घोल मछली
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
गुजरात ने हाल ही में ब्लैक-स्पॉटेड क्रोकर (प्रोटोनिबिया डायकैंथस), जिसे स्थानीय तौर पर घोल मछली के नाम से जाना जाता है, को राज्य मछली घोषित किया है।
- यह निर्णय विभिन्न कारकों पर आधारित था, जिसमें इसकी विशिष्टता, आर्थिक मूल्य तथा संरक्षण की आवश्यकता पर ज़ोर देना था।
घोल मछली से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?
- भौगोलिक वितरण:
- घोल मछली मुख्य रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पाई जाती है।
- इसका प्राकृतिक वास फारस की खाड़ी से लेकर प्रशांत महासागर तक विस्तृत है।
- घोल मछली मुख्य रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पाई जाती है।
- आर्थिक महत्त्व:
- घोल मछली की चीन और अन्य एशियाई देशों के बाज़ार में पर्याप्त मांग है।
- घोल मछली को इसके उच्च बाज़ार मूल्य के कारण 'सी गोल्ड' के नाम से भी जाना जाता है।
- इसका मांस यूरोपीय और मध्य-पूर्वी देशों में निर्यात किया जाता है, जबकि ड्राई एयर ब्लैडर की विशेष रूप से चीन में अत्यधिक मांग है।
- गुजरात में एक किलोग्राम घोल की कीमत 5,000 रुपए से 15,000 रुपए तक है।
- ड्राई एयर ब्लैडर, जिसे सबसे महँगा हिस्सा माना जाता है, निर्यात बाज़ार में इसकी कीमत 25,000 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुँच सकती है।
- घोल मछली की चीन और अन्य एशियाई देशों के बाज़ार में पर्याप्त मांग है।
- लाभ:
- आँखों के स्वास्थ्य के लिये अच्छा है और आँखों की रोशनी बनाए रखने में सहायता करती है।
- उम्र बढ़ने और झुर्रियों को रोकने के लिये घोल मछली में मौजूद कोलेजन की मात्रा झुर्रियों को रोकती है और त्वचा की लोच को भी बरकरार रखती है।
- अगर इसे नियमित रूप से खिलाया जाए तो घोल मछली में मौजूद ओमेगा-3 की मात्रा शिशुओं की इंटेलिजेंस कोशेंट (IQ) में सुधार करती है, यह मस्तिष्क कोशिकाओं के विकास में सहायता करती है।
- संरक्षण:
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट: निकट संकटग्रस्त।
नोट:
- समुद्री और अंतर्देशीय मछली प्रजातियों की समृद्ध विविधता के साथ गुजरात, भारत में मत्स्य उत्पादन में अग्रणी राज्यों में से एक है।
- वर्ष 2021-22 में गुजरात में कुल 8.74 लाख टन मछली उत्पादन दर्ज किया गया।
ICC द्वारा स्टॉप-क्लॉक सिस्टम की शुरुआत एवं ट्रांसजेंडर नीति में संशोधन
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने खेल के नियमों में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के उद्देश्य से अभूतपूर्व उपाय प्रस्तुत किये हैं।
- क्रिकेट में लगातार चुनौतियों का समाधान करते हुए ICC ने स्टॉप-क्लॉक सिस्टम की शुरुआत की एवं एक संशोधित ट्रांसजेंडर नीति द्वारा वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है तथा साथ ही क्रिकेट समुदाय के भीतर चर्चाओं को भी जन्म दिया है।
ICC द्वारा हाल ही में उठाए गए प्रमुख कदम:
- स्टॉप-क्लॉक सिस्टम:
- परिचय: स्टॉप-क्लॉक सिस्टम की शुरुआत का उद्देश्य ओवरों के बीच समय की बर्बादी की लगातार समस्या का समाधान करने के साथ गेम प्ले दक्षता में वृद्धि करना है।
- यह पहल 1 दिसंबर, 2023 से अप्रैल 2024 तक जारी रहेगी।
- वर्तमान नियमों के अनुसार, यदि पारी समाप्त होने के समय तक क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम पीछे है, तो उन्हें इतने ओवरों के लिये 30-यार्ड सर्कल के अंदर एक अतिरिक्त क्षेत्ररक्षण में लाना होगा।
- लेकिन इसके बावजूद ऐसे कई उदाहरण थे जहाँ टीमें अभी भी पिछड़ी हुई पाई गईं।
- तंत्र: एक बार ओवर समाप्त होने के बाद क्षेत्ररक्षण टीम को अगले ओवर की तैयारी के लिये 60 सेकंड की अवधि ही प्राप्त होती है।
- मैच अधिकारी एक ओवर पूरा होने पर स्टॉप-क्लॉक को सक्रिय करेंगे।
- निर्धारित समय के भीतर अनुपालन करने में विफलता के परिणामस्वरूप पाँच रन का ज़ुर्माना लगाया जाएगा, जो एक ही पारी में तीसरे उल्लंघन पर लगाया जाएगा।
- परिचय: स्टॉप-क्लॉक सिस्टम की शुरुआत का उद्देश्य ओवरों के बीच समय की बर्बादी की लगातार समस्या का समाधान करने के साथ गेम प्ले दक्षता में वृद्धि करना है।
- संशोधित ट्रांसजेंडर नीति:
- परिचय: किसी भी प्रकार के पुरुष युवावस्था से गुज़रने वाले पुरुष से महिला बनने वाले खिलाड़ी अब सर्जिकल अथवा लिंग पुनर्निर्धारण उपचार के बावजूद महिला अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भाग लेने के लिये अयोग्य हैं।
- पूर्व के अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के दिशा-निर्देशों के अनुसार, ट्रांसजेंडर महिलाओं को 12 महीने तक टेस्टोस्टेरोन सीरम स्तर 5 नैनोमोल्स से नीचे बनाए रखना आवश्यक था।
- हालाँकि ICC के संशोधित रुख में अब उन व्यक्तियों को महिला अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में प्रतिस्पर्द्धा करने से बाहर रखा गया है, जिन्होंने पुरुष युवावस्था का अनुभव किया है।
- अन्य खेल संस्थाओं के साथ तुलनात्मक विश्लेषण: ICC की संशोधित नीति अन्य खेल निकायों द्वारा अपनाए गए समान रुख को प्रतिध्वनित करती है:
- विश्व एथलेटिक्स: पुरुष युवावस्था का अनुभव कर चुके ट्रांसजेंडर एथलीटों को महिला विश्व रैंकिंग प्रतियोगिताओं में भाग लेने से प्रतिबंधित करता है।
- FINA (तैराकी): पुरुष युवावस्था के किसी भी चरण से गुज़रने वाले ट्रांसजेंडर एथलीटों को विशिष्ट महिलाओं की तैराकी में भाग लेने से प्रतिबंधित करता है।
- विश्व रग्बी: ट्रांसजेंडर महिलाओं को महिलाओं के खेल के विशिष्ट एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने से प्रतिबंधित किया गया, जिससे अंतर्राष्ट्रीय खेल संघों के बीच इसी तरह के रुख का नेतृत्व किया गया।
- परिचय: किसी भी प्रकार के पुरुष युवावस्था से गुज़रने वाले पुरुष से महिला बनने वाले खिलाड़ी अब सर्जिकल अथवा लिंग पुनर्निर्धारण उपचार के बावजूद महिला अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भाग लेने के लिये अयोग्य हैं।
- अन्य उल्लेखनीय ICC अपडेट:
- अंडर-19 विश्वकप: सरकारी हस्तक्षेप के कारण श्रीलंका क्रिकेट के निलंबन के जवाब में ICC द्वारा पुरुषों के अंडर-19 विश्व कप को श्रीलंका से दक्षिण अफ्रीका में स्थानांतरित कर दिया।
- यह निर्णय पारंपरिक रूप से पर्यटन तथा आतिथ्य पर निर्भर श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालता है।
- वेतन समता: मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की समिति (CEC) ने मैच में महिला अधिकारियों की वेतन वृद्धि का समर्थन किया है, जिससे जनवरी 2024 से पुरुष एवं महिला क्रिकेट में ICC अंपायरों के लिये प्रति मैच दिवससमान वेतन सुनिश्चित किया जा सके।
- अंडर-19 विश्वकप: सरकारी हस्तक्षेप के कारण श्रीलंका क्रिकेट के निलंबन के जवाब में ICC द्वारा पुरुषों के अंडर-19 विश्व कप को श्रीलंका से दक्षिण अफ्रीका में स्थानांतरित कर दिया।
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद क्या है?
- ICC, क्रिकेट के लिये वैश्विक शासी निकाय है। 108 सदस्यों का प्रतिनिधित्व करते हुए ICC खेल का संचालन और प्रबंधन करता है साथ ही खेल को और अधिक विकसित करने के लिये अपने सदस्यों के साथ काम करता है।
- वर्ष 1909 में इंपीरियल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस (जैसा कि ICC को मूल रूप से कहा जाता था) के गठन से एक संरचित अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट निकाय की शुरुआत हुई, जिसमें प्रारंभिक रूप से इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया एवं दक्षिण अफ्रीका शामिल थे।
- हालाँकि द्वितीय विश्व युद्ध से पहले वेस्टइंडीज़ (वर्ष 1928), न्यूज़ीलैंड (वर्ष 1930) एवं भारत (वर्ष 1932) तथा उसके तुरंत बाद पाकिस्तान (वर्ष1952) शामिल हो गए।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. ICC विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर : (d) व्याख्या:
अत: विकल्प (d) सही उत्तर है। |
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 नवंबर, 2023
वर्ष 2021-2022 तक खसरा से होने वाली मौतों में 43% की वृद्धि
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राज्य अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के एक नए आकलन के अनुसार, टीकाकरण दरों में गिरावट के कारण वर्ष 2021-2022 तक पूरे विश्व में खसरा/मिज़ल्स से होने वाली मौतों की संख्या में 43% की वृद्धि हुई है।
- कम आय वाले देशों में जहाँ खसरे से होने वाली मौतों का जोखिम सबसे अधिक है, टीकाकरण दर सबसे कम 66 प्रतिशत है, जहाँ महामारी से निपटने का कोई संकेत नहीं है।
- खसरा, एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है, जो संक्रमित व्यक्ति की साँस, छींक या खाँसी से प्रसारित श्वसन बूँदों से फैलता है।
- खसरा एक सीरोटाइप वाले एकल-फँसे, ढके हुए RNA वायरस के कारण होता है। इसे पैरामाइक्सोविरिडे परिवार में जीनस मॉर्बिलीवायरस के सदस्य के रूप में वर्गीकृत किया गया है। मनुष्य खसरा वायरस का एकमात्र प्राकृतिक होस्ट है।
- और पढ़ें….सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम, मिशन इंद्रधनुष
राज्यपाल पुनः पारित विधेयकों को रोक नहीं सकता
तमिलनाडु सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में विरोध जताया कि राज्यपाल सदन द्वारा अधिनियमित आवश्यक कानूनों से लाभ पाने के लोगों के अधिकार को कमजोर करते हुए विधेयकों को अनिश्चित काल तक विलंबित कर रहे हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार के इस तर्क पर ध्यान दिया कि संविधान राज्यपाल को राज्य विधानसभा द्वारा "पुनः पारित" विधेयकों को रोकने के लिये "विवेकाधिकार" प्रदान नहीं करता है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि अनुच्छेद 200 का पहला प्रावधान कहता है: "यदि विधेयक सदन या सदनों द्वारा संशोधन के साथ या बिना संशोधन के फिर से पारित किया जाता है और राज्यपाल की सहमति के लिये प्रस्तुत किया जाता है, तो राज्यपाल उस पर अपनी सहमति नहीं रोकेगा"।
- न्यायालय ने राज्य की इस दलील को भी स्वीकार कर लिया कि राज्यपाल ने सहमति रोक दी है और एक बार विधेयकों को वापस भेज दिया है, इसलिये वे पुनः पारित विधेयकों को राष्ट्रपति के पास नहीं भेज सकते।
- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह भी देखा गया कि विधेयक को रोकने का अर्थ इसे पुनर्विचार के लिये विधानमंडल में वापस भेजना भी है क्योंकि विधेयकों को सदन में वापस लौटाना सहमति वापस लेने का एक आवश्यक परिणाम था।
और पढ़ें… अनुच्छेद 356, राजमन्नार समिति
इज़रायल ने लश्कर-ए-तैयबा को आतंकवादी संगठन घोषित किया
26/11 मुंबई हमले की 15वीं वर्षगाँठ से पूर्व इज़रायल ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) को आतंकवादी संगठन घोषित किया, यह कदम आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध का समर्थन करने के इज़रायल के प्रयासों के अनुरूप है।
- यह घोषणा गाज़ा पट्टी में इज़रायल के चल रहे सैन्य अभियान की पृष्ठभूमि में की गई थी, जो हमास द्वारा इज़रायली ठिकानों पर हमले के ठीक बाद शुरू किया गया था।
- इज़रायल ने यह कार्रवाई इसके द्वारा हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग के बाद की।
- UNSC या अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संगठनों की पहचान करने की भारत की प्रथा के समान, इज़रायल आमतौर पर उन आतंकवादी संगठनों को सूचीबद्ध करता है जो उसकी सीमाओं के भीतर अथवा आसपास उसके खिलाफ कार्य करते हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान उन देशों तथा समूहों में से हैं जिन्होंने हमास को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया है।
और पढ़ें…वर्ष 1967 का छह दिवसीय युद्ध, UNSC 1267 समिति
केरल की कोलकली कला
कोलकली, केरल के मालाबार क्षेत्र की एक लोककला, सेंट थॉमस (यीशु मसीह के शिष्यों में से एक) के भारत आगमन की स्मृति में प्रदर्शित की जा रही है, जो 52 ईस्वी में केरल तट पर मुज़िरिस (क्रैंगानोर) में उतरे थे।
- लगभग 200 वर्षों के इतिहास के साथ, कोलकली कला के बारे में कहा जाता है कि इसमें कलारीपयट्टू के तत्त्व शामिल हैं, जो केरल और तमिलनाडु में प्रचलित एक मार्शल आर्ट है।
- इसमें प्रत्येक कलाकार छोटी-छोटी छड़ियों को घुमाते हुए विशेष कदमों के साथ लय बनाए रखते हुए एक घेरे में चलते हैं।
- जैसे-जैसे संगीत का तारत्व/पिच बढ़ता है, प्रदर्शन के चरमोत्कर्ष तक पहुँचने तक गति बढ़ती जाती है। जैसे-जैसे नृत्य आगे बढ़ता है, घेरा फैलता और कम होता जाता है।
- कोलकली द्रविड़ों के बीच व्यापक है। इसने बंगाल, गुजरात, पंजाब और महाराष्ट्र के लोकनृत्य रूपों पर बहुत प्रभाव डाला है। तमिलनाडु में इस कला रूप को कोलाट्टम और आंध्र प्रदेश में कोलामू के नाम से जाना जाता है।
और पढ़ें… भारत में मार्शल आर्ट के रूप
ऑनलाइन कोचिंग प्लेटफॉर्म: SATHEE
शिक्षा मंत्रालय (MoE) और IIT-कानपुर ने भारत में प्रवेश परीक्षा की तैयारी में बदलाव लाने के उद्देश्य से एक अभिनव ऑनलाइन प्लेटफॉर्म SATHEE लॉन्च किया है।
- यह सहयोगात्मक पहल निशुल्क, सुलभ कोचिंग की पेशकश करके पारंपरिक कोचिंग केंद्रों के ढाँचे को तोड़ती है और सभी पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों के लिये समान अवसर प्रदान करती है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप, SATHEE सीखने के अनुभवों को निजीकृत करने के लिये AI का लाभ उठाता है और 45-दिवसीय व्यापक क्रैश कोर्स प्रदान करता है, जो छात्रों को JEE तथा NEET जैसी परीक्षाओं के लिये तैयार करता है।
और पढ़ें… राष्ट्रीय शिक्षा नीति