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भारतीय अर्थव्यवस्था

भुगतान एग्रीगेटर्स

  • 18 Feb 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक, भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007, पेमेंट गेटवे।

मेन्स के लिये:

भुगतान एग्रीगेटर्स।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (PSS अधिनियम) के तहत 32 फर्मों को ऑनलाइन भुगतान एग्रीगेटर्स के रूप में काम करने के लिये सैद्धांतिक मंज़ूरी प्रदान की है।

  • PSS अधिनियम, 2007 भारत में भुगतान प्रणालियों के विनियमन और पर्यवेक्षण का प्रावधान करता है और RBI को उस उद्देश्य तथा सभी संबंधित मामलों के लिये प्राधिकरण के रूप में नामित करता है।

टिप्पणी:  

  • सैद्धांतिक रूप से अनुमोदन का अर्थ है कि कुछ शर्तों या मान्यताओं के आधार पर अनुमोदन प्रदान किया गया है, किंतु अंतिम अनुमोदन देने से पहले अतिरिक्त जानकारी या चरणों की आवश्यकता हो सकती है। 

भुगतान एग्रीगेटर्स: 

  • परिचय: 
  • कार्य:  
    • वे आम तौर पर ग्राहकों को क्रेडिट और डेबिट कार्ड, बैंक हस्तांतरण और ई-वॉलेट सहित कई प्रकार के भुगतान हेतु विकल्प प्रदान करते हैं।
    • यह सुनिश्चित करते हुए कि लेन-देन सुरक्षित और विश्वसनीय हैं, भुगतान एग्रीगेटर भुगतान हेतु जानकारी एकत्र और संसाधित करते हैं। 
    • भुगतान एग्रीगेटर का उपयोग कर व्यवसाय अपने स्वयं के भुगतान प्रसंस्करण सिस्टम को स्थापित करने और प्रबंधित करने की आवश्यकता से बच सकते हैं, जो की जटिल और महंगा हो सकता है।
      • भुगतान एग्रीगेटर्स के कुछ उदाहरणों में PayPal, स्ट्राइप, स्क्वायर और अमेज़न पे शामिल हैं। 
  • प्रमुख विशेषताएँ: 
    • बहु भुगतान विकल्प: भुगतान एग्रीगेटर ग्राहकों को कई प्रकार के भुगतान विकल्प प्रदान करते हैं, जिससे उनके लिये वस्तुओं और सेवाओं हेतु भुगतान करना आसान हो जाता है।
    • सुरक्षित भुगतान प्रसंस्करण: भुगतान एग्रीगेटर यह सुनिश्चित करने हेतु उन्नत सुरक्षा उपायों का उपयोग करते हैं कि लेनदेन सुरक्षित है।
    • धोखाधड़ी नियंत्रण और रोकथाम: भुगतान एग्रीगेटर धोखाधड़ी का पता लगाने और उसे रोकने हेतु एल्गोरिदम तथा मशीन लर्निंग का उपयोग करते हैं, साथ ही चार्जबैक एवं अन्य भुगतान विवादों के जोखिम को कम करते हैं।
    • भुगतान ट्रैकिंग और रिपोर्टिंग: भुगतान एग्रीगेटर भुगतान लेनदेन पर विस्तृत रिपोर्ट प्रदान करते हैं, जिससे व्यवसायों हेतु अपने वित्त का प्रबंधन करना और अपने खातों का मिलान करना आसान हो जाता है।
    • अन्य प्रणालियों के साथ एकीकरण: भुगतान एग्रीगेटर भुगतान प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और व्यवसाय संचालन को आसान बनाने हेतु लेखांकन सॉफ्टवेयर तथा वस्तुसूची/इन्वेंट्री प्रबंधन प्रणालियों जैसी अन्य प्रणालियों की एक शृंखला के साथ एकीकृत कर सकते हैं।
  • प्रकार: 
    • बैंक भुगतान एग्रीगेटर: 
      • इसकी उच्च सेटअप लागत है साथ ही इनको एकीकृत करना मुश्किल होता है।
      • उनके पास विस्तृत रिपोर्टिंग सुविधाओं के साथ कई लोकप्रिय भुगतान विकल्पों का अभाव है। उच्च लागत के कारण बैंक भुगतान एग्रीगेटर छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स हेतु उपयुक्त नहीं हैं।
      • उदाहरण; Razorpay और CCAvenue।
    • तृतीय-पक्ष भुगतान एग्रीगेटर: 
      • तृतीय-पक्ष भुगतान एग्रीगेटर व्यवसायों हेतु अभिनव भुगतान समाधान प्रदान करते हैं और इन दिनों अधिक लोकप्रिय हो गए हैं।
      • उनकी उपयोगकर्त्ता-अनुकूल सुविधाओं में एक विस्तृत डैशबोर्ड, आसान मर्चेंट ऑनबोर्डिंग और त्वरित ग्राहक सहायता शामिल हैं।
      • उदाहरण.; पे पल, स्ट्राइप और गूगल पे।
  • भुगतान एग्रीगेटर्स के रूप में एक इकाई को मंज़ूरी देने के लिये आरबीआई का मानदंड:
    • भुगतान एग्रीगेटर ढाँचे के तहत, केवल भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित कंपनियाँ ही व्यापारियों को भुगतान सेवाओं का अधिग्रहण और पेशकश कर सकती हैं।
    • एग्रीगेटर प्राधिकरण के लिये आवेदन करने वाली कंपनी के पास आवेदन के पहले वर्ष में न्यूनतम नेटवर्थ 15 करोड़ रुपए और दूसरे वर्ष तक कम से कम 25 करोड़ रुपए होना चाहिये।
    • इसे वैश्विक भुगतान सुरक्षा मानकों के अनुरूप भी होना आवश्यक है।

भुगतान एग्रीगेटर और भुगतान गेटवे में अंतर: 

  • भुगतान गेटवे एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है जो एक ऑनलाइन स्टोर अथवा व्यापारियों को भुगतान प्रोसेसर से जोड़ता है, जिससे व्यापारी को ग्राहक से भुगतान स्वीकार करने की अनुमति प्राप्त होती है।
    • दूसरी ओर, भुगतान एग्रीगेटर, मध्यस्थ हैं जो कई व्यापारियों को अलग-अलग भुगतान प्रोसेसर से जोड़ने के लिये एक मंच प्रदान करते हैं।
  • भुगतान एग्रीगेटर और भुगतान गेटवे के बीच मुख्य अंतर यह है कि भुगतान एग्रीगेटर वित्त/निधि का प्रबंधन करता है जबकि भुगतान गेटवे प्रौद्योगिकी प्रदान करता है।
  • हालाँकि भुगतान एग्रीगेटर द्वारा भुगतान गेटवे प्रदान किया जा सकता है, लेकिन भुगतान गेटवे ऐसा नहीं कर सकते हैं।

फिनटेक फर्मों को विनियमित करने हेतु RBI की अन्य पहलें:

  • RBI का फिनटेक रेगुलेटरी सैंडबॉक्स:
    • फिनटेक उत्पादों के परीक्षण के लिये एक नियंत्रित नियामक वातावरण बनाने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ वर्ष 2018 में स्थापित किया गया था। 
  • भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों को लाइसेंस:
    • यह पहल भारत में लगातार बढ़ते भुगतान परिदृश्य की जाँच करने के लिये लाई गई थी।
  • डिजिटल ऋण मानदंड:
    • उधार सेवा प्रदाताओं (LSP) के पास-थ्रू के बिना सभी डिजिटल ऋणों को केवल विनियमित संस्थाओं के बैंक खातों के माध्यम से वितरित और चुकाया जाना चाहिये। 
  •  RBI's भुगतान विज़न 2025:
    • किसी भी समय और कहीं भी सुविधा के साथ सुलभ भुगतान विकल्पों के साथ उपयोगकर्त्ताओं  को सशक्त बनाने के क्षेत्र में भुगतान प्रणाली को उन्नत करने में सहायक। 
    • यह भुगतान विज़न 2019-21 की पहल पर आधारित है। 
  • RBI’s की आगामी श्वेत-सूची:
    • डिजिटल ऋण देने वाले पारिस्थितिकी तंत्र में बढ़ती गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने के लिये  RBI ने डिजिटल ऋण देने वाले ऐप्स (स्वीकृत ऋणदाताओं की सूची) की एक "श्वेत-सूची" तैयार की है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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