प्रारंभिक परीक्षा
मानसून पर क्लाउड बैंड का प्रभाव
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) ने एक अध्ययन किया जिसके अनुसार मानसूनी मेघ पट्टिकाओं अथवा क्लाउड बैंड की प्रबलता की भारतीय उपमहाद्वीप में इसकी गति और वर्षा की तीव्रता के निर्धारण में अहम भूमिका है।
मानसून क्लाउड बैंड पर किये गए अध्ययन के निष्कर्ष क्या हैं?
- मेघों की प्रबलता: केवल प्रबल भूमध्यरेखीय क्लाउड बैंड ही उत्तर की ओर गमन कर सकते हैं और भारत में आद्र वेला ला सकते हैं। मंद बैंड प्रसारित होने में विफल हो जाते हैं, जो पूर्व के अनुमानित मॉडल के विपरीत है, जिसमें बैंड की प्रबलता को महत्त्वपूर्ण न मानते हुए इसके निरंतर प्रसारित होने की कल्पना की गई थी।
- अध्ययन के अनुसार वर्षा की अवधि और तीव्रता रेन बैंड के आकार और प्रबलता पर निर्भर करती है तथा बोरियल समर इंट्रासीज़नल ऑसिलेशन (BSISO) के कारण रेन बैंड का भूमध्य रेखा से भारतीय उपमहाद्वीप की ओर गमन होता है जिससे मानसून की वर्षा और शुष्कता प्रभावित होती है।
- वायु समुद्र अंतःक्रिया: भूमध्यरेखीय हिंद महासागर में आद्रता वर्द्धन और वायु प्रबलता की दृष्टि से वायु समुद्र अंतःक्रिया महत्त्वपूर्ण हैं। इसके प्रबल युग्मन से वायुमंडलीय आद्रता बढ़ती है, जिससे मानसून तीव्रकर होता है।
- जलवायु परिवर्तन प्रभाव: वायुमंडल के अधिक ऊष्ण होने से पृष्ठभूमि में आद्रता बढ़ेगी, जिससे वर्षा की तीव्रता बढ़ेगी।
- भविष्य में भारत और समीपवर्ती समुद्रों में वर्षा के दौरान वर्षा में 42% से 63% की वृद्धि होने का अनुमान है।
- जलवायु मॉडल में सुधार: निष्कर्षों से मौसमी और उप-मौसमी मानसून पूर्वानुमान मॉडल की प्रभावकारिता में सुधार करने में मदद मिलेगी।
बोरियल समर इंट्रासीज़नल ऑसिलेशन
- BSISO एक मानसून प्रतिरूप है जो जून-सितंबर के दौरान हिंद महासागर से पश्चिमी प्रशांत महासागर की ओर संवहन (उष्णता और मेघ सक्रियता) को स्थानांतरित करता है।
- यह मानसून के 'सक्रिय' (वर्षा) और 'ब्रेक' (शुष्क) चरणों को नियंत्रित करता है, जो वर्षा, वायु पैटर्न और समुद्री तरंगों को प्रभावित करते हैं।
- सटीक BSISO भविष्यवाणियाँ तटीय प्रबंधन और जलवायु पूर्वानुमान में मदद करती हैं। इसकी शक्ति और गति अल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) द्वारा नियंत्रित होती है, जिसमें ला नीना उत्तर दिशा में प्रसार को बढ़ाता है तथा अल नीनो इसे कमज़ोर करता है।
भारत के मानसून के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- व्युत्पत्ति: शब्द "मानसून" अरबी शब्द "मौसिम" से लिया गया है, जिसका अर्थ है मौसम।
- भारत में मानसून के प्रकार:
- दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून-सितंबर): इसे " मानसून आगमन" भी कहा जाता है, यह हिंद महासागर से नमी युक्त पवनें लाता है।
- तिब्बत पर कम दाब और हिंद महासागर पर उच्च दाब के कारण भारत के अधिकांश भागों में अत्यधिक वर्षा होती है।
- पूर्वोत्तर मानसून (अक्तूबर-दिसंबर): इसे "मानसून निवर्तन" के रूप में भी जाना जाता है, यह मानसून गर्त के दक्षिण की ओर बढ़ने और दक्षिण-पश्चिम मानसून के निवर्तन के परिणामस्वरूप होता है।
- दक्षिण-पूर्वी भारत, विशेषकर तमिलनाडु और तटीय आंध्र प्रदेश में वर्षा लाता है।
- दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून-सितंबर): इसे " मानसून आगमन" भी कहा जाता है, यह हिंद महासागर से नमी युक्त पवनें लाता है।
- भारतीय मानसून को प्रभावित करने वाले कारक: अंतर -उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) गर्मियों में उत्तर की ओर स्थानांतरित हो जाता है, जिससे भारत पर निम्न दाब बनता है। तिब्बत का पठार अत्यधिक गर्म हो जाता है, जिससे उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट उत्पन्न होती है।
- ये संयुक्त कारक हिंद महासागर से नमीयुक्त पवनों को आकर्षित करते हैं, जिससे दक्षिण-पश्चिम मानसून सक्रिय हो जाता है
- उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट स्ट्रीम (जो उत्तर-पूर्वी मानसून से जुड़ी है) भी मानसून की तीव्रता को नियंत्रित करती है। इसके अतिरिक्त, सोमाली जेट दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी पवनों को मज़बूत बनाती है।
- हिंद महासागर द्विध्रुव (IOD) पश्चिमी और पूर्वी हिंद महासागर के बीच एक तापमान विसंगति है; सकारात्मक IOD (उष्ण पश्चिम) मानसून को बढ़ाता है और नकारात्मक IOD इसे कमज़ोर करता है।
- अल नीनो को प्रायः भारत में कमज़ोर मानसून और सूखे से जोड़कर देखा जाता है। ला नीना का संबंध सकारात्मक मानसून से है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारतीय मानसून का पूर्वानुमान करते समय कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित ‘इंडियन ओशन डाइपोल (IOD) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न: आप कहाँ तक सहमत हैं कि भारतीय मानसून का व्यवहार मानवीय परिदृश्य के कारण बदल रहा है? चर्चा कीजिये। (2015) |
रैपिड फायर
सहयोग पोर्टल
स्रोत: द हिंदू
एक्स कॉर्प (पूर्व में ट्विटर) ने भारत सरकार के खिलाफ उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया है, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000 की धारा 79 और हाल ही में लॉन्च किये गए सहयोग पोर्टल के माध्यम से कथित सेंसरशिप एवं कंटेंट विनियमन को चुनौती दी गई है।
- एक्स ने तर्क दिया कि कंटेंट विनियमन आदेश केवल IT अधिनियम, 2000 की धारा 69A के तहत जारी किये जाने चाहिये।
- सहयोग पोर्टल: सरल अनुपालन और सुरक्षित साइबरस्पेस के लिये सरकारी एजेंसियों और सोशल मीडिया मध्यस्थों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिये गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा सहयोग पोर्टल लॉन्च किया गया है।
- यह विधिविरुद्ध कंटेंट की रिपोर्टिंग और निष्कासन को सुव्यवस्थित करता है तथा IT अधिनियम, 2000 के तहत कानून प्रवर्तन से डेटा अनुरोधों को सुविधाजनक बनाता है।
- यह अधिकृत एजेंसियों (जैसे पुलिस) और मध्यस्थों को एक ही मंच पर एकीकृत करता है, जिससे अवैध डिजिटल गतिविधियों के खिलाफ त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित होती है।
- IT अधिनियम की धाराएँ:
- धारा 69A: यह केंद्र को राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और सार्वजनिक व्यवस्था की रक्षा के लिये विशिष्ट परिस्थितियों में ऑनलाइन कंटेंट तक सार्वजनिक पहुँच को अवरुद्ध करने का अधिकार देती है।
- धारा 79: यह ऑनलाइन मध्यस्थों को "सेफ हार्बर" संरक्षण प्रदान करती है, तथा यदि वे तटस्थता से कार्य करते हैं तो उन्हें तीसरे पक्ष की विषय-वस्तु के लिये उत्तरदायित्व से संरक्षण प्रदान करती है।
- धारा 79(3)(b) के तहत, यदि मध्यस्थ अनुचित कंटेंट से संबंधित नोटिस पर शीघ्र कार्यवाही करने में विफल रहते हैं तो वे इस प्रतिरक्षा को खो देते हैं।
और पढ़ें: सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन नियम, 2023
रैपिड फायर
BHIM 3.0
स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) की सहायक NPCI BHIM सर्विसेज़ लिमिटेड (NBSL) ने भारत इंटरफेस फॉर मनी (BHIM) 3.0 ऐप लॉन्च किया है।
- BHIM 3.0: यह BHIM का उन्नत संस्करण है।
- UPI तकनीक का उपयोग करके कैशलेस भुगतान के लिये एक सरल, द्रुत और सुरक्षित तरीका प्रदान करने के लिये BHIM यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI ) को वर्ष 2016 में लॉन्च किया गया था।
- इससे उपयोगकर्त्ताओं को अपने बैंक खातों का विवरण दिये बिना, मोबाइल फोन के माध्यम से तत्काल धन भेजने और प्राप्त करने की सुविधा प्राप्त हुई।
- BHIM 3.0 की मुख्य विशेषताएँ:
- BHIM 3.0 में 15 से अधिक भाषाओं की सुविधा, सुविधा अनुसार अनुकूलन करने हेतु अल्प इंटरनेट की आवश्यकता, तथा सुरक्षित लेनदेन के लिये बेहतर सुरक्षा सुविधाओं के साथ इस ऐप की सुलभता और सुरक्षा को बढ़ाया गया है।
- उपयोगकर्ताओं के लिये, इसमें बेहतर व्यय ट्रैकिंग और वित्तीय प्रबंधन के लिये विभाजित व्यय, व्यय विश्लेषण और एक कार्रवाई आवश्यक सहायक (लंबित बिलों के लिये अनुस्मारक) प्रदान किया गया है।
- व्यापारियों के लिये, BHIM वेगा एक सहज इन-ऐप भुगतान प्रणाली प्रदान करता है, जिससे दूसरे प्लेटफॉर्म का उपयोग किये बिना सहज लेनदेन संभव होगा।
- NPCI: NPCI की स्थापना वर्ष 2008 में RBI और भारतीय बैंक संघ द्वारा संदाय और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत भारत में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणालियों की निगरानी और प्रबंधन के लिये की गई थी।
- NPCI इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड ने UPI का भूटान, मॉरीशस, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका और फ्राँस सहित 7 देशों में विस्तार किया है, जिसमें PhonePe, Paytm और गूगल पे जैसे 20 ऐप के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन किये जाने की सुविधा दी गई है।
रैपिड फायर
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (GMS) के कार्य-निष्पादन के आधार पर, केंद्र सरकार ने योजना के मध्यावधि और दीर्घकालिक सरकारी जमा (MLTGD) घटकों को बंद करने का निर्णय किया है। हालाँकि, बैंक अल्पकालिक बैंक जमा (STBD) की पेशकश जारी रख सकेंगे।
- इससे पहले सरकार ने सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (SGB) को भी बंद कर दिया था।
- GMS: GMS, जिसमें पूर्ववर्ती 'स्वर्ण जमा योजना' और 'स्वर्ण धातु ऋण' योजना शामिल है, की घोषणा 15 सितंबर 2015 को की गई थी।
- इसका उद्देश्य सोने के आयात पर देश की दीर्घकालिक निर्भरता को कम करना तथा औपचारिक अर्थव्यवस्था में परिवारों और संस्थानों द्वारा धारित सोने को जुटाना है।
- GMS के घटक:
- अल्पावधि बैंक जमा (1-3 वर्ष) (परिवर्ती ब्याज दर)
- मध्यावधि सरकारी जमा (5-7 वर्ष) (2.25% ब्याज दर)
- दीर्घकालिक सरकारी जमा (12-15 वर्ष) (2.5% ब्याज दर)
- GMS के अंतर्गत ब्याज दर: MLTGD के लिये ब्याज दर केंद्र सरकार द्वारा RBI के परामर्श से निर्धारित की जाती है, जबकि अल्पावधि जमा के लिये ब्याज दर बैंकों द्वारा निर्धारित की जाती है।
- SGB: SGB योजना वर्ष 2015 में वास्तविक सोने की मांग में कमी लाने और घरेलू बचत के एक हिस्से को वित्तीय बचत में रूपांतरित करने हेतु शुरू की गई थी, जिसका उपयोग अन्यथा सोना खरीदने के लिये किया जाता था।
- इस योजना के अंतर्गत प्रारंभिक निवेश पर 2.5% की ब्याज दर प्रदान की जाती है, जो निवेशक के बैंक खाते में अर्द्ध-वार्षिक रूप से जमा कर दी जाती है।
और पढ़ें: स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड योजना, वैश्विक स्तर पर स्वर्ण की कीमतों का निर्धारण
चर्चित स्थान
भद्रा वन्यजीव अभयारण्य और टाइगर रिज़र्व
स्रोत: द हिंदू
कर्नाटक ने हासन, चिकमंगलूर और कोडागु ज़िलों में बढ़ते मानव-हाथी संघर्ष को प्रबंधित करने के लिये एक "सॉफ्ट रिलीज़" स्ट्रैटजी का प्रस्ताव दिया है, जिसके तहत पकड़े गए हाथियों को धीरे-धीरे भद्रा वन्यजीव अभयारण्य (BWS) में पुनर्वासित किया जाएगा।
- सॉफ्ट-रिलीज़ स्ट्रैटजी: हाथियों को BWS में चार निर्दिष्ट स्थलों पर चरणबद्ध तरीके से छोड़े जाने से पूर्व, उन्हें अनुकूलन और स्वास्थ्य जाँच के लिये 20 वर्ग किलोमीटर के बाड़े में रखा जाएगा।
- भद्रा वन्यजीव अभयारण्य: भद्रा नदी के नाम पर बने इस अभयारण्य को मुथोडी वन्यजीव अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है।
- यह एक प्रोजेक्ट टाइगर रिज़र्व है, और इसमें विविध प्रकार के वन हैं, जिनमें दक्षिणी नम मिश्रित पर्णपाती वन, शुष्क पर्णपाती वन और शोला वन शामिल हैं।
- इसमें कर्नाटक का सबसे बड़ा 400 वर्ष पुराना सागौन का वृक्ष, जगारा जायंट भी है।
- BWS में बाघ, तेंदुए, ढोल, गौर, हिरण और हाथी सहित विविध जीव-जंतु पाए जाते हैं। यह 250 से अधिक पक्षी प्रजातियों का आश्रय स्थल है, जैसे हॉर्नबिल, मालाबार ट्रोगोन और हिल मैना, जिनमें से कई पश्चिमी घाट में स्थानिक हैं।
- अभयारण्य वर्तमान में लगभग 450 हाथियों को आश्रय देता है, वन अधिकारियों का अनुमान है कि यह 200 और हाथियों को समायोजित कर सकता है।
- यह एक प्रोजेक्ट टाइगर रिज़र्व है, और इसमें विविध प्रकार के वन हैं, जिनमें दक्षिणी नम मिश्रित पर्णपाती वन, शुष्क पर्णपाती वन और शोला वन शामिल हैं।
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