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प्रश्न :
जेट स्ट्रीम से आप क्या समझते हैं? इसके विभिन्न प्रकारों पर प्रकाश डालते हुए इसकी विशेषताएँ बताएँ। यह धरातलीय मौसम को किस प्रकार प्रभावित करता है? चर्चा करें।
06 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- जेट स्ट्रीम को परिभाषित करते हुए इनके विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट करें।
- इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए बताएँ कि यह मौसम को किस प्रकार प्रभावित करता है।
क्षोभमंडल की ऊपरी सीमा तथा समतापमंडल की निचली सीमा में तेजी से विसर्पण करने वाले वायु जो सामान्यतः पश्चिम से पूर्व की ओर चलती है, जेट स्ट्रीम कहलाती है।इसकी उत्पत्ति का संबंध भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर उत्पन्न होने वाली ताप प्रवणता, ध्रुवों पर उत्पन्न उच्च दाब तथा इसके ऊपर उत्पन्न निम्न दाब के कारण जनित परिध्रुवीय भंवर से है। वायुमंडल की ऊपरी भाग में बनने वाले निम्न वायुदाब के चारों ओर हवाएँ भँवर के रूप में प्रवाहित होने लगती है और जेट स्ट्रीम का निर्माण करती हैं।
जेट स्ट्रीम के प्रकार:
- ध्रुवीय राशि रात्रि जेट स्ट्रीम-इनका प्रभाव समतापमंडल में होता है।
- ध्रुवीय वाताग्र जेट स्ट्रीम-इनका विस्तार 45 डिग्री से 65 डिग्री अक्षांशों के बीच होता है।
- उपोष्णकटिबंधीय पछुआ जेट स्ट्रीम-इनका विस्तार 20 डिग्री से 40 डिग्री अक्षांशों के बीच होता है। यह भारतीय मानसून को प्रभावित करते हैं।
- उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट स्ट्रीम- यह एक अस्थाई जेट स्ट्रीम है जो ग्रीष्म काल में दक्षिण एशिया के ऊपर बहती है। भारत में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के उद्भव में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
जेट स्ट्रीम की विशेषताएँ-
- जेट स्ट्रीम का संचरण ऊपरी क्षोभमंडल में 7.5 से 14 किलोमीटर की ऊँचाई पर एक संकरी पट्टी के रूप में पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर होता है।
- ये त्रिकोणीय पवने होती हैं, जिनकी लंबाई कई हजार किलोमीटर, चौड़ाई सैकड़ों किलोमीटर तथा गहराई कुछ किलोमीटर तक होती है।
- इनका विकास 20 डिग्री अक्षांश से ध्रुवों तक होता है।
- जेट स्ट्रीम मौसम में परिवर्तन से प्रभावित होते हैं। शीतकाल में इनका वेग तथा विस्तार अपेक्षाकृत अधिक होता है।
- ग्रीष्मकाल में उत्तर की ओर खिसकने से इनके विस्तार में कमी आ जाती है।
जेट स्ट्रीम मौसम को निम्नलिखित रूपों में प्रभावित करते हैं-
- ध्रुवीय जेट स्ट्रीम शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति में सहायक होते हैं।
- जेट स्ट्रीम के कारण क्षोभमंडल में वायु का अपसरण तथा अभिसरण होने से वायुमंडल में चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात की उत्पत्ति होती है।
- जेट स्ट्रीम के कारण वायु का लंबवत संचार दोनों दिशाओं में होता है। चक्रवात के समय हवा ऊपर होती है और प्रतिचक्रवात के समय हवा नीचे आती है। इससे ध्रुवीय राशि रात्रि जेट स्ट्रीम के कारण क्षोभमंडल और समतापमंडल के बीच वायु का प्रवाह होता है और मानव जनित प्रदूषण समतापमंडल में पहुँच कर ओजोन को नुकसान पहूँचाते हैं।
- जेट स्ट्रीम दक्षिण-पश्चिम मानसून की उत्पत्ति में भी सहायक है। इस प्रकार ये बाढ़ एवं सूखे के द्वारा भी मौसम को प्रभावित करते हैं।
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