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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 27 May, 2024
  • 24 min read
प्रारंभिक परीक्षा

सौर तूफान

स्रोत: द हिंदू

हाल के अध्ययनों से पता चला है कि सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र पहले की अपेक्षा सतह के बहुत करीब बना है। अध्ययनों के अनुसार यह लगभग 20,000 मील (32,000 किलोमीटर) नीचे है, जबकि पहले यह 130,000 मील (209,000 किलोमीटर) से अधिक माना जाता था।

  • यह अध्ययन सौर चक्रों का पूर्वानुमान करने और गंभीर सौर तूफानों की घटनाओं का अधिक सटीक पूर्वानुमान लगाने में सहायता कर सकती है।

सौर चक्र, सौर कलंक और सौर प्रज्ज्वाल क्या हैं?

  • सौर चक्र (Solar Cycle):
    • अधिकांश सौर-कलंक समूहों में दिखाई देते हैं तथा उनका अपना चुंबकीय क्षेत्र होता है, जिसकी ध्रुवीयता लगभग 11 वर्ष में बदलती है जिसे एक ‘सौर चक्र’ कहा जाता है। 
      • सूर्य, गर्म, विद्युत-आवेशित गैस का एक विशाल गोला, एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है जो एक चक्र से गुजरता है जिसे ‘सौर चक्र’ के रूप में जाना जाता है।
    • प्रत्येक 11 वर्ष में सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र पूरी तरह से परिवर्तित हो जाता है। जिस कारण सूर्य के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव अपना स्थान परिवर्तित लेते हैं।
    • सौर चक्र सूर्य की सतह पर गतिविधि को प्रभावित करता है, जैसे कि सौर कलंक जो सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के कारण होते हैं।
    • सौर कलंक की गणना करके सौर चक्र का पता लगाया जाता है। यह सौर न्यूनतम से शुरू होता है, जो कुछ सौर कलंक द्वारा चिह्नित होता है तथा जब सौर कलंक संख्या चरम पर होती है, तो सौर अधिकतम की ओर बढ़ता है।
  • सौर कलंक (Sunspots):
    • सूर्य की सतह पर सौर कलंक काले दिखाई देते हैं क्योंकि वे असाधारण रूप से मज़बूत चुंबकीय क्षेत्र वाले ठंडे क्षेत्र हैं, जो गर्मी को सतह तक पहुँचने से रोकते हैं।

  • सौर प्रज्ज्वाल (Solar Flares):
    • सूर्य के निकट चुंबकीय क्षेत्र की रेखाओं के स्पर्श, क्रॉसिंग या पुनर्गठन के कारण, ऊर्जा के अचानक होने वाले विस्फोट से सोलर फ्लेयर्स उत्पन्न होती हैं। 
    • सौर फ्लेयर्स अंतरिक्ष में महत्त्वपूर्ण विकिरण उत्सर्जित करती हैं, अत्यधिक तीव्र होने पर ये पृथ्वी पर रेडियो संचार को बाधित कर सकती हैं।
    • सौर फ्लेयर्स कभी-कभी कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के साथ होती हैं। CME सूर्य से आने वाले विकिरण और कणों के विशाल बुलबुले हैं। जब सूर्य की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ अचानक पुनर्गठित हो जाती हैं तो वे तीव्र गति से अंतरिक्ष में विस्फोट करते हैं।

Solar_Flares

सौर तूफान क्या हैं?

  • परिचय: 
    • सौर तूफान (Geomagnetic Storms) तब होते हैं, जब बड़े पैमाने पर चुंबकीय विस्फोट, जो अक्सर कोरोनल मास इजेक्शन (CME) और संबंधित सौर ज्वाला का कारण बनता है, सौर वातावरण में आवेशित कणों के वेग को तीव्र कर देता है।
  • पृथ्वी की ओर गति:
    • ये लगभग तीन मिलियन मील प्रति घंटे की गति से पृथ्वी की ओर बढ़ते हैं।
    • जब एक CME (हाई-स्पीड सोलर स्ट्रीम) पृथ्वी पर पहुँचती है, तो यह मैग्नेटोस्फीयर के साथ संपर्क करती है, जिससे मैग्नेटोस्फीयर संकुचित और उत्तेजित हो जाता है, जिसके फलस्वरूप ऊर्जावान सौर वायु के कण ध्रुवों के निकट हमारे वायुमंडल तक पहुँच जाते हैं।
      • पृथ्वी का मैग्नेटोस्फीयर उसके चुंबकीय क्षेत्रों द्वारा निर्मित होता है और यह आमतौर पर सूर्य द्वारा उत्सर्जित कणों से हमारी रक्षा करता है।
  • पृथ्वी के निकट सौर विकिरण तूफानों का प्रभाव:
    • जब ऊर्जावान प्रोटॉन अंतरिक्ष में उपग्रहों या मनुष्यों से अथवा जिस पिंड से टकराते हैं, उसमें गहराई तक भेदने की क्षमता रखते हैं और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट अथवा जैविक DNA को हानि पहुँचा सकते हैं।
    • अधिक तीव्र सौर विकिरण तूफानों के दौरान, अधिक ऊँचाई पर उड़ान भरने वाले विमानों में यात्रियों और चालक दल को विकिरण ज़ोखिम का सामना करना पड़ सकता है।
    • भू-चुंबकीय तूफान ऑरोरा (उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में रोशनी) का कारण भी बन सकते हैं।

Solar_wind

और पढ़े: सनस्पॉट, सौर प्रज्वाल

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. यदि कोई मुख्य सौर तूफ़ान (सौर प्रज्वाल) पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पृथ्वी पर निम्नलिखित में कौन-से संभव प्रभाव होंगे? (2022)

  1. GPS और दिक्संचालन (नैविगेशन) प्रणालियाँ विफल हो सकती हैं।
  2. विषुवतीय क्षेत्रों में सुनामियाँ आ सकती हैं।
  3. बिजली ग्रिड क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
  4. पृथ्वी के अधिकांश हिस्से पर तीव्र ध्रुवीय ज्योतियाँ घटित हो सकती हैं।
  5. ग्रह के अधिकांश हिस्से पर दावाग्नियाँ घटित हो सकती हैं।
  6. उपग्रहों की कक्षाएँ विक्षुब्ध हो सकती है।
  7. ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर से उड़ते हुए वायुयान का लघुतरंग रेडियो संचार बाधित हो सकता है।

नीचे दिए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये :

(a) केवल 1, 2, 4 और 5
(b) केवल 2, 3, 5, 6 और 7
(c) केवल 1,3, 4, 6 और 7
(d) 1, 2, 3, 4, 5, 6 और 7

उत्तर: (c)


प्रारंभिक परीक्षा

वैकल्पिक मतदान विधियाँ

स्रोत: इंडियन एक्स्प्रेस 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में मतदाता भारत में 18वीं लोकसभा के सदस्यों को चुनने के लिये विश्व के सबसे बड़े आम 

  • चुनाव (आम चुनाव) में मतदान कर रहे हैं, जो सात चरणों में संपन्न होगा।

नागरिकों के लिये मतदान की वैकल्पिक विधियाँ क्या हैं?

  • RPA के अंतर्गत मतदान प्रक्रिया:
  • डाक मतपत्र: डाक मतपत्र उन मतदाताओं को दूर से मतदान करने की अनुमति देता है जो मतदान केंद्रों पर उपस्थित नहीं हो सकते हैं, जैसा कि RPA की धारा 60 में निर्दिष्ट है।
    • यह पद्धति सामान्य मतदान से तीन प्रकार से भिन्न है:
      • मतदान, मतदान केंद्र के बाहर होता है,
      • यह EVMs द्वारा नहीं होता है।
      • निर्वाचन क्षेत्र में निर्धारित मतदान तिथि से पूर्व ही मतदान संपन्न होता है।
    • पात्रता: चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम-18 के अनुसार, निम्नलिखित वर्गों के व्यक्ति डाक मतपत्र द्वारा मतदान के लिये पात्र हैं:
      • विशेष मतदाता: RPA की धारा 20(4) के अंर्तगत घोषित पद धारण करने वाले व्यक्ति, जिनमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल, कैबिनेट मंत्री, अन्य उच्च पदस्थ गणमान्य व्यक्ति, आदि और उनके पति या पत्नी शामिल हैं।
      • सेवा मतदाता: भारतीय सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक बलों के सदस्य, अपने राज्य के बाहर सेवारत एक सशस्त्र राज्य पुलिस सदस्य या विदेश में तैनात एक सरकारी कर्मचारी और उनके साथ रहने वाले उनके पति या पत्नी।
      • चुनाव ड्यूटी पर मतदाता: चुनाव ड्यूटी में शामिल आयोग के अधिकारियों से लेकर निजी कर्मियों तक सभी व्यक्ति शामिल हैं।
      • RPA 1951 की धारा 60 (c) के अंर्तगत अनुपस्थित मतदाता: वर्ष 2019 में चुनाव आयोग ने "अनुपस्थित मतदाताओं" की श्रेणी बनाई, जिसमें 85 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक, कम से कम 40% विकलांगता वाले दिव्यांग व्यक्ति शामिल हैं और ऐसे व्यक्ति जो रेलमार्ग, दूरसंचार, बिजली, स्वास्थ्य, यातायात, विमानन, अग्निशमन सेवाओं एवं अधिकृत मीडिया संगठनों जैसी आवश्यक सेवाओं के कर्मचारी हैं तथा ऐसे व्यक्ति भी जो कोविड-19 से प्रभावित हैं, को शामिल किया गया है। 
      • निवारक निरोध के तहत: निर्वाचकों को निवारक निरोध के अधीन किया गया।
    • आवेदन की प्रक्रिया: डाक मतदान के लिये योग्य व्यक्तियों को एक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर औपचारिक रूप से आवेदन करना होगा, जबकि सेवा मतदाताओं और निवारक हिरासत के तहत आने वाले लोगों को स्वचालित रूप से डाक मतपत्र प्राप्त होते हैं तथा एक बार जारी होने के बाद वे व्यक्तिगत रूप से मतदान नहीं कर सकते हैं।
    • इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रसारित डाक मतपत्र प्रणाली (Electronically Transmitted Postal Ballot System- ETPBS): वर्ष 2016 में नियम 23 में एक संशोधन ने सेवा मतदाताओं के लिये इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित पोस्टल बैलेट सिस्टम (ETPBS) की शुरुआत की, जिससे एन्क्रिप्टेड इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन के माध्यम से डाक मतपत्रों की तेज़ी से डिलीवरी और पोस्ट के माध्यम से मुफ्त रिटर्न की सुविधा मिल सके।
    • प्रक्रिया:
      • 2022 में पेश किया गया नियम 18A, चुनाव ड्यूटी पर मतदाताओं को डाक मतपत्रों का उपयोग करके निर्दिष्ट सुविधा केंद्रों पर मतदान करने का आदेश देता है।
      • इसी प्रकार, आवश्यक सेवा (AVES) श्रेणी में अनुपस्थित मतदाताओं द्वारा मतदान की सुविधा के लिये डाक मतदान केंद्र (Postal Voting Centre- PVC) के लिये एक उपयुक्त स्थान और कमरे निर्धारित किये जाते है।
  • होम वोटिंग:
    • मानदंड: देशभर में 81 लाख 85+ वृद्ध मतदाता और 90 लाख से अधिक दिव्यांग मतदाता मतदाता सूची में पंजीकृत हैं।
    • प्रक्रिया: वरिष्ठ नागरिकों और 85 वर्ष से अधिक उम्र के दिव्यांगों तथा कोविड-19 संदिग्ध/सकारात्मक श्रेणी के अनुपस्थित मतदाताओं के लिये, बूथ स्तर के अधिकारी (Booth Level Officers- BLO) फॉर्म 12D देते हैं तथा अनिवार्य रूप से उनसे पावती प्राप्त करते हैं।
  • विविध:
    • एक पृथक मतदान केंद्र में मतदान: जब एक चुनावी कार्यकर्त्ता को उनके पंजीकृत निर्वाचन क्षेत्र में नियुक्त किया जाता है, तो उन्हें एक चुनाव कर्त्तव्य प्रमाण पत्र प्राप्त होता है जो उन्हें उनके निर्धारित मतदान केंद्र पर मतदान करने की अनुमति देता है; अन्यथा वे डाक मतपत्र के लिये पात्र होते हैं।
    • प्रॉक्सी वोटिंग: सशस्त्र और अर्धसैनिक सेवा के सदस्य प्रॉक्सी या डाक मतपत्र के माध्यम से मतदान कर सकते हैं; प्रॉक्सी का विकल्प चुनने वालों को 'वर्गीकृत सेवा मतदाता' कहा जाता है।
    • सहायता प्राप्त मतदान: मतदाता विकलांगता से सबंधित मामलों में पीठासीन अधिकारी 18 वर्ष से अधिक उम्र के साथी की दाहिनी तर्जनी पर अमिट स्याही लगाकर उन्हें अपनी ओर से मतदान करने की अनुमति दे सकता है।

मतदान प्रक्रिया से अयोग्यता:

  • जिन व्यक्तियों को भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) की धारा 171E (जो रिश्वतखोरी से संबंधित है) और धारा 171F (जो चुनाव में प्रतिरूपण या अनुचित प्रभाव से संबंधित है) के तहत किये गए अपराधों के लिये दोषी ठहराया जाता है, उन्हें चुनाव में भाग लेने से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
  • जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 (जो विभिन्न चुनावी अपराधों से संबंधित है), धारा 135 और धारा 136 के तहत अपराधों के लिये दोषी ठहराए जाने वालों को चुनाव से अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
  • यदि कोई व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान करता है, तो उसका मत (vote) अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।

Election_Commission_of_India_(ECI)

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. भारत का निर्वाचन आयोग पाँच-सदस्यीय निकाय है।  
  2. संघ का गृह मंत्रालय, आम चुनाव और उप-चुनावों दोनों के लिये चुनाव कार्यक्रम तय करता है। 
  3. निर्वाचन आयोग मान्यता-प्राप्त राजनीतिक दलों के विभाजन/विलय से संबंधित विवाद निपटाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. भारत के संविधान के अनुसार, कोई भी ऐसा व्यक्ति जो मतदान के लिये योग्य है, किसी राज्य में छह माह के लिये मंत्री बनाया जा सकता है तब भी जब कि वह उस राज्य के विधान-मंडल का सदस्य नहीं है। 
  2. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, कोई भी ऐसा व्यक्ति जो दांडिक अपराध के अंतर्गत दोषी पाया गया है और जिसे पाँच वर्ष के लिये कारावास का दंड दिया गया है, चुनाव लड़ने के लिये स्थायी तौर पर निरर्हत हो जाता है भले ही वह कारावास से मुक्त हो चुका हो।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


प्रारंभिक परीक्षा

CSIR-CMERI का इनोवेटिव इलेक्ट्रिक टिलर

स्रोत: पी.आई.बी. 

छोटे और सीमांत किसानों को सशक्त बनाने के प्रयास में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (Department of Scientific and Industrial Research- DSIR) ने CSIR-सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के इलेक्ट्रिक टिलर का अनावरण किया है।

  • इलेक्ट्रिक टिलर को छोटे से सीमांत किसानों (2 हेक्टेयर से कम भूमि जोत) की आवश्यकताओं को पूर्ण  करने हेतु डिज़ाइन किया गया है, जो भारत के कृषक समुदाय का 80% से अधिक हिस्सा हैं। 
  • टिलर ने टॉर्क और क्षेत्र दक्षता बढ़ा दी है, जिससे यह एक शक्तिशाली एवं कुशल कृषि उपकरण बन गया है।
    • यह उपयोगकर्त्ता के आराम और पर्यावरणीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें हाथ-बाँह का कंपन कम होना, स्थिर संचालन और शुद्ध शून्य उत्सर्जन  जैसी विशेषताएँ शामिल हैं।
    •  इलेक्ट्रिक टिलर संभावित रूप से परिचालन लागत को 85% तक कम कर सकता है, जिससे किसानों को महत्त्वपूर्ण वित्तीय लाभ मिलेगा।
  • टिलर का उपयोगकर्ता-अनुकूल डिज़ाइन बैटरी पैक स्वैपिंग और एकाधिक चार्जिंग विकल्पों का समर्थन करता है, जिसमें वैकल्पिक धारा (Alternating Current- AC) एवं सौर प्रत्यक्ष धारा (Direct Current- DC) चार्जिंग शामिल है, जो बहुउपयोगिता तथा सुविधा प्रदान करता है।
  • CSIR की स्थापना सितंबर 1942 में हुई थी, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है और यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित है।

और पढ़ें: CSIR PRIMA ET11 और सरलीकृत ट्रैक्टर परीक्षण प्रक्रिया


रैपिड फायर

AI कृष और AI भूमि

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में दूरदर्शन किसान (DD KISAN) कृत्रिम बुद्धिमत्ता कृष (AI Krish) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता भूमि (AI Bhoomi) नामक दो कृत्रिम बुद्धिमत्ता एंकर  (AI Anchors) लॉन्च करने वाला देश का पहला सरकारी टीवी चैनल बन गया है।

  • ये दोनों चैनल किसानों के लिये सूचना केंद्र के रूप में कार्य करेंगे, कृषि संबंधी विभिन्न विषयों पर निम्नलिखित जानकारियाँ प्रदान करेंगे:
    • कृषि अनुसंधान में अत्याधुनिक प्रगति।
    • कृषि बाज़ारों (मंडियों) में कीमतों में उतार-चढ़ाव और रुझान।
    • मौसम के पूर्वानुमान जो फसलों को प्रभावित कर सकते हैं।
    • कृषि को समर्थन देने वाली सरकारी योजनाओं का विवरण।
  • वे 50 भाषाओं में बात कर सकते हैं और 24 घंटे और 365 दिन समाचार पढ़ सकते हैं।
  • इस पहल का उद्देश्य समग्र विकास को शिक्षित करने और उसको बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ कृषि एवं ग्रामीण समुदाय की सेवा करना है।
  • DD KISAN एक भारतीय राज्य के स्वामित्व वाला कृषि टेलीविज़न चैनल है, जिसकी स्थापना सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा की गई है।
  • यह दूरदर्शन का प्रमुख चैनल है, जिसे 26 मई, 2015 को लॉन्च किया गया था।
    • इसका उद्देश्य कृषि और ग्रामीण समुदाय की ज़रूरतों को पूरा करना, संतुलित खेती, पशुपालन एवं वृक्षारोपण सहित कृषि की त्रि-आयामी अवधारणा को मज़बूत करना है।

और पढ़े:  दूरदर्शन का लोगो, केवल प्रसार भारती के माध्यम से प्रसारण


रैपिड फायर

इज़रायल को राफा में सैन्य कार्रवाई बंद करने का आदेश

स्रोत: द हिंदू

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice- ICJ) ने इजरायल को राफा में अपने सैन्य अभियान को तुरंत बंद करने का आदेश दिया है।

  • ICJ के फैसले में इजरायल से राफा क्षेत्र में सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने और यह सुनिश्चित करने की मांग की गई है कि राफा क्रॉसिंग निर्बाध मानवीय सहायता के लिये खुला रहे।
  • ICJ ने इज़रायल को नरसंहार के आरोपों की जाँच के लिये संयुक्त राष्ट्र-आदेशित जाँचकर्त्ताओं तक "अबाधित पहुँच" सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया।
  • अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court’s) के अभियोजक ने शीर्ष इज़रायली और हमास नेताओं पर युद्ध अपराधों तथा मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप लगाते हुए गिरफ्तारी वारंट की भी मांग की।
  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ):
    • ICJ संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) का प्रमुख न्यायिक अंग है और इसे राज्यों के बीच कानूनी विवादों को सुलझाने तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार, सलाहकार राय प्रदान करने का काम सौंपा गया है, लेकिन इसमें कानूनी रूप से बाध्यकारी फैसलों के लिये प्रभावी प्रवर्तन तंत्र का अभाव है।

और पढ़ें: इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष


रैपिड फायर

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा एवं संरक्षा विभाग

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा एवं सुरक्षा विभाग (United Nations Department for Safety and Security- UNDSS) में कार्यरत एक पूर्व भारतीय सैन्य अधिकारी कर्नल की गाज़ा में हत्या कर दी गई।

  • गाज़ा में 190 से अधिक संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों की मृत्यु के कारण संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने तत्काल मानवीय युद्धविराम का आह्वान किया है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा एवं संरक्षा विभाग (UNDSS):

  • यह संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा शाखा है। यह संयुक्त राष्ट्र की सभी संस्थाओं को सुरक्षा विशेषज्ञता प्रदान करती है ताकि वे अपने मिशन एवं कार्यक्रमों को सुरक्षित रूप से पूर्ण कर सकें।
  • यह सुरक्षा खतरों की पहचान करता है और उनका विश्लेषण करता है तथा फिर उन जोखिमों से निपटने के लिये रणनीतियों को विकसित करता है।
  • सुरक्षा सहायता प्रदान करने के लिये इसके पास 131 से अधिक देशों में सुरक्षा सलाहकारों, विश्लेषकों, अधिकारियों और समन्वयकों का एक नेटवर्क है।

और पढ़ें… संयुक्त राष्ट्र


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