प्रारंभिक परीक्षा
पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा उत्पादन
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारत को ऊर्जा उत्पादन के पर्यावरण अनुकूल तरीकों को अपनाना आवश्यक है क्योंकि कोयला आधारित विद्युत उत्पादन से काफी अधिक वायु प्रदूषण होता है तथा फसलों, मनुष्यों एवं पशुओं को नुकसान पहुँचता है।
- ऊर्जा उत्पादन के पर्यावरण अनुकूल तरीकों में नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाता है, जिससे न्यूनतम प्रदूषण के साथ विद्युत उत्पादन होता है।
नोट: कोयला संयंत्रों से निकलने वाली नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और ओज़ोन के कारण भारत के कुछ भागों में गेहूँ तथा चावल की पैदावार में 10% से अधिक तक की कमी आई है।
- इससे बेहतर फसलों, सिंचाई और मशीनीकरण के बावजूद कृषि वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
ऊर्जा उत्पादन के उपलब्ध पर्यावरण अनुकूल तरीके क्या हैं?
- ऑस्मोटिक ऊर्जा: इसके तहत मीठे जल एवं समुद्री जल के बीच ऑस्मोटिक दबाव के अंतर का उपयोग करके विद्युत उत्पादन किया जाता है।
- भारत में 7,500 किलोमीटर की विशाल तटरेखा है जहाँ नदियाँ समुद्र में मिलती हैं और इस तकनीक से संबंधित क्षेत्र में प्रभावी रूप से विद्युत का उत्पादन हो सकता है।
- ऑस्मोटिक ऊर्जा (लवणता प्रवणता ऊर्जा) का आशय ऑस्मोटिक दबाव के माध्यम से मीठे जल एवं समुद्री जल के बीच लवणता सांद्रता के अंतर का उपयोग करके विद्युत उत्पादन करना है।
- परमाणु ऊर्जा: परमाणु ऊर्जा सयंत्रों में जल को ऊष्मित करने, वाष्प बनाने और विद्युत उत्पन्न करने के उद्देश्य से टर्बाइनों का र्चक्रण करने हेतु परमाणु विखंडन का उपयोग शामिल है।
- भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता वर्ष 2024 में 8,180 मेगावाट रही और वर्ष 2031-32 तक तीन गुना वृद्धि के साथ इसके 22,480 मेगावाट होने का अनुमान है।
- सरकार ने वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
- बायोमास ऊर्जा: विद्युत उत्पादन के लिये जैविक पदार्थों (लकड़ी, फसल अपशिष्ट, शैवाल) का दहन किया जाता है अथवा जैव ईंधन में परिवर्तित किया जाता है।
- भारत प्रतिवर्ष 450-500 मिलियन टन बायोमास का उत्पादन करता है, जिसका देश की प्राथमिक ऊर्जा में 32% का योगदान है।
- हाइड्रोजन ईंधन सेल: ये सेल विद्युत रासायनिक अभिक्रियाओं के माध्यम से हाइड्रोजन को विद्युत में परिवर्तित करते हैं।
- इनका उपयोग वाहनों और बैकअप विद्युत प्रणालियों में किया जाता है, तथा ये उपोत्पाद के रूप में केवल जलवाष्प उत्सर्जित करते हैं।
- अपशिष्ट से ऊर्जा (WTE): यह विभिन्न प्रौद्योगिकियों के माध्यम से नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट (MSW) और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को विद्युत, ऊष्मा या ईंधन में परिवर्तित करता है, जैसे
- भस्मीकरण: अपशिष्ट का उच्च तापमान पर दहन कर वाष्प उत्पन्न किया जाता है, जिससे टरबाइन संचालित होते हैं और विद्युत उत्पन्न होती है।
- गैसीकरण: अपशिष्ट को सिंथेटिक गैस (CO, H₂, और CH₄ का मिश्रण) में परिवर्तित करता है, जो ईंधन के लिये कच्चा माल है।
- उत्ताप-अपघटन (Pyrolysis): जैविक अपशिष्ट को बिना ऑक्सीजन के उच्च तापमान पर विघटित किया जाता है, जिससे उपयोगी ईंधन के रूप में जैव-तेल, सिंथेटिक गैस और बायोचार का उत्पादन होता है।
- पवन ऊर्जा: इसमें पवन चक्कियाँ संस्थापित कर विद्युत उत्पन्न करने के लिये वात शक्ति का उपयोग किया जाता है।
- विश्व का चौथा सबसे बड़ा पवन ऊर्जा उत्पादक देश भारत, नौ पवन प्रभावित राज्यों में 50 गीगावाट (GW) विद्युत् उत्पन्न करता है।
- सौर ऊर्जा: इसमें घरों, इमारतों या बड़े पैमाने पर सौर फार्मों पर सौर पैनल स्थापित करना शामिल है, जो सूर्य के प्रकाश को अवशोषित कर सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
- चीन ( प्रथम ) और संयुक्त राज्य अमेरिका ( द्वितीय ) के बाद भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक देश है।
- जलविद्युत: इसमें नदी के एक हिस्से में बाँध बनाकर पानी को रोक दिया जाता है तथा फिर विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिये पानी छोड़ दिया जाता है।
- भारत भर के शीर्ष पाँच बाँध मिलकर 50 गीगावाट जलविद्युत ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन से कारक/कारण बेंजीन प्रदूषण उत्पन्न करते हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (A) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: A प्रश्न. प्रदूषण की समस्याओं का समाधान करने के संदर्भ में जैवोपचारण (बायोरेमीडिएशन) तकनीक का/के कौन-सा/से लाभ है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: C |
रैपिड फायर
व्हाइट राइनो
स्रोत: PhysOrg
नॉर्दन व्हाइट राइनो (उत्तरी सफेद गैंडा) विलुप्त हो चुके हैं, वर्तमान में केवल 2 मादाएँ जीवित हैं। हालाँकि, इन-विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF) में प्रगति के कारण इनकी उप-प्रजातियों को बचाया जा सकता है, जिसके तहत प्रत्यारोपण हेतु 36 भ्रूण सफलतापूर्वक तैयार किये गए हैं।
- IVF: IVF एक प्रजनन तकनीक है जिसमें शरीर के बाहर एग (Egg) को निषेचित कर भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।
व्हाइट राइनो (सफेद गैंडा):
- परिचय:
- व्हाइट राइनो हाथी के बाद दूसरे सबसे बड़े स्थलीय स्तनपायी हैं।
- अपने चौड़े ऊपरी होंठ के कारण, इन्हें कभी-कभी चौकोर होंठ वाले गैंडे (Square-lipped rhinoceroses) के रूप में भी जाना जाता है, हालाँकि ये सफेद नहीं होते हैं।
- उप-प्रजातियाँ और IUCN स्थिति:
- नॉर्दन व्हाइट राइनो (सेराटोथेरियम सिमम कॉटनी): गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- सदर्न व्हाइट राइनो (सेराटोथेरियम सिमम): निकट संकटग्रस्त
- प्राकृतिक आवास:
- सदर्न व्हाइट राइनो: दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, ज़िम्बाब्वे और केन्या।
- नॉर्दन व्हाइट राइनो: अब केवल केन्या में ही जीवित हैं।
- सामाजिक व्यवहार: वे अर्द्ध-सामाजिक और प्रादेशिक होते हैं, जिसमें नर अपने क्षेत्रों की रक्षा करते हैं (गोबर (Dung) से अपने क्षेत्र को चिह्नित करते हैं) और मादाएँ बड़े क्षेत्रों में भ्रमण करती हैं।
- जहाँ नॉर्दन व्हाइट राइनो समूहों में रहते हैं, वहीँ सदर्न व्हाइट राइनो अधिक सामाजिक होते हैं और बड़े झुंड में रहते हैं।
- आहार: पूर्णतया शाकाहारी होते हैं तथा छोटी घास का सेवन करते हैं।
- खतरा: अवैध शिकार, आवास की क्षति, निम्न आनुवंशिक विविधता (विशेष रूप से नॉर्दन व्हाइट राइनो में), तथा जलवायु परिवर्तन, जो उनके आवास और जल स्रोतों को परिवर्तित कर देती हैं।
और पढ़ें: स्टेट ऑफ द राइनो, 2023
रैपिड फायर
अनुच्छेद 101(4)
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
एक निर्दलीय सांसद ने लंबे समय तक अनुपस्थित रहने के कारण अपनी लोकसभा सीट के रिक्त घोषित किये जाने की चिंता को लेकर उच्च न्यायालय का रुख किया है।
अनुच्छेद 101(4):
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 101 संसद में सीटों की रिक्तता, निरर्हता और दोहरी सदस्यता से संबंधित है।
- संविधान के अनुच्छेद 101(4) के अनुसार, यदि संसद के किसी सदन का कोई सदस्य साठ दिन की अवधि तक सदन की अनुज्ञा के बिना उसके सभी अधिवेशनों से अनुपस्थित रहता है तो सदन उसके स्थान को रिक्त घोषित कर सकेगा।
- हालाँकि, साठ दिन की उक्त अवधि की संगणना करने में किसी ऐसी अवधि को हिसाब में नहीं लिया जाएगा जिसके दौरान सदन सत्रावसित या निरंतर चार से अधिक दिनों के लिये स्थगित रहता है।
- इस प्रावधान का उद्देश्य विधायी कार्रवाई में सांसदों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करना है।
- कोई स्थान अथवा सीट तभी रिक्त होती है जब सदन औपचारिक रूप से मतदान के माध्यम से उसे रिक्त घोषित कर दे, स्वतः नहीं।
- राज्यसभा सांसद बरजिंदर सिंह हमदर्द को निरंतर अनुपस्थित रहने के कारण वर्ष 2000 में अनुच्छेद 101(4) के तहत अनर्ह घोषित कर दिया गया था।
- अवकाश मांगने की प्रक्रिया:
- सांसदों को सदस्यों की अनुपस्थिति संबंधी समिति से अवकाश मांगना होता है, जो सदन को समीक्षा करके सूचना देती है। इसके पश्चात् सदन अनुमोदन या अस्वीकृति पर मतदान करता है।
- एक बार में अधिकतम 59 दिनों के लिये अवकाश स्वीकृत किया जाता है तथा सांसदों द्वारा विस्तारित अनुपस्थिति के लिये पुनः अनुरोध किया जाना होता है।
और पढ़ें: प्रमुख संवैधानिक संशोधन: भाग 1
रैपिड फायर
विश्व की अनोखी नदियाँ
स्रोत: पीआर
- कैनो क्रिस्टल्स नदी, कोलंबिया: इसे "पाँच रंगों की नदी" के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि जुलाई और नवंबर के बीच इसका रंग पीला, हरा, काला, लाल और नीला हो जाता है।
- इसका कारण है राइनकोलैसिस क्लैविगेरा, एक जलीय पौधा जो सूर्य के प्रकाश और जलीय परिस्थितियों के साथ अपना रंग बदलता रहता है।
- शनय-तिंपिक्षा नदी, पेरू: इसे ला बोम्बा के नाम से भी जाना जाता है, यह विश्व की सबसे बड़ी तापीय और एकमात्र उबलती (तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से 100 डिग्री सेल्सियस) नदी है।
- यह इसका जल गहरे भूतापीय परिसंचरण द्वारा गर्म होता है, जहाँ वर्षा का पानी भूमिगत रूप से रिसता है तथा गर्म होकर पुनः सतह पर आ जाता है।
- हमज़ा एक्वीफर (हमज़ा नदी): लगभग 4 किमी गहरा और 6,000 किमी लंबा, हमज़ा एक्विफर (जिसे हमज़ा नदी के नाम से भी जाना जाता है) अमेज़न नदी के नीचे एक विशाल भूमिगत एक्विफर है, जो छिद्रयुक्त चट्टानी संरचनाओं के माध्यम से अत्यंत धीमी गति से बहता है।
- कियानतांग नदी, चीन: यह नदी सिल्वर ड्रैगन के लिये प्रसिद्ध है, जो विश्व की सबसे बड़ी ज्वारीय नदियों में से एक है, जहाँ समुद्री ज्वार 40 किमी/घंटा की गति से ऊपर की ओर उठता है, जिससे विशाल लहरें उत्पन्न होती हैं जो सर्फिंग के लिये आदर्श वातावरण प्रदान करती हैं।
- डाल्डीकन नदी, रूस: निकल और भारी धातुओं के संदूषण के कारण इसका जल रक्त की तरह लाल हो गया है।
- ओनिक्स नदी, अंटार्कटिका: महाद्वीप की सबसे लंबी नदी (32 किमी), जो राइट वैली ग्लेशियरों से पिघली वर्फ के पानी के साथ केवल गर्मियों में वांडा झील की ओर अंतर्देशीय रूप से प्रवाहित होती है।
और पढ़ें: भारत की सीमा पार नदियाँ
प्रारंभिक परीक्षा
HIV की सेल्फ-टेस्टिंग
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशनल वायरोलॉजी एंड एड्स रिसर्च (ICMR-NITVAR) और मिज़ोरम विश्वविद्यालय द्वारा किये गए एक अध्ययन में मिज़ोरम में ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (HIV) की सेल्फ-टेस्टिंग की सफलता पर प्रकाश डाला गया है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- HIV सेल्फ-टेस्टिंग: इस अध्ययन में मिज़ोरम में HIV सेल्फ-टेस्टिंग कार्यान्वयन का परीक्षण किया गया, जहाँ भारत में सबसे अधिक (राष्ट्रीय औसत से 13 गुना अधिक) HIV प्रसार (2.73%) है।
- राज्य में इस महामारी का प्रसार मुख्यतः नशीली दवाओं के प्रयोग एवं व्यावसायिक यौन क्रियाओं के कारण हुआ है।
- प्रारंभिक परीक्षण के अभाव और कलंक के कारण कई लोग समय पर उपचार प्राप्त करने में असमर्थ रहते हैं।
- HIV सेल्फ-टेस्टिंग से व्यक्ति को अपना रक्त या लार का नमूना एकत्र करने तथा परीक्षण किट का उपयोग करके परिणामों को जानने की सुविधा मिलती है।
- राज्य में इस महामारी का प्रसार मुख्यतः नशीली दवाओं के प्रयोग एवं व्यावसायिक यौन क्रियाओं के कारण हुआ है।
- कलंक-मुक्त और प्राइवेट: इस अध्ययन में पाया गया कि उच्च जोखिम वाले समूहों के लिये अपनी HIV स्थिति जानने के क्रम में सेल्फ-टेस्टिंग, पारंपरिक सुविधाओं की तुलना में अधिक सुविधाजनक, गोपनीय और प्रभावी है तथा अन्य राज्यों में भी इसको अपनाए जाने की संभावना है।
नोट: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वर्ष 2016 में सेल्फ-टेस्टिंग को मंज़ूरी दी थी और तब से 41 देशों ने इसे अपनाया है। भारत ने अभी तक HIV सेल्फ-टेस्टिंग के लिये औपचारिक दिशा-निर्देश जारी नहीं किये हैं।
ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- HIV वायरस द्वारा CD4 कोशिकाओं (श्वेत रक्त कोशिकाओं) को लक्षित करके प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला किया जाता है। यदि इसका उपचार न किया जाए तो यह AIDS (एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम) का कारण बन सकता है और शरीर को संक्रमण तथा कैंसर के प्रति संवेदनशील बना सकता है।
- संचरण: HIV संक्रमित शरीर द्रवों जैसे रक्त, वीर्य, स्तन्य दुग्ध, योनि द्रव के प्रत्यक्ष संपर्क से, तथा असुरक्षित लैगिक संबंध, टैटू और संक्रमित सुइयों के माध्यम से संचरित होता है किंतु आकस्मिक संपर्क से नहीं।
- लक्षण: प्रारंभिक चरण (ज्वार, रैश), उत्तरवर्ती चरण (लिम्फ नोड्स में सूजन, वज़न घटना, अतिसार), और गंभीर चरण (तपेदिक, मेनिन्जाइटिस, कैंसर (जैसे लिम्फोमा))।
- जोखिम कारक: एक से अधिक व्यक्ति से लैंगिक संबंध होना अथवा यौन संचारित संक्रमण (STI) होना, असुरक्षित रक्त आधान।
- निदान: परीक्षण के दिन ही परिणाम प्राप्त करने हेतु तीव्र नैदानिक परीक्षण, सेल्फ-टेस्टिंग किट, और पुष्टिकरण वायरोलॉजिकल परीक्षण।
- रोकथाम: नियमित HIV परीक्षण, STI स्क्रीनिंग, सुरक्षित रक्त आधान, और टैटू के लिये वंध्यीकृत अथवा स्टेरलाइज़्ड नीडल का उपयोग इसकी रोकथाम के लिये आवश्यक है।
- उपचार: HIV का कोई उपचार नहीं है और एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) मात्र वायरस को नियंत्रित करने में मदद करती है। स्वास्थ्य बनाए रखने के लिये ART को जीवन भर जारी रखना चाहिये।
- उन्नत HIV रोग (AHD): WHO AHD को CD4 <200 cells/mm³ के रूप में परिभाषित करता है। AHD ग्रसित रोगियों में ART शुरू करने के बाद भी मृत्यु का उच्च जोखिम होता है।
- वैश्विक प्रतिक्रिया: वर्ष 2030 तक HIV महामारी का उन्मूलन (संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्य 3.3)।
- भारत की प्रगति: इंडिया HIV एस्टिमेट्स 2023 के अनुसार भारत में HIV से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या 2.5 मिलियन है, जिनमें से 0.2% वयस्क हैं। वर्ष 2010 के बाद से संक्रमण के नए मामलों में 44% की गिरावट आई है, जो वैश्विक 39% की गिरावट से अधिक है।
- वर्ष 1992 में शुरू किया गया राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) HIV/एड्स की रोकथाम करने में भारत के प्रयासों में महत्त्वपूर्ण बना हुआ है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा रोग टैटू गुदवाने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है? (2013)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही नहीं है? (2019) (a) यकृतशोध B विषाणु HIV की तरह ही संचरित होता है। उत्तर: (b) प्रश्न. मानव प्रतिरक्षा-हीनता विषाणु (हयूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) के संचरण के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन सही नहीं है? (2010) (a) स्त्री से पुरुष में संचरण की संभावना पुरुष से स्त्री में संचरण की तुलना में दुगुनी होती है। उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं ? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |
रैपिड फायर
पेरोव्स्काइट LED (PeLED)
स्रोत: पी.आई.बी.
भारत के शोधकर्त्ताओं ने पेरोवस्काइट नैनोक्रिस्टल्स में आयनों के अभिगमन को कम करने की एक विधि विकसित की है, जो अगली पीढ़ी की प्रकाश व्यवस्था को सक्षम कर सकती है और ऊर्जा दक्षता में सुधार कर सकती है क्योंकि प्रकाश व्यवस्था वैश्विक विद्युत् का लगभग 20% खपत करती है।
- पेरोव्स्काइट नैनोक्रिस्टल में आयनों का अभिगमन रंग अस्थिरता का कारण बनता है और प्रकाश में उनके उपयोग को सीमित करता है।
- पेरोव्स्काइट नैनोक्रिस्टल से निर्मित पेरोव्स्काइट LED (PeLED) में ऑर्गेनिक LED (OLED) और क्वांटम डॉट LED (QLED) के लाभों का संयोजन किया गया है, जिससे वे अगली पीढ़ी के प्रकाश व्यवस्था के लिये आशाजनक बन गए हैं।
- PeLED में OLED (लचीलापन, निम्न भार) और QLED (उच्च रंग शुद्धता) की सर्वोत्तम विशेषताएँ सम्मिलित हैं, साथ ही यह बेहतर दक्षता और लागत प्रभावशीलता भी प्रदान करता है।
प्रकाश प्रौद्योगिकी का विकास:
- प्रारंभिक प्रौद्योगिकी: तापदीप्त और फ्लोरोसेंट लैंप से लेकर LED (1960 के दशक में आविष्कारित) तक।
- वर्ष 1993 में सफलता: शुजी नाकामुरा की टीम ने उच्च चमक वाली नीली LED विकसित की, जिससे ऊर्जा-कुशल श्वेत LED का विकास हुआ और उन्हें वर्ष 2014 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।
- वर्तमान प्रौद्योगिकियाँ:
- OLED: पतला, लचीला, लेकिन महंगे और कम संचालन अवधि।
- QLED: सटीक रंग नियंत्रण, धारणीय, लेकिन संसाधन की कमी की चिंताओं के कारण विषाक्त।
- माइक्रो/मिनी-LED: उच्च चमक और स्थिरता, लेकिन उत्पादन महंगा।
और पढ़ें: प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED)