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नई सैटेलाइट-आधारित टोल संग्रहण प्रणाली

  • 15 Mar 2024
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

गगन, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम, फास्टैग

मेन्स के लिये:

सैटेलाइट-आधारित नेविगेशन सिस्टम, बुनियादी ढाँचे का महत्त्व

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने संसद में घोषणा की कि सरकार 2024 चुनाव के लिये आदर्श आचार संहिता प्रभावी होने से पहले वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (GNSS) पर आधारित एक नई राजमार्ग टोल संग्रह प्रणाली शुरू करने की योजना बना रही है।

नई प्रस्तावित राजमार्ग टोलिंग प्रणाली क्या है?

  • मुख्य विशेषताएँ:
    • प्रस्तावित राजमार्ग टोलिंग प्रणाली सटीक स्थान ट्रैकिंग के लिये भारतीय उपग्रह नेविगेशन प्रणाली GAGAN (GPS एडेड GEO ऑगमेंटेड नेविगेशन) सहित GNSS का उपयोग करती है।
      • GNSS एक शब्द है जिसका उपयोग अमेरिका के ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (GPS) सहित किसी भी उपग्रह-आधारित नेविगेशन सिस्टम को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
      • यह अकेले GPS की तुलना में विश्व स्तर पर उपयोगकर्त्ताओं को अधिक सटीक स्थान और नेविगेशन जानकारी प्रदान करने के लिये उपग्रहों के एक बड़े समूह का उपयोग करता है।
    • कार्यान्वयन में वाहनों को ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) या ट्रैकिंग डिवाइस के साथ फिट करना शामिल है, जो स्थान निर्धारित करने के लिये उपग्रहों के साथ संचार करता है।
    • राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्देशांक डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग का उपयोग करके लॉग किये जाते हैं, जिससे सॉफ्टवेयर यात्रा की गई दूरी के आधार पर टोल दरों की गणना कर सकता है।
      • टोल राशि की कटौती OBU से जुड़े/संबद्ध डिजिटल वॉलेट से की जाती है जिससे निर्बाध और नकदी रहित लेन-देन सुनिश्चित होता है। 
    • इसके प्रवर्तन उपायों में अनुपालन की निगरानी और चोरी की घटनाओं की रोकथाम के लिये राजमार्गों पर CCTV कैमरों से सुसज्जित गैन्ट्री (Gantry) शामिल है।
    • यह नवीन प्रणाली संभवतः वर्तमान में मौजूदा FASTag-आधारित टोल संग्रह के साथ संचालित की जाएगी। सभी वाहनों के लिये OBU अनिवार्य करने के संबंध में निर्णय करना अभी बाकी है।
  • लाभ:
    • सुचारु यातायात प्रवाह: टोल प्लाज़ा को समाप्त करने से यातायात की भीड़, विशेषकर पीक आवर्स के दौरान, में काफी कमी आने की उम्मीद है।
    • यात्रा समय: निर्बाध टोल संग्रह से यात्रा का समय कम हो जाएगा और साथ ही राजमार्ग नेटवर्क अधिक कुशल हो जाएगा।
    • उचित बिलिंग: इस प्रणाली का लक्ष्य उपयोगकर्त्ताओं को केवल यात्रा की गई वास्तविक दूरी के लिये टोल का भुगतान करने का लाभ प्रदान करना है जो उपयोग आधारित भुगतान (Pay-As-You-Use Model) करने के मॉडल को बढ़ावा देता है।
  • चुनौतियाँ:
    • भुगतान वसूली: आवश्यकता से कम राशि वाले डिजिटल वॉलेट वाले अथवा सिस्टम से छेड़छाड़ करने वाले उपयोगकर्त्ताओं से टोल वसूलना एक चिंता का विषय बना हुआ है।
    • प्रवर्तन अवसंरचना: प्रवर्तन उद्देश्यों के लिये स्वचालित रूप से नंबर-प्लेट पहचान (ANPR) कैमरों का एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क स्थापित करने के लिये महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के विकास की आवश्यकता है।
    • निजता संबंधी चिंताएँ: डेटा सुरक्षा और उपयोगकर्त्ता गोपनीयता को प्रभावी ढंग से संबोधित करने की आवश्यकता है।

फास्टैग:

  • FASTag एक उपकरण है जो वाहन के चलते समय सीधे टोल भुगतान करने के लिये रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीक का उपयोग करता है।
  • फास्टैग (RFID टैग) वाहन की विंडस्क्रीन पर चिपकाया जाता है और ग्राहक को फास्टैग से जुड़े खाते से सीधे टोल भुगतान करने में सक्षम बनाता है।

गगन

  • GPS सहायता प्राप्त GEO संवर्धित नेविगेशन (GAGAN) भारत में सैटेलाइट-आधारित नेविगेशन सेवाओं के लिये भारत सरकार की एक पहल है।
  • इसका उद्देश्य संदर्भ संकेतों के माध्यम से वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (global navigation satellite system - GNSS) रिसीवरों की सटीकता को बढ़ाना है।
  • भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने गगन को एक सैटेलाइट बेस्ड ऑग्मेंटेशन सिस्टम के रूप में विकसित करने के लिये सहयोग किया है।
  • GAGAN का लक्ष्य भारतीय हवाई क्षेत्र और आसपास के क्षेत्र में विमान को सटीक लैंडिंग में सहायता करने के लिये एक नेविगेशन प्रणाली प्रदान करना है और नागरिक संचालन के लिये जीवन की सुरक्षा के लिये लागू है। GAGAN अन्य अंतर्राष्ट्रीय SBAS प्रणालियों के साथ अंतःक्रियाशील है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित देशों में से किस एक के पास अपनी उपग्रह मार्गनिर्देशन (नैविगेशन) प्रणाली है? (2023)

(a) ऑस्ट्रेलिया
(b) कनाडा
(c) इज़रायल
(d) जापान

उत्तर: (d)


प्रश्न. भारतीय क्षेत्रीय-संचालन उपग्रह प्रणाली (इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम/IRNSS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. IRNSS के तुल्यकाली (जियोस्टेशनरी) कक्षाओं में तीन उपग्रह हैं और भूतुल्यकाली (जियोसिंक्रोनेस) कक्षाओं में चार उपग्रह हैं। 
  2. IRNSS की व्याप्ति संपूर्ण भारत पर और इसकी सीमाओं के लगभग 5500 वर्ग किलोमीटर बाहर तक है। 
  3. वर्ष 2019 के मध्य तक भारत की पूर्ण वैश्विक व्याप्ति के साथ अपनी उपग्रह संचालन प्रणाली होगी।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. भारतीय प्रादेशिक नौपरिवहन उपग्रह प्रणाली (आई.आर.एन.एस.एस.) की आवश्यकता क्यों है? यह नौपरिवहन में किस प्रकार सहायक है? (2018)

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