गुलाल गोटा
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
जयपुर, राजस्थान में होली मनाने की सदियों पुरानी परंपरा जारी है। इस उत्सव में "गुलाल गोटा" की प्रथा शामिल है, जो लगभग 400 वर्ष पुरानी एक अनूठी परंपरा है।
गुलाल गोटा क्या है?
- इतिहास:
- गुलाल गोटा लाख से बनी एक छोटी गेंद होती है, जिसमें सूखा गुलाल भरा होता है जिसका वज़न लगभग 20 ग्राम होता है।
- लाख एक रालयुक्त पदार्थ है जो कुछ कीटों द्वारा स्रावित होता है। मादा स्केल कीट लाख का स्रोतों मानी जाती है।
- 1 किलोग्राम लाख राल का उत्पादन करने के लिये लगभग 300,000 कीट मारे जाते हैं। लाख के कीट राल, लाख डाई और लाख मोम भी पैदा करते हैं।
- इसका उपयोग लाख की चूड़ियों के उत्पादन सहित विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जाता है।
- लाख एक रालयुक्त पदार्थ है जो कुछ कीटों द्वारा स्रावित होता है। मादा स्केल कीट लाख का स्रोतों मानी जाती है।
- गुलाल गोटा बनाने की प्रक्रिया में लाख को पानी में उबालकर उसे लचीला बनाना, आकार देना, उसमें रंग मिलाना, गर्म करना और फिर "फूँकनी" नामक ब्लोअर की मदद से इसे गोलाकार आकार में तैयार करना शामिल है।
- गुलाल गोटा लाख से बनी एक छोटी गेंद होती है, जिसमें सूखा गुलाल भरा होता है जिसका वज़न लगभग 20 ग्राम होता है।
- कच्चा माल और कारीगर समुदाय:
- गुलाल गोटा के लिये प्राथमिक कच्चा माल लाख, छत्तीसगढ़ और झारखंड से प्राप्त किया जाता है।
- गुलाल गोटा जयपुर में मुस्लिम लाख निर्माताओं द्वारा बनाया जाता है, जिन्हें मनिहारों के नाम से जाना जाता है। इन्होंने जयपुर के पास एक शहर बगरू में हिंदू लाख निर्माताओं से लाख बनाना सीखा था।
- ऐतिहासिक महत्त्व और आर्थिक पहलू:
- वर्ष 1727 में सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा स्थापित, जयपुर, जो अपनी जीवंत संस्कृति के लिये जाना जाता है, त्रिपोलिया बाज़ार में एक लेन मनिहार समुदाय को समर्पित करता है।
- "मनिहारो का रास्ता" नामक यह गली आज भी शहर की कलात्मक विरासत को संरक्षित करते हुए लाख की चूड़ियाँ, आभूषण और गुलाल गोटा बेचने का केंद्र बनी हुई है।
- अतीत में राजा होली पर काले हाथी पर शहर में घूमते थे और जनता के बीच गुलाल गोटा फेंकते थे तथा तत्कालीन शाही परिवार ने त्योहार के लिये अपने महल में गुलाल गोटा का ऑर्डर दिया था।
- वर्ष 1727 में सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा स्थापित, जयपुर, जो अपनी जीवंत संस्कृति के लिये जाना जाता है, त्रिपोलिया बाज़ार में एक लेन मनिहार समुदाय को समर्पित करता है।
- चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ:
- केवल लाख की चूड़ियों की मांग कम हो गई है, क्योंकि जयपुर सस्ती, रसायन-आधारित चूड़ियाँ बनाने वाली फैक्ट्रियों का केंद्र बन गया है।
- भारत सरकार ने लाख की चूड़ी और गुलाल गोटा निर्माताओं को "कारीगर कार्ड" प्रदान किये हैं, जिससे वे सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
- कुछ गुलाल गोटा निर्माताओं ने अपने उत्पाद को नकल से बचाने और इसकी स्थान-विशिष्ट विशिष्टता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये भौगोलिक संकेतक टैग की मांग की है।
भारत भर में अनोखी होली परंपराएँ:
- पंजाब में होल्ला मोहल्ला:
- सिख परंपरा का अभिन्न अंग, होला मोहल्ला आनंदपुर साहिब में मार्शल आर्ट प्रदर्शन, कविता और कीर्तन के साथ मनाया जाता है।
- बिहार में फगुवा:
- फगुवा, जिसे फगवा या फाल्गुनोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, वसंत के आगमन और फसल के मौसम का जश्न मनाता है।
- उत्सव से पूर्व लोक गीत और होलिका दहन किया जाता है जिससे एक जीवंत परिवेश उत्पन्न होता है।
- फगुवा, जिसे फगवा या फाल्गुनोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, वसंत के आगमन और फसल के मौसम का जश्न मनाता है।
- उत्तर प्रदेश की लट्ठमार होली
- राधा और भगवान कृष्ण के गृहनगर बरसाना एवं नंदगाँव में मनाई जाने वाली लट्ठमार होली में भगवान कृष्ण तथा राधा की चंचल गाथा दोहराई जाती है।
- यह राधा और कृष्ण के बीच दिव्य प्रेम का प्रतीक है जिसमें महिलाएँ खेल-खेल में पुरुषों को लाठियों से मारती हैं।
- राधा और भगवान कृष्ण के गृहनगर बरसाना एवं नंदगाँव में मनाई जाने वाली लट्ठमार होली में भगवान कृष्ण तथा राधा की चंचल गाथा दोहराई जाती है।
- मणिपुर का याओशांग उत्सव
- हिंदू और मणिपुरी परंपराओं के इस मिश्रित उत्सव में थाबल चोंगबा नृत्य (मणिपुर का लोक नृत्य) तथा खेल प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं।
- यह त्योहार आम तौर पर होली के साथ ही मनाया जाता है।
- केरल का उकुली उत्सव:
- यह केरल में कुडुम्बी और कोंकणी समुदायों द्वारा मनाया जाता है जिसमें संगीत, नृत्य तथा हल्दी रंग का उपयोग शामिल होता है।
- इस उत्सव में भगवान कृष्ण की स्तुति की जाती है और साथ ही नौका दौड़ का आयोजन किया जाता है।
- यह केरल में कुडुम्बी और कोंकणी समुदायों द्वारा मनाया जाता है जिसमें संगीत, नृत्य तथा हल्दी रंग का उपयोग शामिल होता है।
कृषि एकीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
केंद्रीय कृषि मंत्री ने हाल ही में नई दिल्ली के कृषि भवन में कृषि एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (Krishi Integrated Command and Control Centre- ICCC) का उद्घाटन किया जो कृषि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
कृषि एकीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र (ICCC) क्या है?
- परिचय:
- ICCC कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में स्थित एक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी-आधारित केंद्र है जिसे भारत मौसम विज्ञान विभाग के माध्यम से मौसम डेटा, डिजिटल फसल सर्वेक्षण से फसल डेटा, कृषि मैपर से किसान और खेत से संबंधित डेटा (जियो-फेंसिंग और भूमि की जियो-टैगिंग के लिये एक ऐप); कृषि सांख्यिकी के लिये एकीकृत पोर्टल से बाज़ार आसूचना जानकारी तथा सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण से उपज अनुमान डेटा जैसे कई सूचना प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों एवं प्लेटफाॅर्मों का उपयोग करके सूचित निर्णय लेने में सहायता के लिये अभिकल्पित किया गया है।
- यह कृषि डेटा एकत्र करने और संसाधित करने के लिये कृत्रिम मेधा, रिमोट सेंसिंग तथा भौगोलिक सूचना प्रणाली जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करेगा।
- ICCC फसल की पैदावार, उत्पादन, सूखे की स्थिति, सस्यन प्रतिरूप (Cropping Pattern), प्रासंगिक रुझान, आउटलेर और प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (KPI) के संबंध में जानकारी प्रदान करता है।
- यह कृषि योजनाओं, कार्यक्रमों, परियोजनाओं और पहलों पर अंतर्दृष्टि, अलर्ट तथा फीडबैक भी प्रदान करता है।
- इसमें मानचित्र, समयरेखा और ड्रिल-डाउन दृश्य शामिल हैं जो कृषि निर्णय समर्थन प्रणाली (DSS) के माध्यम से एक व्यापक मैक्रो चित्र पेश करता है।
- यह एकीकृत विज़ुअलाइज़ेशन त्वरित और कुशल निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करता है तथा भविष्य में इसे PM-किसान चैटबॉट के साथ जोड़ा जा सकता है।
- व्यावहारिक अनुप्रयोग:
- किसान सलाह:
- ICCC GIS-आधारित मृदा कार्बन मैपिंग और मृदा स्वास्थ्य कार्ड डेटा के विज़ुअलाइज़ेशन की अनुमति देता है, जिससे किसानों के लिये उपयुक्त फसलों के साथ उनकी जल एवं उर्वरक आवश्यकताओं के बारे में अनुकूलित सलाह तैयार की जा सकती है।
- अनावृष्टि कार्रवाई:
- ICCC उपज डेटा को मौसम और वर्षा की जानकारी के साथ जोड़ता है, जिससे विशिष्ट क्षेत्रों में उपज में परिवर्तन के प्रति सक्रिय निर्णय लेने में सुविधा होती है।
- फसल विविधीकरण:
- धान के लिये फसल विविधीकरण मैपिंग और क्षेत्र परिवर्तनशीलता का विश्लेषण विविध फसल की संभावना वाले क्षेत्रों की पहचान करने में सहायता करता है, जिससे किसानों को उपयुक्त सलाह मिलती है।
- फार्म डेटा रिपोज़िटरी:
- कृषि निर्णय सहायता प्रणाली (K-DSS) एक कृषि डेटा भंडार के रूप में कार्य करती है, जो साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने और किसानों के लिये अनुकूलित सलाह तैयार करने में सहायता करती है।
- उपज का सत्यापन:
- ICCC सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करते हुए, एक प्लॉट के लिये सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (GCES) एप्लीकेशन के माध्यम से उत्पन्न डेटा के साथ कृषि मैपर के माध्यम से प्राप्त उपज डेटा को मान्य करता है।
- किसान सलाह:
- आगे बढ़ने का रास्ता:
- ICCC किसान ई-मित्र और PM-किसान लाभार्थियों के लिये विकसित चैटबॉट जैसे ऐप के माध्यम से व्यक्तिगत किसान-स्तरीय सलाह तैयार करने हेतु एक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित कर सकता है।
- मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित प्रणाली एक किसान की पहचान उनके मोबाइल नंबर या आधार के माध्यम से करेगी, इसे भूमि रिकॉर्ड से उनके क्षेत्र की जानकारी, पूर्व की फसल बुआई की जानकारी एवं IMD से मौसम डेटा के साथ मिलान कर कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद के लिये भाषिनी मंच का उपयोग करके स्थानीय भाषा में एक अनुकूलित सलाह तैयार करेगी।
- ICCC किसान ई-मित्र और PM-किसान लाभार्थियों के लिये विकसित चैटबॉट जैसे ऐप के माध्यम से व्यक्तिगत किसान-स्तरीय सलाह तैयार करने हेतु एक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित कर सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. जलवायु-अनुकूल कृषि (क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर) के लिये भारत की तैयारी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर:(d) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017) राष्ट्रव्यापी 'मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना' (साॅइल हेल्थ कार्ड स्कीम) का उद्देश्य है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |
भारत की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवृत्तियाँ
स्रोत: द हिंदू
वित्त मंत्रालय ने भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए एक व्यापक समीक्षा जारी की है, जिसमें गिरावट और आशाजनक संभावनाओं दोनों का पता चलता है।
- सत्र 2023-24 के प्रारंभिक दस महीनों में भारत का निवल FDI प्रवाह लगभग 31% गिरकर 25.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- वर्ष 2023 में कुल मिलाकर वैश्विक FDI प्रवाह 3% बढ़कर अनुमानित 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, लेकिन आर्थिक अनिश्चितता एवं उच्च ब्याज दरों के कारण विकासशील देशों में प्रवाह 9% गिर गया।
- जबकि वर्ष 2024 में वैश्विक FDI प्रवाह में मामूली वृद्धि का अनुमान है, भू-राजनीतिक तनाव, उच्च ऋण स्तर और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं सहित बड़े जोखिम बने हुए हैं।
- भारत का लगभग 65% FDI इक्विटी प्रवाह सेवाओं, दवा और फार्मास्यूटिकल्स, निर्माण (बुनियादी ढाँचे की गतिविधियों) एवं गैर-पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्रों में देखा गया।
- भारत में कुल FDI इक्विटी प्रवाह में नीदरलैंड, सिंगापुर, जापान, अमेरिका और मॉरीशस का योगदान लगभग 70% था।
और पढ़ें: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
केरल के तटीय क्षेत्रों में लू की स्थिति
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने केरल के त्रिशूर में 40°C और कोल्लम तथा पलक्कड़ ज़िलों में 39°C तक हीटवेव की चेतावनी जारी की थी।
- हीटवेव अत्यधिक गर्म मौसम की लंबी अवधि है जो मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
- भारत, एक उष्णकटिबंधीय देश होने के नाते, विशेष रूप से गर्मी की लहरों के प्रति संवेदनशील है।
- भारत में लू की घोषणा के लिए IMD मानदंड:
- हीटवेव तब मानी जाती है जब किसी स्टेशन का अधिकतम तापमान मैदानी क्षेत्रों के लिये कम-से-कम 40°C और पहाड़ी क्षेत्रों हेतु कम-से-कम 30°C तक पहुँच जाता है।
- तटीय स्टेशन का अधिकतम तापमान 37°C से अधिक या उसके बराबर होना चाहिये।
- यदि किसी स्टेशन का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से कम या उसके बराबर है, तो सामान्य तापमान से 5°C से 6°C की वृद्धि को हीटवेव की स्थिति मानी जाती है।
और पढ़ें: हीट वेव्स और हीट डोम
मनरेगा के तहत मज़दूरी दरों में संशोधन
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के तहत प्रदत्त मज़दूरी दरों में संशोधन की घोषणा की जिसके संबंध में विभिन्न राज्यों ने अपनी प्रतिक्रियाएँ दीं।
- कई राज्यों में मनरेगा के तहत प्रदान किये जाने वाले पारिश्रमिक में 8% से 10% की वृद्धि की गई। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने आदर्श आचार संहिता द्वारा अधिरोपित बाधाओं को ध्यान में रखते हुए संबंधित अधिसूचना जारी करने के लिये निर्वाचन आयोग से विशेष अनुमति प्राप्त की।
- तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गोवा में पारिश्रमिक में 8% से 10.5% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।
- हरियाणा में पारिश्रमिक सबसे अधिक, 374 रुपए प्रतिदिन है जबकि उत्तर प्रदेश में यह सबसे कम, 237 रुपए प्रतिदिन है।
- संशोधित मज़दूरी दरें 1 अप्रैल 2024 से प्रभावी होंगी।
- इस संशोधन के बावजूद वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रति परिवार प्रदान किये गए रोज़गार के राष्ट्रव्यापी औसत दिन 51 दिन रहे जो मनरेगा के तहत गारंटीकृत 100 दिनों की मज़दूरी से कम है।
- वर्ष 2005 में शुरू किया गया मनरेगा विश्व के सबसे बड़े कार्य गारंटी कार्यक्रमों में से एक है जिसे ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था।
चंद्रयान-3 लैंडिंग साइट का नाम स्टेटियो शिव शक्ति
स्रोत: द हिंदू
प्लैनेटरी सिस्टम नामकरण हेतु अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) के कार्य समूह ने चंद्रयान- 3 के विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट के लिये 'स्टेटियो शिव शक्ति' नाम को मंज़ूरी दे दी है।
- 'शिव शक्ति' का महत्त्व:
- इससे पहले प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि चंद्रमा पर "शिव शक्ति" बिंदु हिमालय से कन्याकुमारी तक फैले कनेक्शन का प्रतीक है।
- "शिव" मानवता की भलाई के लिये दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।
- "शक्ति" इन संकल्पों को प्राप्त करने की शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है।
- अन्य प्रमुख स्थान:
- प्रधानमंत्री ने पहले सितंबर 2019 में चंद्रयान -2 के लैंडर दुर्घटना के स्थान को "तिरंगा पॉइंट" के रूप में नामित किया था।
- पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने उस स्थान का नाम रखने का प्रस्ताव रखा जहाँ नवंबर 2008 में चंद्रयान-1 चंद्रमा प्रभाव जाँच उतरा था, जिसका नाम "जवाहर प्वाइंट" रखा गया।
और पढ़ें: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग