विश्व गौरैया दिवस
प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य गौरैया के बारे में जागरूकता बढ़ाना और घरेलू गौरैया का संरक्षण सुनिश्चित करना है।
विश्व गौरैया दिवस की मुख्य विशेषताएँ:
- परिचय:
- द नेचर फॉरएवर सोसाइटी ऑफ इंडिया एवं फ्राँस के इको-एसआईएस एक्शन फाउंडेशन द्वारा विश्व गौरैया दिवस मनाने का विचार रखा गया था।
- इसमें कहा गया था कि घरेलू गौरैया के लिये एक दिन समर्पित किया जाए ताकि उसकी सुरक्षा के बारे में प्रचार किया जा सके।
- पहला विश्व गौरैया दिवस वर्ष 2010 में मनाया गया था।
- वर्ष 2022 के लिये थीम:
- ‘गौरैया से मुझे प्यार है’ (I Love Sparrows)।
- महत्त्व:
- गौरैया विलुप्त होने की कगार पर है और इसके संरक्षण एवं जागरूकता बढ़ाने के लिये विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है।
- हालाँकि पहले हमारे घरों के आसपास गौरैया का दिखना एक आम बात थी तथा उन्हें आसानी से देखा जा सकता था लेकिन वर्तमान में प्रकृति और जैव विविधता के नुकसान के कारण शहरों में गौरैया को देखना और भी मुश्किल हो गया है।
- गौरैया के संरक्षण और शहरी जैव विविधता के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए इसे एक मंच के रूप में उपयोग करने पर विचार किया गया।
- गौरैया विलुप्त होने की कगार पर है और इसके संरक्षण एवं जागरूकता बढ़ाने के लिये विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है।
- काफी सामान्य और व्यापक प्रजातियाँ:
- घरेलू गौरैया दुनिया की सबसे आम और व्यापक प्रजातियों में से एक है।
- घरेलू गौरैयों के अलावा गौरैया की अन्य 26 विशिष्ट प्रजातियाँ हैं।
- ये सभी प्रजातियाँ तीन महाद्वीपों अर्थात् एशिया, अफ्रीका और यूरोप में पाई जाती हैं।
- गौरैया की संख्या में गिरावट के कारण:
- बढ़ता प्रदूषण, शहरीकरण, ग्लोबल वार्मिंग और लुप्त हो रहे पारिस्थितिक संसाधन।
गौरैया की विशेषताएँ:
- घरेलू गौरैया (पासर डोमेस्टिकस) शायद दुनिया में सबसे व्यापक और सामान्य तौर पर देखा जाने वाला जंगली पक्षी है।
- इसे यूरोपीय लोगों द्वारा दुनिया भर में पहुँचाया गया और अब इसे न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, भारत और यूरोप सहित दुनिया के दो-तिहाई भूभाग पर देखा जा सकता है।
- यह केवल चीन, इंडो-चीन, जापान एवं साइबेरिया और पूर्वी व उष्णकटिबंधीय अफ्रीका आदि क्षेत्रों में अनुपस्थित है।
स्रोत: लाइव मिंट
अफ्रीका की ‘बोमा तकनीक’
हाल ही में राजस्थान के भरतपुर ज़िले के ‘केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान’ में अफ्रीका की ‘बोमा तकनीक’ का प्रयोग किया गया।
- इसका प्रयोग चीतल या चित्तीदार हिरणों को पकड़ने और उन्हें मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व में पहुँचाने के लिये किया गया था, ताकि शिकार के आधार में सुधार किया जा सके।
- चीतल की IUCN रेड लिस्ट स्थिति ‘कम चिंतनीय’ (Least Concern) है।
‘बोमा कैप्चरिंग तकनीक’ क्या है?
- बोमा कैप्चरिंग तकनीक अफ्रीका में काफी लोकप्रिय है।
- इसमें फनल जैसी बाड़ के माध्यम से जानवरों का पीछा करके उन्हें एक बाड़े में में पहुँचाया जाता है।
- यह फनल एक पशु चयन-सह-लोडिंग संरचना का रूप ले लेता है और इसे जानवरों के लिये अपारदर्शी बनाने के लिये घास की चटाई और हरे रंग के जाल से ढका जाता है, इसमें जानवरों को दूसरे स्थान पर उनके परिवहन के लिये एक बड़े वाहन में रखा जाता है।
- इस पुरानी तकनीक का उपयोग पहले जंगली हाथियों को पकड़ने हेतु प्रशिक्षण और सेवा के लिये किया जाता था।
- इस स्थानांतरण अभ्यास को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा अनुमोदित किया गया है।
- शाकाहारी जीवों के स्थानांतरण से बाघ अभयारण्यों के आसपास ग्रामीण मवेशियों, भेड़ों और बकरियों का शिकार कम होगा।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से संबंधित प्रमुख बिंदु:
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान पहले भरतपुर पक्षी अभयारण्य के रूप में जाना जाता था।
- यह राजस्थान राज्य में स्थित है।
- यह यूनेस्को की विश्व धरोहर और रामसर साइट में शामिल है।
- ब्रीडिंग ग्राउंड: उत्तरी गोलार्द्ध के दूर-दराज़ के क्षेत्रों से विभिन्न प्रजातियाँ प्रज़नन के लिये इस अभयारण्य में आती हैं। साइबेरियन क्रेन दुर्लभ प्रजातियों में से एक है जिसे अक्सर यहाँ देखा जाता है।
- जीव: इस क्षेत्र में सियार, सांभर, नीलगाय, जंगली बिल्लियाँ, लकड़बग्घा, जंगली सूअर, साही और नेवला जैसे जानवर पाए जाते हैं।
- वनस्पति: प्रमुख वनस्पति प्रकार उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन हैं, यहाँ सूखे घास के मैदान के साथ बबूल निलोटिका पाए जाते हैं।
- नदी: गंभीर और बाणगंगा दो नदियाँ हैं जो इस राष्ट्रीय उद्यान से होकर बहती हैं।
राजस्थान में संरक्षित क्षेत्र:
- टाइगर रिज़र्व:
- सवाई माधोपुर में रणथंभौर टाइगर रिज़र्व (RTR)
- अलवर में सरिस्का टाइगर रिज़र्व (एसटीआर)
- कोटा में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व (MHTR)
- राष्ट्रीय उद्यान:
- डेज़र्ट नेशनल पार्क, जैसलमेर
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर
- वन्यजीव अभ्यारण्य:
- सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, उदयपुर
- राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के त्रिकोणीय जंक्शन पर)
विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2014) वेटलैंड नदियों का संगम
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |
स्रोत: द हिंदू
आईएनएस शिवाजी
हाल ही में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने आईएनएस शिवाजी को समुद्री इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उत्कृष्टता केंद्र (CoE) के रूप में मान्यता दी है।
- उत्कृष्टता केंद्र के रूप में आईएनएस शिवाजी को समुद्री इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उत्कृष्टता केंद्र (CoE) के रूप में मान्यता किसी भी सैन्य संगठन के लिये अपनी तरह का पहला है और यह कौशल एवं प्रौद्योगिकी विकास के लिये आईएनएस शिवाजी की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
आईएनएस शिवाजी:
- आईएनएस शिवाजी लोनावाला, महाराष्ट्र में एक भारतीय नौसेना स्टेशन है।
- इसमें नेवल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग है, जो भारतीय नौसेना और तटरक्षक अधिकारियों को शिक्षित और प्रशिक्षित करता है।
- इसकी तीन प्रमुख प्रशिक्षण संस्थाएँ हैं- सेंटर ऑफ मरीन इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (CMET), सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन मरीन इंजीनियरिंग और स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज़।
- न्यूक्लियर बायोलॉजिकल केमिकल डिफेंस स्कूल (Nuclear Biological Chemical Defence School-NBCD), जो NBCD के सभी पहलुओं पर नौसेनाकर्मियों को प्रशिक्षित करता है, भी स्टेशन में स्थित है।
- नौसेना स्टेशन को फरवरी 1945 में एचएमआईएस (His Majesty's Indian Ship) शिवाजी के रूप में शामिल किया गया था।
- आईएनएस शिवाजी का उत्कृष्टता केंद्र (समुद्री इंजीनियरिंग) 2014 में एक व्यापक जनादेश के साथ स्थापित किया गया था, जिसमें नौसैनिक अनुप्रयोगों हेतु विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को शामिल करना, उच्च प्रतिष्ठा के अनुसंधान एवं विकास और शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से गुणवत्ता अनुसंधान शामिल था।
- इसका लक्ष्य भारतीय नौसेना, अनुकूल विदेशी नौसेनाओं और पूरे ईकोसिस्टम में कर्मियों के कौशल में बड़े पैमाने पर सुधार करना था।
उत्कृष्टता केंद्र (CoE):
- उत्कृष्टता केंद्र (Center Of Excellence- CoE) एक ऐसा निकाय है जो एक विशिष्ट क्षेत्र/क्षेत्रों के लिये नेतृत्व, सर्वोत्तम अभ्यास, अनुसंधान, सहायता, प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण और कौशल प्रशिक्षण प्रदान करता है।
- ‘उत्कृष्टता केंद्र’ का शाब्दिक अर्थ है- 'एक ऐसा स्थान जहाँ उच्चतम मानकों को बनाए रखा जाता है।'
- कौशल विकास एवं उद्यमिता हेतु राष्ट्रीय नीति, 2015 के अनुसार, यह निर्णय लिया गया था कि राष्ट्रीय कौशल विश्वविद्यालयों और संस्थानों को राज्यों के साथ साझेदारी में कौशल विकास व प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु उत्कृष्टता केंद्रों के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा।
- कौशल पारिस्थितिकी तंत्र में उत्कृष्टता केंद्र को प्रशिक्षण मानकों को बढ़ाने, उत्पादकता को बढ़ावा देने, उभरते कौशल अंतराल को दूर करने और उद्योग की ज़रूरतों के साथ प्रशिक्षण एवं अनुसंधान को संरेखित करने हेतु उद्योग के साथ साझेदारी में वन-स्टॉप संसाधन केंद्र के रूप में स्थपित किया जाता है।
- कौशल मांग एवं आपूर्ति के बीच असंतुलन को दूर करने के उद्देश्य से कुशल कार्यबल की निरंतर आपूर्ति और सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रसार करने हेतु "उत्कृष्टता केंद्रों" को कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) द्वारा मान्यता प्रदान करने का प्रस्ताव है।
- यह पहल ऐसे निकायों को स्किलिंग डोमेन और संबद्ध क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों में संलग्न प्रमुख उभरते क्षेत्रों में कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करेगी जहाँ पहले से ही ज्ञान की कमी या कौशल का अभाव है, ताकि उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जा सके।
MSDE की कुछ प्रमुख पहलें
- संकल्प योजना
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)
- पूर्व शिक्षण मान्यता (RPL) कार्यक्रम:
- कौशल प्रबंधन और प्रशिक्षण केंद्र प्रत्यायन (SMART)
- स्ट्राइव (STRIVE)
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):जनसांख्यिकीय लाभांश का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिये भारत को क्या करना चाहिये? (2013) (a) कौशल विकास को बढ़ावा देना उत्तर: (a) |
स्रोत: पी.आई.बी.
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 मार्च, 2022
डॉ. राम मनोहर लोहिया
23 मार्च, 2022 को भारत के समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया की 112वीं जयंती मनाई गई। राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च, 1910 को अकबरपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। भारतीय राजनीतिज्ञ व कर्मठ कार्यकर्त्ता के रूप में डॉ. लोहिया ने समाजवादी राजनीति और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन समाजवाद के विकास के माध्यम से अन्याय के खिलाफ़ लड़ने के लिये समर्पित किया। उन्होंने वर्ष 1929 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि तथा वर्ष 1932 में बर्लिन विश्वविद्यालय (जहाँ उन्होंने अर्थशास्त्र और राजनीति का अध्ययन किया) से मानद (डॉक्टरेट) की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1934 में लोहिया भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के अंदर एक वामपंथी समूह कॉन्ग्रेस-सोशलिस्ट पार्टी (CSP) में सक्रिय रूप से शामिल हो गए। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) में ग्रेट ब्रिटेन द्वारा भारत को शामिल करने के निर्णय का विरोध किया। वर्ष 1948 में लोहिया एवं अन्य CSP सदस्यों ने कॉन्ग्रेस की सदस्यता छोड़ दी। वर्ष 1955 में लोहिया ने एक नई सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की जिसके वे अध्यक्ष बने और साथ ही इसकी पत्रिका ‘मैनकाइंड’ (Mankind) का संपादन भी किया। 12 अक्तूबर, 1967 को उनकी मृत्यु हो गई।
अंतर्राष्ट्रीय नस्लीय भेदभाव उन्मूलन दिवस
प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को ‘अंतर्राष्ट्रीय नस्लीय भेदभाव उन्मूलन दिवस’ मनाया जाता है। यह दिवस जातिवाद और नस्लीय भेदभाव के विरुद्ध एकजुटता का आह्वान करता है। अक्तूबर 1966 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय नस्लीय भेदभाव उन्मूलन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। 21 मार्च, 1960 को पुलिस ने दक्षिण अफ्रीका के शार्पविले में लोगों द्वारा नस्लभेदी कानून के खिलाफ किये जा रहे एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान आग लगा दी, जिसमें 69 लोगों की मृत्यु हो गई थी। ज्ञात हो कि मानवाधिकारों के उल्लंघन के अतिरिक्त नस्लीय भेदभाव का मानव स्वास्थ्य और कल्याण पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है तथा यह सामाजिक सामंजस्य में बाधा उत्पन्न करता है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय नस्लीय भेदभाव उन्मूलन दिवस की थीम है- ‘वॉइस फॉर एक्शन अगेंस्ट रेसिज़्म।’
शहीद दिवस
प्रत्येक वर्ष 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस तीन महान युवा नेताओं भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु के साहस और वीरता की याद में मनाया जाता है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लाहौर षड्यंत्र मामले में इन स्वतंत्रता सेनानियों को 24 मार्च, 1931 को मृत्युदंड का आदेश दिया गया था, किंतु उन्हें 23 मार्च, 1931 की शाम को ही फाँसी दे दी गई थी। अपनी मृत्यु के समय भगत सिंह केवल 23 वर्ष के थे किंतु उनके क्रांतिकारी विचार बहुत व्यापक थे। उल्लेखनीय है कि भारतीय आंदोलनों का बहुचर्चित नारा ‘इंकलाब जिंदाबाद’ पहली बार भगत सिंह ने ही बोला था। भगत सिंह मानते थे कि व्यक्ति को दबाकर उसके विचार नहीं दबाए जा सकते हैं। भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के लायलपुर ज़िले के बंगा गाँव में हुआ था, जो उस समय ब्रिटिश भारत का हिस्सा था तथा वर्तमान में यह पाकिस्तान में है।
विश्व मौसम विज्ञान दिवस
दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस (World Meteorological Day) के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मौसम विज्ञान में हो रहे बदलावों से लोगों को रू-ब-रू और जागरूक करना है। विश्व मौसम विज्ञान दिवस प्रत्येक वर्ष एक अलग थीम के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष विश्व मौसम विज्ञान दिवस 2022 की थीम है- "प्रारंभिक चेतावनी और प्रारंभिक कार्रवाई (Early Warning and Early Action)"। इसी दिन मौसम विज्ञान संगठन अभिसमय के अनुमोदन द्वारा 23 मार्च, 1950 को विश्व मौसम संगठन (World Meteorological Organization) की स्थापना हुई थी। यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विटज़रलैंड में है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन में कुल 191 सदस्य देश शामिल हैं। इस संगठन का इस्तेमाल बाढ़, सूखा और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं का अनुमान लगाने के लिये किया जाता है ताकि समय रहते इन आपदाओं से होने वाले नुकसान से बचा जा सके।