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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 07 अक्तूबर, 2023

  • 07 Oct 2023
  • 7 min read

तेलंगाना के लिये सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय को स्वीकृति

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तेलंगाना में सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय को स्वीकृति दे दी, जिसका नाम तेलंगाना राज्य में सम्मानित आदिवासी शख्सियत सम्मक्का-सरक्का के नाम पर रखा गया है।

  • सम्मक्का-सरक्का (जिसे मेदाराम जात्रा भी कहा जाता है) कुंभ मेले के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला है, जो तेलंगाना के दूसरे सबसे बड़े जनजातीय समुदाय- कोया जनजाति द्वारा चार दिनों तक मनाया जाता है।
  • यह एक आदिवासी त्योहार है जो एक अन्यायी कानून व शासक के खिलाफ एक मां और बेटी, सम्मक्का एवं सरलम्मा की लड़ाई का सम्मान करता है।
    • मेदाराम एतुरनगरम वन्यजीव अभयारण्य में एक दूरस्थ स्थान है, जो दंडकारण्य का एक हिस्सा है तथा इस क्षेत्र का सबसे बड़ा समृद्ध वन क्षेत्र है।
    • यह दो वर्ष में एक बार "माघ" (फरवरी) महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
    • कोया जनजाति तेलंगाना की सबसे बड़ी आदिवासी जनजाति है, जो तेलंगाना में अनुसूचित जनजाति के रूप में सूचीबद्ध है।
    • यह समुदाय तेलुगु भाषी राज्यों तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में फैला हुआ है।
    • कोया लोग खुद को लोकप्रिय रूप से दोराला सत्तम (लॉर्ड्स समूह) और पुट्टा डोरा (मूल लॉर्ड्स) कहते हैं। गोंडों की तरह कोया अपनी बोली में खुद को "कोइतूर" कहते हैं।

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अपशिष्ट जल में प्रदूषकों को कम करने के लिये अनुकारी एंजाइम

हाल ही में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) सामग्री अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने अपशिष्ट जल उपचार के लिये सूर्य के प्रकाश से संचालित अनुकारी एंजाइम विकसित किया।

  • अध्ययन में नैनोपीटीए नामक एक प्लैटिनम युक्त नैनोजाइम प्रस्तुत किया गया।
  • अपशिष्ट जल के संपर्क में आने पर नैनो पी.टी.ए. टेप जैसी संरचना बनाता है तथा प्रदूषकों को नष्ट करने के लिये प्रकाश उत्सर्जित करता है।
  • यह सूर्य की रोशनी में दस मिनट में सामान्य अपशिष्टों को नष्ट कर सकता है और 75 दिनों तक स्थिर रहता है।
  • नैनोजाइम का स्वास्थ्य देखभाल में विशेषकर तंत्रिका संबंधी रोगों के लिये एक नया अनुप्रयोग हो सकता है।
    • प्राकृतिक एंजाइमों को संवेदनशीलता, जटिल उत्पादन और भंडारण संबंधी समस्याओं जैसी सीमाओं का सामना करना पड़ता है।
    • नैनोजाइम इन चुनौतियों पर नियंत्रण स्थापित कर सकते हैं साथ ही प्राकृतिक एंजाइमों की नकल कर सकते हैं।

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बिज़ली की समस्या को हल करने के लिये गुरुत्वाकर्षण का प्रयोग 

एनर्जी वॉल्ट की मदद से गुरुत्वाकर्षण/ ग्रेविटी-आधारित ऊर्जा भंडारण, नवीकरणीय ऊर्जा की राह में हो रहे व्यवधान के समाधान के रूप में उभर रहा है, जिसके लिये NTPC, टाटा पावर और ReNew पावर जैसी भारतीय कंपनियाँ प्रयासरत हैं।

  • एनर्जी वॉल्ट 25-टन ब्लॉक के साथ ऊर्जा को संगृहीत करने और इसे वितरित करने के लिये गुरुत्वाकर्षण एवं यांत्रिक लिफ्ट का उपयोग करके EVx प्लेटफॉर्म पेश करेगा।
  • यह अल्पकालिक भंडारण, पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियों और हरित हाइड्रोजन ऊर्जा भंडारण पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
    • नवीकरणीय ऊर्जा पर भारत का ज़ोर ऊर्जा भंडारण को और भी महत्त्वपूर्ण बनाता है क्योंकि इसकी नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि ग्रिड प्रबंधकों के लिये चुनौतियाँ पेश करती है।
  • विश्व भर में अधिकांश ऊर्जा भंडारण पंपयुक्त पनबिज़ली से होता है, लेकिन इसके वैकल्पिक समाधान तलाशे जा रहे हैं।
    • भारत सरकार ऊर्जा भंडारण के लिये हाइड्रोजन और हाइब्रिड उत्पादन मॉडल पर विचार कर रही है।
    • खुली खदानों के संभावित उपयोग सहित पंपयुक्त जलविद्युत स्थलों की पहचान करने के प्रयास किये जा रहे हैं।

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15-मिनट्स सिटीज़ और काँस्पीरेसी थ्योरीज़

हाल ही में कुछ काँस्पीरेसी थ्योरीज़ ऑनलाइन प्रस्तुत हुए हैं, जिसमें 15-मिनट सिटीज़ की परिकल्पना को मानवीय गतिशीलता पर प्रतिबंध लगाने की एक डिस्टोपियन(काल्पनिक और भविष्योन्मुखी) योजना के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। काँस्पीरेसी थ्योरिस्ट 15-मिनट सिटीज़ की परिकल्पना को विश्व आर्थिक मंच जैसे बहुराष्ट्रीय संगठनों और सत्तावादी उद्देश्यों से संबंधित मानते हैं।

  • आवश्यक सेवाओं तक आसान पहुँच प्रदान करने के लिये शहरी नियोजन पर पुनर्विचार करने के लिये ‘15-मिनट सिटीज़’ शब्द का प्रयोग सबसे पहले कार्लोस मोरेनो ने वर्ष 2016 में की थी।
  • 15-मिनट्स सिटीज़ की की अवधारणा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोगों की आवश्यक सेवाओं तक पहुँच उनके घर से काफी कम दूरी पर हो जहाँ पैदल अथवा बाइक से जाया जा सके
    • "लो -ट्रैफिक नेबर्स(LTN) को अक्सर 15-मिनट्स सिटीज़ से संबंधित माना जाता है और षड्यंत्र सिद्धांतकार इसे व्यापक "वॉर ऑन ड्राइवर्स" के हिस्से के रूप में देखते हैं।

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