चाँदीपुरा वायरस संक्रमण
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में गुजरात में संदिग्ध चाँदीपुरा वायरस (CHPV) संक्रमण से कई बच्चों की मृत्यु हो गई है।
CHPV संक्रमण:
- CHPV एक अर्बोवायरस है जो रैबडोविरिडे फैमिली के Vesiculovirus genus से संबंधित है।
- CHPV सैंडफ्लाई की विभिन्न प्रजातियों द्वारा फैलता है, जैसे कि फ्लेबोटोमाइन सैंडफ्लाई, फ्लेबोटोमस पापाटासी और मच्छर जैसे कि एडीज़ एजिप्टी (डेंगू के लिये वेक्टर/कारक)।
- यह मुख्यतः 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों को प्रभावित करता है।
- जटिलताएँ और लक्षण:
- वायरस इन कीड़ों की लार ग्रंथियों में रहता है और उनके काटने से फैलता है। CHPV केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को संक्रमित कर सकता है, जिससे संभावित रूप से मस्तिष्क के सक्रिय ऊतकों में सूजन यानी इंसेफेलाइटिस हो सकता है।
- इसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं, जिसमें बुखार, शरीर में पीड़ा और सिरदर्द शामिल हैं। यह मानसिक स्थिति में बदलाव, दौरे, इंसेफेलाइटिस, सांस लेने में तकलीफ, रक्तस्राव और यहाँ तक कि एनीमिया का भी कारण बन सकता है।
- उपचार:
- वर्तमान में, CHPV के लिये कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार या टीका नहीं है, इसलिये देखभाल और लक्षणात्मक उपचार ही सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
- महामारी विज्ञान (Epidemiology):
- CHPV की पहचान सर्वप्रथम वर्ष 1965 में महाराष्ट्र के चाँदीपुरा गाँव में डेंगू के प्रकोप के दौरान हुई थी।
- यह संक्रमण मध्य भारत में विशेष रूप से ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में स्थानिक बना हुआ है, जहाँ सैंडफ्लाई अधिक संख्या में पनपते हैं।
- सैंडफ्लाई के बढ़ते प्रजनन के कारण मानसून के मौसम में इसका प्रकोप अधिक होता है।
और पढ़ें: निपाह वायरस
आकाशगंगा OJ 287 में ब्लैक होल
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत सहित 10 देशों के 32 वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा किये गए एक अध्ययन में आकाशगंगा OJ 287 में एक बड़े ब्लैक होल की परिक्रमा कर रहे एक छोटे ब्लैक होल की उपस्थिति की पुष्टि की गई है। यह खोज नासा के TESS उपग्रह का प्रयोग करके की गई थी।
- यह परिक्रमा करते ब्लैक होल युग्म का पहला प्रत्यक्ष प्रेक्षण था, जो खगोलविदों द्वारा प्रस्तावित पिछले सिद्धांतों का समर्थन करता है।
नोट:
- अप्रैल 2018 में प्रक्षेपित नासा का ट्रांज़िटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) ग्रहों की गति के कारण होने वाली आवधिक गिरावट का पता लगाने के लिये 200,000 से अधिक तारों की चमक की निगरानी करके एक्सोप्लेनेट की खोज पर केंद्रित है।
- ब्लैक होल अत्यधिक सघन पिंड होते हैं, जिनका गुरुत्वाकर्षण इतना प्रबल होता है कि वे प्रकाश को भी बाहर निकलने से रोकते हैं, जिससे उनका पता लगाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
- इनका निर्माण तब होता है जब एक विशाल तारा अपने जीवनकाल की समाप्ति में होता है, जिसके परिणामस्वरूप एक सघन क्षेत्र बनता है जो आसपास के स्पेस टाइम को महत्त्वपूर्ण रूप से विकृत कर देता है।
- बाह्यग्रह (एक्सोप्लैनेट) वे ग्रह हैं जो अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं तथा हमारे सौरमंडल से परे हैं।
इन निष्कर्षों के निहितार्थ क्या हैं?
- ब्लैक होल का विकास और विलय: यह खोज बताती है कि ब्लैक होल द्रव्यमान के संचय और विलय से बढ़ते हैं, जो सुपरमैसिव ब्लैक होल के विकास को समझने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- एक्रीशन डिस्क और जेट निर्माण/विरचन: बड़े ब्लैक होल की एक्रीशन डिस्क के साथ छोटे ब्लैक होल की परस्पर क्रिया जेट धाराओं (न्यूट्रॉन तारों या ब्लैक होल जैसे कॉम्पैक्ट एक्रीटिंग ऑब्जेक्ट्स द्वारा उत्पादित चुंबकीय प्लाज़्मा की कोलाइमेटेड धाराएँ) के निर्माण/विरचन में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, जो सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक (AGN) और आकाशगंगा के विकास को समझने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- गुरुत्वाकर्षण तरंगें और ब्रह्मांडीय घटनाएँ: नैनो-हर्ट्ज गुरुत्वाकर्षण तरंगों का उत्सर्जन ब्रह्मांडीय घटनाओं और ब्लैक होल की गतिशीलता का अध्ययन करने के लिये नए अवसर प्रदान करता है, जो ब्लैक होल विलय दरों एवं आकाशगंगा विकास को समझने में सहायता करता है।
- डार्क मैटर और ऊर्जा में अंतर्दृष्टि: ब्लैक होल के व्यवहार का अध्ययन डार्क मैटर और डार्क एनर्जी में अप्रत्यक्ष अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है।
Read More: Exoplanet, Black Hole Gaia BH3
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. 'गोल्डीलॉक्स ज़ोन (Goldilocks Zone)' शब्द निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में अक्सर समाचारों में देखा जाता है? (2015) (a) भू-पृष्ठ के ऊपर वास योग्य मंडल की सीमाएँ उत्तर: (c) |
राष्ट्रीय ध्वज दिवस
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारत का राष्ट्रीय ध्वज दिवस देश को अंग्रेज़ों से स्वतंत्रता मिलने (15 अगस्त 1947) से कुछ दिन पहले , 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को अपनाए जाने की याद में मनाया जाता है।
राष्ट्रीय ध्वज दिवस क्या है?
- परिचय:
- 22 जुलाई 1947 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में भारतीय संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया।
- राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्रीय गौरव, एकता और स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है तथा स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के प्रति श्रद्धांजलि है।
- संकल्प और महत्त्व:
- पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा, "यह संकल्प लिया गया है कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज गहरे केसरिया (केसरी), सफेद और गहरे हरे रंग का समान अनुपात में क्षैतिज तिरंगा होगा।
- सफेद पट्टी के बीच में चरखे को दर्शाने के लिये गहरे नीले रंग का एक चक्र होगा। इस चक्र का डिज़ाइन अशोक के सारनाथ सिंह स्तंभ पर बने चक्र जैसा होगा।
- चक्र का व्यास सफ़ेद पट्टी की चौड़ाई के लगभग बराबर होगा। ध्वज की चौड़ाई और लंबाई का अनुपात सामान्यतः 2:3 होगा।
- सभा ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, जिससे ब्रिटिश शासन के अंत के साथ स्वतंत्रता और भविष्य की समृद्धि के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि हुई।
- पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा, "यह संकल्प लिया गया है कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज गहरे केसरिया (केसरी), सफेद और गहरे हरे रंग का समान अनुपात में क्षैतिज तिरंगा होगा।
राष्ट्रीय ध्वज से संबंधित कानून क्या हैं?
- परिचय:
- भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को फहराना/उपयोग करना/प्रदर्शित करना राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 और भारतीय ध्वज संहिता, 2002 द्वारा शासित है।
- भारतीय ध्वज संहिता, 2002:
- प्रावधान:
- जब भी राष्ट्रीय ध्वज को फहराया जाता है, तो यह सम्मान की स्थिति में होना चाहिये।
- क्षतिग्रस्त या अव्यवस्थित ध्वज को नहीं फहराना चाहिये और उसका पूरी तरह से निजी तौर पर निस्तारण कर दिया जाना चाहिये।
- क्षतिग्रस्त तिरंगे का निस्तारण करने के लिये दो स्वीकृत तरीके हैं, या तो उसे दफनाना या जलाना। राष्ट्रीय ध्वज का निस्तारण करते समय हमेशा इसकी गरिमा बनाए रखी जानी चाहिये।
- ध्वज को किसी अन्य ध्वज के साथ एक ही मास्टहेड/मस्तूल शिखर द्वारा नहीं फहराया जाना चाहिये।
- ध्वज को ध्वज संहिता के भाग III की धारा IX में उल्लिखित गणमान्य व्यक्तियों, जैसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल आदि के अतिरिक्त किसी भी अन्य वाहन पर नहीं फहराया जाना चाहिये।
- किसी अन्य ध्वज या पताका को राष्ट्रीय ध्वज से ऊँचा या ऊपर या उसके बगल में नहीं रखा जाना चाहिये।
- कोई भी सार्वजनिक सदस्य, कोई निजी संगठन या कोई शैक्षणिक संस्थान राष्ट्रीय ध्वज के गौरव और सम्मान के अनुरूप सभी दिनों एवं अवसरों पर, औपचारिक या अन्यथा, राष्ट्रीय ध्वज फहरा/प्रदर्शित कर सकता है।
- हाल में हुए संशोधन:
- भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में वर्ष 2021 में संशोधन करके पॉलिएस्टर या मशीन से बने ध्वज को अनुमति दी गई और फिर वर्ष 2022 में ध्वज को दिन-रात फहराने की अनुमति दी गई।
- भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में दो बार संशोधन किया गया: एक बार वर्ष 2021 में पॉलिएस्टर या मशीन से बने ध्वज को अनुमति देने के लिये और फिर वर्ष 2022 में ध्वज को दिन एवं रात दोनों समय फहराने की अनुमति देने हेतु।
- राष्ट्रीय ध्वज का आकार आयताकार होगा। ध्वज किसी भी आकार का हो सकता है, लेकिन ध्वज की लंबाई और ऊँचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3:2 होना चाहिये।
- प्रावधान:
- राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971:
- कोई भी व्यक्ति जो किसी सार्वजनिक स्थान पर या किसी भी ऐसे स्थान पर सार्वजनिक रूप से भारतीय राष्ट्रीय झंडे या भारत के संविधान या उसके किसी भाग को जलाता है, विकृत करता है, विरूपित करता है, दूषित करता है, कुरूपित करता है, नष्ट करता है, कुचलता है या अन्यथा उसके प्रति अनादर प्रकट करता है या (मौखिक या लिखित शब्दों में या कृत्यों द्वारा) अपमान करता है तो उसे तीन वर्ष तक के कारावास से या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा।
और पढ़ें : भारत का राष्ट्रीय ध्वज
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स :प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन अंग्रेज़ी में प्राचीन भारतीय धार्मिक गीतों के अनुवाद 'सॉन्ग्स फ्रॉम प्रिज़न' से संबंधित है? (2021) (a) बाल गंगाधर तिलक उत्तर: (c) प्रश्न: भारत के राष्ट्रीय ध्वज में धर्मचक्र में तीलियों की संख्या कितनी है? (2008) (a) 16 उत्तर: (d) |
डायसन स्फीयर्स
स्रोत: द हिंदू
डायसन स्फीयर्स (Dyson Spheres) एक काल्पनिक विशाल संरचना है जो किसी तारे के चारों ओर उसकी संपूर्ण ऊर्जा उत्पादन का उपयोग करने के लिये बनाई जाती है।
- भौतिक विज्ञानी फ्रीमैन डायसन के नाम पर बनाए गए ये ढाँचे तारे की समस्त विकिरण ऊर्जा को एकत्रित करेंगे।
- डायसन स्फीयर्स का पता लगना तकनीकी रूप से उन्नत एलियन सभ्यता की ओर संकेत हो सकता है, जो संवाद करना पसंद नहीं करती।
- पृथ्वी को सूर्य से प्रति वर्ग मीटर 1,361 वाट ऊर्जा प्राप्त होती है, जो सूर्य की कुल ऊर्जा उत्पादन 380 बिलियन क्वाड्रिलियन वाट प्रति सेकंड का एक छोटा-सा अंश है।
- एक डायसन स्फीयर इस सारी ऊर्जा को ग्रहण कर लेगा जो अन्यथा अंतरिक्ष में विकीर्ण हो जाती है।
- कार्दाशेव स्केल एक सैद्धांतिक ढाँचा है जो किसी सभ्यता की ऊर्जा खपत के आधार पर उसकी तकनीकी प्रगति के स्तर को मापता है।
- मानवता वर्तमान में कार्दाशेव प्रकार 0.7449 पर है तथा पृथ्वी पर उपलब्ध ऊर्जा का पूर्ण उपयोग नहीं कर पा रही है।
कार्दाशेव टाइप |
ऊर्जा खपत (वाट/सेकंड) |
विवरण |
टाइप I |
10^16 |
अपने ग्रह पर उपलब्ध समस्त ऊर्जा का उपयोग करता है |
टाइप II |
10^26 |
अपने तारे से सारी ऊर्जा प्राप्त करता है |
टाइप III |
10^36 |
आकाशगंगा पैमाने पर ऊर्जा का दोहन करता है |
- यद्यपि सैद्धांतिक रूप से यह संभव है, लेकिन डायसन स्फीयर का निर्माण संसाधनों, इंजीनियरिंग और समय के संदर्भ में भारी चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है।
- प्रोजेक्ट हेफेस्टोस जैसी विभिन्न परियोजनाओं ने इंफ्रारेड सर्वेक्षणों से प्राप्त डेटा का उपयोग करके डायसन झुंड की तलाश की है। जबकि कई वस्तुओं की पहचान की गई है, अधिकांश को प्राकृतिक वस्तुओं के रूप में खारिज कर दिया गया है।
माश्को पिरो जनजाति
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में अतिक्रमण तथा भोजन एवं सुरक्षा की तलाश के कारण, पेरू में पूर्व काल से ही संपर्कविहीन रही माश्को पीरो जनजाति पाई गई है।
- माश्को पिरो विश्व की सबसे बड़ी संपर्क रहित जनजाति है, जिसके 750 से ज़्यादा सदस्य हैं। वे पारंपरिक रूप से अमेज़न वर्षावन में अलग-थलग रहते हैं।
- वे कभी-कभी यिन समुदाय के साथ संवाद करते हैं, जिनके साथ उनकी भाषा और वंशावली समान है, लेकिन क्योंकि वे रोगों से प्रतिरक्षित नहीं हैं, इसलिये ये संपर्क उनके स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हो सकते हैं।
- 1880 के दशक के रबड़ बूम के दौरान, रबड़ के दिग्गज व्यापारियों ने उनके क्षेत्र पर आक्रमण किया, उन्हें गुलाम बनाया और गंभीर अत्याचारों के अधीन किया।
- वर्ष 2002 में पेरू ने उनकी सुरक्षा के लिये माद्रे डी डिओस प्रादेशिक रिज़र्व की स्थापना की, लेकिन यह प्रस्तावित क्षेत्र के केवल एक तिहाई हिस्से को ही कवर करता है।
- पेरू:
- पश्चिमी दक्षिण अमेरिका में स्थित यह देश इक्वाडोर, कोलंबिया, ब्राज़ील, बोलीविया, चिली और प्रशांत महासागर से घिरा हुआ है।
- अमेज़न बेसिन वर्षावन से लेकर एंडीज़ पर्वतमाला तक फैले पारिस्थितिकी तंत्र के साथ यह एक अत्यंत विविधतापूर्ण राष्ट्र है।
- यह अपने उष्णकटिबंधीय अक्षांश, पर्वत शृंखलाओं और दो महासागर धाराओं (हम्बोल्ट और अल नीनो) से प्रभावित है।
- प्रमुख उत्पादक: लिथियम, सीसा, जस्ता, सोना, ताँबा और चाँदी।
और पढ़ें : पेरू में 4,000 वर्ष पुराना मंदिर