सशस्त्र बल कल्याण के प्रति REC लिमिटेड की प्रतिबद्धता
स्रोत: पी.आई.बी
REC लिमिटेड (पूर्व में ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड), विद्युत मंत्रालय के अधीन एक महारत्न केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम, ने सशस्त्र बल झंडा दिवस कोष (AFFDF) में महत्त्वपूर्ण योगदान देकर सशस्त्र बल कर्मियों के कल्याण के लिये अपनी अटूट प्रतिबद्धता प्रदर्शित की।
- AFFDF की स्थापना सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त सैनिकों, विधवाओं और उनके आश्रितों के साथ-साथ पक्षाघात से पीड़ित सैनिकों के पुनर्वास के लिये गठित संस्थानों तथा संगठनों की सहायता के लिये की गई है।
- AFFD इंडिया वर्ष 1949 से प्रतिवर्ष 7 दिसंबर को मनाया जाता है जो भारत के सैनिकों तथा सेवानिवृत्त सैनिकों का सम्मान करता है।
- REC, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) में गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (Non-Banking Finance Company- NBFC) और इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी (IFC) के रूप में पंजीकृत है जो विद्युत बुनियादी ढाँचे, नवीकरणीय ऊर्जा तथा उभरती प्रौद्योगिकियों सहित विभिन्न क्षेत्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- REC लिमिटेड प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य), दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY), राष्ट्रीय विद्युत निधि (NEF) योजना जैसी सरकारी प्रमुख योजनाओं में एक प्रमुख भूमिका निभाता है जिसके परिणामस्वरूप देश में अंतिम छोर तक विद्युतीकरण सक्षम हुआ है शत-प्रतिशत गाँव का विद्युतीकरण एवं घरों में बिजली की सुविधा मिली है।
कौशल भारत केंद्र के माध्यम से युवाओं को सशक्तीकरण
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री ने ओडिशा के संबलपुर में देश के पहले कौशल भारत केंद्र (SIC) का उद्घाटन किया जो भारत के युवाओं के कौशल में वृद्धि करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- संबलपुर, ओडिशा में स्थित SIC का लक्ष्य विशेष रूप से नए युग में नौकरी की भूमिकाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों की सहायता से युवाओं के कौशल में वृद्धि करना है।
- SIC मीडिया और मनोरंजन, चमड़ा, पर्यटन तथा आतिथ्य एवं IT-ITeS जैसे अधिक मांग वाले व्यवसायों के लिये पाठ्यक्रम के माध्यम से रोज़गार योग्य कौशल विकसित करेगा।
- यह पहल ओडिशा के विभिन्न ज़िलों में कौशल प्रशिक्षण और प्रमाणन प्रदान करने के लिये पूर्व में शुरू की गई कौशल रथ पहल के पूरक के रूप में कार्य करेगी।
- राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) गुणवत्ता मानकों का अनुपालन और केंद्र की समग्र कार्यप्रणाली सुनिश्चित करने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रमों के कार्यान्वयन का अनुवीक्षण करेगा।
- NSDC कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) के तहत कार्य करने वाला एक अद्वितीय सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) उद्यम है।
- इसकी स्थापना कौशल इकोसिस्टम को विकसित करने के लिये की गई थी, NSDC कुशल व्यावसायिक प्रशिक्षण पहल पर ध्यान केंद्रित करते हुए कौशल भारत मिशन के रणनीतिक कार्यान्वन के लिये निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करता है। यह कौशल पहल को बढ़ाने के लिये पात्र संस्थाओं को वित्तीय सहायता, उम्मीदवारों को रियायती ऋण और नवीन वित्तीय उत्पाद प्रदान करके उद्यमों, स्टार्टअप तथा संगठनों का समर्थन करता है।
और पढ़ें…भारत में कौशल विकास, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC)
पारुवेत उत्सवम्
स्रोत: द हिंदू
इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) द्वारा वार्षिक उत्सव 'पारुवेत' (कृत्रिम शिकार प्रशिक्षण अभ्यास) को 'अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' घोषित कराने के लिये प्रयास कर रहा है।
पारुवेत उत्सवम् क्या है?
- परिचय:
- यह आंध्र प्रदेश के अहोबिलम में श्री नरसिम्हा स्वामी मंदिर में मनाया जाने वाला एक वार्षिक उत्सव है जिसमें कृत्रिम शिकार प्रशिक्षण अभ्यास भी किया जाता है।
- मठ के 7वें जीयर (पोंटिफ) द्वारा लिखित संस्कृत नाटक वसंतिका परिणयम से पता चलता है कि 'गुरु परंपरा' के माध्यम से 600 वर्ष पुराने अहोबिला मठ के शासन के तहत मंदिर ने आदिवासी समुदायों के बीच श्रीवैष्णववाद का प्रचार प्रसार किया।
- यह उत्सव सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है, जिसके दौरान मंदिर के गर्भगृह से देवता को 40 दिनों (एक मंडला) के लिये अहोबिलम के आसपास 32 चेंचू आदिवासी बस्तियों में ले जाया जाता है।
- आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत आदिवासी व्यक्तियों द्वारा अपने धनुष से निशाना साधने और पालकी पर दो तीर चलाने से होती है, जो देवता के प्रति श्रद्धा के साथ उनकी सुरक्षात्मक निगरानी का प्रतीक है।
- संक्रांति उत्सव उस दिन मनाया जाता है जिस दिन देवता उनके गाँव पहुँचते हैं।
- जबकि पारुवेत आमतौर पर विजयादशमी अथवा संक्रांति के दौरान कई मंदिरों में मनाया जाता है, यह केवल अहोबिलम में है कि इसे 'मंडला' (चालीस दिनों) के लिये आयोजित किया जाता है।
- चेंचू पीले वस्त्र तथा तुलसी माला पहनकर 'नरसिम्हा दीक्षा' लेते हैं और इस अवधि के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं।
- पंचरात्र आगम (मंदिर पूजा का सिद्धांत) पारुवेत को 'मृगयोत्सव' के रूप में संदर्भित करता है साथ ही मंदिर पूजा में इसके महत्त्व पर बल देते हुए इसके आचरण के लिये दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
- यह आंध्र प्रदेश के अहोबिलम में श्री नरसिम्हा स्वामी मंदिर में मनाया जाने वाला एक वार्षिक उत्सव है जिसमें कृत्रिम शिकार प्रशिक्षण अभ्यास भी किया जाता है।
- लोककथाएँ:
- लोककथाओं में यह कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने अपने नरसिम्हा अवतार में महालक्ष्मी से विवाह किया था, जो अहोबिलम में चेंचूलक्ष्मी नाम की एक आदिवासी लड़की के रूप में अवतरित हुईं, जहाँ चेंचू जनजातियों ने नरसिम्हा को अपने बहनोई के रूप में सम्मानित किया और उन्हें मकर संक्रांति के लिये घर आमंत्रित किया।
- चेंचू जनजाति:
- चेंचू, जिसे 'चेंचुवारु' या 'चेंचवार' भी कहा जाता है, संख्यात्मक रूप से ओडिशा की सबसे छोटी अनुसूचित जनजाति है।
- वे मुख्य रूप से भारत के दक्षिणपूर्वी भाग में नल्लामलाई पहाड़ी शृंखला में निवास करते हैं।
- वे आंध्र प्रदेश की मध्य पहाड़ियों की एक आदिवासी अर्ध-घुमंतू जनजाति हैं।
-
- उनका पारंपरिक जीवन जीने का तरीका शिकार और भोजन एकत्र करने पर आधारित रहा है।
- चेंचू जनजातियाँ आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना की विशेष रूप से सुभेध जनजातीय समूह (PVTGs) हैं।
अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर क्या है?
- अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर वे प्रथाएँ, अभिव्यक्तियाँ, ज्ञान और कौशल हैं जिन्हें समुदाय, समूह तथा कभी-कभी व्यक्ति अपनी सांस्कृतिक धरोहर के हिस्से के रूप में पहचानते हैं।
- इन्हें जीवंत सांस्कृतिक धरोहर भी कहा जाता है और आमतौर पर निम्नलिखित रूपों में से एक के रूप में व्यक्त किया जाता है:
- मौखिक परंपराएँ
- कला प्रदर्शन
- सामाजिक प्रथाएँ
- अनुष्ठान एवं उत्सव कार्यक्रम
- प्रकृति और ब्रह्मांड से संबंधित ज्ञान तथा अभ्यास
- पारंपरिक शिल्प कौशल
वर्ष |
यूनेस्को द्वारा परंपरा को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता |
2023 |
गुजरात का गरबा |
2021 |
कोलकाता में दुर्गा पूजा |
2017 |
कुंभ मेला |
2016 |
नवरोज़, योग |
2014 |
जंडियाला गुरु, पंजाब, भारत के ठठेरों में बर्तन बनाने की पारंपरिक पीतल तथा ताँबे की शिल्पकला |
2013 |
मणिपुर का संकीर्तन, अनुष्ठान गायन, ढोल बजाना एवं नृत्य |
2012 |
लद्दाख का बौद्ध मंत्रोच्चार: ट्राँस-हिमालयी लद्दाख क्षेत्र में पवित्र बौद्ध ग्रंथों का पाठ |
2010 |
राजस्थान का कालबेलिया लोक गीत तथा छाऊ नृत्य, |
2009 |
रम्माण, भारत के गढ़वाल हिमालय का धार्मिक त्योहार और अनुष्ठान रंगमंच |
2008 |
कुटियाट्टम, संस्कृत रंगमंच, वैदिक मंत्रोच्चारण की परम्परा रामलीला, रामायण का पारंपरिक प्रदर्शन |
इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) क्या है?
- INTACH की स्थापना भारत में संस्कृतिक धरोहर के बारे में जानकारी के प्रसार और संरक्षण के उद्देश्य से वर्ष 1984 में नई दिल्ली में की गई थी।
- यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी धर्मार्थ संगठन है।
- INTACH ने न केवल अमूर्त धरोहर बल्कि प्राकृतिक धरोहर के संरक्षण में अभूतपूर्व कार्य किया है।
- वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र ने INTACH को संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद के साथ एक विशेष सलाहकार का दर्जा प्रदान किया।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:Q. हाल ही में निम्नलिखित में से किसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित किया गया है?(2009) (a) दिलवाड़ा मंदिर उत्तर: (b) Q. हाल ही में निम्नलिखित में से किसकी पांडुलिपियों को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में सम्मिलित किया गया है? (2008) (a) अभिधम्म पिटक उत्तर: (d) |
सम्मक्का-सरक्का मेदाराम जथारा
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने देश के सबसे बड़े जनजातीय त्योहार, सम्मक्का सरलम्मा जथारा या मेदाराम जथारा के शुभारंभ पर शुभकामनाएँ दीं।
- मेदाराम जथारा (मुख्य रूप से कोया जनजाति द्वारा मनाया जाता है) विश्व की सबसे बड़ी जनजातीय धार्मिक मंडली है जिसे द्विवार्षिक (दो वर्ष में एक बार) रूप से आयोजित किया जाता है, जिसमें मेदाराम में 'माघ' (फरवरी) के महीने में पूर्णिमा के दिन इस चार दिवसीय महोत्सव पर लगभग 10 मिलियन लोग एकत्रित होते हैं।
- मेदाराम तेलंगाना के एतुरनगरम वन्यजीव अभयारण्य में एक दूरस्थ स्थान है।
- मेदाराम जथारा जनजातीय देवी-देवताओं सम्मक्का और सरलम्मा की वीरता की याद दिलाता है, जिन्होंने अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
- यह एक ऐसा त्योहार है जिसका कोई वैदिक या ब्राह्मण प्रभाव नहीं है।
- लोककथा:
- बाघों के बीच एक नवजात शिशु के रूप में पाई गई सम्मक्का बड़ी होकर एक आदिवासी मुखिया बन गई और उसने पगिदिद्दा राजू (काकतीय सामंती प्रधान) से विवाह किया, जिनकी दो पुत्रियाँ, सरक्का व नागुलम्मा तथा जम्पन्ना नाम का एक पुत्र था।
- जथारा के दौरान लोग देवी-देवताओं को अपने शारीरिक भार के बराबर मात्रा में गुड़ के रूप में बांगरम (स्वर्ण) चढ़ाते हैं और जम्पन्ना वागु (धारा) में पवित्र स्नान करते हैं।
- जम्पन्ना वागु, गोदावरी नदी की एक सहायक नदी है, जिसका नाम आदिवासी योद्धा जम्पन्ना के नाम पर रखा गया है, जो काकतीय सेना के विरुद्ध युद्ध में उनके रक्त से लाल हो गई थी। उनके बलिदान के सम्मान में और उनके जैसी वीरता प्राप्त करने के लिये कोया जनजाति के लोग यहाँ स्नान करते हैं।
और पढ़ें: मेदाराम जथारा महोत्सव
अरुणाचल प्रदेश का राज्य स्थापना दिवस
स्रोत:पी.आई.बी
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने अरुणाचल प्रदेश के 38वें राज्य स्थापना दिवस पर वहाँ के लोगों को शुभकामनाएँ दीं।
- अरुणाचल प्रदेश का आधुनिक इतिहास वर्ष 1826 में यांडाबू की संधि (प्रथम आंग्ल-बर्मी युद्ध के बाद) के माध्यम से शुरू हुए ब्रिटिश नियंत्रण से प्रारंभ होता है, जो वर्ष 1838 तक नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) की स्थापना में विकसित हुआ।
- वर्ष 1914 में शिमला संधि ने तिब्बत और नेफा के बीच सीमा स्थापित की जिसे चीन, तिब्बत एवं ब्रिटिश शासकों द्वारा मान्यता प्रदान की गई।
- वर्ष 1962 से पहले अरुणाचल प्रदेश असम के संवैधानिक अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत था, जो बाद में अपने रणनीतिक महत्त्व के कारण अलग प्रशासन के तहत एक केंद्रशासित प्रदेश में परिवर्तित हो गया।
- अरुणाचल प्रदेश ने 20 फरवरी 1987 को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त किया और साथ ही आदिवासी क्षेत्रों को विशिष्ट राज्य पहचान प्रदान करने की राष्ट्रीय नीति के अनुरूप 55वें संवैधानिक संशोधन के माध्यम से भारतीय संघ का 24वाँ राज्य बन गया।
और पढ़ें… अरुणाचल प्रदेश
मिज़ोरम राज्य स्थापना दिवस
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने मिज़ोरम के 38वें राज्य स्थापना दिवस (20 फरवरी) पर वहाँ के निवासियों को शुभकामनाएँ दीं।
- मिज़ो पर्वतीय क्षेत्र स्वतंत्रता के समय असम के भीतर लुशाई हिल्स ज़िला बन गया। आगे चलकर वर्ष 1954 में इसका नाम बदलकर असम का मिज़ो हिल्स ज़िला कर दिया गया।
- मिज़ो नेशनल फ्रंट (MNF) के नरमपंथियों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर के बाद वर्ष 1972 में मिज़ोरम को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था।
- केंद्र सरकार और MNF के बीच मिज़ोरम शांति समझौता पर हस्ताक्षर करने के बाद वर्ष 1986 में केंद्रशासित प्रदेश मिज़ोरम को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया था।
- मिज़ोरम भारतीय संविधान के 53वें संशोधन (वर्ष 1986) के साथ 20 फरवरी, 1987 को भारतीय संघ का 23वाँ राज्य बना।
- संविधान की छठी अनुसूची (अनुच्छेद 244(2)) के तहत मिज़ोरम को "जनजाति क्षेत्र" के रूप में नामित किया गया है।
और पढ़ें…मिज़ोरम
स्पर-विंग्ड लैपविंग
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में पक्षी प्रेमियों के एक समूह ने तेलंगाना के वारंगल में अम्मावारीपेट झील पर एक अफ्रीकी-भूमध्यसागरीय वेडर पक्षी, स्पर-विंग्ड लैपविंग (वेनेलस स्पिनोसस) को देखा। ऐसा माना जाता है कि यह पक्षी भारत में पहली बार देखा गया है।
- परिवार: स्पर-विंग्ड लैपविंग चराड्रिडे परिवार से संबंधित है।
- रेंज: मध्य, उप-सहारा अफ्रीका; पूर्वी भूमध्यसागर।
- IUCN रेड सूची श्रेणी: कम चिंतनीय।
- आहार: मांसाहारी - मुख्य रूप से कीड़े, कीट लार्वा और छोटे अकशेरुकी।
- सक्रिय: दैनिक - विभिन्न प्रकार से दैनिक या रात्रिचर।
- किसी दिये गए क्षेत्र में शिकार और शिकारियों की सघनता के आधार पर, स्पर-विंग्ड लैपविंग दिन-रात सक्रिय रहते हैं।
बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम
स्रोत: पी. आई. बी.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग (DoWR, RD & GR) द्वारा प्रस्तावित केंद्र प्रायोजित योजना यानी “बाढ़ प्रबंधन एवं सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (FMBAP)” को वर्ष 2021-22 से लेकर 2025-26 तक जारी रखने की मंज़ूरी दे दी है।
- FMBAP में दो घटक शामिल हैं: बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम (FMP) और नदी प्रबंधन तथा सीमा क्षेत्र (RMBA)।
- बाढ़ नियंत्रण, कटाव-रोधी, जल निकासी व्यवस्था और समुद्री कटाव-रोधी कार्यों हेतु FMP घटक।
- फंडिंग पैटर्न:
- वित्त पोषण का पालन किया जाने वाला पैटर्न 90 प्रतिशत (केंद्र): विशेष श्रेणी के राज्यों के लिये (8 उत्तर-पूर्वी राज्य और पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर) 10 प्रतिशत (राज्य) तथा 60 प्रतिशत (केंद्र): सामान्य/गैर-विशेष श्रेणी के राज्यों के लिये 40 प्रतिशत (राज्य) है।
- फंडिंग पैटर्न:
- RMBA घटक (100% केंद्रीय सहायता) बाढ़ नियंत्रण, कटाव-रोधी कार्यों और पड़ोसी देशों के साथ संयुक्त जल परियोजनाओं सहित सीमावर्ती नदियों पर सुरक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा पर केंद्रित है।
- यह योजना राज्यों को बाढ़ मैदान का क्षेत्रीकरण (Flood Plain Zoning) को लागू करने के लिये प्रोत्साहित करती है, जो एक प्रभावी बाढ़ प्रबंधन उपाय है।
- बाढ़ मैदान का क्षेत्रीकरण बाढ़ की संभावना वाले क्षेत्रों को निर्दिष्ट करता है और बाढ़ के दौरान क्षति को कम करने के लिये अनुमेय विकास को निर्देशित करता है।