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भारतीय अर्थव्यवस्था

भुगतान एग्रीगेटर्स के विनियमन संबंधी दिशा-निर्देश

  • 18 Mar 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक

मेन्स के लिये:

भुगतान एग्रीगेटर्स के विनियमन से संबंधित दिशा-निर्देश

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने भुगतान एग्रीगेटर्स और भुगतान गेटवे को विनियमित करने हेतु दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

मुख्य बिंदु:

  • 17 सितंबर, 2019 को RBI ने पहली बार इन संस्थाओं को विनियमित करने के प्रस्ताव संबंधी चर्चा पत्र जारी किया था।
  • सितंबर में जारी किये गए इस चर्चा पत्र में भुगतान एग्रीगेटर्स के विनियमन हेतु निम्नलिखित सुझाव दिये गए थे।
    • कोई विनियमन नहीं
    • कम विनियमन
    • पूर्ण विनियमन

भुगतान एग्रीगेटर्स:

(Payment Aggregators):

भुगतान एग्रीगेटर्स उन कंपनियों को कहते हैं, जो विभिन्न ई-कॉमर्स वेबसाइट्स या कंपनियों को ग्राहकों की तरफ से भुगतान स्वीकार करने के अलग-अलग प्लेटफॉर्म मुहैया कराते हैं।

  • अंतिम दिशा-निर्देशों में तीसरे विकल्प का समर्थन किया गया है।

क्या हैं दिशा-निर्देश?

  • नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, एक भुगतान एग्रीगेटर (ई-कॉमर्स साइटों और व्यापारियों को विभिन्न भुगतान उपकरणों को स्वीकार करने की सुविधा प्रदान करने वाली संस्थाएँ) कंपनी अधिनियम,1956/2013 के तहत भारत में निगमित कंपनी होनी चाहिये।
  • भुगतान एग्रीगेट सेवाओं की पेशकश करने वाली गैर-बैंकिंग संस्थाओं को एग्रीगेटर संबंधी प्राधिकार प्राप्त करने के लिये 30 जून, 2021 या उससे पहले लिये आवेदन करना होगा।
  • दिशा-निर्देशों के अनुसार, ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस संस्थाओं को भुगतान एग्रीगेटर की सेवाएँ प्रदान करने के लिये मार्केटप्लेस व्यवसाय से अलग होना होगा और उन्हें 30 जून, 2021 को या उससे पहले भुगतान एग्रीगेटर संबंधी प्राधिकारों हेतु आवेदन करना होगा।
  • इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं- फोन-पे, फ्लिपकार्ट और पेटीएम इनके भुगतान एग्रीगेटर व्यवसाय पहले से ही बाज़ार के मॉडल से अलग हैं।
  • इन दिशा-निर्देशों में एग्रीगेटर्स के लिये वित्तीय आवश्यकताओं को भी निर्दिष्ट किया है- भुगतान एग्रीगेटर्स संबंधी प्राधिकार प्राप्त करने के लिये संबंधित संस्था के पास 31 मार्च, 2021 तक ₹15 करोड़ की कुल संपत्ति और तीसरे वित्त वर्ष के अंत (31 मार्च 2023) तक ₹25 करोड़ की कुल संपत्ति होनी चाहिये।
  • इसके बाद इस संस्था को हर समय कम-से-कम ₹ 25 करोड़ का शुद्ध मूल्य बनाए रखना होगा।
  • नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, भुगतान गेटवे को प्रौद्योगिकी प्रदाता या बैंकों या गैर-बैंकों के आउटसोर्सिंग भागीदारों के रूप में माना जाएगा।

लाभ:

  • भुगतान और निपटान प्रणाली की निगरानी करना केंद्रीय बैंक का कार्य है जिसके द्वारा मौजूदा और नियोजित प्रणालियों की निगरानी के माध्यम से सुरक्षा और दक्षता के उद्देश्यों को बढ़ावा दिया जाता है। साथ ही इन उद्देश्यों के संबंध में इनका आकलन किया जाता है और जहाँ कहीं आवश्यक होता है वहाँ परिवर्तन किया जाता है। भुगतान और निपटान प्रणाली की देखरेख के माध्यम से केंद्रीय बैंक प्रणालीगत स्थिरता बनाए रखने और प्रणालीगत जोखिम को कम करने, भुगतान एवं निपटान प्रणाली में जनता के विश्वास को बनाए रखने में मदद करता है।

स्रोत- बिज़नेस स्टैंडर्ड

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