भारतीय अर्थव्यवस्था
भुगतान विज़न 2025: आरबीआई
- 23 Jun 2022
- 11 min read
प्रीलिम्स के लिये:भुगतान विज़न 2025, विज़न दस्तावेज 2019-21 की उपलब्धियांँ, आरबीआई। मेन्स के लिये:भुगतान विज़न 2025 के उद्देश्य और महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) द्वारा प्रत्येक उपयोगकर्त्ता को सुरक्षित, तीव्र, सुविधाजनक, सुलभ और किफायती ई-भुगतान विकल्प प्रदान करने के उद्देश्य से "भुगतान विज़न 2025" (Payment Vision 2025) प्रस्तुत किया गया है।
प्रमुख बिंदु
भुगतान विज़न 2025:
- भुगतान विज़न 2025 के बारे में:
- भुगतान विज़न 2025 को आरबीआई के भुगतान और निपटान प्रणाली के विनियमन और पर्यवेक्षण के लिये बोर्ड के मार्गदर्शन से तैयार किया गया है।
- यह भुगतान विज़न 2019-21 की पहल पर आधारित है।
- भुगतान विज़न 2025 दस्तावेज़ को समग्रता, समावेश, नवाचार, संस्थागतकरण और अंतर्राष्ट्रीयकरण के पांँच प्रमुख लक्ष्य पदों पर प्रस्तुत किया गया है।
- थीम: ई-पेमेंट्स फॉर एवरीवन, एवरीवेयर, एवरीटाइम (4E)।
- उद्देश्य:
- किसी भी समय और कहीं भी सुविधा के साथ सुलभ भुगतान विकल्पों के साथ उपयोगकर्त्ताओं को सशक्त बनाने के क्षेत्र में भुगतान प्रणाली को उन्नत करने में सहायक।
- क्लोज्ड सिस्टम PPIs सहित प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (Prepaid Payment Instruments- PPIs) के लिये डिजिटल भुगतान अवसंरचना तथा लेन-देन और पुनरीक्षण दिशा-निर्देशों की जियोटैगिंग को सक्षम करने के लिये।
- भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में सभी महत्त्वपूर्ण बिचौलियों को विनियमित करना तथा क्रेडिट कार्ड और बैंकिंग उत्पादों के क्रेडिट घटकों को यूपीआई से जोड़ना।
- एक राष्ट्र एक ग्रिड समाशोधन और निपटान परिप्रेक्ष्य सहित चेक ट्रंगकेशन सिस्टम (Cheque Truncation System-CTS) में वृद्धि लाने के लिये तथा इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग का उपयोग कर ऑनलाइन व्यापारी भुगतान को संसाधित करने हेतु एक भुगतान प्रणाली निर्मित करना।
- भुगतान क्षेत्र में बिगटेक (BigTechs) और फिनटेक (FinTechs) का विनियमन।
- बुक नाउ पे लेटर (Book Now Pay Later- BNPL) विधियों की जांँच और BNPL से जुड़े भुगतानों पर उचित दिशा-निर्देशों को निर्धारित करना।
- प्राप्त करने हेतु निर्धारित लक्ष्य:
- चेक-आधारित भुगतानों की मात्रा कुल खुदरा भुगतान के 0.25% से कम होनी चाहिये।
- डिजिटल भुगतान लेन-देन की संख्या को तीन गुना करना।
- UPI 50% की औसत वार्षिक वृद्धि और IMPS/NEFT 20% की वृद्धि दर्ज़ करे।
- भुगतान लेन-देन टर्नओवर को सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में बढ़ाकर 8% करना।
- PoS (प्वाइंट ऑफ सेल) पर डेबिट कार्ड लेनदेन में 20% की वृद्धि।
- मूल्य के संदर्भ में क्रेडिट कार्ड से आगे निकलने के लिये डेबिट कार्ड का उपयोग।
- PPI लेनदेन में 150% की वृद्धि।
- कार्ड स्वीकार करने का बुनियादी ढांँचा 250 लाख तक बढ़ाया जाएगा।
- मोबाइल आधारित लेनदेन के लिये पंजीकृत ग्राहक आधार में 50% CAGR की वृद्धि।
- GDP के प्रतिशत के रूप में कैश इन सर्कुलेशन (CIC ) में कमी।
पहल का महत्त्व:
- भारत के भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देना:
- भारतीय रिज़र्व बैंक का भुगतान विज़न 2025 भारत के भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देने, सुरक्षित, अधिक सुरक्षित और निर्बाध भुगतान बुनियादी ढांँचे को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण होगा।
- सभी भुगतान अभिकर्ता हेतु मानदंड:
- यह दस्तावेज़ सभी भुगतान अभिकर्ता, फिनटेक और अन्य हितधारकों के लिये एक मानदंड के रूप में कार्य करेगा, जिससे उन्हें RBI के समग्र उद्देश्यों के साथ संरेखित करके अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।
- वैश्विक पहुँच:
- UPI जैसी पहलों के माध्यम से RBI ने भारत में भुगतान का लोकतांत्रिकरण किया है। वर्ष 2025 के दृष्टिकोण के साथ भुगतान 'हर कोई, हर जगह, हर समय' के लिये उपलब्ध होगा, जिससे भारतीय भुगतान प्रणालियों को वैश्विक पहुंँच मिलेगी, जिससे वे सुरक्षित, मज़बूत, तेज़, सुविधाजनक और सस्ती हो जाएंँगी।
भुगतान विज़न 2019-21 की उपलब्धियांँ:
- भुगतान विज़न 2021 ने प्रत्येक भारतीय को ई-भुगतान विकल्पों तक पहुंँच के साथ सशक्त बनाने की परिकल्पना की थी जो सुरक्षित, मज़बूत, सुविधाजनक, त्वरित और किफायती है, साथ ही प्रतिस्पर्धा, लागत, सुविधा और आत्मविश्वास के चार लक्ष्य निर्धारित किये थे।
- इन लक्ष्यों को निम्नलिखित पहलों के माध्यम से पूरा किया गया है:
- प्रतिस्पर्द्धा:
- नियामक सैंडबॉक्स का निर्माण, गैर-बैंक PSO के लिये केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली (CPS) की पहुंँच, ऑफलाइन मोड में कम मूल्य के डिजिटल भुगतान की सुविधा, भुगतान प्रणालियों के लिये 'ऑन टैप' प्राधिकरण, घरेलू भुगतान प्रणालियों का अंतर्राष्ट्रीयकरण, फीचर फोन-आधारित भुगतान सेवाओं, भुगतान प्रणालियों के लिये स्व-नियामक संगठन के लिये ढांँचा, आदि।
- लागत:
- रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) सिस्टम आदि में संसाधित लेनदेन के लिये RBI द्वारा लगाए गए शुल्क में छूट।
- सुविधा:
- 24x7x365 आधार पर NEFT, RTGS और नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH) की उपलब्धता, असफल लेनदेन के संबंध में समाधान और मुआवजे के लिये टर्न-अराउंड-टाइम (TAT) का सामंजस्य आदि।
- आत्मविश्वास:
- भुगतान एग्रीगेटर्स (PA) को विनियमित करने के लिये ढाँचा, आवर्ती लेनदेन के लिये ई-जनादेश, कार्ड लेनदेन का टोकनाइज़ेशन और कार्ड-ऑन-फाइल टोकनाइज़ेशन (COFT) आदि।
- प्रतिस्पर्द्धा:
विगत वर्षों के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: ‘भुगतान प्रणाली आँकड़ों के भंडारण (स्टोरेज ऑफ पेमेंट सिस्टम डेटा)’ के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के हाल का निदेश, जिसे प्रचलित रूप से डेटा डिक्टेट के रूप में जाना जाता है, भुगतान प्रणाली प्रदाताओं (पेमेंट सिस्टम प्रोवाइडर्स) को समादेशित करता है कि
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a)
|