प्रारंभिक परीक्षा
भारतीय मसाला बोर्ड
स्रोत: बिज़नेस लाइन
चर्चा में क्यों?
भारतीय मसाला बोर्ड ने अंतर्राष्ट्रीय खाद्य मानक निकाय कोडेक्स (CODEX) के साथ मसालों में एथिलीन ऑक्साइड (Ethylene Oxide- ETO) के उपयोग की सीमा तय करने की ज़रूरत के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है।
- भारतीय कंपनियों द्वारा हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर को निर्यात किये गए कुछ ब्रांडेड मसालों को ETO संदूषण से संबंधित चिंताओं के कारण वापस मँगाए जाने के पश्चात् यह कदम उठाया गया है, जिसके बाद नेपाल द्वारा इसी तरह की चिंताओं के कारण कुछ मसाला-मिश्रण उत्पादों की बिक्री और आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
भारतीय मसाला बोर्ड क्या है?
- परिचय:
- मसाला बोर्ड का गठन 26 फरवरी, 1987 को मसाला बोर्ड अधिनियम, 1986 के तहत पूर्ववर्ती इलायची बोर्ड (1968) और मसाला निर्यात संवर्द्धन परिषद (1960) के विलय के साथ किया गया था।
- वाणिज्य विभाग के अंतर्गत पाँच वैधानिक कमोडिटी बोर्ड हैं।
- ये बोर्ड चाय, कॉफी, रबर, मसाले और तंबाकू के उत्पादन, विकास तथा निर्यात के लिये उत्तरदायी हैं।
- यह 52 अनुसूचित मसालों के निर्यात प्रोत्साहन और इलायची उत्पादन हेतु ज़िम्मेदार है।
- मसाला बोर्ड भारतीय मसालों के विकास और विश्वव्यापी प्रचार के लिये प्रमुख संगठन है।
- यह बोर्ड भारतीय निर्यातकों एवं विदेशी आयातकों के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में कार्य करता है।
- एथिलीन ऑक्साइड का मुद्दा (ETO):
- ETO एक रसायन है जिसका उपयोग मसालों में कीटाणुरोधी पदार्थ के रूप में किया जाता है, परंतु एक निश्चित सीमा से अधिक उपयोग करने पर इसे कैंसरकारी माना जाता है।
- हालाँकि ETO संदूषण को रोकने के प्रयास किये जा रहे हैं, जबकि प्रमुख बाज़ारों में भारतीय मसाला निर्यात के तहत मसाला सैंपल विफलता दर 1% से कम है।
- अभी तक CODEX ने कोई सीमा निर्धारित नहीं की है तथा कोई मानकीकृत ETO परीक्षण प्रोटोकॉल भी उपलब्ध नहीं है।
- भारत ने ETO के उपयोग की सीमा निर्धारित करने की आवश्यकता का प्रश्न CODEX समिति के समक्ष उठाया है क्योंकि विभिन्न देशों की ETO उपयोग सीमाएँ अलग-अलग हैं।
- मसाला बोर्ड ने ETO संदूषण को रोकने तथा सभी बाज़ारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये निर्यातकों को दिशा-निर्देश जारी किये।
- यह मसालों के लिये कीटाणुरोधी पदार्थ के रूप में ETO का उपयोग न करने की सलाह देता है तथा भाप कीटाणुरोधन एवं विकिरण जैसे विकल्पों का सुझाव देता है।
- अमेरिका, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य देशों ने भी कुछ भारतीय मसालों की गुणवत्ता के विषय में चिंता जताई है तथा ये देश आगे की कार्रवाई की आवश्यकता का निर्धारण कर रहे हैं।
- ETO एक रसायन है जिसका उपयोग मसालों में कीटाणुरोधी पदार्थ के रूप में किया जाता है, परंतु एक निश्चित सीमा से अधिक उपयोग करने पर इसे कैंसरकारी माना जाता है।
नोट:
- भारत विश्व का सबसे बड़ा मसाला उत्पादक है। यह मसालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता और निर्यातक भी है।
- वर्ष 2023-24 में भारत का मसाला निर्यात 4.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जो वैश्विक मसाला निर्यात का 12% हिस्सा है।
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य मानक
- वर्ष 1963 के बाद से नई चुनौतियों का समाधान करने के लिये कोडेक्स प्रणाली खुले तौर पर और समावेशी रूप से विकसित हुई है।
- कोडेक्स मानक निष्पक्ष अंतर्राष्ट्रीय जोखिम मूल्यांकन निकायों अथवा खाद्य और कृषि संगठन (FAO) तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तदर्थ परामर्श के माध्यम से प्रदान किये गए विश्वसनीय वैज्ञानिक जानकारी पर आधारित हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. 18वीं शताब्दी के मध्य इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बंगाल से निर्यातित प्रमुख पण्य पदार्थ (स्टेपल कमोडिटीज़) क्या थे? (2018) (a) अपरिष्कृत कपास, तिलहन और अफीम उत्तर: (d) प्रश्न. केसर मसाला बनाने के लिये पौधे का निम्नलिखित में से कौन सा भाग उपयोग में लाया जाता किया जाता है? (2009) (a) पत्ता उत्तर: (d) |
प्रारंभिक परीक्षा
डिजिटल अरेस्ट स्कैम
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
चर्चा में क्यों?
गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs- MHA) ने 'डिजिटल अरेस्ट' घोटालों में वृद्धि के बारे में चेतावनी जारी की है, जहाँ साइबर अपराधी बिना सोचे-समझे पीड़ितों से पैसे निकालने के लिये सरकारी अधिकारियों का रूप धारण करते हैं।
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cybercrime Coordination Centre- I4C), माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से इस संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध का सक्रिय रूप से मुकाबला कर रहा है।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम क्या है?
- साइबर अपराधी प्रतिरूपण: घोटालेबाज़ खुद को पुलिस, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau Investigation- CBI), नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) या प्रवर्तन निदेशालय (ED) सहित विभिन्न सरकारी एजेंसियों के कर्मियों के रूप में पेश करते हैं।
- धमकाने की रणनीतिः पीड़ितों को अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए कॉल प्राप्त होते हैं, जैसे कि ड्रग्स या नकली पासपोर्ट जैसी प्रतिबंधित वस्तुओं को भेजना या प्राप्त करना।
- जालसाज़ उस "मामले" को बंद करने के लिये भी पैसे की मांग कर सकते हैं जिसमें किसी प्रियजन को कथित तौर पर आपराधिक गतिविधि या दुर्घटना में फँसाया गया हो।
- डिजिटल कारावास: कुछ पीड़ितों को 'डिजिटल गिरफ्तारी' के अधीन किया जाता है, जहाँ उन्हें स्कैमर्स के साथ वीडियो कॉल पर तब तक रहने के लिये मजबूर किया जाता है जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।
- पैसों की मांग: झूठे कानूनी मामलों को बेनकाब नहीं करने के लिये सहमत होने के बदले अपराधी पैसे वसूल रहे हैं।
इन घोटालों से निपटने के लिये क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
- धोखाधड़ी वाले खातों को ब्लॉक करना: I4C ने सरकारी कर्मियों के रूप में प्रस्तुत किये जाने वाले साइबर अपराधियों द्वारा नागरिकों को डराने-धमकाने, ब्लैकमेल करने, ज़बरन वसूली और "डिजिटल गिरफ्तारी" से जुड़े 1,000 से अधिक स्काइप खातों को ब्लॉक कर दिया है।
- I4C इन धोखेबाजों द्वारा उपयोग किये गए सिमकार्ड, मोबाइल डिवाइस और मूल खातों को ब्लॉक करने की सुविधा भी दे रहा है।
- क्रॉस-बॉर्डर अपराध सिंडिकेट: गृह मंत्रालय ने पहचान की है कि ये घोटाले सीमा पार (क्रॉस-बॉर्डर) अपराध सिंडिकेट द्वारा संचालित होते हैं, जो उन्हें एक बड़े, संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध नेटवर्क का हिस्सा बनाते हैं।
- सतर्कता और जागरूकता: I4C ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "साइबर दोस्त" और अन्य प्लेटफॉर्मों पर इस तरह की धोखाधड़ी के संबंध में सतर्कता को बढ़ाया है।
- यदि किसी को ऐसी कॉल आती है, तो उन्हें सहायता के लिये तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर या वेबसाइट "नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल" पर घटना की रिपोर्ट करनी चाहिये।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C):
- इसकी स्थापना गृह मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिये कानून प्रवर्तन एजेंसियों (LEA) के लिये एक रूपरेखा और पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने के लिये की गई थी।
- I4C को देश में साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिये नोडल बिंदु के रूप में कार्य करने की परिकल्पना की गई है।
- यह तीव्रता से विकसित हो रही प्रौद्योगिकियों एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बनाए रखने के लिये साइबर कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव करता है।
- गृह मंत्रालय में संबंधित प्राधिकारी के परामर्श से साइबर अपराधों के लिये अन्य देशों के साथ पारस्परिक कानूनी सहायता संधियों (MLAT) के कार्यान्वयन का समन्वय करना।
- MLAT दो या दो से अधिक देशों के बीच एक द्विपक्षीय समझौता है जो आपराधिक अथवा सार्वजनिक कानूनों को लागू करने के लिये सूचना और साक्ष्य के आदान-प्रदान की अनुमति देता है।
और पढ़ें: भारत की साइबर सुरक्षा चुनौती: खतरे और रणनीतियाँ
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. भारत में किसी व्यक्ति के साइबर बीमा कराने पर निधि की हानि की भरपाई एवं अन्य लाभों के अतिरिक्त निम्नलिखित में से कौन-कौन से लाभ दिये जाते हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 4 उत्तर: (b) प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किसके लिये साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना कानूनी रूप से अनिवार्य है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) |
रैपिड फायर
भूस्खलन की रोकथाम के लिये मृदा की सफाई और हाइड्रोसीडिंग
स्रोत: द हिंदू
पारिस्थितिक रूप से नीलगिरी क्षेत्र में लगातार हो रही भूस्खलन की समस्याओं के समाधान हेतु राज्य राजमार्ग विभाग मृदा की सफाई (Soil Nailing) और हाइड्रोसीडिंग तकनीक का उपयोग करके एक स्थायी 'हरित' समाधान लागू कर रहा है।
- सॉइल नेलिंग (Soil Nailing) एक भू-तकनीकी इंजीनियरिंग तकनीक है जिसमें मृदा को मजबूत करने और मृदा के कटाव को रोकने के लिये इसमें मजबूत तत्त्वों को शामिल किया जाता है।
- सॉइल नेलिंग प्रक्रिया के बाद, 'हाइड्रोसीडिंग' विधि लागू की जाएगी, जिसमें घास और पौधों के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिये मृदा पर बीज, उर्वरक, जैविक सामग्री एवं जल के मिश्रण का अनुप्रयोग शामिल है।
- भारत की कुछ स्थानीय प्रजातियों सहित घास की लगभग पाँच प्रजातियाँ ढलानों के किनारे उगाई जाएंगी।
- हाइड्रोसीडिंग पूरी होने के बाद घास के रखरखाव की ज़िम्मेदारी राजमार्ग विभाग की होगी।
- सॉइल नेलिंग और हाइड्रोसीडिंग के माध्यम से भूस्खलन को रोकने का यह 'हरित' समाधान पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील नीलगिरी क्षेत्र में सड़कों जैसे रैखिक बुनियादी ढाँचे के प्रभाव को कम करने में मदद करेगा।
और पढ़ें: भूस्खलन के प्रति अनुकूलन
रैपिड फायर
नोबेल पुरस्कार विजेता ऐलिस मुनरो
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता एलिस मुनरो का निधन हो गया, जो अपने पीछे बारह से अधिक लघु कहानी संग्रहों की विरासत और अपने महत्त्वपूर्ण साहित्यिक योगदान के प्रमाण के रूप में वर्ष 2013 का नोबेल पुरस्कार छोड़ गईं।
- मुनरो ने वर्ष 2009 में मैन बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और दो बार कनाडा का सबसे प्रतिष्ठित (हाई-प्रोफाइल) साहित्यिक पुरस्कार गिलर पुरस्कार भी जीता।
- लघु कथाएँ गढ़ने में अपने असाधारण कौशल के लिये उन्हें विश्व भर में पहचान मिली। मुनरो की कहानियाँ प्रेम, इच्छा, असंतोष, बढ़ती उम्र और नैतिक दुविधाओं सहित कई मानवीय अनुभवों से संबंधित थीं।
रैपिड फायर
समुद्री एनीमोन का विरंजन
स्रोत: द हिंदू
लक्षद्वीप द्वीप समूह में समुद्री एनीमोन (Actiniaria) का अध्ययन करने वाले शोधकर्त्ताओं द्वारा पहली बार अगत्ती द्वीप से दूर बड़े पैमाने पर एनीमोन में विरंजन की घटना देखी गई है।
- समुद्री एनीमोन विरंजन उस प्रक्रिया को संदर्भित करती है जिसमें समुद्री एनीमोन अपने जीवंत रंग खो देते हैं और सहजीवी प्रकाश संश्लेषक शैवाल के नुकसान के कारण श्वेत अथवा पीले हो जाते हैं।
- यह जल के बढ़ते तापमान, प्रदूषण अथवा महासागर रसायन विज्ञान में परिवर्तन जैसे पर्यावरणीय तनावों के कारण हो सकता है।
- विरंजन के कारण समुद्री एनीमोन अपनी ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत खो देते हैं, जिससे वे बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं जिस कारण उनकी मृत्यु दर में वृद्धि होती है।
- समुद्री एनीमोन एक जलीय जीव है जो अपने कोमल शरीर और डंक मारने की विशिष्ट क्षमता से पहचाने जाते है।
- वे निडारिया फाइलम परिवार का हिस्सा हैं और समुद्र के पानी में विशेषकर तटीय उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- वे प्रवाल और चट्टानों के करीबी सहयोगी हैं। वे क्लाउनफिश के साथ सहजीवी संबंध भी बनाते हैं, जो क्लाउनफिश के भोजन के बदले में उसे सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- समुद्री एनीमोन बेंटिक पारिस्थितिक तंत्र (जल निकाय में सबसे निचला पारिस्थितिक क्षेत्र और आमतौर पर समुद्र तल पर तलछट शामिल) में महत्त्वपूर्ण जैव भू-रासायनिक भूमिका निभाते हैं।
- अगत्ती द्वीप कोच्चि (केरल) से 459 किमी. (248 समुद्री मील) की दूरी पर है और कावारत्ती द्वीप के पश्चिम में स्थित है।
और पढ़े: लक्षद्वीप का अगत्ती द्वीप
रैपिड फायर
फुटबॉल के दिग्गज सुनील छेत्री
स्रोत: द हिंदू
भारतीय फुटबॉल कप्तान सुनील छेत्री ने 6 जून, 2024 को कुवैत के विरुद्ध अपना आखिरी मैच खेलने के बाद अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास लेने की घोषणा की है।
- वह वर्तमान में गोल करने के मामले में सक्रिय खिलाड़ियों में क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनेल मेस्सी के बाद तीसरे स्थान पर हैं। वह अंतर्राष्ट्रीय गोल स्कोररों की सर्वकालिक सूची में भी चौथे स्थान पर हैं।
पुरस्कार और उपलब्धियाँ |
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ट्रॉफी |
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पुरस्कार एवं सम्मान |
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राष्ट्रीय पुरस्कार |
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- AIFF भारत में फुटबॉल खेल का प्रबंधन करता है। इसकी स्थापना वर्ष 1937 में हुई थी और वर्ष 1947 में भारत की आज़ादी के बाद वर्ष 1948 में इसे FIFA से संबद्धता प्राप्त हुई।
और पढ़ें: इंडियन फुटबॉल का विज़न 2047
रैपिड फायर
केंद्र ने CAA के तहत नागरिकता प्रदान की
स्रोत: द हिंदू
केंद्र सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम [Citizenship (Amendment) Act- CAA], 2019 के तहत आवेदन करने वाले 300 से अधिक लोगों को नागरिकता प्रमाण-पत्र प्रदान किये हैं।
- नागरिकता संशोधन नियम, 2024 को गृह मंत्रालय द्वारा 11 मार्च, 2024 को अधिसूचित किया गया था, जिसने दिसंबर, 2019 में संसद द्वारा पारित होने के 4 वर्ष पश्चात् CAA के कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त किया।
- CAA 3 पड़ोसी देशों (अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान) के 6 गैर-मुस्लिम समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई) के प्रवासियों (गैर-दस्तावेज़) को नागरिकता प्रदान करता है, जिन्होंने 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया था।
- धारा 6B (2019 के CAA द्वारा 1955 के नागरिकता अधिनियम में प्रस्तुत) उल्लिखित 3 पड़ोसी देशों के प्रवासियों के लिये देशीयकरण द्वारा भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की एक विशिष्ट प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार करती है।
- इसने नागरिकता हेतु अर्हता प्राप्त करने की अवधि को मौजूदा 11 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष कर दिया।
- इस अधिनियम में कहा गया है कि ऐसे अल्पसंख्यकों को "अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा" तथा उन्हें पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 एवं विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 3 के तहत दंडनीय धाराओं से छूट दी जाएगी।
- धारा 6B की प्रविष्टि से ऐसे प्रवासियों को पंजीकरण और देशीयकरण के माध्यम से नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति मिलती है।
और पढ़ें: नागरिकता संशोधन अधिनियम: अनपैक्ड, केंद्र ने CAA कार्यान्वयन के लिये नियमों को अधिसूचित किया, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019
रैपिड फायर
तारों में नाभिक-संश्लेषण
स्रोत: द हिंदू
तारों में नाभिक-संश्लेषण (Stellar Nucleosynthesis) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा तारे अपने कोर के अंदर तत्त्वों का निर्माण करते हैं। इस तरह से नहीं बनने वाला एकमात्र तत्त्व हाइड्रोजन है, जो ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर और सबसे हल्का तत्त्व है।
- तारकीय कोर को दाब और ताप प्रभावित करते हैं। उल्लेखनीय है कि सूर्य के कोर में ताप 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है। इन कठोर परिस्थितियों में परमाणु नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया से गुज़रते हैं।
- हाइड्रोजन नाभिक, जो कि केवल एक प्रोटॉन है, p-p (प्रोटॉन-प्रोटॉन) अभिक्रिया में हीलियम नाभिक (दो प्रोटॉन और दो न्यूट्रॉन) के निर्माण हेतु एक साथ आता है।
- अधिक विशाल तारों में कार्बन-नाइट्रोजन-ऑक्सीजन (CNO) चक्र महत्त्वपूर्ण होता है, जहाँ इन तत्त्वों के नाभिक हीलियम सहित अन्य तत्त्वों के निर्माण हेतु अलग-अलग तरीकों से एक साथ आते हैं।
- CNO चक्र में हाइड्रोजन का हीलियम में संलयन होता है, जो कार्बन, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन समस्थानिकों द्वारा उत्प्रेरित होता है।
- जैसे ही किसी तारे में संलयन के दौरान नाभिक समाप्त हो जाता है, उसका कोर संकुचित जाता है, जिससे तापमान बढ़ जाता है और आगे नाभिकीय संलयन आरंभ हो जाता है।
- यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक तारा लोहे (Fe) का उत्पादन शुरू नहीं कर देता, जो सबसे हल्का तत्त्व है जिसके संलयन से निकलने वाली ऊर्जा की तुलना में अधिक ऊर्जा की खपत होती है।
- लोहे से भारी तत्त्वों को किसी तारे के बाहर तभी संश्लेषित किया जा सकता है जब वह सुपरनोवा की स्थिति में पहुँच जाता है।
और पढ़ें: नाभिकीय संलयन ऊर्जा