प्रिलिम्स फैक्ट: 14 अक्तूबर, 2021
‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ को 'महारत्न' का दर्जा
'Maharatna' Status to Power Finance Corporation
हाल ही में सरकार ने राज्य-स्वामित्व वाली ‘पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन’ (PFC) को 'महारत्न' का दर्जा दिया है।
- इससे संबंधित आदेश वित्त मंत्रालय के तहत ‘सार्वजनिक उद्यम विभाग’ द्वारा जारी किया गया है।
- ‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ ‘महारत्न’ कंपनियों की प्रतिष्ठित श्रेणी में प्रवेश करने वाली देश की 11वीं राज्य-स्वामित्व वाली इकाई बन गई है। ज्ञात हो कि इस श्रेणी में ‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ के अलावा ओएनजीसी, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) जैसी विशिष्ट कंपनियाँ शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
- ‘महारत्न’ का दर्जा:
- ‘महारत्न’ व्यवस्था की शुरुआत वर्ष 2010 में सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े उद्यमों को वैश्विक दिग्गज बनाने के उद्देश्य से की गई थी।
- ‘केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों’ (CPSEs) का आशय उन कंपनियों से है, जिनमें केंद्र सरकार या अन्य CPSE की प्रत्यक्ष हिस्सेदारी 51% या उससे अधिक होती है।
- ‘महारत्न’ का दर्जा उस कंपनी को दिया जाता है जिसने लगातार बीते तीन वर्षों में 5,000 करोड़ रुपए से अधिक का शुद्ध लाभ प्राप्त किया है अथवा बीते तीन वर्षों के लिये उसका औसत वार्षिक कारोबार 25,000 करोड़ रुपए था या फिर बीते तीन वर्षों के लिये उसका औसत वार्षिक शुद्ध मूल्य 15,000 करोड़ रुपए है।
- ‘केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों’ के लिये भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने हेतु ‘नवरत्न’ का दर्जा प्राप्त करना अनिवार्य है।
- सरकार ने CPSEs को महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न का दर्जा देने के लिये मानदंड निर्धारित किये हैं।
- ‘महारत्न’ व्यवस्था की शुरुआत वर्ष 2010 में सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े उद्यमों को वैश्विक दिग्गज बनाने के उद्देश्य से की गई थी।
- पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (PFC):
- वर्ष 1986 में स्थापित ‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ विद्युत मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत बिजली क्षेत्र हेतु समर्पित व्यापक बुनियादी अवसंरचना वित्त कंपनी है।
- महत्त्व
- अधिक वित्तीय एवं परिचालन क्षमता:
- इसके पश्चात् विलय एवं अधिग्रहण संबंधी शक्तियों के अलावा ‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ एक ही परियोजना में 5,000 करोड़ रुपए या अपने निवल मूल्य का 15% तक निवेश कर सकता है।
- ‘नवरत्न’ और ‘मिनीरत्न’ CPSEs क्रमशः 1,000 करोड़ रुपए और 500 करोड़ रुपए निवेश कर सकती हैं।
- ‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ बोर्ड कर्मियों एवं मानव संसाधन प्रबंधन तथा प्रशिक्षण से संबंधित योजनाओं की संरचना और कार्यान्वयन भी कर सकता है।
- इसके पश्चात् विलय एवं अधिग्रहण संबंधी शक्तियों के अलावा ‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ एक ही परियोजना में 5,000 करोड़ रुपए या अपने निवल मूल्य का 15% तक निवेश कर सकता है।
- प्रतिस्पर्द्धी वित्तपोषण प्रदान करना:
- इस निर्णय के माध्यम से ‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ बिजली क्षेत्र हेतु अधिक प्रतिस्पर्द्धी वित्त प्रदान करने में सक्षम होगी, जो 'सभी के लिये 24x7' सस्ती और विश्वसनीय बिजली उपलब्ध कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- सरकार के एजेंडा को मज़बूती:
- ‘महारत्न’ के दर्जे के साथ प्राप्त शक्तियाँ ‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ को राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के तहत वित्तपोषण के सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ाने में मदद करेंगी, साथ ही इससे वर्ष 2030 तक 40% हरित ऊर्जा की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता और 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक के परिव्यय के साथ नई संशोधित वितरण क्षेत्र योजना की प्रभावी निगरानी और कार्यान्वयन में भी मदद मिलेगी।
- अधिक वित्तीय एवं परिचालन क्षमता:
फ्लावर स्कॉर्पियनफिश
Flower Scorpionfish
हाल ही में फ्लावर स्कॉर्पियनफिश (Hoplosebastes Armatus) नामक मछली की एक प्रजाति (जो केवल प्रशांत महासागर में पाई जाती थी) हिंद महासागर में खोजी गई है।
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र के तापमान में वृद्धि ने इस प्रजाति को विभिन्न क्षेत्रों में प्रवास हेतु आकर्षित किया होगा।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- यह रे-फिनिश मछली के क्रम से संबंधित है जिसे स्कॉर्पेनीफॉर्म (Scorpaeniforme) के नाम से भी जाना जाता है।
- इसे लगभग एक सदी पहले वर्ष 1929 में जापान से दूर प्रशांत महासागर में खोजा गया था।
- स्कॉर्पेनीफॉर्म या बिच्छू मछली परिवार की मछलियाँ समुद्र के सबसे ज़हरीले जानवरों में से हैं।
- इस प्रजाति का सिर शरीर से तुलनात्मक रूप से बड़ा और लंबा होता है।
- प्रजातियों की लंबाई 75-127 मिमी. तक होती है, जबकि शरीर की चौड़ाई 14-22 मिमी. होती है।
- स्कॉर्पियनफिश अपने धब्बेदार रंग पैटर्न के कारण मूंगा और चट्टानी परिवेश के साथ पूरी तरह से घुलमिल जाती है।
- यह रे-फिनिश मछली के क्रम से संबंधित है जिसे स्कॉर्पेनीफॉर्म (Scorpaeniforme) के नाम से भी जाना जाता है।
- प्राकृतिक आवास:
- पहले यह केवल प्रशांत महासागर में पाई जाती थी लेकिन इसकी सीमा का विस्तार अब उत्तर-पश्चिमी प्रशांत से हिंद महासागर तक है।
- स्कोर्पेनिफोर्मिस (Scorpaeniformes):
- इसे मेल-चीक्ड फिश ( Mail-Cheeked Fish) भी कहा जाता है तथा छोटी मछलियों के समूह में से किसी एक समूह की प्रत्येक मछली के गलफड़े (Fish gill) की अस्थियों की विशेष संरचना होती है।
- ये दुनिया के सभी महासागरों में पाई जाती हैं।
- माना जाता है कि ये गर्म समुद्री जल में उत्पन्न हुए थे, लेकिन इन्होंने समशीतोष्ण और यहाँ तक कि आर्कटिक एवं अंटार्कटिक समुद्रों के साथ-साथ उत्तरी गोलार्द्ध के ताज़े जल को भी अपने निवास के लिये अनुकूल बना लिया।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 अक्तूबर, 2021
अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस
विश्व स्तर पर आपदा न्यूनीकरण और इसके कारण उत्पन्न होने वाले जोखिम को कम करने के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने हेतु प्रतिवर्ष 13 अक्तूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस’ का आयोजन किया जाता है। ‘अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस’ की स्थापना वर्ष 1989 में दुनिया भर में आपदा न्यूनीकरण की संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ (UNGA) के आह्वान के बाद की गई थी। इस वर्ष ‘अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस’ की थीम ‘विकासशील देशों के लिये उनके आपदा जोखिम और आपदा नुकसान को कम करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय सहयोग’ है। यह थीम जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने हेतु वर्ष 2015 के पेरिस समझौते को पूरा करने की आवश्यकता पर ज़ोर देती है। जलवायु परिवर्तन को लेकर किसी विशिष्ट कार्रवाई के अभाव में विकासशील देशों को भविष्य में और अधिक चरम मौसम की घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है, जो मृत्यु दर को बढ़ा सकता है एवं महत्त्वपूर्ण बुनियादी अवसंरचना को प्रभावित कर सकता है। ऐसी स्थिति में बेहतर नियोजन एवं जोखिम के प्रति जागरूकता के माध्यम से प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाओं से उत्पन्न जोखिमों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ को ‘महारत्न’ कंपनी का दर्जा
हाल ही में केंद्र सरकार ने ‘पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन’ (PFC) को ‘महारत्न’ का दर्जा प्रदान किया है, इस प्रकार ‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ ‘महारत्न’ कंपनियों की प्रतिष्ठित श्रेणी में प्रवेश करने वाली देश की 11वीं राज्य-स्वामित्व वाली इकाई बन गई है। ज्ञात हो कि इस श्रेणी में ‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ के अलावा ओएनजीसी, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) जैसी विशिष्ट कंपनियाँ शामिल हैं। ‘महारत्न’ कंपनी के दर्जे के माध्यम से ‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ इक्विटी में निवेश करने, वित्तीय संयुक्त उद्यम बनाने, पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियाँ बनाने और देश के साथ-साथ विदेशों में विलय एवं अधिग्रहण करने में सक्षम हो गई है। ‘महारत्न’ का दर्जा उस कंपनी को दिया जाता है जिसने लगातार बीते तीन वर्षों में 5,000 करोड़ रुपए से अधिक का शुद्ध लाभ प्राप्त किया है अथवा बीते तीन वर्षों के लिये उसका औसत वार्षिक कारोबार 25,000 करोड़ रुपए था या फिर बीते तीन वर्षों के लिये उसका औसत वार्षिक शुद्ध मूल्य 15,000 करोड़ रुपए है। साथ ही वैश्विक स्तर पर भी उस कंपनी का संचालन होना अनिवार्य है। विदित हो कि ‘पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन’ को वर्ष 1986 में निगमित किया गया था और यह ‘केंद्रीय विद्युत मंत्रालय’ के अधिकार क्षेत्र में आती है।
अमित खरे
हाल ही में पूर्व आईएएस अधिकारी अमित खरे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सलाहकार नियुक्त किया गया है। ‘कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग’ द्वारा इस संबंध में जारी अधिसूचना के मुताबिक, प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में अमित खरे की नियुक्ति दो वर्ष के लिये की गई है। ज्ञात हो कि अमित खरे वर्ष 1985 बैच के बिहार/झारखंड कैडर के अधिकारी हैं। उन्होंने दिसंबर 2019 में शिक्षा मंत्रालय (उच्च शिक्षा विभाग) के सचिव का पदभार ग्रहण किया था और उन्हीं की देखरेख में 29 जुलाई, 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंज़ूरी दी गई थी।
अंतर्राष्ट्रीय ई-कचरा दिवस
विश्व भर में प्रतिवर्ष 14 अक्तूबर को ई-कचरे के स्वास्थ्य प्रभावों के संबंध में जागरूकता पैदा करने हेतु ‘अंतर्राष्ट्रीय ई-कचरा दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस की शुरुआत ‘वेस्ट इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक फोरम’ (WEEF) द्वारा वर्ष 2018 में की गई थी। कंप्यूटर व उससे संबंधित अन्य उपकरण और टी.वी., वाशिंग मशीन, फ्रिज जैसे घरेलू उपकरण एवं कैमरे, मोबाइल फोन तथा उससे जुड़े अन्य उत्पाद जब चलन/उपयोग से बाहर हो जाते हैं तो इन्हें संयुक्त रूप से ‘ई-कचरे’ की संज्ञा दी जाती है। जुलाई 2020 में ‘संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय’ द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसमें बताया गया गया था कि वर्ष 2020 और वर्ष 2030 की अवधि में वैश्विक ई-कचरे में तकरीबन 38 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। आँकड़ों की मानें तो भारत ने वर्ष 2019 में 3.2 मिलियन टन ई-कचरा उत्पन्न किया था। ‘केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ के अनुसार भारत में 312 पंजीकृत ई-कचरा पुनर्चक्रणकर्त्ता हैं, जिनकी क्षमता प्रतिवर्ष 782,080.62 टन ई-कचरे के प्रबंधन की है।