फिशरीज़ स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज
हाल ही में मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन व डेयरी मंत्रालय स्टार्टअप इंडिया के सहयोग से वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने फिशरीज़ स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- यह चुनौती देश के भीतर स्टार्ट-अप्स को मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र के भीतर अपने अभिनव समाधानों को प्रदर्शित करने के लिये एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
- जलीय कृषि उत्पादकता को वर्तमान राष्ट्रीय औसत 3 टन से बढ़ाकर 5 टन प्रति हेक्टेयर करने, निर्यात आय को दोगुना करने और फसल के बाद के नुकसान को 25% से 10% तक कम करने के लिये तथा मत्स्य पालन मूल्य शृंखला में मुद्दों को हल करने हेतु समाधान खोजे जाने चाहिये।
- इस क्षेत्र के सामने स्टार्ट-अप संस्कृति को बढ़ावा देने और उद्यमिता मॉडल की एक मज़बूत नींव स्थापित करने की चुनौती है, मत्स्य विभाग ने इस चुनौती के लिये 3.44 करोड़ रुपए की धनराशि निर्धारित की है।
- संबंधित पहल:
- वर्ष 2018-19 के दौरान मात्स्यिकी एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ) की स्थापना।
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना: कार्यक्रम का लक्ष्य 2024-25 तक 22 मिलियन टन मछली उत्पादन लक्ष्य हासिल करना है। साथ ही इससे 55 लाख लोगों के लिये रोज़गार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
- नीली क्रांति: यह मछुआरों और मछली किसानों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये मत्स्य पालन के एकीकृत व समग्र विकास एवं प्रबंधन हेतु एक सक्षम वातावरण बनाने पर ध्यान केंद्रित करती है।
- मछुआरों और मछली किसानों को उनकी कार्यशील पूंजी की ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करने के लिये किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधाओं का विस्तार।
- समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण: एमपीईडीए एक नोडल समन्वयक, राज्य के स्वामित्त्व वाली एजेंसी है जो मत्स्य उत्पादन और संबद्ध गतिविधियों में लगी हुई है।
- समुद्री मात्स्यिकी विधेयक: विधेयक में केवल मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 के तहत पंजीकृत जहाजों को अनन्य आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में मछली पकड़ने के लिये लाइसेंस देने का प्रस्ताव है।
- समुद्री शैवाल पार्क: तमिलनाडु में बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क हब और स्पोक मॉडल पर विकसित गुणवत्ता वाले समुद्री शैवाल आधारित उत्पादों का केंद्र होगा।
मत्स्य पालन क्षेत्र का महत्त्व:
- परिचय:
- मत्स्य पालन क्षेत्र देश के आर्थिक और समग्र विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। "सूर्योदय क्षेत्र" के रूप में संदर्भित, मत्स्य पालन क्षेत्र में समान और समावेशी विकास की अपार संभावनाएँ है।
- भारत दुनिया में जलीय कृषि के माध्यम से मछली का दूसरा प्रमुख उत्पादक है।
- भारत दुनिया में मछली का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है क्योंकि यह वैश्विक मछली उत्पादन में 7.7% का योगदान देता है।
- वर्तमान में यह क्षेत्र देश के भीतर 2.8 करोड़ से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है। फिर भी, यह अप्रयुक्त क्षमता वाला क्षेत्र बना हुआ है।
- भारत के आर्थिक सर्वेक्षण, 2019-20 का अनुमान है कि अब तक देश की अंतर्देशीय क्षमता का केवल 58% का ही दोहन किया गया है।
- अप्राप्त क्षमता
- मात्स्यिकी क्षेत्र में मौजूद समग्र क्षमता स्केलेबल व्यापार समाधान लाने और मछुआरों और मछली किसानों हेतु लाभ को अधिकतम करने के लिये विभिन्न अवसर प्रदान करती है।
- प्राथमिक उत्पादक क्षेत्रों में मत्स्य पालन सबसे तेज़ी से बढ़ने वाले क्षेत्रों में से एक है।
- हालाँकि, मात्स्यिकी क्षेत्र की वास्तविक क्षमता का एहसास करने के लिये मात्स्यिकी मूल्य शृंखला की दक्षता और उत्पादन को बढ़ाने हेतु तकनीकी उपायों की आवश्यकता है।
स्रोत: पी.आई.बी.
कत्थक
हाल ही में मशहूर कत्थक डांसर पंडित मुन्ना शुक्ला का निधन हो गया।
- उनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियों में नृत्य-नाटक शान-ए-मुगल, इंदर सभा, अमीर खुसरो, अंग मुक्ति, अन्वेषा, बहार, त्राटक, क्रौंच बढ़, धुनी शामिल हैं।
- नृत्य की दुनिया में उनके योगदान को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (2006), साहित्य कला परिषद पुरस्कार (2003) और सरस्वती सम्मान (2011) से सम्मानित किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- कत्थक शब्द का उदभव कथा शब्द से हुआ है जिसका शाब्दिक अर्थ है कथा कहना। यह नृत्य मुख्य रूप से उत्तरी भारत में किया जाता है।
- यह मुख्य रूप से एक मंदिर या गाँव का प्रदर्शन था जिसमें नर्तक प्राचीन ग्रंथों की कहानियाँ सुनाते थे।
- यह भारत के शास्त्रीय नृत्यों में से एक है।
- विकास:
- पंद्रहवीं और सोलहवीं शताब्दी में भक्ति आंदोलन के प्रसार के साथ कत्थक नृत्य एक विशिष्ट विधा के रूप में विकसित हुआ।
- राधा-कृष्ण की किंवदंतियों को सर्वप्रथम ‘रास लीला’ नामक लोक नाटकों में प्रयोग किया गया था, जिसमें बाद में कत्थक कथाकारों के मूल इशारों के साथ लोक नृत्य को भी जोड़ा गया।
- कत्थक को मुगल सम्राटों और उनके रईसों के अधीन दरबार में प्रदर्शित किया जाता था, जहाँ इसने अपनी वर्तमान विशेषताओं को प्राप्त कर लिया और एक विशिष्ट शैली के रूप में विकसित हुआ।
- अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह के संरक्षण में यह एक प्रमुख कला रूप में विकसित हुआ।
- नृत्य शैली:
- आमतौर पर एक एकल कथाकार या नर्तक छंदों का पाठ करने हेतु कुछ समय के लिये रुकता है और उसके बाद शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से उनका प्रदर्शन होता है।
- इस दौरान पैरों की गति पर अधिक ध्यान दिया जाता है; ‘एंकल-बेल’ पहने नर्तकियों द्वारा शरीर की गति को कुशलता से नियंत्रित किया जाता है और सीधे पैरों से प्रदर्शन किया जाता है।
- ‘तत्कार’ कत्थक में मूलतः पैरों की गति ही शामिल होती है।
- कत्थक शास्त्रीय नृत्य का एकमात्र रूप है जो हिंदुस्तानी या उत्तर भारतीय संगीत से संबंधित है।
- कुछ प्रमुख नर्तकों में बिरजू महाराज, सितारा देवी शामिल हैं।
- भारत में अन्य शास्त्रीय नृत्य
- तमिलनाडु- भरतनाट्यम
- कथकली- केरल
- कुचिपुड़ी- आंध्रप्रदेश
- ओडिसी- ओडिशा
- सत्रिया- असम
- मणिपुरी- मणिपुर
- मोहिनीअट्टम- केरल
भक्ति आंदोलन:
- भक्ति आंदोलन का विकास सातवीं और नौवीं शताब्दी के बीच तमिलनाडु में हुआ।
- यह नयनार (शिव के भक्त) और अलवर (विष्णु के भक्त) की भावनात्मक कविताओं में परिलक्षित होता था।
- ये संत धर्म को मात्र औपचारिक पूजा के रूप में नहीं बल्कि पूजा करने वाले और उपासक के मध्य प्रेम पर आधारित एक प्रेम बंधन के रूप में देखते थे।
- उन्होंने स्थानीय भाषाओं, तमिल और तेलुगू में लिखा और इसलिये वे कई लोगों तक पहुँचने में सक्षम थे।
- समय के साथ दक्षिण के विचार उत्तर की ओर बढ़े लेकिन यह बहुत धीमी प्रक्रिया थी।
- भक्ति विचारधारा को फैलाने का एक अधिक प्रभावी तरीका स्थानीय भाषाओं का उपयोग था। भक्ति संतों ने अपने छंदों की रचना स्थानीय भाषाओं में की।
- उन्होंने व्यापक स्तर पर दर्शकों के लिये उन्हें समझने योग्य बनाने हेतु संस्कृत में अनुवाद भी किया। उदाहरणतः मराठी में ज्ञानदेव, हिंदी में कबीर, सूरदास और तुलसीदास, असमिया को लोकप्रिय बनाने वाले शंकरदेव, बंगाली में अपना संदेश फैलाने वाले चैतन्य और चंडीदास, हिंदी में मीराबाई और राजस्थानी शामिल हैं।
स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 जनवरी, 2022
लाल बहादुर शास्त्री
11 जनवरी, 2022 को देश में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि मनाई गई। लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्तूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। वह एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया और भारत के भविष्य को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने असहयोग आंदोलन एवं नमक सत्याग्रह में भाग लिया। भारत को आजादी मिलने के बाद वर्ष 1961 में उन्हें भारत के गृह मंत्री के रूप में और ‘भ्रष्टाचार निरोधक समिति’ में नियुक्त किया गया। उन्होंने प्रसिद्ध ‘शास्त्री फॉर्मूला’ बनाया जिसमें असम एवं पंजाब में भाषा आधारित आंदोलन शामिल थे। उन्होंने भारत में आनंद, गुजरात के ‘अमूल दूध सहकारी समिति’ का समर्थन और ‘राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड’ का निर्माण करके ‘श्वेत क्रांति’ को बढ़ावा दिया। भारत के खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए लाल बहादुर शास्त्री ने वर्ष 1965 में भारत में हरित क्रांति को भी बढ़ावा दिया। उन्होंने 10 जनवरी, 1966 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब खान के साथ वर्ष 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध को समाप्त करने के लिये ताशकंद घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये। 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में ही उनकी मृत्यु हो गई। उन्हें वर्ष 1966 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
‘जगन्नाथ स्मार्ट टाउनशिप’ परियोजना
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ‘वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी’ ने ‘जगन्नाथ स्मार्ट टाउनशिप’ की वेबसाइट का औपचारिक शुभारंभ किया है। स्मार्ट टाउनशिप में मध्यम आय वर्ग के लोगों को उचित मूल्य पर भूखंड उपलब्ध कराए जाएंगे। ज्ञात हो कि आंध्र प्रदेश सरकार पहले ही गरीबों को 31 लाख आवास स्थल लीज़ पर प्रदान कर चुकी है और आवास कार्यक्रम के पहले चरण के तहत 15.6 लाख घरों का निर्माण शुरू किया गया है। 18 लाख रुपए से कम वार्षिक आय वाले मध्यम आय वर्ग के लोग इस स्मार्ट टाउनशिप में भूखंडों हेतु आवेदन करने के पात्र हैं। इसके तहत उन्हें तीन श्रेणियों- 150 वर्ग गज, 200 वर्ग गज और 240 वर्ग गज में भूखंड प्रदान किये जाएंगे। ‘जगन्नाथ स्मार्ट टाउनशिप’ परियोजना के तहत भूखंडों का आवंटन पारदर्शी तरीके से कम्प्यूटरीकृत लॉटरी विधि के माध्यम से जाति, धर्म, क्षेत्र या राजनीतिक संबद्धता जैसे कारकों को ध्यान में रखे बिना किया जाएगा। पात्र लोग टाउनशिप में भूखंडों के लिये संबंधित वेबसाइट पर कुल मूल्य का 10% भुगतान कर आवेदन कर सकते हैं।
मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने हाल ही में ‘मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल’ (MPATGM) का सफल परीक्षण किया है। स्वदेशी रूप से विकसित ‘मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल’ एक कम वज़न की ‘फायर एंड फॉरगेट’ मिसाइल है। यह एक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल है। एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल एक मध्यम या लंबी दूरी की मिसाइल होती है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य टैंक और अन्य बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करना है। इसे 15 किलोग्राम से कम वज़न के साथ 2.5 किलोमीटर की अधिकतम रेंज में लॉन्च किया जा सकता है। प्रथम विश्व युद्ध के बाद से आधुनिक युद्ध में टैंकों और बख्तरबंद वाहनों का रणनीतिक महत्त्व सबसे अधिक बढ़ गया है, जिसके कारण टैंकों के कवच को भेदने में सक्षम हथियारों का विकास करना काफी महत्त्वपूर्ण हो गया है।
मिशन अमानत
पश्चिमी रेलवे क्षेत्र के तहत ‘रेलवे सुरक्षा बल’ (RPF) ने रेल यात्रियों के लिये अपना खोया हुआ सामान वापस पाना आसान बनाने हेतु ‘मिशन अमानत’ नामक एक नई पहल शुरू की है। इस नई पहल के तहत ‘रेलवे सुरक्षा बल’ (RPF) रेल यात्रियों के खोए हुए सामान का पता लगाएगा और वेबसाइट पर सामान का फोटो और विवरण अपलोड करेगा और फिर यात्री अपने सामान की पहचान कर सकते हैं एवं इसे पुनः प्राप्त कर सकते हैं। ज्ञात हो कि ‘रेलवे सुरक्षा बल’ ने वर्ष 2021 के दौरान कुल 1,317 रेल यात्रियों से 2.58 करोड़ रुपए का माल बरामद किया है और उचित सत्यापन के बाद उन्हें उनके सही मालिकों को वापस कर दिया गया है।