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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 16 Dec, 2023
  • 22 min read
प्रारंभिक परीक्षा

पोम्पे रोग

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

भारत के पहले पोम्पे रोग के रोगी का 24 वर्ष की आयु में अर्द्ध-कोमा की स्थिति में बीमारी से जूझने के बाद निधन हो गया।

  • अर्द्ध-कोमा की स्थिति में व्यक्ति आंशिक कोमा में होता है, जो पूर्ण कोमा तक पहुँचे बिना भटकाव और स्तब्धता के रूप में प्रकट होती है। अर्द्ध-बेहोशी की स्थिति में रोगी कराहने और बुदबुदाने जैसी उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रिया दिखा सकते हैं।

पोम्पे रोग क्या है?

  • परिचय:      
    • पोम्पे रोग (जिसे ग्लाइकोजन भंडारण रोग प्रकार II के रूप में भी जाना जाता है) शरीर की कोशिकाओं के लाइसोसोम में ग्लाइकोजन के निर्माण की विशेषता है।
    • यह रोग एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है जो एंज़ाइम एसिड अल्फा-ग्लूकोसिडेज़ (GAA) की कमी के कारण होता है। यह एंज़ाइम कोशिकाओं के लाइसोसोम के भीतर ग्लाइकोजन को ग्लूकोज़ में विघटित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
      • लाइसोसोम झिल्ली से आबद्ध भाग हैं जिनमें एंज़ाइमों की एक शृंखला होती है जो सभी प्रकार के जैविक पॉलिमर—प्रोटीन, न्यूक्लिक एसिड, कार्बोहाइड्रेट और लिपिड को तोड़ने में सक्षम होते हैं।
    • इसकी व्यापकता का अनुमान 40,000 में 1 से लेकर 300,000 बच्चों में 1 तक है।

  • लक्षण:
    • मांसपेशियों में कमज़ोरी, पेशीय विकास में देरी, अस्थियों पर अपक्षयी प्रभाव, श्वसन संबंधी समस्याएँ, हृद संबंधी जटिलताएँ, दैनिक जीवन पर प्रभाव।
  • निदान:
    • न्यूनता वाले एंज़ाइम GAA की गतिविधि को मापने के लिये एंज़ाइम परीक्षण किया जाता है।
    • आनुवंशिक परीक्षण संबद्ध GAA जीन में उत्परिवर्तन की पहचान करता है। आनुवंशिक विश्लेषण पोम्पे रोग से जुड़े विशिष्ट उत्परिवर्तन की उपस्थिति की पुष्टि करता है।
  • उपचार:
    • हालाँकि पोम्पे रोग का वर्तमान में कोई स्थाई उपचार नहीं है किंतु लक्षणों को दूर करने एवं रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिये अल्पकालिक उपचार के विकल्प उपलब्ध हैं।
    • एंज़ाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी (ERT) एक सामान्य उपचार पद्धति है जिसमें ग्लाइकोजेन संचय को कम करने के लिये न्यूनता वाले एंज़ाइम का उपयोग करना शामिल है।


प्रारंभिक परीक्षा

हरित हाइड्रोजन परियोजनाएँ और SEZs

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

भारत सरकार वर्तमान नियमों में संशोधन पर विचार कर रही है जो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) के भीतर हरित हाइड्रोजन के उत्पादन पर केंद्रित नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिये महत्त्वपूर्ण वित्तीय लाभ का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

प्रमुख प्रस्तावित संशोधन क्या हैं?

  • हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं के लिये SEZ का विस्तार: वाणिज्य मंत्रालय विशेष रूप से हरित हाइड्रोजन पहल को पूरा करने वाले कई गैर-सन्निहित क्षेत्रों में SEZ को अनुमति देने पर विचार कर रहा है।
    • वर्तमान में SEZ को 50 हेक्टेयर या उससे अधिक के सन्निहित भूमि क्षेत्र की आवश्यकता होती है। वाणिज्य मंत्रालय हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं के लिये इस मानदंड में छूट देने के लिये तैयार है।
    • बहु-स्थानीय SEZ की अनुमति देने से डेवलपर्स पवन ऊर्जा का उपयोग करने में सक्षम होंगे जिसके लिये टर्बाइनों को एक दूसरे से काफी दूरी (250 से 400 मीटर) पर रखा जाता है।
  • वित्तीय लाभ के लिये पात्रता: प्रस्तावित संशोधन का उद्देश्य SEZ के भीतर कैप्टिव खपत के लिये उपयोग किये जाने वाले नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों को वित्तीय लाभ देना है।
    • वर्तमान में SEZ नियम केवल SEZ इकाइयों के रूप में स्थापित तथा SEZ के बाहर विद्युत विपणन के लिये स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों के लिये वित्तीय लाभ की अनुमति देते हैं।
      • हालाँकि कैप्टिव उपभोग के लिये उपयोग किये जाने पर नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र लाभ के लिये अयोग्य हो जाते हैं।
  • यदि ये परिवर्तन स्वीकृत हो जाते हैं, तो निर्यात-उन्मुख हरित हाइड्रोजन उद्यमों को हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिये समर्पित नवीकरणीय ऊर्जा सुविधाओं की स्थापना एवं संचालन के लिये कर छूट प्राप्त करने में सक्षम बनाया जाएगा।

नोट: कैप्टिव उपभोग (Captive Consumption) का तात्पर्य उत्पादक इकाई के परिसर के भीतर अथवा निर्दिष्ट क्षेत्र के भीतर बाह्य बाज़ारों में स्थानांतरण अथवा विपणन के बिना वस्तुओं अथवा सेवाओं के उपयोग से है।

विशेष आर्थिक क्षेत्र क्या है?

  • विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) एक भौगोलिक क्षेत्र है जिसमें आर्थिक कानून मौजूद हैं जो देश के घरेलू आर्थिक कानूनों की तुलना में अधिक उदार हैं।
    • श्रेणी 'SEZ' में अधिक विशिष्ट प्रकारों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है, जिनमें निम्नलिखित क्षेत्र शामिल हैं, लेकिन यह केवल इन्हीं तक सीमित नहीं हैं:
    • भारत एशिया में निर्यात को बढ़ावा देने में निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र मॉडल की प्रभावशीलता को पहचानने वाले पहले देशों में से एक था, एशिया का पहला EPZ वर्ष 1965 में कांडला, गुजरात में स्थापित किया गया था।
  • भारत में SEZ: विदेशी निवेश बढ़ाने, रोज़गार के अवसर उत्पन्न करने और बुनियादी सुविधाओं के विकास के साथ-साथ निर्यात के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी व निर्बाध वातावरण प्रदान करने के लिये अप्रैल 2000 में भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र नीति की घोषणा की गई थी।
    • भारत के सभी कानून SEZ के अंतर्गत लागू होते हैं जब तक कि SEZ अधिनियम/नियमों के अनुसार विशेष रूप से छूट न दी गई हो।
      • प्रत्येक ज़ोन का नेतृत्व एक विकास आयुक्त करता है और इसे SEZ अधिनियम, 2005 और SEZ नियम, 2006 के अनुसार प्रशासित किया जाता है। 
      • SEZ में विनिर्माण, व्यापार या सेवा गतिविधि के लिये इकाइयाँ स्थापित की जा सकती हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. हरित हाइड्रोजन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)

  1. इसे आंतरिक दहन के लिये ईंधन के रूप में सीधे इस्तेमाल किया जा सकता है।
  2. इसे प्राकृतिक गैस के साथ मिलाकर ताप या शक्ति जनन के लिये ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  3. इस वाहन चालन के लिये हाइड्रोजन ईंधन प्रकोष्ठ में इस्तेमाल किया जा सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं?

(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन 
(d) कोई भी नहीं

उत्तर: (c)


प्रारंभिक परीक्षा

IUCN रेड लिस्ट अपडेट 2023

स्रोत: आई. यू. सी. एन.

हाल ही मे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में एक अद्यतन किया गया, जिसमें हज़ारों नई प्रजातियों के आकलन और पुनर्मूल्यांकन शामिल हैं।

  • यह जानकारी पार्टियों के 28वें सम्मेलन में प्रस्तुत की गई, जिसमें विभिन्न प्रकार की प्रजातियों पर जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों पर प्रकाश डाला गया।
  • IUCN रेड लिस्ट में अब 157,190 प्रजातियाँ शामिल हैं, जिनमें से 44,016 पर विलुप्त होने का खतरा है।

रिपोर्ट की मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • जलवायु परिवर्तन से विविध प्रजातियों को खतरा:
    • अटलांटिक सैल्मन से लेकर हरे कछुओं तक की प्रजातियाँ जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते खतरों का सामना कर रही हैं।
    • IUCN महानिदेशक, प्रजातियों की कमी से निपटने के लिये महत्त्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई की तात्कालिकता पर ज़ोर देते हैं।
    • IUCN रेड लिस्ट अपडेट जलवायु और जैव-विविधता संकटों की परस्पर जुड़ी प्रकृति को रेखांकित करता है, स्थायी समाधान के लिये संयुक्त प्रयासों का आग्रह करता है।
  • मीठे पानी की मछली का आकलन:
    • वैश्विक मीठे पानी की मछली प्रजातियों का पहला व्यापक मूल्यांकन सामने आया है।
      • मूल्यांकित मीठे पानी की मछली प्रजातियों में से 25% विलुप्त होने के खतरे में हैं।
      • जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, ओवरफिशिंग और आक्रामक प्रजातियों की कमी में योगदान करती हैं।
  • अटलांटिक सैल्मन पर प्रभाव:
    • अटलांटिक सैल्मन (Salmo salar- सल्मो सालार) रे-फिनेड वाली मछली है जो एक मीटर तक लंबी हो सकती है, जो उत्तरी अटलांटिक महासागर बेसिन में पाई जाती है। वे एनाड्रोमस हैं, जिसका अर्थ है कि वे ताज़े और खारे पानी दोनों में रहते हैं।
      • अटलांटिक सैल्मन की आबादी में 23% (वर्ष 2006-2020) की कमी आई, जिससे वे कम चिंता वाले क्षेत्र से खतरे के करीब पहुँच गए।
  • हरे कछुए विलुप्त होने का सामना कर रहे हैं:
    • मध्य दक्षिण प्रशांत और पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में हरे कछुओं की आबादी क्रमशः लुप्तप्राय और सुभेद्य है।
      • जलवायु परिवर्तन उनके पूरे जीवन चक्र में खतरा पैदा करता है, जिससे अंडे सेने की सफलता और भोजन के स्रोत प्रभावित होते हैं।
  • खतरे का सामना कर रहे महोगनी के पेड़:
    • बड़ी पत्ती वाला महोगनी (स्विएटेनिया मैक्रोफिला), एक मांग वाला लकड़ी का पेड़, कमज़ोर से लुप्तप्राय में स्थानांतरित हो गया है।
      • अस्थिर फसल, शहरी अतिक्रमण और अवैध कटाई 180 वर्षों में 60% की कमी में योगदान करती है।
  • संरक्षण की सफलता की कहानियाँ:
    • स्किमिटर-हॉर्नड ऑरेक्स, एक रेगिस्तानी मृग जो जंगल में विलुप्त से लुप्तप्राय की ओर अग्रसर होता है, चाड गणराज्य में सफल पुनरुत्पादन प्रयासों को प्रदर्शित करता है।
    • संरक्षण उपायों के कारण सैगा मृग गंभीर रूप से लुप्तप्राय से लगभग संकटग्रस्त हो गया है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) रेड लिस्ट:

  • IUCN रेड लिस्ट जानवरों, कवक और पौधों की प्रजातियों के बीच विलुप्त होने के जोखिम का आकलन करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण वैश्विक संसाधन है।
  • सभी के लिये सुलभ, यह वैश्विक जैवविविधता स्वास्थ्य के एक महत्त्वपूर्ण संकेतक के रूप में कार्य करता है, यह प्रजातियों की विशेषताओं, खतरों और संरक्षण उपायों में व्यापक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है तथा सूचित संरक्षण निर्णयों एवं नीतियों को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • IUCN रेड लिस्ट श्रेणियाँ मूल्यांकन की गई प्रजातियों के विलुप्त होने के जोखिम को परिभाषित करती हैं। नौ श्रेणियाँ NE (मूल्यांकित नहीं) से EX (विलुप्त) तक फैली हुई हैं। गंभीर रूप से लुप्तप्राय (CR), लुप्तप्राय (EN) और कमज़ोर (VU) प्रजातियों को विलुप्त होने का खतरा माना जाता है।
  • यह सतत विकास लक्ष्यों और Aichi लक्ष्यों के लिये भी एक प्रमुख संकेतक है।
  • IUCN रेड लिस्ट में प्रजातियों की IUCN हरित स्थिति शामिल है, जो प्रजातियों की आबादी की पुनर्प्राप्ति का आकलन करती है और उनके संरक्षण की सफलता को मापती है।
    • ग्रीन स्टेटस ऑफ स्पीशीज़ की आठ श्रेणियाँ हैं जैसे: जंगल में विलुप्त, गंभीर रूप से समाप्त, बड़े पैमाने पर समाप्त, मध्यम रूप से समाप्त, थोड़ा समाप्त, पूरी तरह से पुनः प्राप्त, गैर समाप्त और अनिश्चित।
  • ग्रीन स्टेटस ऑफ स्पीशीज़ यह मूल्यांकन करती हैं कि संरक्षण कार्यों ने वर्तमान रेड लिस्ट स्थिति को कैसे प्रभावित किया है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. ‘संक्रामक (इन्वेसिव) जीव-जाति (स्पीशीज़) विशेषज्ञ समूह’ (जो वैश्विक संक्रामक जीव-जाति डेटाबेस विकसित करता है) निम्नलिखित में से किस एक संगठन से संबंधित है? (2023)

(a) अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (इंटरनैशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर) 
(b) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूनाइटेड नेशंस एन्वाइरनमेंट प्रोग्राम) 
(c) संयुक्त राष्ट्र का पर्यावरण एवं विकास पर विश्व आयोग (यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड कमीशन फॉर एन्वाइरनमेंट ऐंड डेवेलप्मेंट) 
(d) प्रकृति के लिये विश्वव्यापी निधि (वर्ल्डवाइड फंड फॉर नेचर) 

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • संक्रामक जीव-जाति विशेषज्ञ समूह (ISSG) आक्रामक प्रजातियों पर वैज्ञानिक और नीति विशेषज्ञों का एक वैश्विक नेटवर्क है, जिसका गठन अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के प्रजाति उत्तरजीविता आयोग (SSC) के तत्त्वाधान में आयोजित किया गया है। अतः विकल्प (a) सही है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1994 में हुई थी।
  • ISSG ग्लोबल इनवेसिव स्पीशीज़ डेटाबेस (GISD) का प्रबंधन करता है, जो विश्व भर में आक्रामक विदेशी प्रजातियों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। ISSG अन्य ऑनलाइन संसाधनों जैसे कि एलियंस-एल लिस्टसर्व, द इनवेसिव स्पीशीज़ कम्पेंडियम, द ग्लोबल रजिस्टर ऑफ इंट्रोड्यूस्ड एंड इनवेसिव स्पीशीज़ का भी रखरखाव करता है।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 दिसंबर, 2023

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के 2 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष पर जश्न मनाया गया।

  • काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ मंदिर तथा गंगा नदी के घाटों को जोड़ता है।
    • काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है।
    • यह मंदिर पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है तथा बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो सबसे पवित्र शिव मंदिर है।
    • काशी विश्वनाथ धाम भारत के शीर्ष तीर्थ स्थलों में से एक बन गया है क्योंकि आँकड़ों के अनुसार विगत दो वर्षों में लगभग 12.9 करोड़ श्रद्धालुओं ने मंदिर का दर्शन किया।

और पढ़ें…काशी विश्वनाथ कॉरिडोर

महामारी समझौता 

हाल ही में 28 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा महामारी समझौते पर सातवें दौर का विचार-विमर्श संपन्न हुआ।

  • इस समझौते का उद्देश्य बीमारी के संक्रमण की वैश्विक रोकथाम, तत्परता तथा उपचार को सशक्त करना है।
  • संबद्ध प्रतिनिधि बौद्धिक संपदा अधिकार एवं रिलैक्सिंग पेटेंट पर आम सहमति कायम करने में विफल रहे।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका ने बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) की सुरक्षा पर अपना रुख नहीं बदला, यह दोहराते हुए कि उन्हें रद्द करने से आपात स्थिति के दौरान गरीब देशों के लिये पहुँच में सुधार नहीं होगा।
  • विकसित और विकासशील देशों की राय अलग-अलग थी, विकसित देशों ने रोकथाम पर ध्यान केंद्रित किया तथा विकासशील देशों ने संधि में गारंटी के तौर पर चिकित्सा उत्पादों तक एकसमान पहुँच की मांग की।
  • पेटेंट अधिकारों को बरकरार रखने एक विषय में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरर्स एंड एसोसिएशन ने अपनी सहमति जताई।

बाराकुडा: भारत की सौर-इलेक्ट्रिक समुद्री नाव

भारत की सबसे तेज़ सौर-इलेक्ट्रिक नाव, अलाप्पुझा में बाराकुडा का लॉन्च, पर्यावरण-अनुकूल समुद्री परिवहन में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

  • Navalt सोलर एंड इलेक्ट्रिक बोट्स द्वारा विकसित, 14 मीटर लंबा जहाज़ दक्षता और स्थिरता का प्रतीक है, जो 12 यात्रियों एवं वस्तुओं के साथ अशांत समुद्र में भी परिवहन करने में सक्षम है।
  • इसे चार मीटर तक ऊँची तरंगों को नेविगेट करने के लिये तैयार किया गया जो शोर, कंपन या वायु प्रदूषण के बिना कार्य करता है।

 और पढ़ें: भारत का समुद्री सिद्धांत

मालदीव ने भारत का हाइड्रोग्राफी समझौता समाप्त किया

वर्तमान मालदीव की सरकार ने 'इंडिया फर्स्ट' नीति से खुद को अलग करते हुए, राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं और संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा का हवाला देते हुए भारत के साथ हाइड्रोग्राफी समझौते को नवीनीकृत नहीं करने का विकल्प चुना है।

  • भारतीय प्रधानमंत्री की मालदीव यात्रा के दौरान 8 जून, 2019 को हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
    • समझौते के तहत भारत को द्वीप राष्ट्रों के क्षेत्रीय जल का व्यापक अध्ययन करने की अनुमति दी गई, जिसमें चट्टानें, लैगून, समुद्र तट, समुद्री धाराएँ और ज्वार का स्तर शामिल हैं।
  • भारतीय नौसेना और मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल  (MNDF)  द्वारा तीसरा संयुक्त हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण 19 जनवरी से 26 फरवरी, 2023 तक भारतीय नौसेना जहाज़ अन्वेषक (INS Investigator) द्वारा किया गया था।
  • इससे पहले, मालदीव की मौजूदा सरकार ने भी भारत से द्वीप से अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने का अनुरोध किया था।

और पढ़ें: भारत- मालद्वीप संबंध


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