इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत के EEZ क्षेत्र में अमेरिकी गश्ती

  • 12 Apr 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने पश्चिमी हिंद महासागर में अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone) में कार्यवाही करने पर अमेरिका का विरोध किया, जिसमें अमेरिका के इस दावे को खारिज कर दिया कि भारत का घरेलू समुद्री कानून अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।

प्रमुख बिंदु

मुद्दा:

  • अमेरिकी गतिविधियों के विषय में:
    • अमेरिका के सातवें बेड़े (US Seventh Fleet) ने घोषणा की कि उसका एक युद्धपोत यूएसएस जॉन पॉल जोन्स (DDG 53) ने भारत के EEZ के अंदर लक्षद्वीप द्वीप समूह के पश्चिम में भारत की पूर्व सहमति के बिना ‘नौवहन स्वतंत्रता कार्यवाही’ (Freedom of Navigation Operation) को अंज़ाम दिया है।।
  • सातवाँ फ्लीट:
    • यह अमेरिकी नौसेना के तैनात बेड़े में सबसे बड़ा है।
  • नौवहन स्वतंत्रता कार्यवाही:
    • इसके अंतर्गत अमेरिकी नौसेना तटवर्ती देशों के विशेष आर्थिक क्षेत्र में जल मार्ग को बनाने का प्रयास करती है।
    • यह कार्यवाही विश्व भर में अपने नौपरिवहन अधिकारों और स्वतंत्रताओं को आगे बढ़ाने तथा इस्तेमाल करने की अमेरिकी नीति की पुष्टि करता है।
    • इस प्रकार के अभिकथन इस बात का संकेत देते हैं कि अमेरिका अन्य देशों के समुद्री दावों को स्वीकार नहीं करता है और इस प्रकार इन देशों द्वारा किये गए अपने दावों को अंतर्राष्ट्रीय कानून में स्वीकार होने से रोकता है।
    • यह पहली बार है जब अमेरिकी नौसेना ने ऐसे ऑपरेशन का विवरण देते हुए एक सार्वजनिक बयान जारी किया है।

अमेरिका का पक्ष:

  • भारत चाहता है कोई अन्य देश उसके EEZ या महाद्वीपीय शेल्फ में सैन्य अभ्यास या युद्धाभ्यास करने से पूर्व उसकी अनुमति ले।
  • भारत का EEZ पर दावा अंतर्राष्ट्रीय कानून (संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि, 1982) के विरुद्ध है।
  • नौवहन स्वतंत्रता कार्यवाही ने भारत के समुद्री दावों को चुनौती देकर अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानून के अंतर्गत मान्यता प्राप्त अधिकारों, स्वतंत्रता और समुद्र के वैध उपयोग इस्तेमाल करने के अधिकार को बरकरार रखा।

भारत का विरोध:

  • भारत का मानना है कि समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (United Nations Convention on the Law of the Sea) अन्य देशों को किसी देश की सहमति के बिना उसके EEZ क्षेत्र में और महाद्वीपीय शेल्फ में सैन्य अभ्यास या युद्धाभ्यास (विशेष रूप से हथियारों या विस्फोटकों का इस्तेमाल करने वाले) करने का अधिकार नहीं देता है।
  • भारत से अनुमति की ज़रूरत केवल तभी है जब EEZ में कोई "सैन्य युद्धाभ्यास" किया जाना हो, लेकिन इस मार्ग से सिर्फ गुज़रने पर अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं है।
    • सैन्य युद्धाभ्यास शब्द कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है।
  • अमेरिका के सातवीं फ्लीट की यह कार्यवाही भारतीय कानून (प्रादेशिक जल, महाद्वीपीय शेल्फ, विशेष आर्थिक क्षेत्र और अन्य समुद्री क्षेत्र अधिनियम, 1976) का उल्लंघन है।

संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि, 1982

संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि के विषय में:

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जो विश्व के समुद्रों और महासागरों के उपयोग के लिये एक नियामक ढाँचा प्रदान करती है।
  • यह संधि समुद्री संसाधनों और समुद्री पर्यावरण के संरक्षण तथा उनका एक समान उपयोग को सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करती है।
  • यह इस अवधारणा पर आधारित है कि किसी भी देश की सभी समुद्र समस्याओं का आपस में गहरा संबंध है और इसे समग्र रूप से संबोधित करने की आवश्यकता है।

अभिपुष्टि:

  • इस संधि को मान्यता देने के लिये दिसंबर 1982 में मोंटेगो की खाड़ी, जमैका में सबके सामने रखा गया।
  • यह संधि वर्ष 1994 में अपने अनुच्छेद 308 के अनुसार लागू हुई।
    • वर्तमान में यह समुद्री कानून से संबंधित सभी मामलों के लिये एक वैश्विक मान्यता प्राप्त कानून है।
  • इस अधिवेशन को 168 पक्षों द्वारा अनुमोदित किया गया है, जिसमें 167 राज्य (164 संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों के अलावा इसके पर्यवेक्षक राज्य यथा फिलिस्तीन, कुक आइलैंड्स और नीयू) और यूरोपीय संघ शामिल हैं। इसके अतिरिक्त 14 संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किया लेकिन अधिवेशन की पुष्टि नहीं की है।
  • भारत ने वर्ष 1995 में इसकी पुष्टि की, जबकि अमेरिका ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है।

विशेष आर्थिक क्षेत्र

  • UNCLOS के अनुसार, EEZ भौगोलिक सीमा से अलग एक सामुद्रिक क्षेत्र है, जो विशेष कानूनी शासन के अधीन है, जिसके अंतर्गत तटवर्ती देशों और अन्य देशों के अधिकार क्षेत्र इस कानून द्वारा परिभाषित हैं।
  • यह सीमा आमतौर पर तट से 200 समुद्री मील तक फैली हुई है, जिसके भीतर तटीय राज्यों को अन्वेषण करने और इस क्षेत्र के संसाधनों (जीवित और गैर-जीवित दोनों) का दोहन, संरक्षण और प्रबंधन करने का अधिकार होता है।

Exclusive-Economic-Zone

भारतीय कानून

प्रादेशिक जल, महाद्वीपीय शेल्फ, विशेष आर्थिक क्षेत्र और अन्य समुद्री क्षेत्र अधिनियम, 1976:

  • भारत का EEZ क्षेत्र उसके प्रादेशिक समुद्र (Territorial Sea) से अलग है लेकिन उससे सटा हुआ है, जिसकी सीमा आधार सीमा से दो सौ समुद्री मील दूर तक है।
  • भारत का प्रादेशिक समुद्र बेसलाइन से 12 समुद्री मील की दूरी तक फैला हुआ है।
  • प्रादेशिक जल के बीच से सभी विदेशी जहाज़ों (उप-मरीन, पनडुब्बी और युद्धपोत) को इनोसेंट पैसेज (Innocent Passage) पर जाने का अधिकार होता है।
    • इनोसेंट पैसेज: यह वह मार्ग है जो भारत की शांति, अच्छी व्यवस्था या सुरक्षा के प्रतिकूल नहीं है।

स्रोत: द हिन्दू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2