प्रिलिम्स फैक्ट्स (24 Jan, 2024)



प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED)

स्रोत: द हिंदू

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज़ ने एक बयान जारी कर घोषणा की कि 20वीं सदी में प्रकाश उत्पन्न करने हेतु तापदीप्त बल्बों का व्यापक उपयोग किया गया जबकि 21वीं सदी में प्रकाश उत्पन्न करने हेतु प्रकाश उत्सर्जक डायोड (Light Emitting Diodes- LED) लैंप का व्यापक उपयोग किया जाएगा।

डायोड क्या हैं?

  • डायोड एक विद्युत अवयव है जो लगभग 5 मिमी. चौड़ा होता है। इसके संपर्क के दो बिंदु अथवा टर्मिनल होते हैं जिन्हें एनोड तथा कैथोड कहा जाता है।
  • डायोड का प्राथमिक उद्देश्य धारा को केवल एक दिशा में प्रवाहित करने में सहायता प्रदान करना है। यह P-N संधि डायोड (P-N Junction Diode) का उपयोग कर इस कार्य को करता है।
  • P-N संधि p-प्रकार तथा n-प्रकार के अर्द्धचालकों के अंतरापृष्ठ (Interface) पर होता है।
    • अर्द्धचालक का धनात्मक पक्ष (Positive Side), जिसे p-फलक (p-type) के रूप में जाना जाता है, में कई होल (hole) मौजूद होते हैं।
    • अर्द्धचालक के ऋणात्मक पक्ष (Negative Side), जिसे n-फलक (n-side) कहा जाता है, में इलेक्ट्रॉनों की अधिकता होती है।
      • इलेक्ट्रॉन, परमाणुओं में वे 'स्थान' संदर्भित करते हैं जिनमें ऋणात्मक आवेश (Negative Charge) होता है।

नोट:

  • इलेक्ट्रॉन: एक इलेक्ट्रॉन ऋणात्मक आवेश वाला एक उपपरमाण्विक कण है जो या तो किसी परमाणु से बंधा हुआ या मुक्त अवस्था में मौजूद हो सकता है।
  • होल: PN जंक्शन में, "होल" अर्धचालक सामग्री के वैलेंस बैंड में एक इलेक्ट्रॉन की अनुपस्थिति को संदर्भित करता है।
    • जब वैलेंस बैंड से एक इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तर (चालन बैंड) में चला जाता है, तो यह वैलेंस बैंड में एक रिक्त स्थान छोड़ देता है, जिसे होल के रूप में जाना जाता है।
  • ऊर्जा अंतराल (Band Gap): बैंड गैप किसी सामग्री में उच्चतम व्याप्त और सबसे कम रिक्त इलेक्ट्रॉनिक अवस्थाओं के बीच ऊर्जा का अंतर है।

प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) क्या हैं? 

  • LED अर्धचालक हैं जो विद्युत प्रवाह गुज़रने पर प्रकाश उत्सर्जित कर सकते हैं।
    • डायोड के P-N जंक्शन के अंदर, इलेक्ट्रॉनों में छिद्रों की तुलना में अधिक ऊर्जा होती है। जब कोई इलेक्ट्रॉन मिलता है और छिद्र को अपने आवेश में ले लेता है, जिसके फलस्वरूप परिवेश में ऊर्जा मुक्त होती है।
  • वर्ष 2014 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार इसामु अकासाकी, हिरोशी अमानो और शुजी नाकामुरा को दिया गया।
    • उनकी उपलब्धि को कुशल नीला प्रकाश उत्सर्जक डायोड के आविष्कार के लिये पहचाना गया, जिसने शक्तिशाली, ऊर्जा-कुशल सफेद प्रकाश स्रोतों के विकास का रास्ता साफ कर दिया।    
    • लाल और हरे डायोड कुछ समय के लिये अस्तित्व में थे, लेकिन नीले प्रकाश की कमी ने सफेद लैंप के निर्माण को रोक दिया।

प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) और लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (LCD) के बीच क्या अंतर हैं?

LCD

LED

  • LCD मुख्य रूप से फ्लोरोसेंट रोशनी का उपयोग करते हैं।
  • LED प्रकाश उत्सर्जक डायोड का उपयोग करते हैं।
  • फ्लोरोसेंट लाइट्स आमतौर पर LCD में स्क्रीन के पीछे लगाई जाती हैं
  • प्रकाश उत्सर्जक डायोड या तो स्क्रीन के पीछे या किनारों पर स्थित होते हैं।
  • LED की तुलना में LCD अधिक मोटी होती हैं और कम ऊर्जा दक्षता प्रदर्शित करती हैं।
  • LED पतले होते हैं और कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं।
  • LCD का व्यूइंग एंगल LED की तुलना में संकीर्ण होता है।
  • LED में LCD की तुलना में व्यापक व्यूइंग एंगल होता है।
  • LCD पारा का उपयोग करता है और पर्यावरण के लिये हानिकारक है।
  • LED में पारे का उपयोग नहीं होता है और यह पर्यावरण के अनुकूल है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. सड़क प्रकाश व्यवस्था के संदर्भ में, सोडियम बत्तियाँ एल.ई.डी. बत्तियों से किस प्रकार भिन्न हैं? (2021)

  1. सोडियम बत्तियाँ प्रकाश को 360 डिग्री में उत्पन्न करती हैं लेकिन एल.ई.डी. बत्तियों में ऐसा नहीं होता है।
  2.  सड़क की बत्तियों के रूप में, सोडियम बत्तियों की उपयोगिता अवधि अधिक होती है।
  3.  सोडियम बत्ती के दृश्य प्रकाश का स्पेक्ट्रम लगभग एकवर्णी होता है जबकि एल.ई.डी. बत्तियाँ सड़क प्रकाश व्यवस्था में सार्थक वर्ण सुविधाएँ (कलर एडवांटेज) प्रदान करते हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 3
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. वर्ष 2014 में भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से अकासाकी, अमानो और नाकामुरा को 1990 के दशक में नीली एलईडी के आविष्कार के लिये प्रदान किया गया था। इस आविष्कार ने मानव के दैनंदिन जीवन को किस प्रकार प्रभावित किया है? (2021)


विश्व की सबसे बड़ी गहरे समुद्र की मूंगा चट्टान

स्रोत:डेक्कन हेराल्ड

वैज्ञानिकों ने संयुक्त राज्य अमेरिका के अटलांटिक तट पर स्थित सबसे बड़े ज्ञात गहरे समुद्र की मूंगा चट्टान का मानचित्रण किया है।

  • चट्टान के अस्तित्व को वैज्ञानिकों ने 1960 के दशक से स्वीकार किया है, लेकिन हाल ही में पानी के नीचे मानचित्रण तकनीक के आगमन ने इसके आयामों को दर्शाने वाली स्पष्ट 3D छवियों के निर्माण को सक्षम किया है।

नव स्थापित चट्टान की विशेषताएँ क्या हैं?

  • परिचय:
    • यह चट्टान लगभग 500 किमी. लंबी है, जो फ्लोरिडा से दक्षिण कैरोलिना तक फैली हुई है।  कुछ बिंदुओं पर इसकी चौड़ाई 110 किमी. तक पहुँच जाती है।
      • रीफ का क्षेत्रफल येलोस्टोन नेशनल पार्क से लगभग तीन गुना बड़ा है।
      • 200 से 1,000 मीटर की गहराई तक खोजी गई यह चट्टान सूर्य के प्रकाश की पहुँच से परे क्षेत्रों में मौजूद है।
        • हाल ही में पाई गई मूंगा चट्टान के विपरीत, जो गहरे पानी में सबसे बड़ी है, ग्रेट बैरियर रीफ उथले पानी में सबसे बड़ी मूंगा चट्टान प्रणाली है।
    • एक वैज्ञानिक ने बताया कि समुद्र तल का लगभग 25% हिस्सा पूरी तरह से उच्च रिज़ॉल्यूशन क्षमता के साथ मानचित्रण किया गया है, जिससे यह संभावना बढ़ गई है कि भविष्य में अधिक गहरे समुद्र की मूंगा चट्टानों का मानचित्रण किया जा सकेगा।

गहरे और उथले पानी की मूंगा चट्टान के बीच क्या अंतर है?

विशिष्टताएँ

उथले पानी की मूंगा

गहरे जल की मूंगा

उपस्थिति

भूरा और हरा

सफेद

विविधता

उच्च (High)

निम्न (Low)

भोजन

प्रकाश संश्लेषक शैवाल पर निर्भर 

छोटे प्लवक या कार्बनिक पदार्थ पर निर्भर

पर्यावास

स्पंज, केकड़े आदि को प्रदान करता है।

शार्क, स्वॉर्डफिश, ऑक्टोपस आदि को प्रदान करता है

संरचना के प्रकार

चट्टान की तरह

पंख, वृक्ष आदि की तरह

विकास की प्रक्रिया

सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता 

सूरज की रोशनी की आवश्यकता नहीं 

वितरण

समुद्र तल के कम क्षेत्र में  

समुद्र तल का विस्तृत क्षेत्र में

चुनौतियाँ

जलवायु परिवर्तन, तेल और गैस ड्रिलिंग से खतरा

जलवायु परिवर्तन, तेल और गैस ड्रिलिंग से खतरा

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. विश्व की सर्वाधिक प्रवाल भित्तियाँ उष्णकटिबंधीय सागर जलों में मिलती हैं। 
  2. विश्व की एक तिहाई से अधिक प्रवाल भित्तियाँ ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस के राज्य-क्षेत्रों में स्थित हैं। 
  3. उष्णकटिबंधीय वर्षावनों की अपेक्षा, प्रवाल भित्तियाँ कहीं अधिक संख्या में जंतु संघों का परपोषण करती हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


मेन्स: 

प्रश्न. उदाहरण के साथ प्रवाल जीवन प्रणाली पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का आकलन कीजिये। (2019)


कोचिंग संस्थानों के लिये शिक्षा मंत्रालय के दिशानिर्देश

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में शिक्षा मंत्रालय (MoE) ने कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने और निजी कोचिंग संस्थानों की अनियंत्रित वृद्धि पर प्रबंधित लगाने हेतु दिशा-निर्देश प्रस्तुत किये हैं।

कोचिंग संस्थानों के लिये प्रमुख दिशा-निर्देश क्या हैं? 

  • आयु संबंधी प्रतिबंध: कोचिंग संस्थानों पर 16 वर्ष से कम आयु के छात्रों के नामांकन पर प्रतिबंध लगाया गया है। माध्यमिक विद्यालय की परीक्षा पूरी करने के बाद ही छात्रों को नामांकन की अनुमति होगी।
  • शिक्षकों की योग्यता: इन संस्थानों के शिक्षकों के पास कम-से-कम स्नातक की योग्यता होनी चाहिये, नैतिक अधमता के दोषी व्यक्तियों को नियुक्त करना निषिद्ध है। नैतिक अधमता का अर्थ है- सामाजिक कल्याण के विपरीत किया गया कार्य।
  • झूठे वादों और आश्वासन पर नियंत्रण: कोचिंग संस्थानों को भ्रामक दावे करने, रैंक की गारंटी देने अथवा अच्छे अंकों का आश्वासन देने के संबंध में भी निर्देश जारी किये गए हैं
    • कोचिंग की गुणवत्ता, सुविधाओं अथवा परिणामों के संबंध में भ्रामक विज्ञापन प्रस्तुत करना सख्त वर्जित हैं।
  • वेबसाइट अद्यतन: कोचिंग संस्थानों के पास शिक्षक योग्यता, पाठ्यक्रम, अवधि, छात्रावास सुविधाओं एवं शुल्क संबंधी अद्यतन जानकारी प्रदान करने वाली एक वेबसाइट होनी आवश्यक है।
  • मानसिक स्वास्थ्य: छात्रों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं की बढती संख्या के जवाब में, उक्त दिशा-निर्देश कोचिंग संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल देते हैं।
    • इसके अंतर्गत एक परामर्श प्रणाली स्थापित करना, मनोवैज्ञानिकों और परामर्शदाताओं के बारे में जानकारी प्रदान करना एवं मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शिक्षकों को प्रशिक्षण देना शामिल है।
  • शुल्क विनियम: उचित ट्यूशन फीस की व्यवस्था और किसी छात्र द्वारा समय से पूर्व पाठ्यक्रम छोड़े जाने की स्थिति में उसे आनुपातिक आधार पर रिफंड प्रदान किया जाना चाहिये।
  • समावेशी नीतियाँ: कोचिंग संस्थानों में धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान अथवा वंश के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिये।
    • महिला छात्रों, दिव्यांगजनों और उपेक्षित समूहों के प्रतिनिधित्त्व में वृद्धि करने हेतु विशेष प्रयास किये जा सकते हैं।
  • बुनियादी ढाँचा संबंधी मानक: ‘कक्षा में प्रति छात्र न्यूनतम एक वर्ग मीटर’ जैसे अवसंरचनात्मक मानक का पालन किया जाना चाहिये।
    • कोचिंग संस्थान भवनों को अग्नि सुरक्षा संहिता, भवन सुरक्षा संहिता और अन्य प्रासंगिक मानकों के अनुरूप होना आवश्यक है।
    • दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों का पालन करते हुए इमारतें और परिवेश भी दिव्यांगों के अनुकूल होनी चाहिये।
  • सरकारी निरीक्षण: सरकार ने उक्त दिशा-निर्देशों के प्रभावी होने के तीन माह के भीतर नए और मौजूदा कोचिंग संस्थान के रजिस्ट्रीकरण का प्रस्ताव रखा है।
    • राज्य सरकारों को कोचिंग संस्थान की गतिविधियों की निगरानी करने और रजिस्ट्रीकरण अर्हता का अनुपालन सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा गया है।
  • ज़ुर्माना: रजिस्ट्रीकरण अथवा सामान्य शर्तों के किसी भी नियम और शर्तों के उल्लंघन के मामले में, कोचिंग संस्थान निम्नानुसार दंड के लिये उत्तरदायी होगा:
    • प्रथम अपराध के लिये 25,000/- रुपए
    • द्वितीय अपराध के लिये 1,00,000/- रुपए
    • पुनः उल्लंघन के लिये रजिस्ट्रीकरण रद्द किया जाना।

नोट: शिक्षा मंत्रालय के अनुसार कोचिंग का अर्थ 50 से अधिक छात्रों को दी जाने वाली शिक्षा की किसी भी शाखा में ट्यूशन, निर्देश अथवा मार्गदर्शन से है, किंतु इसमें परामर्श, खेल, नृत्य, थिएटर और अन्य रचनात्मक गतिविधियाँ शामिल नहीं हैं।


होमी जे भाभा की जयंती

होमी जहाँगीर भाभा (जन्म 30 अक्तूबर, 1909, मुंबई, भारत और मृत्यु 24 जनवरी, को) एक अग्रणी भारतीय भौतिक विज्ञानी थे।

  • उन्हें भारत के परमाणु कार्यक्रम का जनक माना जाता है। उन्होंने सैन्य निवारक और ऊर्जा के स्रोत के रूप में परमाणु ऊर्जा के महत्त्व को देखा तथा भारत के परमाणु प्रतिष्ठान की नींव रखी।
  • उन्होंने दो संस्थानों की स्थापना और निर्देशन किया जो भारत को परमाणु युग में लाएँगे: टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) तथा परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान, ट्रॉम्बे, बाद में उनके सम्मान में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) का नाम बदल दिया गया।
  • भारत का तीन-चरणीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम 1950 के दशक में होमी भाभा द्वारा तैयार किया गया था।
  • भाभा वर्ष 1942 में एडम्स पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय थे, जो कैम्ब्रिज़ विश्वविद्यालय द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान था। भाभा को उनके "प्राथमिक कणों और उनकी अंतःक्रियाओं के सिद्धांत" के लिये पुरस्कार मिला। उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।

और पढ़ें: परमाणु उर्जा के रूप में भारत की संभावनाएँ


विक्टोरिया झील का पुनरुद्धार

विक्टोरिया झील अनेक पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रही है, जिसके कारण इसके जीर्णोद्धार और संरक्षण के लिये संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है।

  • भारत स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट और राष्ट्रीय पर्यावरण प्रबंधन परिषद, तंज़ानिया ने झील को बहाल करने की रणनीतियों पर निर्णय लेने के लिये हाल ही में दार एस. सलाम, तंज़ानिया में एक बहुराष्ट्रीय हितधारक मंच कार्यक्रम आयोजित किया।

  • विक्टोरिया झील अफ्रीका की सबसे बड़ी झील और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है। इसकी तटरेखा केन्या (6%), युगांडा (43%), और तंज़ानिया (51%) द्वारा साझा की जाती है।
    • कागेरा, कटोंगा, सियो, याला, न्यांडो, सोंदु मिरिउ और मारा नदियाँ इस झील में गिरती हैं वहीं इसके विपरीत नील नदी इसी झील से निकलती है।

राष्ट्रीय बालिका दिवस

भारतीय समाज में लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालने के लिये प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day- NGCD) मनाया जाता है।

  • यह दिन लड़कियों के सामने आने वाली असमानताओं के बारे में जागरूकता लाने और शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल तथा पोषण में समान अवसरों का समर्थन करने पर केंद्रित है।
  • NGCD की स्थापना वर्ष 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी।
    • यह पहल बाल विवाह और लिंग आधारित हिंसा सहित लड़कियों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों को पहचानती है।
  • NGCD ने 22 जनवरी, 2015 को शुरू की गई बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना (Save the Girl Child, Educate the Girl Child) की उद्घाटन वर्षगाँठ मनाई।

और पढ़ें: राष्ट्रीय बालिका दिवस


रोहन बोपन्ना: पुरुष युगल में विश्व के सबसे उम्रदराज़ नंबर 1 खिलाड़ी

रोहन बोपन्ना पुरुष युगल में विश्व नंबर 1 रैंकिंग हासिल करने वाले सबसे उम्रदराज़ टेनिस खिलाड़ी (43 वर्ष की उम्र में) बनने से एक कदम दूर हैं। वह अपने साथी मैथ्यू एबडेन के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन के सेमीफाइनल में पहुँचे।

  • बोपन्ना और एबडेन ने क्वार्टर फाइनल में छठी वरीयता प्राप्त अर्जेंटीना की मैक्सिमो गोंजालेज तथा आंद्रेस मोल्टेनी की जोड़ी को हराया।
  • बोपन्ना विश्व नंबर 1 रैंकिंग हासिल करने वाले सबसे उम्रदराज़ खिलाड़ी बनकर यू.एस.ए. के राजीव राम द्वारा स्थापित रिकॉर्ड को तोड़ने से एक कदम दूर हैं।
  • बोपन्ना लिएंडर पेस, महेश भूपति और सानिया मिर्ज़ा की तरह ही विश्व युगल रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल करने वाले चौथे भारतीय हैं।
    • वह मास्टर्स 1000 इवेंट में पुरुष युगल खिताब जीतने वाले सबसे उम्रदराज़ खिलाड़ी भी हैं, उन्होंने 43 साल की उम्र में इंडियन वेल्स टूर्नामेंट में एबडेन के साथ यह उपलब्धि हासिल की।

और पढ़ें…ऑस्ट्रेलियन ओपन