प्रारंभिक परीक्षा
बोस मेटल
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
चीन और जापान के शोधकर्त्ताओं की एक टीम ने प्रायोगिक साक्ष्य प्रस्तुत किया है कि नियोबियम डाइसेलेनाइड (NbSe₂) बोस मेटल के गुण प्रदर्शित करता है।
नियोबियम डाइसेलेनाइड (NbSe₂)
- NbSe₂ एक टाइप-II अतिचालक है, जिसका अर्थ यह है कि यह अपनी अतिचालकता की क्षमता खोए बिना एक निश्चित मात्रा में चुंबकीय क्षेत्र को गुज़रने दे सकता है। शोधकर्त्ताओं ने क्वांटम प्रभावों को बेहतर ढंग से देखने और बढ़ाने के लिये NbSe₂ के सिंगल-लेयर (2D) रूप का अध्ययन किया।
बोस मेटल क्या है?
- परिचय: बोस मेटल एक असामान्य क्वांटम अवस्था को संदर्भित करता है, जहाँ इलेक्ट्रॉन युग्म (कॉपर युग्म- दो इलेक्ट्रॉनों की युग्मित अवस्था जो बिना प्रतिरोध के अतिचालक से होकर गुज़रते हैं) बनते हैं, लेकिन सुपरकंडक्टिंग अवस्था में परिवर्तित नहीं होते हैं।
- अतिचालकता पदार्थ की वह अवस्था है, जिसमें पदार्थ एक क्रांतिक तापमान (T₀) से नीचे शून्य विद्युत प्रतिरोध और पूर्ण प्रतिचुंबकत्व (चुंबकीय क्षेत्रों का विकर्षण) प्रदर्शित करता है, जिससे विद्युत धारा बिना ऊर्जा हानि के अनंत काल तक प्रवाहित हो सकती है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- अतिचालक संक्रमण की अनुपस्थिति: बोस मेटल में ताँबे के युग्म बनते हैं, लेकिन यह पदार्थ शून्य प्रतिरोध प्राप्त नहीं करता है, तथा सामान्य धातुओं की तुलना में बेहतर चालक के रूप में व्यवहार करता है।
- असामान्य धात्विक अवस्था (AMS): यह पारंपरिक पूर्वानुमानों जिसके अनुसार निम्न तापमान पर धातुएँ या तो विद्युतरोधी या अतिचालक होती हैं, के विपरीत है।
- मध्यवर्ती चालकता: बोस धातुओं की विद्युत चालकता, परम शून्य पर एक विद्युतरोधी (शून्य) और अतिचालक (अपरिमित) के बीच होती है और इसकी चालकता क्वांटम घटत बढ़त और चुंबकीय क्षेत्र जैसी बाह्य स्थितियों से प्रभावित होती है।
- अनुप्रयोग:
- क्वांटम कंप्यूटिंग अनुसंधान: बोस धातुएँ नवीन क्वांटम अवस्थाओं का अन्वेषण करनें में मदद कर सकती हैं, क्वांटम बिट्स (क्यूबिट) के विकास में सहायता कर सकती हैं, तथा अव्यवस्थित धातुओं और अपरंपरागत सामग्रियों सहित जटिल क्वांटम चरणों में अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती हैं।
- उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स: उनके अद्वितीय प्रवाहकीय गुण अगली पीढ़ी के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के डिज़ाइन को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे बेहतर प्रदर्शन और ऊर्जा दक्षता में सुधार हो सकता है।
- अतिचालकता अनुसंधान: एक मध्यवर्ती चरण के रूप में, बोस धातुएँ अतिचालकता में परिवर्तन के बोध में सहायता करती हैं, तथा उच्च तापमान अतिचालकों के विकास में योगदान देती हैं।
- सीमाएँ:
- बोस धातुओं से संबंधित सैद्धांतिक अस्पष्टताएँ हैं, जिनकी वर्तमान में कोई सर्वभौम परिभाषा और व्यावहारिक अनुप्रयोग नहीं है। उनका प्रयोगात्मक संसूचन चुनौतीपूर्ण है, जिसके लिये विशिष्ट रूप से निम्न तापमान और चुंबकीय स्थितियों की आवश्यकता होती है ।
कूपर युग्म:
- इस अवधारणा की खोज वर्ष 1956 में लियोन कूपर ने की थी ।
- बोस धातु में कूपर युग्म विकसित होते हैं, लेकिन अतिचालक अवस्था में संघनित नहीं होते, जबकि अतिचालकों में वे संघनित होकर बिना प्रतिरोध के धारा को प्रवाहित होने देते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. “क्यूबिट (Qubit)” शब्द का उल्लेख निम्नलिखित में से कौन-से एक प्रसंग में होता है? (2022) (a) क्लाउड सेवाएँ उत्तर: (b) |
रैपिड फायर
ध्वन्यास्त्र
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
सर्बियाई सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया कि पुलिस ने ध्वन्यास्त्रों (Sonic Weapons) का उपयोग कर सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने का प्रयास किया।
- ध्वन्यास्त्र ऐसे उपकरण हैं जो लंबी दूरी तक अत्यधिक संकेंद्रित, प्रवर्धित ध्वनि प्रदान करते हैं, जिनका उपयोग सामन्यतः भीड़ को नियंत्रित करने के लिये किया जाता है।
- वर्ष 2004 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने पहली बार इराक में लंबी दूरी तक तीव्र ध्वनि प्रक्षेपित करने के लिये ऐसे विशेष उपकरणों का इस्तेमाल किया था।
- यह 3 प्रकार का होता है:
- लंबी दूरी की ध्वनिक डिवाइस (LRAD): यह 160 डेसिबल (dB) तक ध्वनि उत्पन्न करती है, जिससे टिनिटस (रिंगिंग इअर्स), श्रवण क्षमता में क्षय और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- उड़ान के दौरान एक जेट इंजन 130-140 dB ध्वनि उत्पन्न करता है, और एक बंदूक की गोली लगभग 150 dB ध्वनि उत्पन्न करती है। 120 dB से अधिक ध्वनि से स्थायी श्रुति-क्षय हो सकता है।
- मॉस्किटो: इससे अत्यधिक तीव्र ध्वनि उत्पन्न होती है जो केवल युवा लोगों (30 वर्ष से कम) के लिये कष्टदायक होती है।
- इन्फ्रासोनिक वेपन: इससे निम्न आवृत्ति वाली, अश्रव्य ध्वनि उत्पन्न होती है, जिससे दर्द और भटकाव होता है।
- लंबी दूरी की ध्वनिक डिवाइस (LRAD): यह 160 डेसिबल (dB) तक ध्वनि उत्पन्न करती है, जिससे टिनिटस (रिंगिंग इअर्स), श्रवण क्षमता में क्षय और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- सर्बिया पूर्वी यूरोप में एक स्थलरुद्ध देश है। कोसोवो ने वर्ष 2008 में सर्बिया से स्वतंत्रता की घोषणा की, लेकिन सर्बिया कोसोवो के राज्यपद को मान्यता नहीं देता है।
रैपिड फायर
कैबिनेट द्वारा आर्थिक विकास के लिये बहु-क्षेत्रीय पैकेज को मंजूरी
स्रोत: लाइव मिंट
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22,791 करोड़ रुपए के बहु-क्षेत्रीय पैकेज को मंजूरी दी है, जिसमें एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) प्रोत्साहन, असम में एक यूरिया संयंत्र, महाराष्ट्र में एक राजमार्ग परियोजना और संशोधित डेयरी विकास योजनाएँ शामिल हैं।
- डिजिटल भुगतान प्रोत्साहन: डिजिटल भुगतान और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिये ज़ीरो मर्चेंट डिस्काउंट रेट नीति के तहत कम मूल्य वाले UPI (व्यक्ति-से-व्यापारी) लेनदेन (वित्त वर्ष 25) को बढ़ावा देने के लिये प्रोत्साहन योजना के लिये 1,500 करोड़ रुपए आवंटित किये गए।
- 2,000 रुपए से कम के लेनदेन पर 0.15 % प्रोत्साहन दिया जाता है, जिससे छोटे व्यापारियों (डिजिटल भुगतान < 50,000 रुपए/माह) को लाभ मिलता है।
- सरकार अधिग्रहण करने वाले बैंकों (व्यापारी बैंक) को प्रोत्साहन देती है, जिसे जारीकर्त्ता बैंक (ग्राहक बैंक), भुगतान सेवा प्रदाताओं और ऐप प्रदाताओं के साथ साझा किया जाता है।
- महाराष्ट्र में राजमार्ग परियोजना: जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिये पीएम गति शक्ति के तहत चौक-पगोटे छह लेन राजमार्ग को मंजूरी दी गई।
- असम में उर्वरक संयंत्र: 'एक्ट ईस्ट' पॉलिसी के तहत नामरूप-IV यूरिया संयंत्र के लिये 10,601 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गए, जिससे पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत की यूरिया आपूर्ति और दक्षिण पूर्व एशिया में निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
- संशोधित राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम: कुल परिव्यय को संशोधित कर 2,970 करोड़ रुपए किया गया, जिससे 10,000 डेयरी सहकारी समितियाँ स्थापित की जाएंगी तथा मुख्य रूप से महिलाओं के लिये 3.2 लाख नौकरियाँ सृजित होंगी।
- उच्च उत्पादक वाली मवेशी नस्लों को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय गोकुल मिशन (2021-26) का कुल परिव्यय संशोधित कर 3,400 करोड़ रुपए किया गया।
रैपिड फायर
GNSS-आधारित टोल संग्रह
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारत सरकार ने सुरक्षा और गोपनीयता संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए टोल संग्रह हेतु ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) की शुरुआत को अभी स्थगित कर दिया है।
- सरकार GNSS के स्थान पर स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (ANPR) कैमरों और FASTag (फास्टैग) का उपयोग करके बैरियर-लेस फ्री फ्लो टोलिंग को आगे बढ़ाएगी।
- GNSS: वाहनों द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर टोल निर्धारित करने के लिये उपग्रहों और ऑनबोर्ड इकाइयों (OBUs) का उपयोग करके टोल की गणना करता है।
- हालाँकि, यह प्रणाली गैर-भारतीय उपग्रहों पर निर्भरता के कारण परिचालन नियंत्रण, डेटा गोपनीयता और संभावित उल्लंघनों के बारे में चिंताएँ उत्पन्न करती है।
- ANPR FASTag प्रणाली (AFS): यह वाहन नंबर प्लेटों को स्वचालित रूप से पहचानने के लिये कैमरों का उपयोग कर टोल कटौती के लिये उन्हें संबंधित फास्टैग अकाउंट से जोड़ती है।
- भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम द्वारा जारी किया गया फास्टैग एक ऐसा उपकरण है जिसमे रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिसके द्वारा चलते हुए वाहन से सीधे टोल भुगतान किया जा सकता है।
- वाहन के विंडस्क्रीन पर लगा फास्टैग (RFID Tag) लिंक किये गए बैंक खाते से स्वचालित टोल भुगतान को सक्षम बनाता है।
और पढ़ें: नई सैटेलाइट-आधारित टोल संग्रह प्रणाली
रैपिड फायर
द्विअपवर्तन
स्रोत: प्रेस रीडर
अपवर्तन (Refraction) का आशय प्रकाश का एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर उसकी गति में परिवर्तन के कारण होने वाले बंकन (मुड़ना) से है। हालाँकि, कुछ पदार्थों में द्विअपवर्तन (दोहरा अपवर्तन) नामक घटना भी होती है।
- द्विअपवर्तन: यह कुछ पदार्थों का ऑप्टिकल गुण है, जहाँ आपतित प्रकाश 2 किरणों में विभाजित हो जाता है, जिनमें से प्रत्येक अलग-अलग दिशाओं में अलग-अलग अपवर्तनांक के कारण अलग-अलग गति से यात्रा करती है। यह पदार्थों की विषमतापूर्ण प्रकृति के कारण उत्पन्न होता है।
- अपवर्तनांक निर्वात में प्रकाश की गति और माध्यम में उसकी गति का अनुपात है। निर्वात का अपवर्तनांक 1 होता है। उच्च अपवर्तनांक अधिक प्रकाशीय घनत्व और प्रकाश की निम्न गति को दर्शाता है ।
- द्विअपवर्तक पदार्थों के प्रकार:
- प्राकृतिक: कैल्साइट, क्वार्ट्ज, अभ्रक
- कृत्रिम: बेरियम बोरेट, लिथियम नियोबेट
- अभिप्रेरित: भौतिक तनाव, विद्युत या चुंबकीय क्षेत्र लागू करके बनाया जा सकता है।
- अनुप्रयोग: LCD, माइक्रोस्कोप, ऑप्टिकल स्विच, वेवप्लेट्स, फ्रीक्वेंसी कन्वर्टर्स और प्रकाश नियंत्रण के लिये लेजर में उपयोग किया जाता है।
आइसोट्रोपिक और एनिसोट्रोपिक पदार्थ:
- आइसोट्रोपिक पदार्थ: एक समान संरचना वाले, स्थिर कोण पर प्रकाश को अपवर्तित करने वाले, तथा ध्रुवीकरण के बिना इसे एक ही वेग से गुजरने देने वाले पदार्थ। उदाहरण: काँच, टेबल साल्ट (NaCl)।
- एनिसोट्रोपिक पदार्थ: इनमें अलग-अलग क्रिस्टल अक्ष होते हैं, जिससे प्रकाश विभिन्न वेग और लंबवत ध्रुवीकरण (द्विअपवर्तन) के साथ 2 किरणों में विभाजित हो जाता है। उदाहरण: कैल्साइट, क्वार्ट्ज, मीका, टूमलाइन।
और पढ़ें: फोटोनिक क्रिस्टल