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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 25 Nov, 2021
  • 14 min read
प्रारंभिक परीक्षा

37वाँ भारत-इंडोनेशिया कॉर्पेट

भारतीय नौसेना और इंडोनेशियाई नौसेना के बीच भारत-इंडोनेशिया समन्वित गश्ती (इंडो-इंडोनेशिया कॉर्पेट) का 37वाँ संस्करण आयोजित किया जा रहा है।

Indonesia

प्रमुख बिंदु

  • ‘कॉर्पेट’ के विषय में: 
    • इस अभ्यास में दोनों राष्ट्रों के समुद्री गश्ती विमान हिस्सा लेंगे।
    • यह दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच आपसी विश्वास, तालमेल और सहयोग को रेखांकित करता है।
    • समुद्री संपर्कों को सुदृढ़ करने हेतु दोनों नौसेनाएँ वर्ष 2002 से वर्ष में दो बार अपनी अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के साथ ‘कॉर्पेट’ अभ्यास का संचालन कर रही हैं।
  • उद्देश्य:
    • इस अभ्यास का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र को वाणिज्यिक नौवहन, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वैध समुद्री गतिविधियों के संचालन के लिये सुरक्षित करना है।
    • ‘कॉर्पेट’ अभ्यास नौसेनाओं के बीच समन्वय एवं अंतःक्रियाशीलता के निर्माण में मदद करता है और मछली पकड़ने की अवैध व अनियंत्रित गतिविधियों की रोकथाम तथा दमन, मादक पदार्थों की तस्करी, समुद्री डकैती की रोकथाम हेतु सूचनाओं के आदान-प्रदान, अवैध प्रवासन तथा समुद्र में खोज एवं बचाव कार्यों हेतु महत्त्वपूर्ण है।
  • सागर मिशन के दृष्टिकोण के अनुरूप:
    • भारत सरकार के सागर (Security And Growth for All in the Region- SAGAR) मिशन के दृष्टिकोण के एक भाग के तौर पर भारतीय नौसेना द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय अभ्यासों, समन्वित गश्ती, संयुक्त EEZ निगरानी और मानवीय सहायता तथा आपदा राहत अभियानों के माध्यम से क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रही है।
      • इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना है।
  • इंडोनेशिया के साथ अन्य सैन्य अभ्यास:

प्रारंभिक परीक्षा

त्रिपक्षीय अभ्यास 'दोस्ती': भारत-मालदीव-श्रीलंका

भारत, मालदीव और श्रीलंका के बीच द्विवार्षिक त्रिपक्षीय तटरक्षक अभ्यास 'दोस्ती' के 15वें संस्करण का आयोजन मालदीव में किया गया। 

  • इस अभ्यास ने वर्ष 2021 में 30 वर्ष पूरे कर लिये हैं।

Maldives

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • अभ्यास 'दोस्ती' को वर्ष 1991 में भारत और मालदीव के तटरक्षकों के बीच शुरू किया गया था। श्रीलंका पहली बार वर्ष 2012 में इस अभ्यास में शामिल हुआ था।
    • पिछले दस वर्षों में आयोजित अभ्यासों ने समुद्री दुर्घटनाओं की स्थिति में सहायता प्रदान करने, समुद्री प्रदूषण को समाप्त करने और तेल रिसाव जैसी स्थितियों के दौरान तटरक्षक की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया है।
    • इस अभ्यास (2021) के लिये भारतीय तटरक्षक पोत वज्र और अपूर्वा (Vajra and Apoorva) को तैनात किया गया है।
  • अभ्यास का उद्देश्य:
    • भारत-मालदीव-श्रीलंका त्रिपक्षीय अभ्यास ‘दोस्ती’ का उद्देश्य संबंधों को मज़बूत करना, आपसी सहयोग व क्षमता बढ़ाना तथा भारत, मालदीव और श्रीलंका के तटरक्षकों के बीच सहयोग स्थापित करना है।
  • हाल के सुरक्षा संबंधी विकास:
    • श्रीलंका, भारत इस वर्ष अगस्त (2021) में आयोजित एक उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार-स्तरीय बैठक में श्रीलंका और मालदीव सुरक्षा सहयोग के "चार स्तंभों" पर काम करने के लिये सहमत हुए हैं।
      • इनमें समुद्री सुरक्षा और साइबर सुरक्षा जैसे  क्षेत्र शामिल थे।
    • इससे पहले तीनों देश खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान का दायरा बढ़ाने पर सहमत हुए थे।
  • भारत और श्रीलंका के बीच अभ्यास:
  • भारत और मालदीव के बीच अभ्यास:

प्रारंभिक परीक्षा

एक्रॉस योजना

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने पांँच वर्ष (2021-2026) के अगले वित्त (15वें) चक्र के लिये अपनी आठ उप-योजनाओं के साथ-साथ ‘एटमॉस्‍फेयर एंड क्‍लाइमेट रिसर्च-मॉडलिंग आब्ज़र्विंग सिस्‍टम्‍स एंड सर्विसेज़’ (Atmosphere & Climate Research-Modelling Observing Systems & Services- ACROSS) योजना को जारी रखने की मंज़ूरी दे दी है। 

प्रमुख बिंदु 

  • एक्रॉस योजना के बारे में:
    • एक्रॉस योजना, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के वायुमंडलीय विज्ञान कार्यक्रमों से संबंधित है और यह मौसम एवं जलवायु से जुड़ी सेवाओं के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करती है।
    • इनमें से प्रत्येक पहलू को ‘एक्रॉस’(ACROSS) की समग्र योजना के तहत आठ उप-योजनाओं के रूप में शामिल किया गया है, निम्नलिखित आठ योजनाओं के माध्यम से उपर्यक्त कार्यों को पूरा करने के लिये प्रत्येक संस्थान की एक निर्दिष्ट भूमिका है।
      • पोलारिमेट्रिक  डॉप्लर वेदर रडार- DWRs
      • पूर्वानुमान प्रणाली का उन्नयन- IMD
      • मौसम एवं जलवायु से जुड़ी सेवाएंँ- IMD
      • वायुमंडलीय प्रेक्षण नेटवर्क- IMD
      • मौसम एवं जलवायु की संख्यात्मक मॉडलिंग- NCMRWF
      • मानसून मिशन III
      • मानसून संवहन, बादल और जलवायु परिवर्तन- MC4
      • उच्च प्रदर्शन वाली कंप्यूटिंग प्रणाली- HPCS
  • कार्यान्वयन:
    • यह योजना पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) द्वारा भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF), भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) और भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) जैसी इकाइयों के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है।
  • महत्त्व:
    • यह योजना मौसम, जलवायु एवं समुद्र के बारे में बेहतर तरीके से पूर्वानुमान एवं सेवाएंँ और अन्य जोखिम संबंधी सेवाएंँ प्रदान करेगी। इसमें चक्रवात, तूफानी लहरों, हीट वेव और तड़ित झंझा से संबंधित चेतावनी शामिल होगी।
    • पूर्वानुमान से जुड़ी सूचनाओं को तैयार करने से लेकर इनके वितरण तक की पूरी प्रक्रिया में हर स्तर पर काफी संख्या में श्रमशक्ति की ज़रूरत होती है, जिससे कई लोगों के लिये रोज़गार के अवसर पैदा होते हैं।

Atmosphere


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 25 नवंबर, 2021

आईएनएस ‘वेला’

स्वदेशी रूप से निर्मित स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी ‘वेला’ को हाल ही में आधिकारिक तौर पर नौसेना में कमीशन कर लिया गया है। इस पनडुब्बी का निर्माण ‘मैसर्स नेवल ग्रुप’ (फ्राँस) के सहयोग से ‘मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड’ (मुंबई) द्वारा किया गया है। ‘मझगाँव डॉक लिमिटेड’ शिपयार्ड रक्षा मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। ध्यातव्य है भारतीय नौसेना के कार्यक्रम ‘प्रोजेक्ट-75’ के तहत छह ‘स्कॉर्पीन श्रेणी’ की ‘अटैक सबमरीन’ का निर्माण किया जाना है। कलवरी, खंदेरी और करंज के बाद आईएनएस वेला इस शृंखला की चौथी पनडुब्बी है। इसके निर्माण के विभिन्न चरणों के दौरान रक्षा उत्पादन विभाग (रक्षा मंत्रालय) और भारतीय नौसेना द्वारा समर्थन प्रदान करना है। मई 2019 में लॉन्च की गई सबमरीन ‘वेला’ ने कोविड-प्रेरित प्रतिबंधों के बावजूद हथियार और सेंसर परीक्षणों सहित सभी प्रमुख बंदरगाह एवं समुद्री परीक्षणों को पूरा कर लिया है। ‘प्रोजेक्ट-75’ के तहत शामिल स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियाँ ‘डीज़ल-इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम’ द्वारा संचालित होती हैं। स्कॉर्पीन सर्वाधिक परिष्कृत पनडुब्बियों में से एक है, जो एंटी-सरफेस शिप वॉरफेयर, पनडुब्बी-रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करने और क्षेत्र विशिष्ट निगरानी जैसे मिशनों को पूरा करने में सक्षम है। 

अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस

महिलाओं पर होने वाली हिंसा को रोकने के लिये प्रतिवर्ष 25 नवंबर को विश्व भर में ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ (International Day for the Elimination of Violence against Women) मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकना और महिलाओं को उनके बुनियादी मानवाधिकारों एवं लैंगिक समानता के विषय में जागरूक करना है। महिला अधिकार कार्यकर्त्ताओं द्वारा वर्ष 1981 से प्रतिवर्ष 25 नवंबर को लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ लड़ने हेतु इस दिवस का आयोजन किया जाता है। 07 फरवरी, 2000 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक संकल्प पारित किया, जिसमें 25 नवंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ के रूप में नामित किया गया। इस दिवस का आयोजन ‘मिराबाई बहनों’ (डोमिनिकन गणराज्य की तीन राजनीतिक कार्यकर्त्ता) के सम्मान में किया जाता है, जिन्हें वर्ष 1960 में देश के शासक ‘राफेल ट्रुजिलो’ के आदेश पर बेरहमी से मार दिया गया था। संयुक्त राष्ट्र महिला (UN Women) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, विश्व भर में लगभग 15 मिलियन किशोर लड़कियाँ (15-19 आयु वर्ग) अपने जीवन में कभी-न-कभी यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं। वहीं विश्व भर में लगभग 650 मिलियन महिलाओं का विवाह 18 वर्ष की आयु से पूर्व हुआ है।

‘सागर शक्ति’ युद्धाभ्यास

हाल ही में कच्छ प्रायद्वीप के क्रीक सेक्टर में ‘सागर शक्ति’ युद्धाभ्यास का आयोजन किया गया। इस अभ्यास में भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायुसेना, भारतीय तटरक्षक बल, सीमा सुरक्षा बल और गुजरात पुलिस ने हिस्सा लिया। इस अभ्यास का आयोजन भारतीय सेना की दक्षिणी कमान द्वारा किया गया और इसका प्राथमिक उद्देश्य वास्तविक समय के परिदृश्य में विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों की युद्ध की तैयारी का परीक्षण करना था। इस अभ्यास में एकीकृत तरीके से थल, जल और वायु क्षेत्र में किसी भी संभावित सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये सुरक्षा बलों को तैयार करना शामिल था। यह अभ्यास ऐसे समय में आयोजित किया गया, जब भारत ने हिंद महासागर क्षेत्र में विकसित हो रहे सुरक्षा परिदृश्यों के मद्देनज़र अपनी समुद्री युद्ध क्षमता को बढ़ाया है।


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