प्रारंभिक परीक्षा
RBI अधिशेष हस्तांतरण
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने केंद्र सरकार को अधिशेष धन के हस्तांतरण के लिये मंज़ूरी दे दी है, जिससे राजकोषीय स्थिति को वृहत स्तर पर प्रोत्साहन मिला है।
- लेखा वर्ष 2022-23 के लिये अधिशेष हस्तांतरण 87,416 करोड़ रुपए है, जो विगत वर्ष की तुलना में 188% अधिक है।
अधिशेष हस्तांतरण की वृद्धि में निहित कारक एवं इनका योगदान तथा प्रभाव:
- निहित कारकों का योगदान:
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और तेल विपणन कंपनियों से उच्च लाभांश।
- बिमल जालान समिति की सिफारिशों और मुद्रा मुद्रण शुल्क के अनुसार निवेश पर आय में वृद्धि, डॉलर संग्रह पर मूल्यांकन परिवर्तन, विदेशी परिसंपत्तियों का पुनर्मूल्यांकन और भंडार में समायोजन।
- डॉलर के मुकाबले रुपए का अवमूल्यन अधिशेष हस्तांतरण को प्रभावित करता है।
- अधिशेष वितरण ढाँचे पर उच्च दरें भुगतान में वृद्धि में योगदान करती हैं।
- अमेरिकी खजाने में विदेशी मुद्रा और निवेश की बिक्री पर उच्च आय।
- अधिशेष हस्तांतरण के प्रभाव:
- विनिवेश कार्यक्रम में अनिश्चितताओं के बीच विशेष रूप से राजकोषीय संख्या के प्रबंधन में सरकार के लिये राजकोषीय राहत।
- करों में उछाल और अन्य राजस्व स्रोतों में संभावित कमी की भरपाई में मदद करता है।
- जब कोई कर उत्प्लावक होता है, तो कर की दर बढ़ाए बिना उसका राजस्व बढ़ जाता है।
- बजट लक्ष्यों का समर्थन करने के लिये एक राजकोषीय प्रतिरोधक प्रदान करता है।
- विनिवेश कार्यक्रम पर अधिशेष हस्तांतरण प्रभाव:
- कम विनिवेश, दूरसंचार भुगतान या कर राजस्व के कारण होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई में सहायता करता है।
- राजकोषीय घाटे को अपेक्षाकृत आसानी से प्रबंधित करने की सरकार की क्षमता को बढ़ाता है।
- तरलता और मौद्रिक नीति हेतु निहितार्थ:
- लाभांश प्रवाह और मुद्रा की मांग में सीज़नल मॉडरेशन के कारण निकट अवधि में घर्षण तरलता कम होने की उम्मीद है।
- सख्त तरलता की स्थिति भविष्य में बनी रह सकती है, जिसके लिये RBI को वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही में 1.5 लाख करोड़ रुपए के खुले बाज़ार परिचालन की आवश्यकता होगी।
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिशेष कैसे उत्पन्न करता है?
- RBI की आय:
- घरेलू और विदेशी प्रतिभूतियों पर ब्याज।
- इसकी सेवाओं से शुल्क और कमीशन।
- विदेशी मुद्रा लेनदेन से लाभ।
- सहायक और सहयोगियों से रिटर्न।
- RBI के व्यय:
- करेंसी नोटों की छपाई।
- जमाराशियों और ऋणों पर ब्याज का भुगतान।
- कर्मचारियों के वेतन और पेंशन।
- कार्यालयों और शाखाओं के परिचालन व्यय।
- आकस्मिकताओं और मूल्यह्रास के लिये प्रावधान।
- अधिशेष:
- RBI की आय और व्यय के बीच का अंतर अधिशेष कहलाता है।
- भंडार और प्रतिधारित लाभ के लिये प्रावधान करने के बाद RBI,अधिशेष को सरकार को हस्तांतरित करता है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 47 (अधिशेष लाभ का आवंटन) के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिशेष को स्थानांतरित करता है।
- वाई एच मालेगाम (2013) की अध्यक्षता वाली RBI बोर्ड की एक तकनीकी समिति, जिसने भंडार की पर्याप्तता और अधिशेष वितरण नीति की समीक्षा की, ने सरकार को उच्च हस्तांतरण की सिफारिश की।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. यदि आर.बी.आई. प्रसारवादी मौद्रिक नीति का अनुसरण करने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा: (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से मौद्रिक नीति का/के घटक है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारंभिक परीक्षा
काॅम्ब जेली का रहस्यमय तंत्रिका तंत्र
काॅम्ब जेली या केटेनोफोरस प्राचीन समुद्री जंतु हैं, इनमें अद्वितीय विशेषताएँ पा जाती हैं, जिन्होंने वैज्ञानिक जिज्ञासा को प्रोत्साहित किया है। हाल के शोध में कॉम्ब जेली के तंत्रिका तंत्र के एक आश्चर्यजनक पहलू का पता चला है।
काॅम्ब जेली:
- कॉम्ब जेली समुद्री जंतु हैं जिन्होंने अपनी अद्वितीय विशेषताओं और विकासवादी इतिहास के कारण दशकों से वैज्ञानिकों को शोध हेतु आकर्षित किया है।
- उनका जटिल तंत्रिका तंत्र उन्हें अन्य जंतुओं से अलग करता है और जंतु जगत की सबसे प्राचीन जीवित जंतुओं में से एक है।
- यह पारदर्शी, जलचर हैं जो जल में अपने शरीर को आगे बढ़ाने के लिये लंबी सिलिअरी कोंब प्लेट्स का उपयोग करते हैं।
- यह आकार में कुछ मिलीमीटर से लेकर एक मीटर से अधिक लंबे होते हैं और उनके विविध आकार एवं रंग होते हैं। उनमें से कुछ बायोलुमिनेसेंस उत्पन्न कर सकते हैं, एक ऐसी घटना जिसमें जीवित जीव प्रकाश उत्सर्जित करते हैं।
- यह फाइलम केटेनोफोरा से संबंधित है, जिसमें लगभग 200 प्रजातियाँ शामिल हैं। ये सभी महासागरों और सागरों में ध्रुवीय से लेकर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों तक साथ ही उथले तटीय जल से लेकर गहरे समुद्र की खाइयों तक पाए जाते है ।
कॉम्ब जेली नर्वस सिस्टम:
- अधिकांश जानवरों के विपरीत कॉम्ब जेली में मस्तिष्क नहीं होता है। इसके बजाय उनके पास एक तंत्रिका जाल होता है जिसमें उनके पूरे शरीर में परस्पर जुड़े हुए न्यूरॉन्स होते हैं।
- तंत्रिका जाल विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करता है जैसे- गति, भोजन, संवेदी धारणा और जैव प्रतिदीप्ति।
- तंत्रिका जाल में न्यूरॉन्स सिनैप्टिक जंक्शनों से जुड़े नहीं होते हैं, जैसा कि किसी अन्य जानवर के तंत्रिका तंत्र में अपेक्षित है।
- इसके बजाय वे जुड़े हुए हैं और एक सतत् झिल्ली साझा करते हैं, जिसे वैज्ञानिक सिंकेटियम कहते हैं। इसका मतलब है कि तंत्रिका कोशिकाओं के बीच कोई अंतराल नहीं है और विद्युत संकेत नेटवर्क के साथ स्वतंत्र रूप से प्रवाहित हो सकते हैं।
- हालाँकि कॉम्ब जेली तंत्रिका तंत्र में सभी न्यूरॉन्स जुड़े हुए नहीं हैं। उनमें से कुछ अभी भी सिनैप्स के माध्यम से अन्य तंत्रिका कोशिकाओं से जुड़ते हैं।
- इससे पता चलता है कि कॉम्ब जेली अपने तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संचार के दो अलग-अलग तरीकों का उपयोग करती हैं: एक सिनैप्टिक मोड (यानी बिना किसी अंतर्ग्रथन के) और एक सिन्सिटियल मोड।
नोट: सिनैप्स वे स्थान हैं जहाँ न्यूरॉन्स एक-दूसरे से जुड़ते और संचार करते हैं। प्रत्येक न्यूरॉन में कुछ सैकड़ों हज़ारों सिनैप्टिक कनेक्शन होते हैं और ये कनेक्शन स्वयं के साथ या नज़दीकी न्यूरॉन्स के साथ या मस्तिष्क के अन्य क्षेत्रों में न्यूरॉन्स के साथ हो सकते हैं।
- कॉम्ब जेली में सिंकेटिया की खोज का तंत्रिका-तंत्र और न्यूरॉन्स के विकास को समझने के लिये गंभीर प्रभाव प्रकट करता है।
- यह पारंपरिक दृष्टिकोण को चुनौती देता है कि तंत्रिका संचार के लिये सिनैप्स आवश्यक हैं और साथ ही वे सभी जानवरों के सामान्य पूर्वज में केवल एक बार विकसित हुए हैं।
स्रोत: द हिंदू
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 मई, 2023
मेटा का यूरोपीय संघ गोपनीयता मामला: ज़ुर्माना और डेटा हस्तांतरण प्रतिबंध
फेसबुक और इंस्टाग्राम की मूल कंपनी मेटा पर यूरोपीय संघ (European Union- EU) द्वारा अपने गोपनीयता कानून का उल्लंघन करने हेतु 1.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ज़ुर्माना लगाया गया है। आयरिश डेटा प्रोटेक्शन कमीशन (DPC) द्वारा वर्ष 2018 में शुरू हुई दो जाँचों के बाद ज़ुर्माना लगाया गया है। DPC ने पाया कि मेटा ने सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन (General Data Protection Regulation- GDPR) का उल्लंघन किया था, जो यूरोपीय संघ का प्रमुख गोपनीयता कानून है जो उपयोगकर्त्ताओं को उनके व्यक्तिगत डेटा पर अधिक नियंत्रण प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त मेटा को यूरोपीय संघ से अमेरिका में डेटा स्थानांतरित करने हेतु मानक संविदात्मक खंड (Standard Contractual Clauses- SCC) का उपयोग बंद करने का आदेश दिया गया है। SCC ऐसे अनुबंध हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि कंपनियाँ सीमा पार डेटा स्थानांतरित करते समय यूरोपीय संघ के गोपनीयता मानकों का पालन करें। मेटा को वर्ष 2020 से नवंबर 2023 तक अमेरिका में स्थानांतरित और संग्रहीत किये गए यूरोपीय फेसबुक उपयोगकर्त्ताओं के डेटा को हटाने या स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया है। यह निर्णय संभावित रूप से यूरोप में मेटा की सेवाओं को बाधित कर सकता है एवं लाखों उपयोगकर्त्ताओं को प्रभावित कर सकता है।
और पढ़ें…डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2022
INS सिंधुरत्न
किलो-वर्ग की पनडुब्बी INS सिंधुरत्न रूस में एक महत्त्वपूर्ण उन्नयन के बाद सफलतापूर्वक मुंबई, भारत पहुँच गई है। सिंधुघोष-वर्ग से संबंधित डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी INS सिंधुरत्न का एक समृद्ध इतिहास रहा है और इसने तीन दशकों से अधिक समय तक भारतीय नौसेना की सेवा की है। इसे वर्ष 1988 में कमीशन किया गया, यह अपने परिचालन जीवन और क्षमताओं को बढ़ाने के लिये कई उन्नयन एवं मरम्मत प्रक्रियाओं से गुज़रा है। विशेषत: वर्ष 2010 में इसे क्लब-एस क्रूज़ मिसाइल प्रणाली (Klub-S cruise missile system) से लैस किया गया था, जिससे इसकी मारक क्षमता बढ़ गई थी। वर्ष 2018 में इसने रूस में एक व्यापक मीडियम रिफिट लाइफ सर्टिफिकेशन (MRLC) कार्यक्रम चलाया, जिसमें महत्त्वपूर्ण प्रणालियों का प्रतिस्थापन शामिल था। INS सिंधुरत्न पश्चिमी नौसेना कमान की शक्ति और परिचालन तत्परता को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अपने आधुनिक हथियार और सेंसर सूट के साथ यह पनडुब्बी भारत की समुद्री क्षमताओं को मज़बूत करती है तथा हिंद महासागर क्षेत्र में देश के हितों और सुरक्षा सुनिश्चित करने में योगदान देती है। किलो-वर्ग की पनडुब्बियों में 2,300 टन का विस्थापन, 300 मीटर की गहराई में गोता लगाने और 18 समुद्री मील की तीव्र गति क्षमता है। नौसेना के पास सेवा में 16 पारंपरिक पनडुब्बियाँ हैं। इनमें सात रूसी किलो-वर्ग की पनडुब्बियाँ, चार जर्मन मूल की HDW पनडुब्बियाँ और पाँच फ्राँसीसी स्कॉर्पिन-श्रेणी की पनडुब्बियाँ शामिल हैं।
और पढ़ें… इंडोनेशिया पहुँची INS सिंधुकेसरी
INSV तारिणी चालक दल ऐतिहासिक यात्रा के बाद स्वदेश लौटा
INSV तारिणी के चालक दल की 17000 एनएम लंबी अंतर-महाद्वीपीय यात्रा समापन की ओर बढ़ रही है, जो महासागर नौकायन के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। दो असाधारण महिला अधिकारियों सहित छह सदस्यीय चालक दल को सम्मानित करने हेतु 23 मई, 2023 को भारतीय नौसेना जल कौशल प्रशिक्षण केंद्र (INWTC), INS मंडोवी, गोवा में एक भव्य 'फ्लैग इन' समारोह आयोजित किया जाएगा। छह महिला नौसेना अधिकारियों ने नाविक सागर परिक्रमा नौकायन अभियान के माध्यम से नौसेना और देश के अंदर समुद्री नौकायन की लोकप्रियता को बढ़ाया है। INSV तारिणी की वर्तमान यात्रा ने एक महिला को विश्व की एकल परिक्रमा पर भेजने के नौसेना के आगामी प्रयास की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम स्थापित किया है। INSV तारिणी भारतीय नौसेना की दूसरी सेलबोट है जिसका निर्माण गोवा में एक्वेरियस शिपयार्ड में किया गया था। इसे 18 फरवरी, 2017 को भारतीय नौसेना सेवा में नियुक्त किया गया था और ओडिशा में तारा तारिणी मंदिर के नाम पर इसका नामकरण किया गया था, जो प्राचीन ओडिशा के नाविकों और व्यापारियों के संरक्षक देवता हैं।
और पढ़ें… ओडिशा में तारा तारिणी मंदिर
भारत की प्रमुख झीलों के सूखने की प्रवृत्ति चिंता पैदा करती है
हाल ही में हुए नवीन शोध, वर्ष 1992 से 2020 तक भारत में 30 से अधिक बड़ी झीलों के सूखने की प्रवृत्ति को दर्शाते हैं। इन झीलों में से 16 प्रमुख झीलें दक्षिण भारत में स्थित हैं, जिनमें मेट्टूर (तमिलनाडु), कृष्णराजसागर (कर्नाटक), नागार्जुन सागर (आंध्र प्रदेश राज्य के गुंटूर ज़िले और तेलंगाना राज्य के नलगोंडा ज़िले के मध्य अवस्थित) तथा इदमालयार (केरल) आदि शामिल हैं। यह शोध बताता है कि हाल का सूखा दक्षिण भारत में जलाशयों की जलधारण क्षमता में गिरावट के लिये संभावित कारक हो सकता है। कुल वैश्विक भूमि क्षेत्र के 3% को कवर करने वाली झीलें, कार्बन साइकलिंग के माध्यम से जलवायु को विनियमित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनके महत्त्व के बावजूद झीलों को अक्सर अच्छी तरह से प्रबंधित नहीं किया जाता है और नदियों की तुलना में कम ध्यान दिया जाता है। उपग्रह अवलोकनों ने वैश्विक स्तर पर 90,000 वर्ग किलोमीटर स्थायी जल क्षेत्र की हानि दर्ज की है, किंतु इस हानि के पीछे निहित कारक स्पष्ट नहीं हैं। एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि विश्व की 53% सबसे बड़ी झीलों में जल की कमी हो रही है, जबकि 24% में वृद्धि हुई है। वैश्विक आबादी का लगभग 33% हिस्सा वृहत, सूखी झील वाले बेसिन में रहता है। आर्कटिक झीलों में शुष्कन की अधिक स्पष्ट प्रवृत्ति देखी गई है और यह सुझाव देता है कि जलवायु परिवर्तन, मानव जल की खपत के साथ इन परिवर्तनों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रभावी झील प्रबंधन और विश्व भर में समाज एवं जल आपूर्ति को बनाए रखने में उनके महत्त्व को पहचानने के लिये झील के जल में आ रही गिरावट के कारकों, जैसे तापमान, वर्षा, अपवाह और मानव उपभोग को समझना आवश्यक है।
और पढ़ें… भारत में झीलें