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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 24 Mar, 2025
  • 14 min read
रैपिड फायर

शहीद दिवस

स्रोत: पी.आई.बी.

शहीद दिवस (23 मार्च) पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को उनके सर्वोच्च बलिदान का सम्मान करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की, क्योंकि इसी दिन वर्ष 1931 में लाहौर जेल में ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों द्वारा उन्हें फाँसी दी गई थी।

  • तीनों को वर्ष 1928 के लाहौर षडयंत्र मामले में उनकी भूमिका के लिये दोषी ठहराया गया था, जिसमें ब्रिटिश अधिकारी जेपी सॉन्डर्स की हत्या शामिल थी, गलती से उन्हें अधीक्षक जेम्स स्कॉट के रूप में पहचाना गया था, जिन्हें साइमन कमीशन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान लाला लाजपत राय की मौत के लिये दोषी ठहराया गया था।
  • इनमें से तीन लोग हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के सदस्य थे, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपने क्रांतिकारी संघर्ष के लिये जाना जाता था। 
  • शिवराम राजगुरु का जन्म 24 अगस्त 1908 को महाराष्ट्र में हुआ था। उन्हें औपनिवेशिक उत्पीड़न के खिलाफ उनके अडिग संकल्प के लिये जाना जाता है। वे सशस्त्र प्रतिरोध के प्रबल समर्थक थे।
  • सुखदेव थापर का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में हुआ था, वे स्वतंत्रता संग्राम के लिये युवाओं को संगठित करने के पीछे प्रेरक शक्ति थे।

Bhagat_Singh

और पढ़ें: भगत सिंह की जयंती 


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डॉ. राम मनोहर लोहिया की जयंती

स्रोत: पी.आई.बी.

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 23 मार्च को डॉ. राम मनोहर लोहिया को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक दूरदर्शी नेता, प्रखर स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक न्याय के प्रतीक के रूप में उनका स्मरण किया।

  • राम मनोहर लोहिया का जन्म वर्ष 1910 में हुआ  और वह भारत के समाजवादी आंदोलन तथा स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख व्यक्ति थे। 
  • वह वर्ष 1934 में कॉन्ग्रेस सोशलिस्ट पार्टी (CSP) में शामिल हुए और इसकी कार्यकारी समिति में भूमिका निभाई की तथा साथ ही इसकी पत्रिका का संपादन किया। 
  • लोहिया ने द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश भागीदारी का विरोध किया और अपने उपनिवेशवाद विरोधी रुख के कारण कई बार, विशेष रूप से भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल जाना पड़ा। 
  • लोहिया ने वर्ष 1948 में कॉन्ग्रेस छोड़ दी और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (1952) के सदस्य बन गए, और एक निश्चित अवधि तक कार्यभार ग्रहण करने के बाद वर्ष 1955 में इस्तीफा दे दिया।
  • वर्ष 1955 में समाजवादी हैदराबाद में एकत्र हुए और लोहिया की अध्यक्षता में एक नई सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया की स्थापना की गई। वर्ष 1964 के बाद यह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी बन गई।
  • वर्ष 1963 में लोहिया लोकसभा के सदस्य बने और व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा लैंगिक समानता पर ध्यान केंद्रित करते हुए सप्त क्रांति का समर्थन किया तथा विकेंद्रित शासन के लिये चौखम्भा राज का प्रस्ताव रखा।


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म्यूनिसिपल बॉण्ड

स्रोत: बिज़नेस लाइन

शहरी बुनियादी ढाँचे के लिये वित्तपोषण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत, म्यूनिसिपल बॉण्ड को भारत में ज़्यादा लोकप्रियता नहीं मिली है।

  • बॉण्ड ऋण उपकरण हैं जहाँ निवेशक आवधिक ब्याज और परिपक्वता पर मूलधन के पुनर्भुगतान के बदले जारीकर्त्ताओं को पैसा उधार देते हैं।
    • इसमें ट्रेजरी, म्यूनिसिपल, कॉर्पोरेट, फ्लोटिंग रेट, ज़ीरो-कूपन, परिवर्तनीय, मुद्रास्फीति-संरक्षित बॉण्ड आदि शामिल हैं।

Trends_In_Municipal_Bonds_Issuance

म्यूनिसिपल बॉण्ड: बुनियादी ढाँचे और विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये शहरी स्थानीय निकायों (ULB) द्वारा जारी किये गए ऋण उपकरण।

  • लाभ: सरकारी निधियों पर निर्भरता कम करना, वित्तीय स्वायत्तता बढ़ाना, निजी निवेश आकर्षित करना तथा दीर्घकालिक शहरी वित्तपोषण को सक्षम करना।
  • चुनौतियाँ: राज्य अनुदान पर अत्यधिक निर्भरता के कारण कम निर्गम (वित्त वर्ष 24 में राजस्व का 38%)। पुणे, अहमदाबाद, सूरत, हैदराबाद और लखनऊ जैसे कुछ ही शहरों ने बॉण्ड जारी किये हैं।
  • व्यय पैटर्न (वित्त वर्ष 18-वित्त वर्ष 25): बॉण्ड के माध्यम से नगरपालिकाओं द्वारा संगृहीत अधिकांश धनराशि शहरी जलापूर्ति और सीवरेज के लिये आवंटित की गई, उसके बाद नवीकरणीय ऊर्जा और नदी विकास के लिये आवंटित की गई।

  • शहरी स्थानीय निकायों के वित्त को सुदृढ़ बनाना, विनियमनों को सरल बनाना, तथा ऋण वृद्धि उपायों को लागू करना, म्यूनिसिपल बॉण्ड को अपनाने को बढ़ावा दे सकता है, तथा द्वितीयक बाज़ार का विकास करना तथा कर प्रोत्साहन प्रदान करना निवेशकों को आकर्षित करेगा।

और पढ़ें: भारत में शहरी स्थानीय शासन, बॉण्ड यील्ड  


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मोरान समुदाय के लिये PRC

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

असम सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले मोरान समुदाय के सदस्यों को स्थायी निवास प्रमाण पत्र (PRC) देने का निर्णय लिया है।

  • मोरान के बारे में: इसे असम की एक मूल जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त है, तथा इसकी एक छोटी आबादी अरुणाचल प्रदेश में भी रहती है। वे धर्म से वैष्णव हैं और मोआमरिया संप्रदाय से संबंधित हैं। 
    • श्री शंकर देव के शिष्य श्री अनिरुद्ध देव (1553-1624) ने उन्हें असम में नव-वैष्णववाद से परिचित कराया।
    • असम के नव-वैष्णव धर्म में, सत्र (मठ) और नामघर (ग्राम स्तर के प्रार्थना घर) इस धर्म के स्तंभ हैं।
    • वे असम में अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की भी मांग कर रहे हैं।
  • PRC के बारे में: यह किसी व्यक्ति के उस विशेष राज्य में स्थायी निवास का प्रमाण है।
    • असम में PRC उन भारतीय नागरिकों को प्रदान किया जाता है जिनके पूर्वज वहाँ 50 वर्षों से अधिक समय से रह रहे हों और जो कम से कम 20 वर्षों से वहाँ रह रहे हों।
  • मोआमरिया विद्रोह (1769-1799): अनिरुद्ध देव की शिक्षाओं से प्रेरित होकर असम में निम्न जाति के किसानों द्वारा किये गए इस विद्रोह ने अहोम सत्ता को चुनौती दी और राज्य को कमज़ोर कर दिया। अहोमों ने विद्रोह को दबाने के लिये ब्रिटिश मदद मांगी। यद्यपि विद्रोह को दबा दिया गया, लेकिन प्रथम आंग्ल-बर्मी युद्ध (वर्ष 1824-26) के दौरान राज्य बर्मी लोगों के हाथों में चला गया और अंततः ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया।

और पढ़ें: असम में जनजातियाँ


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फोटो-असिस्टेड, स्व-चार्जिंग बैटरी

स्रोत: पी.आई.बी.

शोधकर्त्ताओं ने एक फोटो-असिस्टेड, सेल्फ-चार्जेबल ऊर्जा भंडारण उपकरण विकसित किया है जो प्रकाश और वायुमंडलीय ऑक्सीजन के उपयोग से चार्ज भंडारण क्षमता को बढ़ाता है।

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फोटो-असिस्टेड, स्व-चार्जिंग ऊर्जा भंडारण उपकरण:

  • परिचय: फोटो-असिस्टेड, सेल्फ-चार्जिंग ऊर्जा भंडारण उपकरण उन्नत ऊर्जा भंडारण प्रणालियाँ (बैटरी) हैं जो वायुमंडलीय ऑक्सीजन के उपयोग से सौर ऊर्जा रूपांतरण को स्व-रिचार्जिंग क्षमताओं के साथ एकीकृत करने पर आधारित है।
  • फोटो-असिस्टेड बैटरियों से भिन्नता: फोटो-असिस्टेड बैटरियाँ ऐसी बैटरियाँ होती हैं जो सौर ऊर्जा को संग्रहण के साथ संयोजित करती हैं, जिससे प्रत्यक्ष ऊर्जा रूपांतरण और अवधारण संभव होता है, लेकिन अपूर्ण ऊर्जा संग्रहण, अल्प प्रकाश पर निर्भरता और सीमित चार्ज अवधारण के कारण इन्हें बाह्य चार्जिंग की आवश्यकता होती है।

प्रमुख विशेषताएँ: 

  • दोहरी चार्जिंग प्रणाली: फोटो-असिस्टेड चार्जिंग (सौर ऊर्जा) और एयर-असिस्टेड चार्जिंग (वायुमंडलीय ऑक्सीजन) दोनों का उपयोग करती है।
    • वायु कैथोड ऑक्सीजन-सहायता प्राप्त स्व-चार्जिंग की सुविधा प्रदान करता है, जबकि चार्ज-पृथक्करण परत प्रकाश अवशोषण और ऊर्जा भंडारण को बढ़ाती है, जिससे कुशल दोहरी चार्जिंग और बेहतर ऊर्जा प्रतिधारण संभव होता है।
  • उच्च ऊर्जा भंडारण क्षमता: यह उपकरण 0.02 mA/cm² पर प्रकाश के संपर्क में आने पर ऊर्जा भंडारण में 170% का वर्द्धन करता है, तथा 140 सेकंड में 0.9V ओपन सर्किट पोटेंशियल (OCP) तक हो जाता है, जिसका अधिकतम OCP 1V होता है।
  • संभावित अनुप्रयोग: नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण, इलेक्ट्रिक वाहन और ऑफ-ग्रिड विद्युत समाधान में बृहद स्तर पर अनुप्रयोगों की संभावना।

और पढ़ें: इलेक्ट्रिक बैटरी और इलेक्ट्रोकेमिकल सेल 


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वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वेलबींग रिसर्च सेंटर ने गैलप, संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समाधान नेटवर्क (UNSDSN) के साथ साझेदारी में वर्ल्ड हैप्पीनेस डे (20 मार्च) पर वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट (WHR) 2025 जारी की।

WHR 2025 की मुख्य विशेषताएँ:

  • सबसे खुशहाल देश: फिनलैंड (लगातार 8वें वर्ष), उसके बाद डेनमार्क, आइसलैंड और स्वीडन
  • भारत की रैंकिंग: 118वीं (2025), वर्ष 2024 में 126वीं
    • दक्षिण एशियाई देशों की रैंकिंग: नेपाल (92वाँ), पाकिस्तान (109वाँ), म्याँमार (126वाँ), श्रीलंका (133वाँ), बांग्लादेश (134वाँ)।
  • सबसे निम्नतम प्रदर्शन: अफगानिस्तान (147वाँ) (लगातार चौथे वर्ष)। अन्य में सिएरा लियोन (146वाँ), लेबनान (145वाँ), मलावी (144वाँ) और ज़िम्बाब्वे (143वाँ) शामिल हैं।

WHR की क्रियाविधि:

  • यह रैंकिंग लोगों के जीवन मूल्यांकन के 3-वर्षीय औसत पर आधारित है, जिसमें प्रतिक्रियादाता अपने वर्तमान जीवन को 0 से 10 के पैमाने पर रेट करते हैं। 
  • इसके अंतर्गत हैप्पीनेस का स्कोर 6 प्रमुख संकेतकों के आधार पर निर्धारित किया जाता है: प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, सामाजिक समर्थन, स्वस्थ जीवन प्रत्याशा, स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार की धारणा
  • हैप्पीनेस के निर्धारक: विश्वास, सामाजिक संबंध, शेयर्ड मील और सामुदायिक दयालुता जैसे कारकों की खुशी में अहम भूमिका है, जो सामान्यतः धन से भी अधिक महत्त्वपूर्ण होती है।

वर्ल्ड हैप्पीनेस डे: 

  • शुरुआत और पहल: इसकी पहल भूटान द्वारा की गई, जिसने 1970 के दशक से ही ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस (GNH) को GDP से अधिक प्राथमिकता दी है।
  • संयुक्त राष्ट्र मान्यता: जुलाई 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 20 मार्च को वर्ल्ड हैप्पीनेस डे के रूप में मनाने का निर्णय अंगीकृत किया गया।
  • वर्ष 2025 थीम: "केयरिंग एंड शेयरिंग"

और पढ़ें: वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2023 


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