ज़ोजिला दर्रा-राजदान दर्रा को अल्प शीतकालीन बंद के बाद पुनः खोला
सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation- BRO) ने घोषणा की है कि ग्रेटर हिमालयन रेंज में 11,650 फीट की ऊँचाई पर स्थित रणनीतिक ज़ोजिला दर्रा सर्दियों में बंद होने के बाद पुनः खोल दिया गया है।
- इसी तरह गुरेज सेक्टर को कश्मीर घाटी से जोड़ने वाले राजदान दर्रे को भी सर्दियों के कारण कुछ समय तक बंद रहने के बाद पुनः खोल दिया गया है।
- प्रोजेक्ट बीकन और विजयक के तहत दर्रे के दोनों ओर की बर्फ हटाने का अभियान चलाया गया।
ज़ोजिला दर्रा का महत्त्व:
- ज़ोजिला लद्दाख के कारगिल ज़िले में स्थित एक उच्च पहाड़ी दर्रा है।
- यह दर्रा लेह और श्रीनगर को जोड़ता है, साथ ही यह केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख एवं कश्मीर के बीच महत्त्वपूर्ण संपर्क मार्ग प्रदान करता है।
- ज़ोजिला दर्रा सर्दियों के दौरान भारी बर्फबारी के कारण बंद हो जाता है, जिससे लद्दाख क्षेत्र का कश्मीर से संपर्क कट जाता है।
- ज़ोजिला सुरंग परियोजना की शुरुआत वर्ष 2018 में की गई थी। यह सुरंग एशिया की सबसे लंबी और सामरिक द्वि-दिशात्मक सुरंग है, जो श्रीनगर, कारगिल और लेह के बीच पूरे वर्ष संपर्क प्रदान करेगी।
भारत में अन्य महत्त्वपूर्ण दर्रे:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. सियाचिन हिमनद कहाँ स्थित है? (2020) (a) अक्साई चिन के पूर्व में उत्तर: D |
स्रोत: द हिंदू
शुक्र ग्रह पर सक्रिय ज्वालामुखी
हाल ही में नासा के मैगलन अंतरिक्ष यान ने विभिन्न कक्षाओं से शुक्र ग्रह की सतह की तस्वीरें लीं और दो वर्षों में दो अथवा तीन बार कुछ स्थानों पर ज्वालामुखीय गतिविधियाँ होने की आशंका जताई गई है।
प्रमुख बिंदु
- रडार से प्राप्त दशकों पुरानी छवियों के अध्ययन से शुक्र ग्रह पर सक्रिय ज्वालामुखी होने के नए प्रमाण मिले हैं।
- शुक्र ग्रह पर 2.2 वर्ग किलोमीटर के ज्वालामुखीय छिद्र के आकार में विगत आठ महीनों में कई बार परिवर्तन हुए हैं, जो ज्वालामुखीय गतिविधि का संकेत है।
- ज्वालामुखीय छिद्र एक ऐसा स्थान है जिसके माध्यम से तरल चट्टानी पदार्थ/लावा निकलता है।
- इसमें लावा के निकलने के संकेत मिले हैं, रडार से प्राप्त छवियों के अनुसार, इस छिद्र का आकार दोगुना हो गया था और लावा उपर तक पहुँच गया था। यह छिद्र माट मॉन्स से संबंधित है।
- माट मॉन्स इस ग्रह का दूसरा सबसे ऊँचा ज्वालामुखी है। यह एटला रेजियो में स्थित है, जो शुक्र के भूमध्य रेखा के पास एक विशाल उच्च भूमि क्षेत्र है, में ये बदलाव उस छिद्र से लावा निकलने के कारण हुए थे जो कि संभावित ज्वालामुखीय गतिविधि की ओर इशारा करते हैं।
मैगलन मिशन:
- शुक्र ग्रह हेतु नासा का मैगलन मिशन सबसे सफल प्रमुख अंतरिक्ष मिशनों में से एक था।
- यह शुक्र ग्रह, जिसे 4 मई, 1989 को लॉन्च किया गया था, की पूरी सतह की छवि लेने वाला पहला अंतरिक्ष यान था, साथ ही इसने ग्रह के बारे में कई खोजें कीं।
- 13 अक्तूबर, 1994 को मैगलन के साथ संचार उस समय टूट गया जब उसे शुक्र के वातावरण में उतरने का निर्देश दिया गया।
शुक्र संबंधी आगामी अभियान:
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन भी शुक्र का अध्ययन करने हेतु शुक्रयान-1 पर काम कर रहा है। ऑर्बिटर संभवतः ग्रह की भूगर्भीय और ज्वालामुखीय गतिविधि, ज़मीन पर उत्सर्जन, वायु की गति, बादलों के आवरण एवं वृत्ताकार कक्षा से अन्य ग्रहों की विशेषताओं का अध्ययन करेगा।
- नया विश्लेषण यूरोपीय एनविज़न जैसे आगामी मिशनों हेतु लक्षित क्षेत्रों को निर्धारित करने में सहायता करेगा, जिसे वर्ष 2032 में लॉन्च किया जाना है।
- शुक्र ग्रह हेतु दो मिशनों की योजना बनाई जा रही है, नासा के VERITAS और DAVINCI द्वारा वर्ष 2030 के दशक में शुक्र का निरीक्षण किये जाने की उम्मीद है।
शुक्र ग्रह:
- परिचय:
- यह सूर्य का दूसरा निकटतम ग्रह है और सौरमंडल का छठा सबसे बड़ा ग्रह है। इसे पृथ्वी का जुड़वाँ ग्रह भी कहा जाता है।
- यह सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है और इसका अधिकतम तापमान (450o C) और अम्लीय मेघ इसे जीवन के लिये एक असंभावित जगह बनाते हैं।
- शुक्र ग्रह अन्य ग्रहों के सापेक्ष विपरीत घूमता है अर्थात् इसका सूर्य पश्चिम में उदय होता है तथा पूर्व में अस्त होता है।
- बुध ग्रह के साथ-साथ इसका भी न तो कोई चंद्रमा है और न ही कोई वलय है।
शुक्र ग्रह पर भेजे गए पूर्ववर्ती मिशन |
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अमेरिका |
रूस |
जापान |
यूरोप |
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न 1. निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (2014) अंतरिक्षयान उद्देश्य
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
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स्रोत: डाउन टू अर्थ
स्टारबेरी-सेंस
भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (Indian Institute of Astrophysics- IIA) के शोधकर्त्ताओं ने खगोल विज्ञान और लघु क्यूबसैट क्लास सैटेलाइट मिशनों हेतु कम लागत वाला स्टार सेंसर विकसित किया है।
- स्टारबेरी-सेंस नाम का स्टार सेंसर छोटे क्यूबसैट क्लास सैटेलाइट मिशन को अंतरिक्ष में उनकी ओरिएंटेशन खोजने में मदद कर सकता है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology- DST) के अनुसार, स्टारबेरी-सेंस इसरो द्वारा PS-ऑर्बिटल प्लेटफॉर्म पर लॉन्च हेतु तैयार है और भविष्य में क्यूबसैट एवं अन्य लघु उपग्रह मिशनों के लिये इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
स्टारबेरी-सेंस
- स्टार सेंसर सटीक अभिवृत्ति निर्धारण सेंसरों में से एक है। यह एक इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल प्रणाली है जो सितारों के एक समूह की छवि कैप्चर करता है और इसकी स्टार कैटलॉग के साथ तुलना करके उपग्रह के कोण विचलन को निर्धारित करने के साथ-साथ इसकी अभिवृत्ति को संशोधित करता है। स्टार सेंसर बैफल, ऑप्टिकल सिस्टम, डिटेक्टर और इलेक्ट्रॉनिक तथा इमेज प्रोसेसिंग सिस्टम से बना हुआ है।
अन्य स्टार सेंसर से स्टारबेरी-सेंस की तुलना:
- यह स्टार सेंसर वाणिज्यिक/ऑफ-द-शेल्फ घटकों के आधार पर बाज़ार में 10% से भी कम खर्चीला और आसानी से उपलब्ध है।
- रास्पबेरी पाई ज़ीरो का उपयोग करके विकसित की गई प्रणाली कम लागत पर उपलब्ध है।
- रास्पबेरी पाई ज़ीरो (Raspberry Pi Zero) कम विद्युत की खपत वाला एक लघु आकार (क्रेडिट कार्ड से छोटा) का कंप्यूटर है, साथ ही कस्टम सॉफ्टवेयर चलाने की क्षमता इसे स्टार सेंसर एप्लीकेशन हेतु उपयुक्त प्लेटफाॅर्म बनाती है।
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान:
- IIA भारत में एक प्रमुख शोध संस्थान है जो खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी और संबंधित क्षेत्रों के अध्ययन के लिये समर्पित है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्तपोषित है।
- इसमें कई अवलोकन सुविधाएँ हैं, जिनमें कवलूर, तमिलनाडु में वेनू बापू वेधशाला, कर्नाटक में गौरीबिदनूर रेडियो वेधशाला और लद्दाख, जम्मू एवं कश्मीर में हानले वेधशाला शामिल हैं।
स्रोत: द हिंदू
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 18 मार्च, 2023
ओडिशा तट से गायब हो रहे हॉर्सशू क्रैब
ओडिशा के बालासोर ज़िले में चाँदीपुर और बलरामगढ़ी तट पर विनाशकारी मत्स्यन प्रथाओं के कारण हॉर्सशू क्रैब, औषधीय रूप से अमूल्य एवं पृथ्वी पर सबसे पुराने जीवित प्राणियों में से एक, अपने परिचित प्रजनन स्थल से गायब हो रहे हैं। भारत में हॉर्सशू क्रैब की दो प्रजातियाँ हैं- तटीय हॉर्सशू क्रैब (टैचीप्लस गिगास), मैंग्रोव हॉर्सशू क्रैब (कार्सिनोस्कॉर्पियस रोटुंडिकाउडा)। साथ ही इनकी सघनता ओडिशा में पाई जाती है। ये दोनों प्रजातियाँ अभी IUCN की रेड लिस्ट में सूचीबद्ध नहीं हैं, लेकिन वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची 4 का हिस्सा हैं। हॉर्सशू क्रैब का खून तेज़ी से नैदानिक अभिकर्मक तैयार करने हेतु बहुत महत्त्वपूर्ण है। सभी इंजेक्टेबल और दवाओं की जाँच हॉर्सशू क्रैब की मदद से की जाती है। हॉर्सशू क्रैब के अभिकर्मक से एक अणु विकसित किया गया है जो गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करने वाली बीमारी प्री-एक्लेमप्सिया के इलाज में मदद करेगा। पुरापाषाणकालीन अध्ययन के अनुसार, हॉर्सशू क्रैब की आयु 450 मिलियन वर्ष है। यह प्राणी अपनी मज़बूत प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण बिना किसी रूपात्मक परिवर्तन के पृथ्वी पर जीवित रहता है।
भारत ने 2023 को पर्यटन विकास वर्ष नामित करने हेतु SCO बैठक में योजना प्रस्तुत की
पर्यटन मंत्रियों के सम्मेलन में भारत ने वर्ष 2023 को पर्यटन विकास वर्ष के रूप में नामित करने के लिये शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के दौरान एक कार्ययोजना प्रस्तुत की। पर्यटन क्षेत्र में सहयोग पर सदस्य देशों के बीच समझौते को लागू करने के लिये एक संयुक्त कार्ययोजना को मंज़ूरी दी गई है। इसमें SCO पर्यटन ब्रांड को बढ़ावा, सदस्य राज्यों की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा; पर्यटन में सूचना और डिजिटल प्रौद्योगिकियों को साझा करना; चिकित्सा तथा स्वास्थ्य पर्यटन में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है। काशी को SCO की पहली पर्यटन एवं सांस्कृतिक राजधानी घोषित किया गया है। इसके अलावा इस बैठक में "SCO क्षेत्र में पर्यटन विकास वर्ष 2023" की कार्ययोजना को स्वीकृति प्रदान की गई। SCO एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय, यूरेशियन, राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संगठन है जिसका लक्ष्य संबद्ध क्षेत्र में शांति, सुरक्षा तथा स्थिरता बनाए रखना है। इसके सदस्य देशों में कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत, पाकिस्तान और ईरान शामिल हैं।
INS द्रोणाचार्य को प्रेसीडेंट कलर
भारत के राष्ट्रपति ने INS द्रोणाचार्य को प्रेसिडेंट्स कलर प्रदान किया। यह राष्ट्र के लिये अपनी असाधारण सेवाओं हेतु भारत में सैन्य इकाई को दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। इसे 'निशान' के रूप में भी जाना जाता है जो एक प्रतीक है तथा जिसे सभी यूनिट अधिकारी अपनी वर्दी में बाएँ हाथ की आस्तीन पर पहनते हैं। तीनों रक्षा बलों में से भारतीय नौसेना वर्ष 1951 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा प्रेसिडेंट्स कलर से सम्मानित होने वाली पहली भारतीय सशस्त्र सेना थी। भारत के साथ-साथ कई राष्ट्रमंडल देशों में कलर की परंपरा ब्रिटिश सेना से ली गई है। परंपरागत रूप से कलर मानक, गाइडन, कलर और बैनर से जुड़े चार प्रकार के प्रतीक रहे हैं। भारतीय नौसेना का INS द्रोणाचार्य कोच्चि, केरल में स्थित एक प्रतिष्ठित गनरी स्कूल (Gunnery School) है। यह छोटे हथियारों, नौसैनिक मिसाइलों, तोपखाने, रडार और रक्षात्मक उपायों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण अधिकारियों और रेटिंग के लिये ज़िम्मेदार है।
अनुसंधान, शिक्षा एवं प्रशिक्षण आउटरीच (रीचआउट) योजना
क्षमता निर्माण हेतु पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अनुसंधान, शिक्षा और प्रशिक्षण आउटरीच (रीचआउट) नामक एक अम्ब्रेला स्कीम कार्यान्वित की जा रही है। इसमें निम्नलिखित उप-योजनाएँ सम्मिलित हैं:
- पृथ्वी प्रणाली विज्ञान में अनुसंधान एवं विकास (RDESS)
- ऑपरेशनल ओशनोग्राफी के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र (ITCOocean)
- पृथ्वी प्रणाली विज्ञान में कुशल जनशक्ति के विकास के लिये कार्यक्रम (DESK)
- यह योजना पूरे देश में लागू की जा रही है, न कि राज्य/संघ राज्य क्षेत्रवार। इन उप-योजनाओं के मुख्य उद्देश्य हैं:
- पृथ्वी प्रणाली विज्ञान के विभिन्न घटकों के प्रमुख क्षेत्रों में विभिन्न अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों का समर्थन करना जो विषय और आवश्यकता पर आधारित हैं तथा जो MoES के लिये स्थापित राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेंगे।
- पृथ्वी विज्ञान में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में उन्नत ज्ञान के पारस्परिक हस्तांतरण और विकासशील देशों को सेवा प्रदान करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ उपयोगी सहयोग विकसित करना।
- देश और विदेश में शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से पृथ्वी विज्ञान में कुशल एवं प्रशिक्षित जनशक्ति विकसित करना।