्य राज्यों को अपने इसी प्रकार की रुकी हुई और अपूर्ण परियोजनाओं के अनुरूप समान पैकेज विकसित करने के लिये प्रोत्साहित किया गया है।
    • मॉडल पैकेज के प्रमुख घटकों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
      • शून्य अवधि (ज़ीरो पीरियड):
        • "शून्य अवधि" की अवधारणा कोविड-19 महामारी और अदालती आदेशों जैसे कारकों के कारण होने वाले व्यवधानों को संदर्भित करती है।
        • इस अवधि के दौरान डेवलपर्स की उन अप्रत्याशित चुनौतियों को स्वीकार करते हुए ब्याज और ज़ुर्माना भुगतान से छूट दी जाएगी, जिनके कारण परियोजनाओं में देरी हो सकती है।
      • आंशिक समर्पण नीति:

        • मॉडल पैकेज में आंशिक समर्पण/सरेंडर नीति का समावेश किया गया।

        • डेवलपर्स को परियोजना से जुड़ी भूमि का एक हिस्सा सरेंडर करने का विकल्प दिया गया था।

        • इसका उद्देश्य संसाधन उपयोग को अनुकूलित करते हुए परियोजना प्रबंधन और निष्पादन में लचीलापन प्रदान करना है।
  • रियायती ब्याज दरें:
    • MSME क्षेत्र को लाभ पहुँचाने वाली "रियायती ब्याज दरें अथवा गारंटीकृत योजना" का सुझाव।
    • इसे रुकी/ठप हुई रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिये धन उपलब्ध कराने हेतु वित्तीय संस्थानों को प्रोत्साहित करने के लिये डिज़ाइन किया गया था।
    • इसका उद्देश्य रुकी हुई परियोजनाओं से जूझ रहे डेवलपर्स के लिये तरलता और वित्तपोषण तक पहुँच में सुधार करना है।
  • "गारंटीकृत फंड" की स्थापना:
    • इसका उद्देश्य रियल एस्टेट क्षेत्र में वित्तीय सहायता और निवेशकों का विश्वास बढ़ाना है।

    • MoHUA को फंड योजना का मसौदा तैयार करने और इसे वित्त मंत्रालय को अग्रेषित करने का कार्य सौंपा गया है।
  • फास्ट-ट्रैक NCLT बेंचों का विस्तार:

रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016:

  • रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (RERA):
    • अधिनियम प्रत्येक राज्य में RERA की स्थापना का प्रावधान करता है, जो नियामक निकायों और विवाद समाधान मंचों के रूप में कार्य करता है।
  • अनिवार्य पंजीकरण:
    • न्यूनतम 500 वर्ग मीटर के प्लॉट या आठ अपार्टमेंट वाली सभी रियल एस्टेट परियोजनाओं को लॉन्च करने से पहले RERA के साथ पंजीकृत होना चाहिये। इसका उद्देश्य परियोजना विपणन और निष्पादन में पारदर्शिता बढ़ाना है।
  • पारदर्शिता और डेटाबेस:
    • RERA अपनी वेबसाइट्स पर पंजीकृत परियोजनाओं का एक सार्वजनिक डेटाबेस बनाए रखता है। इसमें परियोजना विवरण, पंजीकरण स्थिति और चल रही प्रगति, खरीदारों हेतु पारदर्शिता प्रदान करना शामिल है।
  • निधि प्रबंधन:
    • फंड डायवर्ज़न को रोकने हेतु प्रमोटर्स को विशिष्ट परियोजना के निर्माण और भूमि लागत के लिये एकत्रित धन का 70% एक अलग एस्क्रो खाते में जमा करना आवश्यक है।
  • समयबद्ध निर्णय:
    • अपीलीय न्यायाधिकरणों को 60 दिनों के भीतर मामलों का निपटारा करने का आदेश दिया गया है, जबकि नियामक अधिकारियों को उसी समय सीमा में शिकायतों का समाधान करना चाहिये, ताकि विवाद का तेज़ी से समाधान सुनिश्चित हो सके।

भारत में रुकी हुई रियल एस्टेट परियोजनाओं से संबंधित चुनौतियाँ:

  • धन की कमी:
    • उच्च ब्याज दरों और सख्त ऋण मानदंडों के कारण समय पर धन की कमी।
    • रियल एस्टेट बाज़ार में कम मांग से नकदी प्रवाह और राजस्व में कमी।
    • निजी इक्विटी या विदेशी निवेशकों जैसे वैकल्पिक स्रोतों से धन हासिल करने में कठिनाई।
    • यह परियोजना में देरी, लागत में वृद्धि, गुणवत्ता से समझौता और असंतोष का परिणाम है।
  • विनियामक जटिलताएँ:
    • केंद्रीय, राज्य और स्थानीय स्तरों पर विनियमों एवं अनुमोदनों की बहुलता।
      • समय और लागत में वृद्धि, अनिश्चितता, मुकदमेबाज़ी और प्रवेश संबंधी बाधाएँ।
  • कानूनी विवाद:
    • भूमि स्वामित्व और संप्रभुता को प्रभावित करने वाले सीमा विवाद।
    • भूमि अधिग्रहण और मुआवज़े का हितधारकों के साथ टकराव।
    • परियोजना में व्यवधान, क्षति, न्यायिक हस्तक्षेप और विश्वास संबंधी मुद्दे।
  • बाज़ार में मंदी:
    • आर्थिक मंदी खरीदार की क्रय शक्ति को प्रभावित करती है।
    • कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण व्यवधान।
    • नीतियों में परिवर्तन से बाज़ार में अनिश्चितता की स्थिति पैदा होती है।
    • इसका परिणाम है कम मांग, बिना बिकी इकाइयाँ, गिरती कीमतें और कम निवेश।

आगे की राह

  • रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (REITs) और पीयर-टू-पीयर ऋण जैसे नवीन वित्तपोषण मॉडल की खोज, फंडिंग का एक वैकल्पिक स्रोत प्रदान कर सकते हैं। ये मॉडल निवेश को लोकतांत्रिक बना सकते हैं और परियोजनाओं में लगा सकते हैं।
  • पर्यावरण के प्रति जागरूक खरीदारों और निवेशकों को आकर्षित करने के लिये धारणीय एवं हरित भवन प्रथाओं को शामिल करना चाहिये। ये डिज़ाइन न केवल आधुनिक प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं बल्कि दीर्घकालिक लागत बचत में भी मदद करते हैं।
  • रुकी हुई परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPPs) की क्षमता का लाभ उठाया जाना चाहिये। सरकारी संस्थाओं के साथ सहयोग से हमें भूमि, अवसंरचना और नियामक सहायता तक पहुँचने में मदद मिल सकती है।
  • रुकी हुई परियोजनाओं को बहुक्रियाशील स्थानों में परिवर्तित करना चाहिये। खाली इमारतों को रचनात्मक केंद्रों, सांस्कृतिक केंद्रों या सामुदायिक स्थानों में बदलना चाहिये जो बहुमुखी प्रतिभा से समृद्ध होंगी।
  • ऐसे नियम सृजित करने चाहिये जो बदलती बाज़ार स्थितियों और प्रौद्योगिकियों के अनुकूल हों। यह लचीलापन उभरते रुझानों और मांगों के कारण परियोजनाओं को अप्रचलित होने से रोकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

मेन्स: 

प्रश्न. “सूचना प्रोद्योगिकी केंद्रों के रूप में नगरों की संवृद्धि ने रोज़गार के नए मार्ग खोल दिये हैं, परंतु साथ में नई समस्याएँ भी पैदा कर दी हैं।” उदाहरणों सहित इस कथन की पुष्टि कीजिये। (2020) 

प्रश्न. भारत में तीव्र शहरीकरण प्रक्रिया ने जिन विभिन्न सामाजिक समस्याओं को जन्म दिया, उनकी विवेचना कीजिये। (2013)


प्रारंभिक परीक्षा

अवैध कोयला खनन रोकने हेतु खनन प्रहरी एप

स्रोत: पी.आई.बी. 

कोयला मंत्रालय ने अवैध कोयला खनन गतिविधियों के विरुद्ध संघर्ष हेतु क्रांतिकारी कदम उठाते हुए खनन प्रहरी मोबाइल एप लॉन्च किया है।

खनन प्रहरी:

  • परिचय:
    • यह प्रगतिशील एप नागरिकों को जियो-टैग की गई तस्वीरों और पाठ्य सूचना प्रस्तुत कर अवैध कोयला खनन की घटनाओं की रिपोर्ट करने में सक्रिय भूमिका निभाने की अनुमति देता है।
      • कोयला खदान निगरानी और प्रबंधन प्रणाली (CMSMS) नामक संबंधित वेब पोर्टल को भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस एप्लीकेशन एंड जियोइन्फॉर्मेटिक्स, गांधीनगर एवं सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट (CMPDI), रांची के सहयोग से विकसित किया गया है।
    • यह व्यापक दृष्टिकोण न केवल अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का लाभ उठाता है बल्कि इस महत्त्वपूर्ण मुद्दे के समाधान में सार्वजनिक भागीदारी पर भी ज़ोर देता है।
      • खनन प्रहरी मोबाइल एप के माध्यम से कुल 483 शिकायतें दर्ज की गई हैं, जो जनता की सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है। 
  • विशेषताएँ:
    • घटनाओं की रिपोर्टिंग: उपयोगकर्ता तस्वीरें लेकर और घटना पर टिप्पणियाँ प्रदान करके आसानी से अवैध खनन की घटनाओं की रिपोर्ट कर सकते हैं।
    • गोपनीयता: गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए उपयोगकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाती है।
    • शिकायत ट्रैकिंग: शिकायतकर्ताओं को एक शिकायत संख्या प्राप्त होती है, जिसका उपयोग वे अपनी रिपोर्ट की गई शिकायतों की स्थिति को आसानी से ट्रैक करने के लिये कर सकते हैं।

भारत में कोयला खनन की स्थिति:

  • कोयले के बारे में:
    • भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक, साथ ही कोयला भंडार के मामले में 5वाँ सबसे बड़ा देश है।
      • कोयला एक प्रकार का जीवाश्म ईंधन है जो तलछटी चट्टानों के रूप में पाया जाता है और इसे अमूमन 'काला सोना' के नाम से जाना जाता है।
    • हालाँकि इसकी कोयले की आवश्यकता का कुछ हिस्सा आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है क्योंकि भारत स्वयं प्रमुख उपभोक्ताओं में से एक है। वर्ष 2022-23 में भारत का कोयला आयात 30% बढ़ गया।
  • प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य:
    • झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और तेलंगाना प्रमुख कोयला उत्पादक राज्यों में से हैं।
  • भारत में कोयला खनन से संबंधित समय-सीमा:
    • भारत में कोयला खनन का लगभग 220 वर्षों का एक समृद्ध इतिहास है, जिसकी शुरुआत वर्ष 1774 में रानीगंज कोयला क्षेत्र में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा हुई थी।
      • शुरुआत में विकास धीमा था लेकिन वर्ष 1853 में भाप इंजनों ने उत्पादन को बढ़ावा दिया।
    • स्वतंत्रता के पश्चात् कोयला उद्योग के व्यवस्थित विकास के लिये वर्ष 1956 में राष्ट्रीय कोयला विकास निगम (NCDC) की स्थापना की गई थी।
      • कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण दो चरणों में हुआ जिसकी शुरुआत वर्ष 1971-72 में कोकिंग कोयला खदानों, साथ ही वर्ष 1973 में गैर-कोकिंग खदानों से हुई।
      • इस कदम का उद्देश्य अवैज्ञानिक खनन प्रथाओं और दीन श्रम स्थितियों के मुद्दों का समाधान करना था। राष्ट्रीयकरण कोयला खदान (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1973 तक जारी रहा।
    • राष्ट्रीयकरण के बाद भारत को वर्ष 1991 तक न्यूनतम मांग-आपूर्ति अंतराल का सामना करना पड़ा। वर्ष 1993 में उदारीकरण सुधारों ने कैप्टिव खपत के लिये कोयला खदान आवंटन की अनुमति दी।
      • कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 द्वारा नीलामी के माध्यम से कोयला खदान आवंटन कार्य संभव हो पाया। वर्ष 2018 में निजी कंपनियों को वाणिज्यिक कोयला खनन की अनुमति दी गई थी।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. भारत सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण इंदिरा गांधी के कार्यकाल में किया गया था।
  2. वर्तमान में कोयला खंडों का आवंटन लॉटरी के आधार पर किया जाता है।
  3. भारत हाल के समय तक घरेलू आपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिये कोयले का आयात करता था, किंतु अब भारत कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारतीय कोयले का/के अभिलक्षण है/हैं? (2013)

  1. उच्च भस्म अंश
  2. निम्न सल्फर अंश
  3. निम्न भस्म संगलन तापमान

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. गोंडवानालैंड के देशों में से एक होने के बावजूद भारत के खनन उद्योग अपने सकल घरेलू उत्पाद में बहुत कम प्रतिशत योगदान देते हैं। विवेचना कीजिये। (2021)

प्रश्न. "प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद कोयला खनन विकास के लिये अभी भी अपरिहार्य है"। विवेचना कीजिये। (2017)


प्रारंभिक परीक्षा

बैंकिंग तथा वित्तीय धोखाधड़ी पर सलाहकार बोर्ड

स्रोत: बिज़नेस लाइन 

केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने बैंक धोखाधड़ी मामलों की जाँच को मज़बूती प्रदान करने के लिये बैंकिंग और वित्तीय धोखाधड़ी पर सलाहकार बोर्ड (ABBFF) का पुनर्गठन किया है।

बैंकिंग और वित्तीय धोखाधड़ी पर सलाहकार बोर्ड (ABBFF):

  • परिचय:
    • केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) जैसी जाँच एजेंसियों को भेजे जाने से पहले ABBFF बैंक धोखाधड़ी मामलों के लिये प्रथम-स्तरीय परीक्षण निकाय के रूप में कार्य करता है।
      • ABBFF को वित्तीय प्रणाली के भीतर आवधिक धोखाधड़ी विश्लेषण करने का अधिकार है।
    • यह भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और CVC जैसे नियामक निकायों को धोखाधड़ी की रोकथाम एवं प्रबंधन से संबंधित अंतर्दृष्टि तथा नीतिगत सिफारिशें प्रदान करता है।
  • संरचना एवं कार्यकाल:
    • पुनर्गठित ABBFF बोर्ड में अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक धोखाधड़ी से संबंधित मामलों में अपनी विशेषज्ञता का योगदान दे रहे हैं।
    • ABBFF के अध्यक्ष और सदस्य दो वर्ष के कार्यकाल के लिये अपने पद पर बने रहते हैं।
  • अनिवार्य रेफरल और सलाहकार भूमिका:
    • सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, बीमा कंपनियों और वित्तीय संस्थानों को आपराधिक जाँच शुरू करने से पहले 3 करोड़ रुपए से अधिक के धोखाधड़ी के मामलों को ABBFF को संदर्भित करना आवश्यक है।
    • अधिकारियों की आपराधिकता और दुर्भावना (बेईमान के साथ कार्य करना) के संबंध में ABBFF द्वारा दी गई सलाह पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा विचार किया जाना चाहिये।
    • ABBFF का दायरा CVC या CBI द्वारा संदर्भित मामलों के लिये सलाहकार सहायता प्रदान करने तक विस्तृत है।
  • "सन सेट क्लॉज़" की अनुपस्थिति:
    • विशेष रूप से "सनसेट क्लॉज़" की अवधारणा, जिसमें एक निर्दिष्ट अवधि के बाद क्रेडिट निर्णयों के लिये बैंकरों के खिलाफ सीमित कार्रवाई हो सकती है, को ABBFF के कामकाज़ में शामिल नहीं किया गया है।

केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission- CVC):

  • परिचय:
    • केंद्रीय सतर्कता आयोग की स्थापना सरकार द्वारा वर्ष 1964 में के. संथानम की अध्यक्षता वाली भ्रष्टाचार निवारण समिति की सिफारिशों पर की गई थी, ताकि सतर्कता के क्षेत्र में केंद्र सरकार की एजेंसियों को सलाह और उनका मार्गदर्शन किया जा सके।
    • संसद ने केंद्रीय सतर्कता आयोग को वैधानिक दर्जा प्रदान करते हुए केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 को अधिनियमित किया।
  • सदस्य:
    • इसमें एक केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और अधिकतम दो सतर्कता आयुक्त होते हैं, जिनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री, गृह मंत्री तथा लोकसभा में विपक्ष के नेताओं द्वारा गठित समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
      • ये चार वर्ष की अवधि के लिये अथवा 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, पद पर बने रहते हैं।
  • कार्य:
    • यह आयोग भ्रष्टाचार या पद के दुरुपयोग की शिकायतों पर उचित कार्रवाई की सिफारिश करता है।
      • निम्नलिखित संस्थान, निकाय अथवा कोई व्यक्ति CVC से संपर्क कर सकता है:
        • केंद्र सरकार, लोकपाल, व्हिसिल ब्लोअर्स
        • यह कोई जाँच एजेंसी नहीं है, CVC या तो सीबीआई के माध्यम से या फिर सरकारी कार्यालयों में मुख्य सतर्कता अधिकारियों के माध्यम से जाँच करवाती है।
        • इसे विशिष्ट श्रेणियों के लोक सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत किये गए कथित अपराधों की जाँच करने का अधिकार है।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 28 अगस्त, 2023

दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन स्थल में लगेगी नटराज की प्रतिमा

नई दिल्ली में आयोजित होने वाले G20 शिखर सम्मेलन स्थल पर विश्व की सबसे ऊँची मानी जाने वाली 28 फीट की नटराज कांस्य मूर्ति लगाई जाएगी, इस मूर्ति को यहाँ तक लाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और यह इस कार्यक्रम को एक सांस्कृतिक महत्त्व प्रदान करेगी।

  • 19 टन वज़नी नटराज की मूर्ति आठ धातुओं से बनी है, जिनमें सोना, चाँदी, सीसा, तांबा, टिन, पारा, लोहा और जस्ता (अष्टधातु) शामिल हैं। यह तमिलनाडु के स्वामीमलाई शहर से लाई जा रही है। मूर्ति में नटराज (भगवान शिव) को नृत्य करते हुए दर्शाया गया है।
  • स्वामीमलाई को भगवान मुरुगन के छह पवित्र निवासों में से एक माना जाता है, जिसे भगवान मुरुगन के पदाई वीदुगल (युद्ध शिविर) के रूप में जाना जाता है। यह अपने स्वामीमलाई कांस्य चिह्न (लोगो) के लिये भी प्रसिद्ध है जिसे भौगोलिक संकेत/GI टैग प्रदान किया गया है।
  • इसे चोल परंपरा के "लॉस्ट-वैक्स" कास्टिंग तकनीक का उपयोग करके बनाया गया है, जिसमें पिघला हुआ कांस्य मृदा के साँचे में डाला जाता है।
  • अपनी असाधारण सुंदरता और शिल्प कौशल के कारण चोल कांस्य को कला जगत में अत्यधिक महत्त्व प्राप्त है।

और पढ़ें…भारत द्वारा वर्ष 2023 में G20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी

एकोलोकेशन

  • एकोलोकेशन पशुओं व उपकरणों द्वारा अपने परिवेश को समझने के लिये उपयोग की जाने वाली एक तकनीक है, यह दूरियों का आकलन करने और गूँज सुनकर वस्तुओं के स्थान का पता लगाने के लिये उत्सर्जित होने वाली उच्च-आवृत्ति ध्वनि तरंगों का उपयोग करती है।
    • एकोलोकेशन एक तकनीक है जिसका उपयोग चमगादड़, डॉल्फिन और अन्य पशु परावर्तित ध्वनि का उपयोग करके वस्तुओं का स्थान निर्धारित करने के लिये किया जाता है।
    • यह उन्हें नेविगेट करने, शिकार करने, सहयोगियों व विरोधियों की पहचान करने तथा अँधेरे में भी किसी प्रकार के मुश्किल से बचने में मदद करती है।
  • प्राकृतिक एकोलोकेशन से प्रेरित होकर मानव ने सोनार (ध्वनि नेविगेशन और रेंजिंग) तथा रडार (रेडियो डिटेक्शन और रेंजिंग) तकनीक विकसित की।
    • सोनार का उपयोग व्यापक रूप से जल के नीचे नेविगेशन और संचार के लिये किया जाता है, जबकि रडार का उपयोग विमानन, मौसम पूर्वानुमान व सैन्य अभियानों में किया जाता है।
  • हाल ही में इंजीनियरों ने एक स्मार्टफोन एप विकसित करने के लिये एकोलोकेशन का उपयोग किया है जो दृष्टिबाधित लोगों के लिये काफी मददगार हो सकती है।

डूरंड कप 2023

  • डूरंड फुटबॉल टूर्नामेंट की शुरुआत वर्ष 1888 में सर हेनरी मोर्टिमर डूरंड द्वारा शिमला में की गई थी जो तत्कालीन भारत सरकार में विदेश सचिव थे।
  • डूरंड कप  एशिया तथा भारत में सबसे पुराना साथ ही यह विश्व का तीसरा सबसे पुराना फुटबॉल टूर्नामेंट है।
  • वर्तमान में चल रहे 132वें संस्करण (3 अगस्त से 3 सितंबर, 2023) का आयोजन भारत के सशस्त्र बलों द्वारा किया गया है।

  • टूर्नामेंट के प्रारूप में दो चरण शामिल हैं: ग्रुप चरण (Group Stage) और नॉकआउट राउंड।

  • डूरंड कप टूर्नामेंट अद्वितीय है जिसमें विजेता टीम को तीन ट्रॉफियाँ मिलती हैं जिनमें डूरंड कप (एक रोलिंग ट्रॉफी और मूल पुरस्कार), शिमला ट्रॉफी (एक रोलिंग ट्रॉफी, पहली बार 1904 में शिमला के निवासियों द्वारा दी गई) तथा प्रेसिडेंट्स कप (स्थायी रूप से रखने के लिये, पहली बार 1956 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा प्रस्तुत किया गया था) शामिल हैं।

भारतीय वायुसेना ब्राइट स्टार अभ्यास-23 में शामिल हुई

भारतीय वायु सेना (IAF) की एक टुकड़ी मिस्र के काहिरा (पश्चिम) एयर बेस में द्विवार्षिक रूप से आयोजित एक बहुपक्षीय, त्रि-सेवा अभ्यास ब्राइट स्टार-23 में भाग ले रही है।

  • यह अभ्यास ब्राइट स्टार-23 में भारतीय वायुसेना की शुरुआत का प्रतीक है, इस बहुराष्ट्रीय कार्यक्रम में संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब, ग्रीस और कतर की भागीदारी है।
  • संयुक्त संचालन योजना और कार्यान्वयन दक्षता के प्राथमिक उद्देश्य के अलावा यह आयोजन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को बढ़ावा देता है और भाग लेने वाले देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को मज़बूत करता है।

विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में नीरज चोपड़ा ने जीता स्वर्ण पदक 

भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा ने हंगरी के बुडापेस्ट में आयोजित विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023  में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्द्धा में स्वर्ण पदक जीतकर एक बार पुनः इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है। उन्होंने 88.17 मीटर का भाला फेंक रिकॉर्ड हासिल किया।

  • बुडापेस्ट में अपनी हालिया जीत से पहले नीरज चोपड़ा ने ओलंपिक (टोक्यो 2020) में स्वर्ण पदक जीतने, डायमंड लीग खिताब (2022) हासिल करने और जूनियर विश्व चैंपियनशिप (2016) जीतने वाले पहले भारतीय ट्रैक और फील्ड एथलीट होने का गौरव प्राप्त किया था।

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