विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
CSIR PRIMA ET11 और सरलीकृत ट्रैक्टर परीक्षण प्रक्रिया
- 01 Sep 2023
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:ट्रैक्टर परीक्षण दिशा-निर्देश, व्यापार सुगमता, इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर- CSIR PRIMA ET11 मेन्स के लिये:सतत् कृषि और व्यापार सुगमता में इलेक्ट्रिक वाहनों का महत्त्व |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘सीएसआईआर-केंद्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान’ (CSIR- Central Mechanical Engineering Research Institute or CSIR-CMERI) ने मुख्य रूप से भारत के छोटे और सीमांत किसानों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये CSIR PRIMA ET11 नाम से कॉम्पैक्ट 100% शुद्ध इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर को स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और विकसित किया है।
- इसके अतिरिक्त व्यापार सुगमता को प्रोत्साहित करने और विश्वास-आधारित शासन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़े कदम के तहत सरकार ने प्रदर्शन मूल्यांकन के लिये ट्रैक्टरों के परीक्षण की प्रक्रिया को सरल बना दिया है।
CSIR PRIMA ET11 की प्रमुख विशेषताएँ:
- परिचय: CSIR PRIMA ET11, पूर्णतः इलेक्ट्रिक संचालित ट्रैक्टर है जिसकी शुरुआत धारणीय कृषि के लिये भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- संपूर्ण ट्रैक्टर को स्वदेशी घटकों तथा प्रौद्योगिकियों के साथ डिज़ाइन एवं निर्मित किया गया है साथ ही यह कृषि क्षेत्र की मांग को भी पूरा करेगा।
- विशेषताएँ: विकसित तकनीक को महिलाओं की सुविधा एवं उपयोग में आसानी को ध्यान में रखते हुए उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाया गया है।
- इस ट्रैक्टर में V2L (vehicle to load) नामक एक पोर्ट लगा है, इसका मतलब है कि जब ट्रैक्टर संचालन में नहीं होता है तो इसकी बैटरी की शक्ति का उपयोग अन्य माध्यमिक अनुप्रयोगों जैसे- पंप और सिंचाई आदि के लिये किया जा सकता है।
- महत्त्व:
- परंपरागत रूप से ट्रैक्टर में डीज़ल का उपयोग किया जाता है, जो पर्यावरण प्रदूषण में योगदान देता है ।
- एक अनुमान के अनुसार, इसमें देश के कुल वार्षिक डीज़ल उपयोग का लगभग 7.4% और कुल कृषि ईंधन उपयोग के 60% का इस्तेमाल किया जाता है।
- साथ ही उनका PM2.5 और NOx उत्सर्जन अगले दो दशकों में मौजूदा स्तर से 4-5 गुना बढ़ने की संभावना है।
- वैश्विक कार्बन फुटप्रिंट कटौती रणनीति के लिये इस क्षेत्र में विद्युतीकरण की दिशा में तेज़ी से बदलाव करने की आवश्यकता है।
- इसलिये ट्रैक्टरों का विद्युतीकरण एक आवश्यक कदम है जो देश को जलवायु संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है।
- परंपरागत रूप से ट्रैक्टर में डीज़ल का उपयोग किया जाता है, जो पर्यावरण प्रदूषण में योगदान देता है ।
नोट:
- CSIR-CMERI पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में स्थित एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान है। इसकी स्थापना वर्ष 1958 में CSIR के तहत की गई थी।
- CSIR-CMERI का विभिन्न रेंजों और क्षमताओं के ट्रैक्टरों के डिज़ाइन तथा विकास में एक लंबा इतिहास है, सबसे पहले वर्ष 1965 में स्वदेशी रूप से विकसित स्वराज ट्रैक्टर, उसके बाद वर्ष 2000 में 35hp सोनालिका ट्रैक्टर और फिर छोटे एवं सीमांत किसानों की मांग के लिये वर्ष 2009 में 12hp कृषिशक्ति छोटे डीज़ल ट्रैक्टर का विकास किया गया।
ट्रैक्टर परीक्षण की सरलीकृत प्रक्रिया:
- ट्रैक्टर निर्माताओं को अब CMVR/उत्पादन की अनुरूपता (COP) प्रमाण पत्र और कंपनी द्वारा की जाने वाली स्व-घोषणा के आधार पर सब्सिडी योजना में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी कि सब्सिडी के तहत शामिल करने के लिये प्रस्तावित ट्रैक्टर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा दिये गए बेंचमार्क विनिर्देशों के अनुरूप है।
- निर्माताओं को सब्सिडी के तहत आपूर्ति किये जाने वाले ट्रैक्टर पर न्यूनतम तीन साल की वारंटी देनी होगी।
- ट्रैक्टर परीक्षण प्रक्रिया में कुछ अनिवार्य परीक्षणों का पालन किया जाएगा, यानी, ड्रॉबार प्रदर्शन परीक्षण, PTO प्रदर्शन और हाइड्रोलिक प्रदर्शन परीक्षण एवं ब्रेक प्रदर्शन।
- ये सभी परीक्षण लोडेड कारों के उपयोग के माध्यम से केंद्रीय फार्म मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (CFMTTI) या महिंद्रा रिसर्च वैली (MRV) या किसी अन्य सरकारी अधिकृत संस्थान या उनकी स्वयं की सुविधाओं पर किये जाएंगे।
- ब्रेक परफॉर्मेंस टेस्ट केंद्रीय मोटर वाहन नियम (CMVR) के तहत आवश्यकता के अनुसार किया जाएगा।
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नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 4 उत्तर: (b) व्याख्या:
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