हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन और काकोरी ट्रेन एक्शन
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
छियानवे वर्ष पूर्व दिसंबर, 1927 में काकोरी ट्रेन एक्शन/षड्यंत्र के 2 वर्ष बाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के चार क्रांतिकारियों को फाँसी दी गई थी, जिसमें हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) के सदस्यों ने ब्रिटिश खजाने में धन ले जाने वाली ट्रेन को लूट लिया था।
- यह उनके बलिदान और बहादुरी की मार्मिक याद दिलाता है और भारत के स्वतंत्रता संग्राम को आयाम देने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं पर पुनर्विचार करता है।
हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से संबंधित मुख्य बिंदु क्या हैं?
- पृष्ठभूमि: महात्मा गांधी ने वर्ष 1920 में असहयोग आंदोलन की शुरुआत की, अहिंसा पर ज़ोर देते हुए भारतीयों से देश में ब्रिटिश गतिविधियों का समर्थन करना बंद करने का आग्रह किया।
- हालाँकि वर्ष 1922 में चौरी-चौरा घटना के बाद आंदोलन की दिशा बदल गई, जहाँ पुलिस की गोलीबारी में प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और उसके बाद भीड़ के हमले में पुलिसकर्मियों की मौत हो गई।
- भारतीय राष्ट्रिय काॅन्ग्रेस के भीतर आंतरिक असंतोष के बावजूद, गांधी ने आंदोलन को अचानक रोक दिया।
- स्थापना: असहयोग आंदोलन को रोकने के फैसले से युवाओं के एक समूह का मोहभंग हो गया, जिन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) की स्थापना की।
- समूह के संस्थापक राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक-उल्लाह खान, दोनों को कविता का शौक था। अन्य में सचिंद्र नाथ बख्शी और ट्रेड यूनियनिस्ट जोगेश चंद्र चटर्जी शामिल थे।
- चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह जैसी हस्तियाँ भी HRA में शामिल हुईं।
- घोषणापत्र: 1 जनवरी, 1925 को जारी उनके घोषणापत्र का शीर्षक क्रांतिकारी था। इसने क्रांतिकारी पार्टी: एक संगठित, सशस्त्र क्रांति के माध्यम से यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ इंडिया के एक संघीय गणराज्य की स्थापना, के उद्देश्य की घोषणा की।
- क्रांतिकारियों को न तो आतंकवादी और न ही अराजकतावादी के रूप में चित्रित किया गया; उन्होंने आतंकवाद को अपने एक लक्ष्य के रूप में स्वीकार करने से खारिज़ कर दिया, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर इसे एक शक्तिशाली प्रतिशोधात्मक उपाय के रूप में स्वीकार किया।
- HRA का दृष्टिकोण: उन्होंने सार्वभौमिक मताधिकार और समाजवादी सिद्धांतों पर आधारित एक गणतंत्र की कल्पना की, जिसमें मानव शोषण को सक्षम करने वाली प्रणालियों के उन्मूलन को प्राथमिकता दी गई।
- HRA का विकास: समाजवादी विचारधाराओं की ओर बदलाव के कारण HRA वर्ष 1928 में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) में तब्दील हो गया, जिसने अपना ध्यान राजनीतिक स्वतंत्रता से हटाकर सामाजिक-आर्थिक समानता पर केंद्रित कर लिया।
- भगत सिंह जैसी हस्तियों के नेतृत्व में, HSRA ने राष्ट्रवादी आकांक्षाओं को समाजवादी सिद्धांतों के साथ मिला दिया, जिससे भारत के स्वतंत्रता संग्राम की दिशा बदल गई।
काकोरी ट्रेन षड्यंत्र क्या था?
- अगस्त 1925 में काकोरी में ट्रेन डकैती HRA की पहली बड़ी कार्रवाई थी। 8 नंबर की डाउन ट्रेन शाहजहाँपुर और लखनऊ के बीच चली थी।
- जैसे ही ट्रेन काकोरी के पास पहुँची, एक क्रांतिकारी (राजेंद्रनाथ लाहिड़ी) ने ट्रेन को रोकने के लिये आपातकालीन चेन खींच दी और गार्ड को पकड़ लिया। ट्रेन में सरकारी धन से भरे खज़ाने के बैग थे जिन्हें लखनऊ में ब्रिटिश खज़ाने में जमा किया जाना था।
- क्रांतिकारियों ने इस धन को लूटने की योजना बनाई, जिसके बारे में उनका मानना था कि यह वैसे भी वैध रूप से भारतीयों का है।
- उनका उद्देश्य HRA को वित्त पोषित करना और अपने काम तथा मिशन के लिये जनता का ध्यान आकर्षित करना था।
- ब्रिटिश अधिकारियों ने कठोर कार्रवाई शुरू की, जिससे कई HRA सदस्यों की गिरफ्तारी हुई।
- गिरफ्तार किये गए चालीस व्यक्तियों में से चार को मौत की सज़ा मिली (17 दिसंबर को राजेंद्रनाथ लाहिड़ी और 19 दिसंबर को अशफाक-उल्लाह खान, राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह) तथा अन्य को लंबे कारावास का सामना करना पड़ा।
- चन्द्रशेखर आज़ाद एकमात्र प्रमुख HRA नेता थे जो गिरफ्त से बचने में कामयाब रहे।
WHO द्वारा R21/मैट्रिक्स-M मलेरिया वैक्सीन की पूर्व-योग्यता
स्रोत: द हिंदू
मलेरिया की वैश्विक रोकथाम में एक महत्त्वपूर्ण विकास को लक्षित करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाल ही में R21/मैट्रिक्स-M मलेरिया वैक्सीन को अपनी पूर्व-योग्य (Prequalified) टीकों की सूची में जोड़ा गया है।
- ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित तथा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित, यह टीका बच्चों में मलेरिया को रोकने में आशाजनक है।
- R21/मैट्रिक्स-M वैक्सीन WHO की पूर्व-योग्यता प्राप्त करने वाली दूसरी मलेरिया वैक्सीन बन गई है, पहली वैक्सीन RTS, S/AS01 थी।
WHO की पूर्व-योग्यता का क्या महत्त्व है?
- WHO द्वारा R21 वैक्सीन की पूर्व-योग्यता उक्त वैक्सीन की सुरक्षा तथा प्रभावकारिता के सशक्त आश्वासन के रूप में कार्य करता है।
- जो उत्पाद WHO की पूर्व-योग्यता प्राप्त कर लेते हैं, वे विश्वसनीयता प्राप्त कर लेते हैं तथा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में अधिक सरलता से स्वीकार किये जाते हैं क्योंकि WHO उनकी सुरक्षा, प्रभावशीलता तथा विनिर्माण अनुपालन का मूल्यांकन करने के लिये कठोर अंतर्राष्ट्रीय मानकों को लागू करता है।
- संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children's Fund- UNICEF) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा खरीद के लिये अमूमन WHO की पूर्व-योग्यता को एक शर्त के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
- यह किसी वैक्सीन के वैश्विक टीकाकरण कार्यक्रमों में शामिल होने की संभावना को बढ़ाता है, जिससे व्यापक पहुँच सुनिश्चित होती है।
- WHO की पूर्व-योग्यता गावी (Gavi) समर्थन हासिल करने में सहायक है, जो सीमित संसाधनों वाले क्षेत्रों में टीकाकरण कार्यक्रमों के कार्यान्वयन को सक्षम बनाता है।
- गावी, वैक्सीन एलायंस, वर्ष 2000 में गठित किया था, जिसका उद्देश्य विकासशील देशों में टीकों के नियोजन के लिये धन सहायता प्रदान करना है।
मलेरिया क्या है?
- परिचय:
- यह प्लाज़्मोडियम परजीवियों के कारण होने वाला एक जानलेवा मच्छर जनित रक्त रोग है। यह रोकथाम योग्य तथा उपचार योग्य है।
- मुख्य रूप से यह अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका तथा एशिया के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
- मलेरिया संक्रमित मादा एनोफिलीज़ मच्छर के काटने से फैलता है, जिसमें परजीवी यकृत में पहुँचकर लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं।
- मलेरिया फैलाने वाली पाँच परजीवी प्रजातियों में से प्लाज़्मोडियम फाल्सीपेरम तथा प्लाज़्मोडियम विवैक्स मानव स्वास्थ्य के लिये सबसे अधिक घातक हैं।
- मलेरिया के लक्षणों में ज्वर तथा फ्लू जैसी व्याधियाँ शामिल है, जिसमें ठंड लगने के साथ कंपकंपी, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द एवं थकान शामिल हैं।
- यह प्लाज़्मोडियम परजीवियों के कारण होने वाला एक जानलेवा मच्छर जनित रक्त रोग है। यह रोकथाम योग्य तथा उपचार योग्य है।
- व्यापकता:
- मलेरिया अफ्रीकी क्षेत्र में बच्चों को विशेष रूप से प्रभावित करता है, जहाँ प्रत्येक वर्ष लगभग पाँच लाख बच्चों की इस बीमारी से मृत्यु हो जाती है।
- वर्ष 2022 में विश्व में मलेरिया के लगभग 249 मिलियन अनुमानित मामले थे तथा 85 देशों में कुल 6,08,000 मौतें मलेरिया से हुईं।
- मलेरिया की रोकथाम हेतु पहल:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न1. क्लोरोक्वीन जैसी दवाओं के लिये मलेरिया परजीवी के व्यापक प्रतिरोध ने मलेरिया से निपटने हेतु एक मलेरिया वैक्सीन विकसित करने के प्रयासों को प्रेरित किया है। एक प्रभावी मलेरिया टीका विकसित करना कठिन क्यों है? (2010) (a) मलेरिया प्लाज़्मोडियम की कई प्रजातियों के कारण होता है। उत्तर: B |
साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2023
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में साहित्य अकादमी ने 24 भाषाओं में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2023 प्रदान करने की घोषणा की।
- इस वर्ष पुरस्कार के लिये चुने गए साहित्य में 9 कविता संग्रह, 6 उपन्यास, 5 कहानी संग्रह, 3 निबंध और एक आलोचना शामिल हैंI
- पुरस्कार विजेताओं को ताम्रपत्र उक्त पट्टिका, एक शॉल और 1,00,000 रुपए प्रदान किये जाएँगे।
साहित्य अकादमी पुरस्कार क्या है?
- परिचय:
- 1954 में स्थापित साहित्य अकादमी पुरस्कार, एक साहित्यिक सम्मान है जो साहित्य अकादमी, भारत की राष्ट्रीय साहित्यअकादमी द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है।
- यह अकादमी अपनी मान्यता प्राप्त भाषाओं में साहित्यिक कार्यों के लिये और भारत की भाषाओं में साहित्यिक अनुवादों के लिये सालाना 24 पुरस्कार देती है ।
- भारत के संविधान में सूचीबद्ध 22 भाषाओं के अलावा, साहित्य अकादमी ने अंग्रेजी और राजस्थानी को उन भाषाओं के रूप में मान्यता दी है जिनमें उसका कार्यक्रम लागू किया जा सकता है।
- साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार के बाद भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मान है।
- पुरस्कार विजेता के चयन के लिये मानदंड:
- लेखक की नागरिकता भारतीय होना चाहिये।
- पुरस्कार के लिये पात्र पुस्तक/कार्य का उस भाषा और साहित्य में उत्कृष्ट योगदान होना चाहिये जिससे वह संबंधित है।
- जब दो या दो से अधिक की पुस्तकों के लिये समान योग्यता पाई जाती है, तो पुरस्कार घोषित करने के लिये लेखकों के कुल साहित्यिक योगदान और स्थिति जैसे कुछ मानदंडों को ध्यान में रखा जाएगा।
- अन्य साहित्य अकादमी पुरस्कार:
- साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार किसी लेखक को बाल साहित्य में उसके कुल योगदान के आधार पर दिया जाता है और पुरस्कार के वर्ष से ठीक पहले पाँच वर्षों के दौरान पहली बार प्रकाशित पुस्तकों से संबंधित होता है।
- साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 35 वर्ष और उससे कम उम्र के लेखक द्वारा प्रकाशित पुस्तकों से संबंधित है।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 दिसंबर, 2023
क्राफ्ट प्रक्रिया
एक ऐसी प्रक्रिया जिसका उपयोग लकड़ी के काफी छोटे टुकड़े से सेलूलोज़ फाइबर का उत्पादन करने के लिये किया जाता है, क्राफ्ट प्रक्रिया कहलाता है। इसका उपयोग कागज़ एवं रोजमर्रा की अन्य सामग्री बनाने के लिये किया जाता है।
- इस प्रक्रिया में लकड़ी के काफी छोटे टुकड़े को उच्च तापमान पर जल, सोडियम हाइड्रॉक्साइड तथा सोडियम सल्फाइड के साथ रासायनिक रूप से उपचारित किया जाता है।
- सोडियम हाइड्रॉक्साइड और सोडियम सल्फाइड के मिश्रण से सफेद तरल पदार्थ का निर्माण होता है, जो लकड़ी के काफी छोटे टुकड़ों में मौजूद लिग्निन, हेमिकेलुलोज़ और सेलूलोज़ के बीच के आबंधन (बाँडिंग) को विच्छेदित कर देता है।
- इस प्रक्रिया द्वारा उत्पादित सबसे मज़बूत कागज़, जो कागज़ बनाने की सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली विधि है, की पहचान इसकी सल्फाइडिटी से की जाती है, जो इसकी सापेक्ष सल्फर सांद्रता को इंगित करता है।
- इस प्रक्रिया द्वारा जल में लिग्निन, घुले कार्बन, अल्कोहल आयन और भारी धातुएँ जैसे पदार्थ निष्काषित हो जाते हैं, जिससे यह प्रक्रिया पर्यावरण के लिये प्रतिकूल हो जाती है।
NHRC ने दिये सलवा जुडूम पीड़ितों की जाँच के निर्देश
- एक याचिका के जवाब में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission- NHRC) ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और छह राज्य सरकारों को सलवा जुडूम से प्रभावित पीड़ितों के बारे में जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया है।
- इसके पीछे दिया गया तर्क है कि कई राज्यों में वन क्षेत्रों में रहने वाले विस्थापित लोगों को बुनियादी कल्याण कार्यक्रमों, जैसे वन अधिकार अधिनियम के तहत प्रदत्त अधिकार, जनजाति का दर्जा, भूमि अधिकार और सामाजिक कल्याण लाभ तक पहुँच से वंचित कर दिया गया है।
- सलवा जुडूम गैरकानूनी सशस्त्र नक्सलियों के विरुद्ध प्रतिरोध के लिये संगठित जनजातीय लोगों का एक समूह है। कथित तौर पर इस समूह को छत्तीसगढ़ में सरकारी तंत्र द्वारा समर्थन प्राप्त था।
- वर्ष 2011 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने नागरिकों को इस तरह से हथियार मुहैया कराने के विरुद्ध फैसला सुनाया और सलवा-जुडूम पर प्रतिबंध लगा दिया तथा छत्तीसगढ़ सरकार को माओवादी गुरिल्लाओं से निपटने हेतु किसी भी स्थापित सहायक बल को भंग करने का भी निर्देश दिया।
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मिलेट क्वीन
ओडिशा के कोरापुट ज़िले में रहने वाली जनजातीय किसान रायमती घुरिया ने कदन्न की 30 किस्मों को संरक्षित किया है, साथ ही उन्होंने सैकड़ों महिलाओं को दुर्लभ कदन्न की खेती में प्रशिक्षण भी प्रदान किया है।
- 'अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष' के उपलक्ष्य में उन्हें आयोजित G20 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था।
- उन्होंने धान की 72 पारंपरिक किस्मों और कुंद्रा बाटी मंडिया, जसरा, जुआना तथा जामकोली सहित कदन्न की कम से कम 30 किस्मों का संरक्षण कर कृषि क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
- G20 शिखर सम्मेलन में उन्हें 'मिलेट क्वीन' की संज्ञा/उपाधि दी गई। उन्हें स्वदेशी बीजों के संरक्षण में अग्रणी माना गया है।
- कदन्न सूखा प्रतिरोधी फसल है, इसके विकसित होने के लिये कम मात्रा में जल की आवश्यकता होती है और वे कम गुणवत्ता वाले मृदा में भी उग सकते है।
- कदन्न फाइबर, प्रोटीन, विटामिन और खनिजों का अच्छा स्रोत है।
- यह प्राकृतिक रूप से ग्लूटेन-मुक्त होता है, साथ ही सीलिएक रोग अथवा ग्लूटेन असहिष्णुता लोगों के लिये सेवन हेतु काफी उपयुक्त होता है।
टचस्क्रीन की कार्यप्रणाली
टचस्क्रीन एक डिवाइस है जो किसी प्रकार का इनपुट प्राप्त करने (जैसे– किसी एप पर टैप किये जाने के माध्यम से) और आउटपुट प्रदर्शित करने (एप को शुरू करने के रूप में) के संयोजन का कार्य करता है।
- टचस्क्रीन सामान्यतः दो प्रकार के होते हैं– कैपेसिटिव और रेसिस्टिव।
- कैपेसिटिव टचस्क्रीन का उपयोग अधिकांशतः स्मार्टफोन और टैबलेट में किया जाता है। जब हम उंगली से स्क्रीन को छूते हैं तब यह मानव शरीर के विद्युत गुणों को महसूस करते हुए प्रतिक्रिया देकर कार्य करता है।
- इस प्रकार की टचस्क्रीन में कैपेसिटर के ग्रिड की एक सतह होती है। कैपेसिटर विद्युत आवेशों को संग्रहीत करता है तथा उंगली से स्क्रीन को छुए जाने के बाद इसमें लगे सेंसर किसी भी प्रकार की डिसटाॅशन का पता लगाते हैं और स्पर्श/टच स्थान निर्धारित करने के लिये जानकारी एकत्रित करते हैं।
- रेसिस्टिव टचस्क्रीन दबाव के प्रति संवेदनशील होते हैं और स्क्रीन पर लागू दबाव को महसूस करके कार्य करते हैं।
- रेसिस्टिव टचस्क्रीन का निर्माण किफायती होता है और इसे संचालित करने के लिये कम विद्युत की आवश्यकता होती है।
- रेसिस्टिव टचस्क्रीन प्रतिरोध का उपयोग करती है। यानी इसमें विद्युतचालक की दो शीट/परतें होती हैं, इनके बीच काफी कम दूरी होती है। जब हम उंगली से उस एक शीट/परत को छूते हैं, तब यह नीचे के शीट/परत के स्पर्श में आती है जिससे वहाँ विद्युतधारा/करंट का प्रवाह हो जाता है।
- कैपेसिटिव टचस्क्रीन का उपयोग अधिकांशतः स्मार्टफोन और टैबलेट में किया जाता है। जब हम उंगली से स्क्रीन को छूते हैं तब यह मानव शरीर के विद्युत गुणों को महसूस करते हुए प्रतिक्रिया देकर कार्य करता है।