प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 4 मई, 2020
- 04 May 2020
- 10 min read
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस
World Press Freedom Day
प्रत्येक वर्ष विश्व भर में 3 मई को ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ (World Press Freedom Day) मनाया जाता है।
थीम:
- इस वर्ष विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की थीम ‘Journalism Without Fear or Favour’ है।
मुख्य विषय:
- इस वर्ष विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मुख्य विषय हैं:
- महिला एवं पुरुष पत्रकारों व मीडिया कर्मियों की सुरक्षा (Safety of Women and Men Journalists and Media Workers)
- राजनीतिक एवं वाणिज्यिक प्रभाव से मुक्त स्वतंत्र तथा व्यावसायिक पत्रकारिता (Independent and Professional Journalism free from Political and Commercial Influence)
- मीडिया के सभी पहलूओं में लैंगिक समानता (Gender Equality in All Aspect of the Media)
उद्देश्य:
- विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का उद्देश्य प्रेस की आज़ादी के महत्त्व के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है।
मुख्य बिंदु:
- यूनेस्को की जनरल काॅन्फ्रेंस की सिफारिश के बाद दिसंबर 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की थी।
- तब से प्रत्येक वर्ष 3 मई (विंडहोक (Windhoek) घोषणा की वर्षगांठ) को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- इस वर्ष विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नीदरलैंड को मेज़बान देश के रूप में चुना गया है।
- यूनेस्को और नीदरलैंड ने हेग स्थित विश्व मंच पर 22-24 अप्रैल, 2020 तक ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सम्मेलन’ आयोजित करने की योजना बनाई थी किंतु COVID-19 के कारण इसे बढ़ाकर 18-20 अक्तूबर, 2020 निर्धारित किया गया है।
- वर्ष 2020 में जारी ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ (World Press Freedom Index-2020) में भारत 180 देशों की सूची में 142वें स्थान पर पहुँच गया है, जबकि बीते वर्ष भारत इस सूचकांक में 140वें स्थान पर था।
- विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक प्रत्येक वर्ष ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (RSF) द्वारा जारी किया जाता है। RSF द्वारा जारी ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ का प्रथम संस्करण वर्ष 2002 में प्रकाशित किया गया था।
गंतव्य-सरिस्का टाइगर रिज़र्व
Destination- Sariska Tiger Reserve
1 मई, 2020 को भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने ‘देखो अपना देश’ श्रृंखला के अंतर्गत ‘गंतव्य-सरिस्का टाइगर रिज़र्व’ (Destination- Sariska Tiger Reserve) शीर्षक से 13वीं वेबिनार श्रंखला का आयोजन किया।
मुख्य बिंदु:
- सरिस्का टाइगर रिज़र्व, अरावली की पहाड़ियों में स्थित है जो दिल्ली से 250 किमी. दक्षिण-पश्चिम और जयपुर से 110 किमी. उत्तर-पूर्व में स्थित है।
- यह 800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में घास के मैदानों, शुष्क पर्णपाती वनों, चट्टानी परिदृश्यों में ढका हुआ है।
- सरिस्का वन्यजीव अभयारण्य में गढ़-राजोर के मध्यकालीन मंदिरों के खंडहर हैं जो 10वीं एवं 11वीं शताब्दी के हैं। इसके कुछ मुख्य आकर्षण केंद्रों में से कांकवारी (Kankwari) किला (जिसे 17वीं शताब्दी में राजपूत महाराजा जय सिंह द्वितीय ने बनवाया था) और 10वीं शताब्दी के नीलकंठ मंदिरों के खंडहर हैं।
- नीलकंठ महादेव 300 से अधिक हिंदू एवं जैन मंदिरों का खंडहर है जिसका निर्माण 8वीं और 12वीं शताब्दी के बीच किया गया था।
- सरिस्का को वर्ष 1955 में अभयारण्य घोषित किया गया था तथा वर्ष 1979 में इसे एक राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया।
- यहाँ आभानेरी में निखुम्भा राजवंश (Nikhumbha Dynasty) द्वारा निर्मित ‘चाँद बावड़ी’ (Chand Baoli) 3500 सीढ़ियों वाली विशाल आकार की बावड़ी है जो विश्व की सबसे बड़ी बावड़ियों में से एक है।
- सरिस्का भारत में पहला टाइगर रिज़र्व है जहाँ रॉयल बंगाल टाइगर्स को सफलतापूर्वक बसाया गया है और वर्तमान में इस रिज़र्व में लगभग 20 बाघ हैं।
गौरतलब है कि केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा शुरू की गई इस वेबिनार श्रृंखला का उद्देश्य भारत के विभिन्न पर्यटन स्थलों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना एवं उनको बढ़ावा देना है।
ठीकरी पहरा
Thikri Pehra
COVID-19 संक्रमण को रोकने के लिये पंजाब एवं हरियाणा राज्यों में ठीकरी पहरा (Thikri Pehra) का उपयोग किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु:
- यह पंजाब एवं हरियाणा में प्रचलित सामुदायिक पुलिसिंग (Community Policing) प्रथा है।
- इसके तहत गाँव के एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा गाँव में रात के वक्त पहरा दिया जाता है जिससे कोई संदिग्ध व्यक्ति गाँव में प्रवेश न कर सके।
- COVID-19 के मद्देनज़र इसका प्रथा का प्रयोग ग्रामीण लोग गाँव में संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये कर रहे हैं।
- यह परंपरा दो दशक से अधिक समय के बाद फिर से प्रचलन में आई है।
- दो दशक पहले आतंकवादी गतिविधियों के दौरान ठीकरी पहरा के तहत ग्रामीण समुदायों ने अपने गाँवों की रखवाली की।
- जब पंजाब में कुख्यात ‘काला कच्छा गिरोह’ (Kala Kachcha Gang) के कारण स्थानीय लोगों को परेशानी हुई तब ग्रामीण समुदाय ने गाँव की सुरक्षा के लिये ठीकरी पहरे का प्रयोग किया।
- काला कच्छा गिरोह पंजाब का एक संगठित आपराधिक गिरोह था। इसके सदस्य लुटेरे एवं डकैत होते थे जो अपने शरीर पर चिकनाई के रूप में तेल या ग्रीस लगाते थे।
जैमिनी रॉय
JAMINI ROY
2 मई, 2020 को राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (National Gallery of Modern Art) ने अग्रणी कलाकार जैमिनी रॉय (JAMINI ROY) को उनकी 133वीं जयंती वर्ष पर आभासी माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्य बिंदु:
- जैमिनी रॉय का जन्म पश्चिम बंगाल के बांकुरा ज़िले में 11 अप्रैल, 1887 को हुआ था। वे 20वीं सदी में भारतीय कला के सबसे उल्लेखनीय आधुनिकतावादी भारतीय चित्रकार थे।
- वे अवनींद्र नाथ टैगोर (Abanindranath Tagore) के सबसे प्रसिद्ध शिष्यों में से एक थे।
- वे पश्चिमी पद्धति की तकनीक में औपचारिक रूप से प्रशिक्षित पहले भारतीय चित्रकार थे किंतु उन्होंने बंगाल की स्थानीय लोक कलाओं (कालीघाट चित्रकला पद्धति) से संबंधित विषय-वस्तु का अपनी कला में समावेश किया और कीमती कैनवास एवं ऑयल पेंटस को छोड़कर सस्ती सामग्रियों का इस्तेमाल शुरू किया।
- कालीघाट चित्रकला या कालीघाट पट एक कला रूप है जो 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में कलकत्ता (कोलकाता) के प्रसिद्ध कालीघाट के काली मंदिर के आसपास विकसित हुई। इस चित्रकला का अभ्यास ‘पटुआ’ नामक कलाकार किया करते थे।
- स्थानीय विषय-वस्तु को प्रमुखता देने के कारण जैमिनी राय स्वयं को ‘पटुआ’ कहलाना ज्यादा पसंद करते थे।
- उन्होंने अपनी चित्रकला में रामायण, महाभारत एवं कृष्ण लीला के दृश्यों, गाँव के सामान्य स्त्री-पुरुष के चित्रण आदि को प्रमुखता दी।
पुरस्कार:
- वर्ष 1934 - तत्कालीन वायसराय द्वारा स्वर्ण पदक
- वर्ष 1954 - भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण
- वर्ष 1955 - ललित कला अकादमी फेलोशिप (ललित कला अकादमी द्वारा प्रदत्त फाइन आर्ट्स में सर्वोच्च सम्मान)