प्रीलिम्स फैक्ट्स: 26 जून, 2020
गैया परिकल्पना
Gaia Hypothesis
गैया परिकल्पना (Gaia Hypothesis) एक वैज्ञानिक परिकल्पना को संदर्भित करती है जो बताती है कि पृथ्वी एक जटिल जीवित इकाई (Complex Living Entity) है जिसमें जीवों एवं उनके भौतिक परिवेश के बीच स्व-विनियमन जुड़ाव के आधार पर एक संतुलन कायम है।
प्रमुख बिंदु:
- इस परिकल्पना को पहली बार ब्रिटिश वैज्ञानिक जेम्स लवलॉक (James Lovelock) ने वर्ष 1972 के अपने पत्र ’ Gaia As Seen Through The Atmosphere’ में प्रस्तुत किया था।
- इस परिकल्पना का नाम पौराणिक ग्रीक देवी ‘गैया’ (Gaia) के नाम पर रखा गया है जो पृथ्वी का प्रतिनिधित्त्व करती है।
- इस परिकल्पना के प्रमुख उदाहरण के तौर पर जलवायु परिवर्तन जैसी स्थितियाँ मनुष्य एवं भौतिक वातावरण के बीच परस्पर क्रिया पर निर्भर करती हैं जिसमें सभी एक-दूसरे को लगातार नियंत्रित करते रहते हैं।
- जेम्स लवलॉक की ‘गैया परिकल्पना’ एक एकीकृत प्रणाली के रूप में पृथ्वी की प्रकृति के बारे में पारंपरिक सोच को चुनौती देती है। जेम्स लवलॉक ने बताया कि जैसे-जैसे पृथ्वी की भौतिक प्रणाली में परिवर्तन होते हैं वैसे-वैसे जीवित प्रणाली ऐसे परिवर्तनों को कम करने के लिये प्रतिक्रिया देती है।
ई-ब्लड सर्विसेज़
e-Blood Services
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (Union Minister of Health and Family Welfare) ने इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी (Indian Red Cross Society) के मार्गदर्शन में विकसित ई-ब्लड सर्विसेज़ (e-Blood Services) मोबाइल एप लॉन्च किया।
प्रमुख बिंदु:
- यह मोबाइल एप्लिकेशन प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2015 में शुरू की गई ‘डिजिटल इंडिया योजना’ (Digital India scheme) के तहत ‘सेंटर फॉर डवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग’ (Centre for Development of Advanced Computing) की ‘ई-रक्तकोष’ (E-Raktkosh) टीम द्वारा विकसित किया गया है।
- केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के अध्यक्ष भी हैं।
- इस एप की मदद से लोग 4 यूनिट तक खून की मांग कर सकते हैं। इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के ब्लड बैंक 12 घंटे तक उनका इंतजार करेंगे। इस दौरान लोग वहाँ जाकर ब्लड डोनेट भी कर सकते हैं।
उत्पाद अनुप्रयोग एवं विकास केंद्र
Product Application and Development Centre
25 जून, 2020 को केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री ने वीडियो काॅन्फ्रेस के माध्यम से ओडिशा के पारादीप में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (Indian Oil Corporation Limited) द्वारा स्थापित उत्पाद अनुप्रयोग एवं विकास केंद्र (Product Application and Development Centre- PADC) का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु:
- इंडियन ऑयल ने पारादीप (ओडिशा) में अपने रिफाइनरी एवं पेट्रोकेमिकल्स परिसर के पास ही 43 करोड़ रुपए की लागत से उत्पाद अनुप्रयोग एवं विकास केंद्र (PADC) की स्थापना की है।
- उत्पाद अनुप्रयोग एवं विकास केंद्र (PADC) में निम्नलिखित 4 प्रयोगशालाएँ हैं:
- पॉलिमर प्रोसेसिंग लैब (Polymer Processing Lab)
- एनालिटिकल टेस्टिंग लैब (Analytical Testing Lab)
- केमिकल एनालिसिस लैब (Chemical Analysis Lab)
- कैरेक्टराइज़ेशन लैब (Characterisation Lab)
- यह तकनीकी केंद्र ग्राहकों एवं नए निवेशकों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये 50 नवीनतम परिष्कृत प्लास्टिक परीक्षण एवं प्रसंस्करण उपकरणों से युक्त है।
- पारादीप स्थित PADC को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (Department of Scientific and Industrial Research- DSIR) द्वारा एक अनुसंधान केंद्र के रूप में मान्यता मिली हुई है।
महत्त्व:
- उत्पाद अनुप्रयोग एवं विकास केंद्र (PADC) प्लास्टिक के क्षेत्र में ओडिशा एवं उसके आसपास नए उद्यमी विकास के लिये उद्भवन केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
- यह केंद्र प्लास्टिक से ढाले गए फर्नीचर, घर के सामान, सीमेंट, उर्वरक की पैकेजिंग के लिये जरूरी प्लास्टिक एवं स्वास्थ्य देखरेख की चीजों जैसे- बेबी डायपर, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, मास्क इत्यादि प्लास्टिक के परिष्कृत सामानों के लिये ग्राहकों एवं निवेशकों को सहायता प्रदान करेगा।
- यह केंद्र पारादीप प्लास्टिक पार्क और बालासोर एवं खुर्दा जैसे अन्य क्लस्टरों के निवेशकों के लिये परीक्षण एवं विकासात्मक गतिविधियों को अंजाम देगा।
- PADC गुणवत्ता आश्वासन, शिकायतों का निवारण, ग्राहक को सहायता, मानदंड अध्ययन, नए एवं उत्तम दर्जे के विकास एवं अनुप्रयोग से संबंधित गतिविधियों को पूरा करेगा।
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया:
- इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) जिसे आमतौर पर ‘इंडियन ऑयल’ के रूप में जाना जाता है, भारतीय सरकार के स्वामित्व वाली तेल एवं गैस कंपनी है।
- इसे भारत सरकार ने ‘महारत्न कंपनी’ का दर्जा दिया है।
- इसका मुख्यालय ‘नई दिल्ली’ में है।
नेविगेटिंग द न्यू नॉर्मल
Navigating The New Normal
25 जून, 2020 को नीति आयोग (NITI Aayog) ने बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन (Bill andMelinda Gates Foundation- BMGF), अशोक यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर सोशल एंड बिहैवियरल चेंज (Ashoka University Centre for Social and Behavioural Change- CSBC), भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ भागीदारी में ‘नेविगेटिंग द न्यू नॉर्मल’ (Navigating The New Normal) नाम के एक अभियान एवं इसकी वेबसाइट का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु:
- यह अभियान COVID-19 महामारी के मद्देनज़र देश में ‘अनलॉक चरण’ (Unlock Phase) के दौरान COVID- सुरक्षित व्यवहारों पर ध्यान केंद्रित करता है।
- भारत सरकार द्वारा गठित और नीति आयोग के सीईओ की अध्यक्षता वाले अधिकार प्राप्त समूह 6 (Empowered Group 6) के मार्गदर्शन में विकसित इस अभियान के दो भाग हैं।
- इस अभियान का पहला भाग एक वेब पोर्टल http://www.covidthenewnormal.com है, जिसमें व्यवहार विज्ञान द्वारा सुझाए गए तरीकों एवं COVID-19 से संबंधित अनलॉक चरण के दौरान COVID-सुरक्षित व्यवहार के लिये सामाजिक मानदंडों का उपयोग शामिल हैं।
- केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एवं अन्य हितधारकों के परामर्श से विकसित इस वेबसाइट का उद्देश्य जनता की भागीदारी को बढ़ाना और सिविल सोसाइटी संगठनों (CSOs) तथा गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को जोड़ना है।
- यह पोर्टल अनलॉक चरण में चार प्रमुख व्यवहारों के सरल कार्यान्वयन पर ज़ोर देता है- मास्क पहनना, सामाजिक दूरी, हाथ स्वच्छ करना, सार्वजनिक स्थानों पर न थूकना।
- इस अभियान के दूसरे भाग में ‘मास्क पहनने’ पर केंद्रित एक मीडिया अभियान है।
- इस भाग में मीडिया मास्क पहनने के सही तरीके बारे में बताएगा।
- मास्क पहनने के अभियान को ‘बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ ने ‘मैक्केन वर्ल्ड ग्रुप’ के साथ भागीदारी में तैयार किया है।
अशोक यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर सोशल एंड बिहैवियरल चेंज (CSBC):
- इस केंद्र की स्थापना बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के अनुदान द्वारा की गई है।
- इसका लक्ष्य भारत में एक ऐसी संस्था के रूप में स्वयं को स्थापित करना जो गरीब आबादी हेतु ‘प्रभावी व्यवहार परिवर्तन हस्तक्षेपों’ के लिये विश्व स्तर की उत्कृष्टता रखती हो।
गौरतलब है कि जापान एवं दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने ‘मास्क पहनने’ को सामाजिक रूप से स्वीकार्य मानदंड बना दिया है।