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भुगतान एग्रीगेटर के रूप में PayU को मिली मंज़ूरी

  • 29 Apr 2024
  • 10 min read

स्रोत: बिज़नस स्टैण्डर्ड

चर्चा में क्यों? 

फिनटेक फर्म PayU ने हाल ही में घोषणा की है कि उसे भुगतान एवं निपटान प्रणाली (Payment and Settlement System- PSS) अधिनियम, 2007 के तहत भुगतान एग्रीगेटर (Payment Aggregator- PA) के रूप में कार्य करने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) से सैद्धांतिक मंज़ूरी मिल गई है।

  • RBI से सैद्धांतिक मंज़ूरी PayU को नए व्यापारियों को शामिल करने की अनुमति देती है, फिर भी अंतिम मंज़ूरी में आमतौर पर छह माह से एक वर्ष तक का समय लगता है।

भुगतान एग्रीगेटर क्या होता है?

  • परिचय:
    • PA व्यवसायों और वित्तीय संस्थानों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है, व्यापारियों की ओर से भुगतान की प्रक्रिया को भी संभालता है।
      • एक PA व्यवसायों के लिये इलेक्ट्रॉनिक भुगतान स्वीकार करने की प्रक्रिया को सरल बनाता है।
    • PA भुगतान स्वीकृति प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करते हैं, जिससे व्यवसायों को वित्तीय संस्थाओं के साथ सीधे संबंध स्थापित करने की जटिलताओं से बचने की अनुमति मिलती है।
    • वे व्यवसायों को एक ही मंच के माध्यम से क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, ई-वॉलेट और बैंक अंतरण सहित विभिन्न भुगतान विधियों को स्वीकार करने में सक्षम बनाते हैं।
    • PA के कुछ उदाहरणों में Google Pay, Amazon Pay, Phone pe और PayPal आदि शामिल हैं।
  • पूंजी आवश्यकताएँ:
    • नए PA के पास आवेदन के समय न्यूनतम शुद्ध संपत्ति 15 करोड़ रुपए होनी चाहिये और प्राधिकरण के बाद तीसरे वित्तीय वर्ष के अंत तक 25 करोड़ रुपए तक पहुँचनी चाहिये।
  • प्राधिकरण प्रक्रिया:
    • जबकि बैंक अपने सामान्य बैंकिंग संबंधों के भाग के रूप में PA सेवाएँ प्रदान करते हैं और उन्हें अलग से प्राधिकरण की आवश्यकता नहीं होती है, गैर-बैंक PA को भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (PSS) के तहत RBI से प्राधिकरण प्राप्त करना होगा।
  • निपटान और निलंब (escrow) खाता प्रबंधन:
    • गैर-बैंक PA को एक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक के निलंब खाते में एकत्रित धन को बनाए रखना अनिवार्य है।
      • PA को लेनदेन के चक्र और सहमत शर्तों के आधार पर व्यापारियों के साथ वित्त के निपटान के लिये विशिष्ट समयसीमा का पालन करना होगा।

नोट: 

  • PA के विपरीत, भुगतान गेटवे (PG) वित्त को संभाले बिना ऑनलाइन भुगतान लेनदेन का आदान- प्रदान करने और प्रक्रिया की सुविधा प्रदान करने के लिये प्रौद्योगिकी बुनियादी ढाँचा प्रदान करते हैं।
    • दूसरी ओर, भुगतान एग्रीगेटर व्यापारियों को भुगतान गेटवे की कार्यक्षमता को कवर करते हुए, अपने पोर्टल पर कई भुगतान विकल्प रखने की अनुमति देते हैं।

वितरण का आधार

भुगतान गेटवे

भुगतान एग्रीगेटर

भूमिका

व्यापारी तथा बैंक के मध्य कार्य करने वाला नेटवर्क।

शुरू से अंत तक भुगतान प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने का एक समाधान।

भुगतान विकल्प

प्राथमिक रूप से डेबिट/क्रेडिट कार्ड से भुगतान।

कई विकल्प प्रदान करता है: UPI, डेबिट/क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग आदि।

एकीकरण

व्यापारी प्रत्येक भुगतान पद्धति अथवा बैंक को अलग-अलग एकीकृत करते हैं।

एकीकरण हेतु केवल एक सेवा प्रदाता के साथ साझेदारी की आवश्यकता होती है।

उपलब्ध सेवाएँ

लेन-देन प्रसंस्करण सेवाएँ।

रिपोर्ट, ग्राहक सहायता इत्यादि तक पहुँच जैसी अतिरिक्त सेवाओं के साथ-साथ लेन-देन प्रसंस्करण प्रदान करता है।

वित्त प्रबंधन

वित्त का संचय नहीं करता; एन्क्रिप्टेड भुगतान डेटा सुरक्षित रूप से संचारित करता है।

वित्तीय लेन-देन के लिये व्यापारी पहचान संख्या (MID) का उपयोग करता है। ये ऐसे लेनदेन होते है जो एग्रीगेटर की प्रणाली द्वारा नियंत्रित किये जाते हैं।

उदाहरण

एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, MPGS (मास्टरकार्ड भुगतान गेटवे)।

PhonePe PG, स्ट्राइप, कैशफ्री।

भुगतान और निपटान प्रणाली (PSS) अधिनियम, 2007:

  • PSS अधिनियम, 2007, भारत में भुगतान प्रणालियों के विनियमन एवं पर्यवेक्षण का प्रावधान करता है और साथ ही RBI को सभी संबंधित मामलों के लिये प्राधिकरण के रूप में नामित करता है।
  • इस अधिनियम के तहत रिज़र्व बैंक को अपने केंद्रीय बोर्ड की एक समिति का गठन करने के लिये अधिकृत किया गया है, जिसे भुगतान और निपटान प्रणाली (BPSS) के विनियमन एवं पर्यवेक्षण हेतु एक बोर्ड के रूप में जाना जाता है, ताकि वह अपनी शक्तियों का प्रयोग कर सके तथा इस कानून के तहत अपने कार्यों एवं कर्त्तव्यों का निर्वहन कर सके।
  • PSS अधिनियम, 2007 की धारा 4 के अनुसार केवल रिज़र्व बैंक ही भुगतान प्रणाली के संचालन को अधिकृत कर सकता है। भुगतान प्रणाली संचालित करने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को PSS अधिनियम, 2007 की धारा 5 के तहत प्राधिकरण के लिये आवेदन करना होगा।
  • PSS अधिनियम 2007 विदेशी संस्थाओं को भारत में भुगतान प्रणाली संचालन को प्रतिबंधित नहीं करता है। यह अधिनियम विदेशी एवं घरेलू संस्थाओं के बीच भेदभाव नहीं करता है।
  • प्राधिकरण के बिना भुगतान प्रणाली का संचालन, रिज़र्व बैंक के निर्देशों का अनुपालन न करना अथवा PSS अधिनियम, 2007 के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करने पर रिज़र्व बैंक द्वारा आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. डिजिटल भुगतान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. भीम (BHIM) ऐप उपयोग करने वालों के लिये यह एप U.P.I. सक्षम बैंक खाते से किसी को धन अंतरण करना संभव बनाता है। 
  2. जहाँ एक चिप-पिन डेबिट कार्ड में प्रमाणीकरण के चार घटक होते हैं, BHIM एप में प्रमाणीकरण के सिर्फ दो घटक होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों  
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (a) 


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन 'एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI)' को लागू करने का सबसे संभावित परिणाम है? (2017)

(a) ऑनलाइन भुगतान के लिये मोबाइल वॉलेट की आवश्यकता नहीं होगी।
(b) लगभग दो दशकों में पूरी तरह से भौतिक मुद्रा का स्थान डिजिटल मुद्रा ले लेगी।
(c) FDI के अंतर्वाह में भारी वृद्धि होगी।
(d) निर्धन व्यक्तियों को उपदानों (सब्सिडीज़) का प्रत्यक्ष अंतरण बहुत प्रभावकारी हो जाएगा।

उत्तर: (a)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) देश में वित्तीय समावेशन के संवर्द्धन में सहायता करता है। 
  2. NPCI ने एक कार्ड भुगतान स्कीम RuPay प्रारंभ की है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)

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