प्रिलिम्स फैक्ट्स (14 Jun, 2024)



BRICS का विस्तार

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में BRICS के विदेश मंत्रियों ने वर्ष 2023 में मिस्र, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब एवं इथियोपिया को इसमें शामिल करने के बाद अपनी पहली बैठक का आयोजन किया। 

  • ये देश 1 जनवरी 2024 से BRICS में शामिल हुए हैं।

BRICS:

  • परिचय: 
    • BRICS विश्व की पाँच अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं- ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह के लिये दिया गया एक संक्षिप्त शब्द (Abbreviation) है।
    • BRICS के सदस्य देशों का शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष होता है। 
    • वर्ष 2023 में 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता दक्षिण अफ्रीका ने की थी और अक्तूबर 2024 में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता रूस द्वारा की जाएगी।
  • BRICS का गठन:
    • इस समूह का गठन पहली बार अनौपचारिक रूप से वर्ष 2006 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में G8 (अब G7) आउटरीच शिखर सम्मेलन के दौरान ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन (BRIC) नामक देशों के प्रमुखों की बैठक के दौरान किया गया था, जिसे आगे चलकर वर्ष 2006 में न्यूयॉर्क में होने वाली BRIC देशों के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक के दौरान औपचारिक रूप दिया गया था। वर्ष 2009 में BRIC का पहला शिखर सम्मेलन रूस के येकातेरिनबर्ग में हुआ था। इसके अगले वर्ष (2010) इसमें दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के बाद इसे BRICS नाम दिया गया।

नोट: 

  • फोर्टालेजा (वर्ष 2014) में छठे BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान इसके प्रमुखों ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की स्थापना से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किये। फोर्टालेजा घोषणा-पत्र में इस बात पर बल दिया गया था कि NDB से BRICS देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलने के साथ वैश्विक विकास हेतु बहुपक्षीय और क्षेत्रीय वित्तीय संस्थानों के पूरक के रूप में इससे धारणीय विकास में योगदान मिलेगा।
  • महत्त्व:
    • इस समूह के सदस्य देशों की जनसंख्या विश्व की 45% (लगभग 3.5 बिलियन लोग) है। 
    • सामूहिक रूप से इसके सदस्यों की अर्थव्यवस्थाओं का कुल मूल्य लगभग 28.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग 28%) है। 
    • इस समूह के सदस्यों (ईरान, सऊदी अरब तथा UAE) की वैश्विक कच्चे तेल उत्पादन में लगभग 44% की भागीदारी है।

शामिल किये गए नए ब्रिक्स सदस्यों का भू-रणनीतिक महत्त्व:

  • सऊदी अरब और ईरान जैसे पश्चिम एशियाई देशों का नए सदस्यों के रूप में शामिल होना उनके पर्याप्त ऊर्जा संसाधनों के कारण अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। सऊदी अरब एक प्रमुख तेल उत्पादक देश है और इसके तेल उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा चीन व भारत जैसे ब्रिक्स देशों को जाता है। 
    • प्रतिबंधों का सामना करने के बावजूद ईरान ने अपने तेल उत्पादन और निर्यात में वृद्धि की है, जो मुख्य रूप से चीन की ओर निर्देशित है। यह ब्रिक्स सदस्यों के बीच ऊर्जा सहयोग और व्यापार के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
  • रूस, चीन और भारत के लिये तेल का एक महत्त्वपूर्ण आपूर्तिकर्त्ता रहा है। नए सदस्यों के शामिल होने के साथ रूस अपने ऊर्जा निर्यात के लिये अतिरिक्त बाज़ार की तलाश कर रहा है, जो BRICS के तहत विविधिकृत ऊर्जा स्रोतों की क्षमता को दर्शाता है।
  • मिस्र और इथियोपिया की ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका’ तथा लाल सागर क्षेत्र में रणनीतिक अवस्थिति है, जो महत्त्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों के निकट होने के कारण अत्यधिक भू-रणनीतिक महत्त्व के क्षेत्र हैं। उनकी उपस्थिति इस क्षेत्र में ब्रिक्स के भू-राजनीतिक महत्त्व को बढ़ाती है।

और पढ़ें:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. न्यू डेवलपमेंट बैंक की स्थापना APEC द्वारा की गई है।
  2.  न्यू डेवलपमेंट बैंक का मुख्यालय शंघाई में है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


प्रश्न. हाल ही में चर्चा में रहा 'फोर्टालेजा घोषणा-पत्र' किससे संबंधित है? (2015) 

(A) ASEAN
(B) BRICS
(C) OECD
(D) WTO

उत्तर: (b)


प्रश्न. BRICS के रूप में ज्ञात देशों के समूह के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2014)

  1. BRICS का पहला शिखर सम्मेलन वर्ष 2009 में रिओ डी जेनेरियो में हुआ था।
  2. दक्षिण अफ्रीका BRICS समूह में शामिल होने वाला अंतिम देश था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2

उत्तर: (b)


ISS में बहु-औषधि प्रतिरोधी रोगाणु

स्रोत: डाउन टू अर्थ

हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT-M) और नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला (Jet Propulsion Laboratory-JPL) के वैज्ञानिकों के बीच एक सहयोगात्मक अध्ययन ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ( International Space Station - ISS) पर बहु-औषधि प्रतिरोधी रोगाणुओं के व्यवहार को समझने पर ध्यान केंद्रित किया।

अध्ययन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • एंटरोबैक्टर बुगानडेंसिस (Enterobacter bugandensis) अस्पताल में होने वाले संक्रमणों से जुड़ा हुआ है और सेफलोस्पोरिन तथा क्विनोलोन जैसी तीसरी पीढ़ी के एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति इसके व्यापक प्रतिरोध के कारण यह एक महत्त्वपूर्ण उपचार की चुनौती पेश करता है।
  • आई.एस.एस. के सूक्ष्मगुरुत्व (microgravity), उच्च कार्बन डाइऑक्साइड और बढ़े हुए विकिरण के अद्वितीय वातावरण ने त्वरित उत्परिवर्तनों को उजागर किया, जो उन्हें आनुवंशिक तथा कार्यात्मक रूप से पृथ्वी के समकक्षों से अलग करते हैं।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) क्या है?

  • रोगाणुरोधी प्रतिरोधी सूक्ष्मजीव प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होते हैं तथा मानवों, पशुओं, भोजन और पर्यावरण (जल, मिट्टी और वायु) में पाए जाते हैं।
  • वे मानवों और जानवरों के बीच फैल सकते हैं, जिसमें पशु मूल के भोजन से तथा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकते हैं।
  • AMR को दवाओं के अनुचित उपयोग से बढ़ावा मिलता है, उदाहरण के लिये, फ्लू जैसे वायरल संक्रमणों के लिये एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करना।

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन:

  • ISS एक बड़ा अंतरिक्ष यान है जो कम ऊँचाई (लगभग 250 किमी) पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है और विभिन्न देशों के अंतरिक्ष यात्रियों की मेज़बानी करता है जो वहाँ रहते और शोध करते हैं।
  • यह एक शोध प्रयोगशाला के रूप में कार्य करता है जहाँ सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण स्थितियों में वैज्ञानिक प्रयोग किये जाते हैं जो अंतरिक्ष के बारे में हमारी समझ को बढ़ाते हैं और पृथ्वी पर जीवन को लाभ पहुँचाते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का प्रबंधन वर्तमान में अमेरिका, रूस, कनाडा, जापान और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा किया जाता है।
  • वर्ष 2000 के बाद से यह स्टेशन एक चौकी से विकसित होकर एक अत्यधिक सक्षम माइक्रोग्रैविटी प्रयोगशाला में बदल गया है।
  • वर्ष 2000 के बाद से आई.एस.एस. एक बुनियादी चौकी से एक विशाल माइक्रोग्रैविटी अनुसंधान सुविधा में बदल गया है, जिसमें 21 देशों के 260 से अधिक लोगों को समायोजित किया गया है, जिनकी 2030 तक अनुसंधान करने की योजना है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न1. निम्नलिखित में से कौन-से, भारत में सूक्ष्मजैविक रोगजनकों में बहु-औषध प्रतिरोध के होने के कारण हैं? (2019)

  1. कुछ व्यक्तियों में आनुवंशिक पूर्ववृत्ति (जेनेटिक प्रीडिस्पोज़ीशन) का होना।
  2.  रोगों के उपचार के लिये वैज्ञानिकों (एंटिबॉयोटिक्स) की गलत खुराक लेना।
  3.  पशुधन फार्मिंग प्रतिजैविकों का इस्तेमाल करना।
  4.  कुछ व्यक्तियों में चिरकालिक रोगों की बहुलता होना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) केवल 2, 3 और 4 

उत्तर: (b) 


मेन्स: 

प्रश्न. क्या एंटीबायोटिकों का अति-उपयोग और डॉक्टरी नुस्खे के बिना मुक्त उपलब्धता, भारत में औषधि-प्रतिरोधी रोगों के अंशदाता हो सकते हैं? अनुवीक्षण और नियंत्रण की क्या क्रियाविधियाँ उपलब्ध हैं? इस संबंध में विभिन्न मुद्दों पर समालोचनात्मक चर्चा कीजिये। (2014)


उपग्रह आधारित टोल संग्रह प्रणाली

स्रोत: द हिंदू 

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highway Authority of India- NHAI) ने उपग्रह आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली के कार्यान्वयन के लिये अभिरुचि की अभिव्यक्ति (EoI) आमंत्रित की है।

  • EoI प्राप्तकर्त्ता इकाई को ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) के लिये एक भू-संदर्भ मानचित्र और टोल-चार्जिंग सॉफ्टवेयर विकसित करना होगा।
    • इसमें एक भू-संदर्भ डिजिटल मानचित्र अथवा छवि को विश्वसनीय पृथ्वी निर्देशांक प्रणाली से जोड़ा गया है, ताकि उपयोगकर्त्ता यह निर्धारित कर सकें कि मानचित्र अथवा छवि पर दर्शाए गए प्रत्येक बिंदु की अवस्थिति पृथ्वी की सतह पर कहाँ है।
    • GNSS किसी भी उपग्रह नक्षत्र जो स्थिति, दिशाज्ञान और समय डेटा प्रसारित करता है, के लिये प्रयुक्त सामान्य पद है। इसका उपयोग अंतरिक्ष स्टेशनों, विमानन, समुद्री, रेल, सड़क और जन परिवहन जैसे सभी प्रकार के परिवहन में किया जाता है।
    • भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) एक स्वायत्त प्रणाली है जिसे भारत के क्षेत्र और इसके मुख्य भू-भाग के निकटवर्ती 1500 किमी. क्षेत्र को कवर करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। इस प्रणाली में 7 उपग्रह शामिल हैं।
  • NHAI ने GNSS-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली को वर्तमान में वाहनों द्वारा उपयोग किये जा रहे RFID-आधारित फास्टैग के साथ क्रियान्वित करने की योजना बनाई है।

और पढ़ें: NHAI


सतनामी विरोध

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में छत्तीसगढ़ के बलौदा बाज़ार ज़िले में सतनामी समुदाय की भीड़ ने पुलिस अधीक्षक (Superintendence of Police) कार्यालय पर हमला किया। इस हमले का कारण कथित तौर पर ‘जैतखंभ’ (विजय स्तंभ, सतनामी समुदाय के लिये एक पवित्र संरचना) को तोड़ दिया गया।

सतनामी समुदाय:

  • यह छत्तीसगढ़ में किसानों, कारीगरों और अछूतों सहित सबसे बड़ा अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) समुदाय है।
  • इसकी स्थापना 19वीं सदी के संत गुरु घासीदास ने की थी, जिन्होंने एकेश्वरवाद का प्रचार किया था, सतनाम ("सत्य नाम" नामक एक ईश्वर और सामाजिक समानता) में विश्वास किया था।
  • उन्हें भूमि अधिकार प्राप्त करने, उचित रोज़गार के अवसर प्राप्त करने, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच बनाने में चुनौतियों एवं सामाजिक पूर्वाग्रह का सामना करना पड़ा है तथा सरकार में उनकी आवाज़ नहीं उठ पाई है।
  • छत्तीसगढ़ सरकार ने उनके सम्मान में संजय-डुबरी टाइगर रिज़र्व के एक हिस्से का नाम बदलकर गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कर दिया।

और पढ़ें: छत्तीसगढ़ में विरोध प्रदर्शन


आदित्य-L1 द्वारा खींची गई सूर्य की छवियाँ

स्रोत : द हिंदू

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा मई 2024 में प्राप्त हुए महत्त्वपूर्ण सौर (भू-चुंबकीय) तूफान के दौरान अपने आदित्य-L1 सौर मिशन से प्राप्त की गई छवियाँ जारी कीं।

  • रिमोट सेंसिंग पेलोड सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) तथा विज़िबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) द्वारा अन्य पेलोड के साथ अंतरिक्ष में लैग्रेंज पॉइंट्स से ये छवियाँ प्राप्त की गई।
  • इन छवियों से सौर प्रज्वालाओं, ऊर्जा वितरण, सूर्य कलंकों का अध्ययन करने, अंतरिक्ष मौसम को समझने एवं भविष्यवाणी करने, व्यापक तरंगदैर्घ्य रेंज में सौर गतिविधि तथा यूवी विकिरण की निगरानी करने में सहायता प्राप्त होगी और साथ ही दीर्घकालिक सौर विविधताओं एवं पृथ्वी के पर्यावरण प्रभाव के अध्ययन में भी सहायता प्राप्त होगी।

आदित्य L1:

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने पहले सौर मिशन, आदित्य-L1 का प्रक्षेपण किया।
  • यह सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेगा तथा सूर्य के व्यवहार के बारे में बहुमूल्य डेटा और जानकारी प्रदान करेगा, जो पृथ्वी की जलवायु तथा अंतरिक्ष मौसम पर सौर गतिविधि के प्रभाव को समझने हेतु महत्त्वपूर्ण है।

Aadity-L1

और पढ़ें:  सौर तूफान, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)


जिमेक्स 24

स्रोत: पी.आई.बी

द्विपक्षीय जापान-भारत समुद्री अभ्यास, 2024 (JIMEX 24) का आठवाँ संस्करण जापान के योकोसुका में प्रस्तावित है।

  • इस संयुक्त अभ्यास में बंदरगाह और समुद्री दोनों तरह के चरण शामिल किये गए हैं। बंदरगाह चरण में नौसैन्य गतिविधियों से सबंधित खेल व सामाजिक समन्वय कार्यक्रम होना शामिल हैं। इसके बाद दोनों देशों की नौसेनाएँ जटिल बहु-आयामी संचालन कुशलता के माध्यम से अपनी सहभागिता के साथ क्षमताओं को बढ़ाने पर बल देंगी।
  • भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व INS शिवालिक और जापान की नौसेना का प्रतिनिधित्व गाइडेड मिसाइल विध्वंसक JS युगिरी द्वारा किया जा रहा है। 
    • दोनों नौसेनाओं के एकीकृत हेलीकॉप्टर भी संयुक्त अभ्यास में शामिल हो रहे हैं।
  • जिमेक्स 24 दोनों देशों को एक-दूसरे की सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों से सीखने का अवसर प्रदान करता है और आपसी सहयोग को बढ़ावा देने तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के प्रति अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिये भारतीय नौसेना व जापान की नौसेना के मध्य परिचालन संबंधी कार्रवाई को सुविधाजनक बनाता है।
  • भारत और जापान के बीच अन्य द्विपक्षीय अभ्यासों में मालाबार अभ्यास (नौसेना अभ्यास), ‘वीर गार्जियन’ SHINYUU मैत्री (वायु सेना) तथा धर्म गार्जियन (थल सेना) शामिल हैं।

और पढ़ें: भारत-जापान समुद्री अभ्यास