नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

बाघ संरक्षण: चुनौती और प्रयास

  • 08 Jun 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, प्रोजेक्ट टाइगर 

मेन्स के लिये

भारत में बाघों की स्थिति और बाघ संरक्षण के समक्ष चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी स्पष्टीकरण (Clarification) के अनुसार, बीते कुछ वर्षों में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority-NTCA) के प्रयासों के फलस्वरूप देश में बाघ संरक्षण की दिशा में वांछित कार्य किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • मंत्रालय के अनुसार, यह सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि देश में बीते कुछ वर्षों में बाघों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2006, वर्ष 2010, वर्ष 2014 और वर्ष 2018 में किये गए अखिल भारतीय बाघ अनुमान (All India Tiger Estimation) के निष्कर्षों से स्पष्ट है।
  • यह सभी परिणाम बाघों की 6 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर (Growth Rate) दर्शाते हैं, जो कि भारतीय संदर्भ में विभिन्न कारणों से होने वाले बाघों के नुकसान की कमी को पूर्ण करने के लिये पर्याप्त है।
  • वर्ष 2012 से वर्ष 2019 की अवधि के मध्य आँकड़ों पर गौर किया जाए तो ज्ञात होता है कि देश में प्रतिवर्ष बाघों की औसतन मृत्यु दर लगभग 94 रही है।

भारत में बाघों की स्थिति

  • अखिल भारतीय बाघ अनुमान, 2018 के अनुसार, वर्ष 2018 में भारत में बाघों की संख्‍या बढ़कर 2,967 हो गई थी। यह भारत के लिये एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी, क्योंकि भारत ने बाघों की संख्या को दोगुना करने के लक्ष्य को चार वर्ष पूर्व ही प्राप्त कर लिया है।
    • सर्वेक्षण के अनुसार, देश में मध्य प्रदेश और कर्नाटक में बाघों की संख्या सबसे अधिक है। हालाँकि, बाघों की संख्या में हुई वृद्धि उन सभी 18 राज्यों में एक समान नहीं हुई है जहाँ बाघ पाए जाते हैं।
    • आँकड़ों के अनुसार, मध्‍य प्रदेश में बाघों की संख्‍या सबसे अधिक 526 पाई गई, इसके बाद कर्नाटक में 524 और उत्तराखंड में इनकी संख्‍या 442 थी।
  • वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2019 में देश भर में बाघों की मृत्यु के 85 प्रत्यक्ष मामले सामने आए और 11 मामलों में मरने की पुष्टि उनके अंगों के मिलने के आधार पर की गई, जबकि इससे पहले वर्ष 2018 के दौरान बाघों की मृत्यु के 100 मामले, वर्ष 2017 में 115 मामले और वर्ष 2016 में बाघों की मृत्यु के 122 मामले सामने आए थे।
  • अखिल भारतीय बाघ अनुमान, 2018 के अनुसार, तीन टाइगर रिज़र्व बक्सा (पश्चिम बंगाल), डंपा (मिज़ोरम) और पलामू (झारखंड) में बाघों के अनुपस्थिति दर्ज की गई।

भारत में बाघ जनगणना 

  • देश में प्रत्येक 4 वर्ष में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा पूरे भारत में बाघों की जनगणना की जाती है।
  • इस प्रकार का आयोजन सर्वप्रथम वर्ष 2006 में किया गया था।

बाघ संरक्षण के समक्ष चुनौतियाँ:

  • अवैध शिकार: उल्लेखनीय है कि अवैध बाज़ारों में बाघ के शरीर के प्रत्येक हिस्से का कारोबार होता है। बाघों का शिकार मुख्यतः दो कारणों से किया जाता है: सबसे पहला उनके कथित खतरे को देखते हुए और दूसरा मौद्रिक लाभ कमाने के उद्देश्य से। ज्ञातव्य है कि ऐतिहासिक रूप से राजा-महाराजा और धनी लोग अपना बाहुबल प्रकट करने के लिये भी शिकार करते थे। एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 1875 और वर्ष 1925 के मध्य भारत में कुल 80,000 बाघ मारे गए थे।
  • प्राकृतिक वास का नुकसान: मौजूदा दौर में बाघों की आबादी के लिये सबसे मुख्य खतरा उनके प्राकृतिक निवास स्थान का नुकसान है। एक अनुमान के अनुसार, विश्व भर के बाघों ने अपने प्राकृतिक निवास स्थान का तकरीबन 93 प्रतिशत हिस्सा खो दिया है। इन निवास स्थानों को अधिकांशतः मानव गतिविधियों द्वारा नष्ट किया गया है। वनों और घास के मैदानों को कृषि ज़रूरतों के लिये परिवर्तित किया जा रहा है।
  • मानव-वन्यजीव संघर्ष: बाघों के प्राकृतिक निवास स्थान और शिकार स्थान छोटे होने के कारण अधिकांश बाघ पशुधन को मारने के लिये मज़बूर है और जब वे ऐसा करते हैं तो किसान अक्सर जवाबी कार्रवाई करते हैं और बाघों को मार देते हैं।

सरकार के प्रयास- प्रोजेक्ट टाइगर 

  • शिकार और प्राकृतिक निवास स्थान के नुकसान के कारण 1970 के दशक में भारत में 2,000 से भी कम बाघ शेष बचे थे। वर्ष 1973 में भारत सरकार ने बाघ को भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया और प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger) नाम से एक संरक्षण योजना शुरू की जिसके तहत बाघों के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
  • 'प्रोजेक्ट टाइगर' पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक सतत् केंद्र प्रायोजित योजना है जो बाघ संरक्षण के लिये केंद्रीय सहायता प्रदान करती है।
  • वर्तमान में 'प्रोजेक्ट टाइगर' के तहत संरक्षित टाइगर रिज़र्व की संख्या 50 हो गई है, हालाँकि ये टाइगर रिज़र्व आकार में अपेक्षाकृत काफी छोटे हैं।

राष्ट्रीय संरक्षण प्राधिकरण

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय (Statutory Body) है।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की स्थापना वर्ष 2006 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों में संशोधन करके की गई। प्राधिकरण की पहली बैठक नवंबर 2006 में हुई थी।
  • यह राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के प्रयासों का ही परिणाम है कि देश में विलुप्त होते बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

स्रोत: पी.आई.बी

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow