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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 26 Oct, 2023
  • 32 min read
प्रारंभिक परीक्षा

डेंगू

स्रोत: डाउन टू अर्थ

हाल ही में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे कुछ राज्यों में डेंगू के मामलों में काफी वृद्धि हुई है।

डेंगू:

  • परिचय:
    • डेंगू एक स्व-सीमित ज्वर संबंधी बीमारी है जिसके लक्षण हल्के से लेकर अत्यधिक गंभीर हो सकते हैं।
    • डेंगू एक मच्छर जनित उष्णकटिबंधीय बीमारी है जो डेंगू वायरस (जीनस फ्लेवीवायरस) के कारण होती है, इसका प्रसार मच्छरों की कई जीनस एडीज़ (Genus Aedes) प्रजातियों, मुख्य रूप से एडीज़ इजिप्टी (Aedes Aegypti) द्वारा होता है। 
  • डेंगू के सीरोटाइप:
    • डेंगू को उत्पन्न करने वाले चार अलग-अलग परंतु आपस में संबंधित सीरोटाइप (सूक्ष्मजीवों की एक प्रजाति के भीतर अलग-अलग समूह जिनमें एक समान विशेषता पाई जाती है) DEN-1, DEN-2, DEN-3 और DEN-4 हैं।
  • लक्षण:
    • अचानक तेज़ बुखार, तेज़ सिर दर्द, आंँखों में दर्द, हड्डी, जोड़ और मांसपेशियों में तेज़ दर्द आदि। 
  • डेंगू की वैक्सीन:
    • वर्ष 2019 में US फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (US Food & Drug Administration) द्वारा डेंगू की वैक्सीन CYD-TDV या डेंगवैक्सिया (CYD-TDV or Dengvaxia) अनुमोदित की गई थी, जो अमेरिका में नियामक मंज़ूरी पाने वाली डेंगू की पहली वैक्सीन थी। 
      • डेंगवैक्सिया मूल रूप से एक जीवित और दुर्बल डेंगू वायरस है जिसकी खुराक 9 से 16 वर्ष की आयु वर्ग के उन लोगों को दी जाती है जिनमें पूर्व में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है  तथा जो संक्रमित क्षेत्रों में रहते हैं। 
    • भारत के नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंस के शोधकर्ताओं ने भारत, अफ्रीका एवं अमेरिका के नौ अन्य संस्थानों के सहयोग से डेंगू बुखार के लिये भारत का पहला और एकमात्र DNA वैक्सीन विकसित किया है।
      • चूहों पर प्रारंभिक परीक्षणों के दौरान इस उम्मीदवार वैक्सीन ने एक मज़बूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न की और बीमारी के संपर्क में आने के बाद जीवित रहने की दर में सुधार हुआ।

DNA वैक्सीन:

  • DNA वैक्सीन एक प्रकार का वैक्सीन है जो DNA के एक सूक्ष्म भाग का उपयोग करती है जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्तेजित करने के लिये वायरस या जीवाणु जैसे रोगजनक से एक विशिष्ट एंटीजन (एक अणु जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करता है) के लिये कोड करता है।
  • DNA को सीधे शरीर की कोशिकाओं में इंजेक्ट किया जाता है, जहाँ यह कोशिकाओं को एंटीजन का उत्पादन करने का निर्देश देता है।
    • तब प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीजन को विदेशी के रूप में पहचानती है और इसके खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करती है, जो रोगजनक के प्रति प्रतिरक्षा विकसित करने में सहायता करती है।
  • DNA वैक्सीन तीसरी पीढ़ी की वैक्सीन हैं।
  • ZyCoV-D दुनिया की पहली और भारत की स्वदेशी तौर पर विकसित DNA आधारित कोविड-19 की वैक्सीन है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में ज़ीका वायरस रोग उसी मच्छर द्वारा संचरित होता है जिससे डेंगू संचरित होता है।
  2. ज़ीका वायरस रोग का लैंगिक संचरण होना संभव है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो 1 तथा न ही 2

उत्तर: (c)


प्रारंभिक परीक्षा

DNA और फेस मैचिंग सिस्टम

स्रोत: द हिंदू

आपराधिक प्रक्रिया पहचान अधिनियम (CrPI), 2022 एक वर्ष से अधिक समय पहले संसद द्वारा पारित किया गया था, हालाँकि अधिनियम के प्रावधान अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं हुए हैं, केंद्र देश भर के 1,300 पुलिस स्टेशनों पर "DNA और फेस मैचिंग" उपकरण स्थापित करने की तैयारी कर रहा है।

CrPI अधिनियम, 2022 के तहत 'DNA और फेस मैचिंग सिस्टम':

  • अधिनियम और नियमों का परिचय:
    • वर्ष 2022 में भारतीय संसद ने CrPI अधिनियम पारित किया जो पुलिस और केंद्रीय जाँच एजेंसियों को गिरफ्तार व्यक्तियों के भौतिक एवं जैविक नमूनों को इकट्ठा करने, उन्हें संगृहीत करने तथा विश्लेषण करने का अधिकार देता है, जिसमें रेटिना व आईरिस स्कैन भी शामिल हैं।
    • इस विधायी कदम का उद्देश्य कानून प्रवर्तन क्षमताओं को बढ़ाना और आपराधिक पहचान तथा डेटा प्रबंधन में एक नए युग की शुरुआत करना है।
  • अधिनियम और नियमों का कार्यान्वयन:
    • अधिनियम को लागू करने और माप संग्रह प्रक्रिया के लिये मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) स्थापित करने की ज़िम्मेदारी एक केंद्रीय संगठन राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) को सौंपी गई थी।
    • NCRB ने इन मापों को रिकॉर्ड करने के लिये उचित प्रोटोकॉल पर पुलिस अधिकारियों का मार्गदर्शन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • कार्यान्वयन के लिये उपायों और समितियों का विस्तार:
    • अधिनियम और नियमों में सीधे तौर पर DNA नमूना संग्रह एवं फेस मैचिंग प्रक्रियाओं का उल्लेख नहीं था, लेकिन NCRB ने राज्य पुलिस अधिकारियों के साथ चर्चा में इन उपायों को लागू करने की योजना पर सहमती व्यक्त की गई।
    • इसके अतिरिक्त, गृह मंत्रालय ने DNA डेटा रिकॉर्ड करने के लिये राज्य पुलिस और केंद्रीय कानून प्रवर्तन प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक डोमेन समिति का गठन किया।
  • अधिनियम से जुड़ी चुनौतियाँ और विवाद:
    • आलोचकों ने इस कानून को "असंवैधानिक" और गोपनीयता पर अतिक्रमण बताया।
    • विवाद के अतिरिक्त व्यावहारिक चुनौतियाँ भी सामने आईं, जिनमें विभिन्न राज्यों में प्रशिक्षण और संसाधनों की आवश्यकता के साथ-साथ फंडिंग एवं परिचालन लागत पर चिंताएँ भी शामिल थीं। 
      • इसके अलावा NCRB ने एकत्रित डेटा के दुरुपयोग को रोकने के लिये मज़बूत सुरक्षा उपायों के साथ-साथ तकनीकी, कानूनी और फोरेंसिक उपयोग के लिये बेहतर उपकरणों एवं प्रणालियों के महत्त्व पर ज़ोर दिया। यह संदर्भ अधिनियम और उससे जुड़े नियमों की जटिलता एवं महत्त्व को रेखांकित करता है।

DNA और फेस मैचिंग सिस्टम तकनीक: 

  • फेस मैचिंग सिस्टम:
    • फेस मैचिंग सिस्टम एक एल्गोरिदम-आधारित तकनीक है जो किसी व्यक्ति के चेहरे की विशेषताओं को पहचानकर तथा मैपिंग करके चेहरे का एक डिजिटल मानचित्र बनाता है, जिसे बाद में उस डेटाबेस से मिलान किया जाता है जिस तक उसकी पहुँच होती है।
    • ऑटोमेटेड फैसियल रिकग्निशन सिस्टम (AFRS) में व्यक्ति के मिलान तथा पहचान के लिये बड़े डेटाबेस (जिसमें लोगों के चेहरों की तस्वीरें व वीडियो होते हैं) का उपयोग किया जाता है।
    • सी.सी.टी.वी. फुटेज से ली गई एक अज्ञात व्यक्ति के चेहरे के पैटर्न की तुलना मिलान के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक का उपयोग करके मौजूदा डेटाबेस से की जाती है।

  • DNA फेस मैचिंग सिस्टम: 
    • DNA मैचिंग सिस्टम, जिसे DNA प्रोफाइलिंग अथवा DNA फिंगरप्रिंटिंग के रूप में भी जाना जाता है, ऐसी तकनीकें हैं जिनका उपयोग व्यक्तियों की अनोखी आनुवंशिक विशेषताओं के आधार पर तुलना तथा पहचान करने के लिये किया जाता है।
    • ये प्रणालियाँ प्रत्येक व्यक्ति के लिये एक अनोखी आनुवंशिक प्रोफाइल तैयार करने के लिये किसी व्यक्ति के DNA के विशिष्ट पहलुओं का विश्लेषण करती हैं, जो लोगों के बीच अत्यधिक परिवर्तनशील होते हैं।
    • DNA मैचिंग का उपयोग आमतौर पर आपराधिक जाँच में संदिग्धों को अपराध स्थल अथवा पीड़ितों से जोड़ने के लिये किया जाता है। अपराध स्थल पर पाए गए DNA साक्ष्य, जैसे रक्त, बाल अथवा शारीरिक तरल पदार्थ की तुलना संभावित संदिग्धों के DNA प्रोफाइल से की जा सकती है

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. पहचान प्लेटफॉर्म 'आधार' खुला (ओपेन) "एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस” (ए.पी.आई.) उपलब्ध कराता है। इसका क्या अभिप्राय है?(2018)

  1. इसे किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के साथ एकीकृत किया जा सकता है।
  2. परितारिका (आईरिस) का प्रयोग कर ऑनलाइन प्रमाणीकरण संभव है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)


प्रश्न. किसी व्यक्ति की जीवमितीय पहचान हेतु, अंगुली-छाप क्रमवीक्षण के अलावा निम्नलिखित में से कौन-सा/से प्रयोग में लाया जा सकता है/लाए जा सकते हैं? (2014)

  1. परितारिका क्रमवीक्षण
  2. दृष्टिपटल क्रमवीक्षण
  3. वाक् अभिज्ञान   

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रारंभिक परीक्षा

नया मेड-इन-इंडिया EV चार्जिंग मानक

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने स्कूटर, बाइक और रिक्शा सहित लाइट इलेक्ट्रिक वाहनों (LEV) के लिये एक अभूतपूर्व चार्जिंग कनेक्टर मानक को मंज़ूरी दे दी है।

भारत का नया EV चार्जिंग मानक:

  • परिचय:
    • ISI7017 (भाग 2/धारा 7): 2023 में नामित यह मानक नीति आयोग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, एथर एनर्जी (एक निजी फर्म) एवं अन्य हितधारकों के बीच सहयोग का परिणाम है।
  • भारत के नए EV चार्जिंग मानक की अनूठी विशेषताएँ:
    • भारत के नए EV चार्जिंग मानक की उल्लेखनीय विशेषता LEV के लिये प्रत्यावर्ती धारा (AC) और प्रत्यक्ष धारा (DC) चार्जिंग को संयोजित करने की क्षमता है।
    • यह दृष्टिकोण, इलेक्ट्रिक कारों के लिये विश्व स्तर पर स्थापित मानकों के समान, विभिन्न EV मॉडल और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाताओं के बीच अंतरसंचालनीयता तथा अनुकूलता को बढ़ाता है
  • विविध चार्जिंग मानकों के परिणाम:
    • कुछ अन्य देशों के विपरीत भारत के EV निर्माता किसी विशिष्ट चार्जिंग मानक का पालन करने के लिये बाध्य नहीं हैं। इसके परिणामस्वरूप विभिन्न कंपनियों के EV के लिये अलग-अलग चार्जिंग मानक देखने को मिलते हैं, जो एप्पल और एंड्रॉइड स्मार्टफोन की विगत विशिष्ट चार्जिंग मानक स्थिति के समान है।
      • उदाहरण हेतु, ओला इलेक्ट्रिक, एथर एनर्जी तथा अल्ट्रावायलेट ऑटोमोटिव द्वारा अपने EV के लिये अलग-अलग चार्जिंग मानकों का उपयोग किया जाता है।

समग्र विश्व में चार्जिंग संबंधी विभिन्न मानक:

  • चीन:
    • चीन EV चार्जिंग कनेक्टर के लिये एक राष्ट्रीय मानक का उपयोग करता है जिसे GB/T कहा जाता है, जो चार्जिंग स्टेशनों के वृहत्त नेटवर्क के साथ दूरी की समस्या का प्रभावी ढंग से समाधान करता है।
  • संयुक्त राज्य:
    • हालाँकि अभी तक कोई राष्ट्रीय मानक नहीं है, फोर्ड तथा जनरल मोटर्स जैसे EV निर्माताओं के बीच सहयोग का उद्देश्य सामान्य मानक स्थापित करना है।
  • यूरोप:
    • कंबाइंड चार्जिंग सिस्टम (CCS) मानक यूरोप में व्यापक रूप से उपयोग में लाया जाता है, जो यूरोपीय संघ द्वारा समर्थित है, यह एकरूपता को बढ़ावा देता है।
  • जापान:
    • जापान द्वारा EV चार्जिंग हेतु CHAdeMO मानक का उपयोग किया जाता है, हालाँकि एक सामान्य मानक स्थापित करने हेतु उत्तरी अमेरिका में इसे चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जा रहा है

EV अपनाने को बढ़ावा देने हेतु कुछ सरकारी पहल:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC की बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. समझौते पर संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किये थे और यह 2017 में प्रभावी होगा।
  2. समझौते का उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करना है ताकि इस सदी के अंत तक औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस या 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो।
  3. विकसित देशों ने ग्लोबल वार्मिंग में अपनी ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी को स्वीकार किया और वे विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिये वर्ष 2020 से प्रतिवर्ष $1000 बिलियन दान करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. भारत में तीव्र आर्थिक विकास के लिये कुशल और किफायती शहरी जन परिवहन किस प्रकार महत्त्वपूर्ण है? (2019)


प्रारंभिक परीक्षा

एवियन इन्फ्लूएंज़ा

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

एक हालिया अध्ययन ने अत्यधिक रोगजनक एवियन H5 इन्फ्लूएंज़ा वायरस की पारिस्थितिकी और विकास में महत्त्वपूर्ण बदलावों पर प्रकाश डाला है, जिससे उनके वैश्विक वितरण में बदलाव की जानकारी मिली है।

  • ये वायरस मनुष्यों सहित पक्षी और स्तनधारियों दोनों पर अपने संभावित प्रभाव के कारण बढ़ती चिंता का विषय रहे हैं।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष:

  • जबकि इन वायरसों का केंद्र मूल रूप से एशिया तक ही सीमित था, अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि इस केंद्र का विस्तार अब अफ्रीका और यूरोप के नए क्षेत्रों तक हो सकता है
  • अफ्रीकी और यूरोपीय पक्षी आबादी से उत्पन्न होने वाले दो H5 उपभेद फैलते समय कम रोगजनक वायरल वेरिएंट के साथ आनुवंशिक पुनर्संयोजन के माध्यम से विकसित हुए पाए गए।
    • यह आनुवंशिक पुनर्संयोजन इन वायरसों के विकास और विविधीकरण को चलाने वाला एक महत्त्वपूर्ण कारक है।
  • इस अध्ययन में यह पाया गया है कि जंगली पक्षियों की आबादी में एवियन इन्फ्लूएंज़ा की बढ़ती निरंतरता नए वायरल उपभेदों के विकास एवं प्रसार में उत्प्रेरक की भूमिका निभाती है
    • ये वायरस लगातार विकसित हो रहे हैं तथा इन वायरस को संचरित करने एवं बढ़ाने में जंगली पक्षियों की अहम भूमिका होती है।

आनुवंशिक पुनर्वर्गीकरण:

  • आनुवंशिक पुनर्वर्गीकरण एक प्रकार का आनुवंशिक पुनर्संयोजन है जिसमें दो जीवों के जीन को एक नया आनुवंशिक अनुक्रम बनाने के लिये सम्मिश्रित किया जाता है। इस नये अनुक्रम को पुनर्योगज कहा जाता है।
  • यह मौसमी वायरस के विकास के दौरान आनुवंशिक विविधता को बढ़ा सकता है। यह नए तथा संभावित रूप से घातक वायरस को भी जन्म दे सकता है।

एवियन इन्फ्लूएंज़ा:

  • परिचय:
    • एवियन इन्फ्लूएंज़ा, जिसे आमतौर पर ‘बर्ड फ्लू’ भी कहा जाता है, एक अत्यधिक संक्रामक वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से पक्षियों, विशेष रूप से जंगली पक्षियों तथा घरेलू मुर्गीपालन, को प्रभावित करता है।
    • वर्ष 1996 में अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंज़ा H5N1 वायरस सर्वप्रथम दक्षिणी चीन में घरेलू जलपक्षियों में पाया गया था। इस वायरस का नाम A/गूस/गुआंगडोंग/1/1996 (A/goose/Guangdong/1/1996) है।
  • मनुष्यों में संचरण और संबंधित लक्षण:
    • H5N1 एवियन इन्फ्लूएंज़ा के मानव मामले कभी-कभी होते हैं, लेकिन संक्रमण को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलाना मुश्किल होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, जब लोग इससे संक्रमित होते हैं तो मृत्यु दर लगभग 60% होती है
      • यह बुखार, खाँसी और मांसपेशियों में दर्द सहित हल्के फ्लू जैसे लक्षणों से लेकर निमोनिया, साँस लेने में कठिनाई जैसी गंभीर श्वसन समस्याओं तथा यहाँ तक कि परिवर्तित मानसिक स्थिति एवं दौरे जैसी संज्ञानात्मक समस्याओं तक विस्तृत हो सकता है।
  • एवियन इन्फ्लुएंज़ा और भारत:
    • प्रारंभिक प्रकोप:
      • अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लुएंज़ा (HPAI) H5N1 भारत में पहली बार वर्ष 2006 में नवापुर, महाराष्ट्र में देखा गया और उसके बाद की घटनाएँ वार्षिक रहीं।
      • H5N8 पहली बार भारत में नवंबर 2016 में देखा गया था, जो मुख्य रूप से पाँच राज्यों में जंगली पक्षियों को प्रभावित करता था, जिसमें केरल में सबसे अधिक मामले दर्ज किये गए थे।
      • यह बीमारी 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रिपोर्ट की गई है, जिसके परिणामस्वरूप इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिये 9 मिलियन से अधिक पक्षियों को मार दिया गया है।
    • संबंधित पहल:
      • अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंज़ा (HPAI) को नियंत्रित करने के लिये भारत का दृष्टिकोण एवियन इन्फ्लूएंज़ा की नियंत्रण और रोकथाम के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना (संशोधित- 2021) में उल्लिखित "डिटेक्ट एंड कल (detect and cull)" की नीति का अनुसरण करता है।
  • उपचार:
    • एंटीवायरल ने मनुष्यों में एवियन इन्फ्लूएंज़ा वायरस संक्रमण के उपचार में प्रभावशीलता प्रदर्शित की है, जिससे रोग की गंभीरता और मृत्यु का जोखिम कम हो गया है।

इन्फ्लूएंज़ा वायरस के प्रकार

नोट: HPAI का अर्थ है अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लुएंज़ा और LPAI का अर्थ है कम रोगजनक एवियन इन्फ्लुएंज़ा।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. H1N1 वायरस का उल्लेख प्रायः समाचारों में निम्नलिखित में से किस एक बीमारी के संदर्भ में किया जाता है? (2015)

(a) एड्स
(b) बर्ड फलू
(c) डेंगू
(d) स्वाइन फ्लू

उत्तर: (d)


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 26 अक्तूबर, 2023

भारतीय सेना को मिली वर्टिकल विंड टनल

हिमाचल प्रदेश में भारतीय सेना के विशेष बल प्रशिक्षण स्कूल (Special Forces Training School- SFTS) ने सेना की पहली वर्टिकल विंड टनल (VWT) प्राप्त कर ली है, जो विशेष बलों और लड़ाकू फ्री-फॉलर्स के लिये प्रशिक्षण बुनियादी ढाँचे को बढ़ाती है।

  • VWT को सशस्त्र बलों के कर्मियों के कॉम्बैट फ्री फॉल (CFF) कौशल में सुधार करने हेतु डिज़ाइन किया गया है, जो वास्तविक जीवन की फ्रीफॉल स्थितियों का अनुकरण करने हेतु एक नियंत्रित वातावरण का निर्माण करता है। VWT विभिन्न CFF स्थितियों की नकल करते हुए विशिष्ट वायु वेग उत्पन्न करके कार्य करता है।
  • यह फ्रीफाॅल परिदृश्यों की एक विस्तृत शृंखला का अनुकरण करके शुरुआती और अनुभवी फ्री-फाॅलर्स एवं CFF प्रशिक्षकों दोनों की सहायता करता है, जिससे हवाई ऑपरेटिंग वातावरण में व्यक्तिगत प्रतिक्रियाओं का आकलन करने में सहायता मिलती है।

और पढ़ें… रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, भारतीय नौसेना

कोसोवो और सर्बिया के बीच बढ़ता तनाव

यूरोपीय संघ (EU) और अमेरिका, जर्मनी, फ्राँस व इटली के राजनयिकों के साथ कोसोवो तथा सर्बिया से दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को कम करने के प्रयास में अपनी वार्त्ता फिर से शुरू करने पर विचार कर रहे हैं।

  • कोसोवो और सर्बिया दोनों यूरोपीय संघ में शामिल होने की इच्छा रखते हैं, लेकिन उन्हें पहले अपने मतभेदों को सुलझाने के लिये कहा गया है। पश्चिमी शक्तियाँ राजनीतिक संकटों को हल करने के लिये यूरोपीय संघ द्वारा प्रस्तावित 10-सूत्रीय योजना के कार्यान्वयन पर ज़ोर दे रही हैं।
    • विवाद का एक प्रमुख मुद्दा कोसोवो में सर्ब-बहुसंख्यक नगर पालिकाओं के संघ (ASM) की स्थापना है, जिसे कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
  • दोनों देशों के बीच संघर्ष वर्ष 2008 से शुरू हुआ जब कोसोवो ने सर्बिया से एकतरफा स्वतंत्रता की घोषणा की। कोसोवो की स्वतंत्रता को बड़ी संख्या में देशों ने मान्यता दी है लेकिन सर्बिया कोसोवो की संप्रभुता को मान्यता नहीं देता है जिसके कारण सीमा विवाद उत्पन्न हो गया।

और पढ़ें…कोसोवो-सर्बिया संघर्ष, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन

RISUG: प्रतिवर्ती पुरुष गर्भनिरोधक

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने पुरुष गर्भनिरोधक रिवर्सिबल इनहिबिशन ऑफ स्पर्म अंडर गाइडेंस (Reversible Inhibition of Sperm Under Guidance- RISUG) पर सात वर्ष के अध्ययन का निष्कर्ष जारी किया है, जिसमें इसे सुरक्षित और प्रभावी पाया गया है।

  • RISUG एक गैर-हार्मोनल इंजेक्टेबल गर्भनिरोधक है जो पूर्ण प्रतिवर्तीता के साथ लंबे समय गर्भधारण से मुक्ति प्रदान करता है।
  • RISUG स्टाइरीन मैलिक एनहाइड्राइड (Styrene Maleic Anhydride-SMA) से बने ‘पॉलिमर जेल’ को इंजेक्ट करके कार्य करता है। शुक्रवाहिका (Vas Deferens) में डाइमिथाइल सल्फोक्साइड (Dimethyl Sulfoxide- DMSO) नामक विलायक को इंजेक्ट करके इसे परिवर्तित कर सकता है, जो पॉलिमर जेल को घोलता है और इसे शरीर से बाहर निकाल देता है।

वर्ष 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था होगी जापान से आगे: S&P ग्लोबल

एस एंड पी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2030 तक जापान तथा जर्मनी से आगे निकल जाएगी। इसके अनुमान के अनुसार, भारत की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) जो वर्ष 2022 में 3.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर थी, वर्ष 2030 तक बढ़कर 7.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो सकती है। 

  • वर्ष 2023-2024 में 3.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ भारत अब विश्व में पाँचवे स्थान पर है।
  • ऐसा अनुमान है कि इस तीव्र वृद्धि के साथ भारत की अर्थव्यवस्था कुछ वर्षों में जापान को पीछे छोड़ देगी तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगी।
  • भारत अपनी अनुकूल दीर्घकालिक विकास संभावनाओं, अपनी युवा जनसांख्यिकीय प्रोफाइल और बढ़ती शहरी घरेलू आय के कारण बढ़ने के लिये तैयार है। 
  • भारत की युवा जनसंख्या संरचना तथा बढ़ती शहरी घरेलू आय इसकी अनुकूल दीर्घकालिक आर्थिक विकास संभावनाओं का संचालन कर रही है, जो इसे इस तरह से बढ़ने में सहायता प्रदान करेगी।
  • तेज़ी से बढ़ते घरेलू उपभोक्ता बाज़ार और औद्योगिक क्षेत्र के साथ मिलकर भारत का मध्यम वर्ग, भारत को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिये एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनाता है।

अंटार्कटिका के प्राचीन भूदृश्य का खुलासा:

हाल ही में वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका के बर्फीले विस्तार के नीचे एक उल्लेखनीय खोज की है, जो इसके वर्तमान भूदृश्य से बहुत समय पहले की स्थिति पर प्रकाश डालती है। 

  • पूर्वी अंटार्कटिका के विल्क्स लैंड क्षेत्र में एक विशाल प्राचीन परिदृश्य की खोज की गई है, जिसमें प्राचीन नदियों द्वारा बनाई गई घाटियाँ और पर्वतमालाएँ शामिल हैं।
  • यह एक बीते युग का संकेत देता है जब अंटार्कटिका की जलवायु काफी गर्म थी, जो संभवतः वन्य जीवन की गतिविधियों की विविध शृंखला का समर्थन करती थी।
    • प्लेट विवर्तनिकी के कारण अलग होने से पहले अंटार्कटिका गोंडवाना महाद्वीप का भाग हुआ  करता था।
      • अंटार्कटिका में अत्यधिक बर्फ पड़ने से पूर्व इसकी स्थलाकृति और वनस्पति संभवतः आज के ठंडे समशीतोष्ण वर्षावनों की तरह दिखती थी।

और पढ़ें…तेज़ी से पिघल रही अंटार्कटिक की बर्फ


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