प्रिलिम्स फैक्ट्स (13 Jul, 2024)



विकिपीडिया के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में समाचार एजेंसी एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल (Asian News International- ANI) ने ANI के विकिपीडिया पेज पर कथित रूप से अपमानजनक सामग्री की अनुमति देने के लिये विकिपीडिया के विरुद्ध दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।

  • याचिकाकर्त्ता ने 2 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि सामग्री "स्पष्ट रूप से झूठी" और अपमानजनक है तथा इससे उसकी प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है एवं उसकी सद्भावना को ठेस पहुँच रही है।

विकिपीडिया 

  • यह वर्ष 2001 में जिमी वेल्स और लैरी सेंगर द्वारा स्थापित एक निशुल्क ऑनलाइन विश्वकोश है।
  • यह ज्ञान की विभिन्न शाखाओं पर स्वतंत्र रूप से संपादन योग्य सामग्री उपलब्ध कराता है, जिसका उद्देश्य लिंक किये गए लेखों के माध्यम से सूचना और मार्गदर्शन प्रदान करके पाठकों को लाभान्वित करना है।

विकिपीडिया के विरुद्ध ANI के मामले का कानूनी आधार क्या है?

  • सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000 की धारा 2(1)(w):
    • इसमें "मध्यस्थ" की परिभाषा के अनुसार वह व्यक्ति शामिल है जो दूसरों की ओर से इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड संभालता है। इसमें दूरसंचार, नेटवर्क और इंटरनेट सेवा प्रदाता, वेब-होस्टिंग सेवाएँ, सर्च इंजन, ऑनलाइन भुगतान साइट, नीलामी साइट, बाज़ार तथा साइबर कैफे शामिल हैं।
  • IT अधिनियम, 2000 की धारा 79 (सुरक्षित बंदरगाह खंड):
    • यह मध्यस्थों को उनके प्लेटफॉर्मों के माध्यम से होस्ट या प्रसारित किसी भी तीसरे पक्ष की सामग्री या सूचना के लिये उत्तरदायित्व से कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
      • धारा 79(2)(b): सुरक्षित बंदरगाह संरक्षण का लाभ उठाने के लिये, मध्यस्थ को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी:
        • उन्हें अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करते समय पूरी तत्परता बरतनी चाहिये।
        • इसे प्रसारण आरंभ नहीं करना चाहिये प्रसारण के प्राप्तकर्त्ता का चयन नहीं करना चाहिये या प्रसारण में निहित जानकारी को संशोधित नहीं करना चाहिये।
        • इसे सरकार के निर्देशों जैसे कि मध्यस्थ दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता, 2021 या अदालती आदेशों का पालन करना चाहिये।
      • धारा 79(3) में कहा गया है कि यदि मध्यस्थ, सरकार द्वारा अधिसूचित किये जाने के बाद, निर्दिष्ट सामग्री को तुरंत हटाने या उस तक पहुँच अक्षम करने में विफल रहता है, तो यह सुरक्षा लागू नहीं होगी।
  • आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 3:
    • यह ग्राहकों के डिजिटल हस्ताक्षरों का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को प्रामाणित करने की अनुमति प्रदान करता है और साथ ही प्रामाणीकरण के लिये असममित क्रिप्टो प्रणाली तथा हैश फंक्शन के उपयोग की आवश्यकता होती है।
    • ग्राहक की सार्वजनिक कुंजी जो उनकी निजी कुंजी के साथ मिलकर एक अद्वितीय कुंजी युग्म का निर्माण करती है, का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डों को सत्यापित करने के लिये किया जा सकता है।

नोट:

  • आईटी अधिनियम की धारा 79 की तरह, अमेरिकी संचार निर्णय अधिनियम की धारा 230 में कहा गया है कि जो पक्ष इंटरैक्टिव कंप्यूटर सर्विस प्रदान करते हैं या उनका उपयोग करते हैं, उन्हें तीसरे पक्ष द्वारा प्रदान की गई सामग्री का प्रकाशित या वक्ता नहीं मानी जाएगी।

विकिपीडिया से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के पिछले निर्णय क्या थे?

  • आयुर्वेदिक औषधि निर्माता संगठन बनाम विकिपीडिया फाउंडेशन मामला, 2022:
    • इसमें सर्वोच्च न्यायालय ने विकिपीडिया पर एक लेख को अपमानजनक बताने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया तथा याचिकाकर्त्ताओं को लेख को संपादित करने या अन्य कानूनी उपाय अपनाने की सलाह दी।
  • हेवलेट पैकार्ड इंडिया सेल्स बनाम सीमा शुल्क आयुक्त मामला, 2023:
    • सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि निर्णय देने वाले प्राधिकारियों ने अपने निष्कर्षों के समर्थन में विकिपीडिया जैसे ऑनलाइन स्रोतों का व्यापक रूप से हवाला दिया था।
    • "इसने कानूनी विवाद समाधान के लिये विकिपीडिया जैसे भीड़-स्रोत तथा उपयोगकर्त्ता-जनित प्लेटफॉर्मों का उपयोग करने के विरुद्ध चेतावनी दी, क्योंकि वे "भ्रामक जानकारी" को बढ़ावा दे सकते हैं।

और पढ़ें: सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन नियम, 2023,  नए आईटी नियम एवं सोशल मीडिया

  UPSC सिविल सेवा, परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना निम्नलिखित में से किसके/किनके लिये विधितः अधिदेशात्मक है? (2017) 

  1. सेवा प्रदाता  
  2. डेटा सेंटर   
  3. कॉर्पोरेट निकाय 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


सड़क कार्यों के लिये हरित निधि का उपयोग

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) वायु प्रदूषण से निपटने के लिये निर्धारित धनराशि का उपयोग सड़क मरम्मत और पक्की सड़क निर्माण कार्यों हेतु कर रहा है।

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) ने धन के इस दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की है तथा इसे संभावित रूप से "घोर दुरुपयोग और गंभीर वित्तीय अनियमितता" बताया है।

सड़क निर्माण कार्यों हेतु CPCB द्वारा ग्रीन फंड के उपयोग का मुद्दा क्या है?

  • विचाराधीन फंड:
    • पर्यावरण संरक्षण शुल्क (EPC): वर्ष 2016 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर, दिल्ली- NCR  में 2000 CC या उससे अधिक इंजन क्षमता वाले डीज़ल वाहनों पर 1% शुल्क के रूप में वसूला जाता है।
    • पर्यावरण क्षतिपूर्ति (EC): NGT द्वारा लगाए गए मुआवज़े से एकत्रित और CPCB द्वारा प्रबंधित।
    • ये फंड वायु प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों से निपटने के विशिष्ट उद्देश्य से बनाए गए थे। हालाँकि सड़क निर्माण के लिये उनके हालिया उपयोग ने कानूनी जाँच को जन्म दिया है।
  • CPCB का औचित्य: CPCB का तर्क है कि सड़क की मरम्मत और पक्की सड़क बनाने का कार्य सीधे तौर पर धूल प्रदूषण को कम करने में योगदान देता है, जो शहरी क्षेत्रों में खराब वायु गुणवत्ता के लिये महत्त्वपूर्ण कारण है।
    • उनका दावा है कि यह वित्तपोषण दृष्टिकोण राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme- NCAP) 2019 के अनुरूप है, जो स्वच्छ वायु नगर कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के लिये एक अभिसरण मॉडल को अपनाता है।
      • सीपीसीबी का कहना है कि वह इन निधियों का उपयोग वायु गुणवत्ता सुधार परियोजनाओं के लिये अंतराल वित्तपोषण के रूप में करता है, जब उन्हें अन्य योजनाओं द्वारा समर्थन नहीं मिलता है।
      • CPCB ने आठ सड़क परियोजनाओं के लिये गाज़ियाबाद नगर निगम को आवंटित 98.9 करोड़ रुपए की EPC निधि में से 15.9 करोड़ रुपए के वित्तपोषण के मामले को उजागर किया है तथा यह सुनिश्चित किया है कि किसी अन्य योजना से इन कार्यों का वित्तपोषण नहीं किया गया।
        • प्रासंगिक समितियों द्वारा अनुमोदित यह आवंटन, वायु गुणवत्ता में सुधार हेतु सड़क निर्माण कार्यों के लिये CPCB द्वारा धन के उपयोग को दर्शाता है।
  • NGT की चिंताएँ और जाँच: NGT वायु गुणवत्ता सुधार निधि को सड़क मरम्मत में लगाने के कारण संभावित दुरुपयोग और वित्तीय अनियमितताओं के बारे में चिंतित है।
    • यदि CPCB यह प्रथा जारी रखता है, तो अन्य नगर निकाय भी इसी प्रकार के आवंटन की मांग करेंगे, जिससे निष्पक्षता और निधि उपयोग संबंधी मुद्दे उठेंगे।
    • NGT को अभी इन निधियों के उपयोग की अनुमति पर निर्णय लेना है, यह निर्णय CPCB द्वारा निधियों के भविष्य के उपयोग को भी प्रभावित करेगा और पर्यावरण संरक्षण तथा बुनियादी ढाँचा विकास परियोजनाओं पर नीतिगत निर्णयों को प्रभावित कर सकता है।
      • इसके अतिरिक्त, इस मुद्दे पर 53 शहरों में खराब वायु गुणवत्ता के संदर्भ में विचार किया जाएगा तथा संभवतः इसे व्यापक वायु गुणवत्ता प्रबंधन रणनीतियों से जोड़ा जाएगा।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • स्थापना एवं कानूनी ढाँचा: CPCB एक वैधानिक संगठन है जिसका गठन वर्ष 1974 में जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत किया गया था। इसे वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत कार्य सौंपा गया था।
    • यह पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अंतर्गत पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ भी प्रदान करता है।
  • मुख्य कार्य: 
    • जल प्रदूषण: जल प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने और कम करने के द्वारा नदियों तथा कुओं की सफाई को बढ़ावा देना।
    • वायु प्रदूषण: देश में वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण या कमी करके वायु गुणवत्ता में सुधार करना।
  • वायु गुणवत्ता निगरानी:
    • राष्ट्रीय वायु निगरानी कार्यक्रम (National Air Monitoring Programme - NAMP): वायु गुणवत्ता की स्थिति और प्रवृत्तियों का निर्धारण करने, विभिन्न स्रोतों से प्रदूषण को नियंत्रित करने तथा औद्योगिक स्थलों एवं नगर नियोजन के लिये आँकड़े उपलब्ध कराने के लिये स्थापित किया गया।
    • निगरानी केंद्र: नई दिल्ली में आईटीओ चौराहे पर स्वचालित निगरानी स्टेशन नियमित रूप से निम्नलिखित की निगरानी करता है: श्वसनीय निलंबित कण पदार्थ (RSPM), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), ओज़ोन (O3), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और निलंबित कण पदार्थ (SPM)।
  • जल गुणवत्ता निगरानी: जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 का उद्देश्य जल निकायों की संपूर्णता को बनाए रखना और बहाल करना है। CPCB जल प्रदूषण से संबंधित तकनीकी तथा सांख्यिकीय डेटा एकत्र करता है, उनका मिलान करता है एवं उनका प्रसार करता है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण:

  • पर्यावरण मामलों के त्वरित समाधान, कानूनी अधिकारों के प्रवर्तन और नुकसान के लिये राहत प्रदान करने के लिये राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत NGT की स्थापना वर्ष 2010 में की गई थी।
    • इसके पास पर्यावरण संबंधी विवादों से निपटने में विशेषज्ञता है और यह सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 से बंधा नहीं है, बल्कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होगा।
  • न्यायाधिकरण का उद्देश्य पर्यावरण संबंधी त्वरित न्याय प्रदान करना तथा उच्च न्यायालयों पर बोझ कम करना है तथा इसके अंतर्गत 6 महीने के भीतर मामलों का निपटारा करना है।
  • न्यायाधिकरण के पास अपने स्वयं के निर्णयों की समीक्षा करने का अधिकार है। यदि ऐसा नहीं होता है, तो निर्णय को 90 दिनों के भीतर सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।
  • न्यायाधिकरण का मुख्यालय नई दिल्ली में है तथा भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई अन्य चार क्षेत्रीय कार्यालय हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) किस प्रकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) से भिन्न है?  (2018)

  1. एन.जी.टी. का गठन एक अधिनियम द्वारा किया गया है जबकि सी.पी.सी.बी. का गठन सरकार के कार्यपालक आदेश से किया गया है।
  2. एन.जी.टी. पर्यावरणीय न्याय उपलब्ध कराता है और उच्चतर न्यायालयों में मुकदमों के भार को कम करने में सहायता करता है जबकि सी.पी.सी.बी. झरनों तथा कुँओं की सफाई को प्रोत्साहित करता है एवं देश में वायु की गुणवत्ता में सुधार लाने का लक्ष्य रखता है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (b)


प्रश्न. राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 भारत के संविधान के निम्नलिखित में से किस प्रावधान के अनुरूप बनाया गया था? (2012)

  1. स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार, अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का एक हिस्सा माना जाता है।
  2.  अनुच्छेद 275(1) के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों के कल्याण हेतु अनुसूचित क्षेत्रों में प्रशासन का स्तर बढ़ाने हेतु अनुदान का प्रावधान।
  3.  अनुच्छेद 243(A) के तहत उल्लिखित ग्रामसभा की शक्तियाँ और कार्य।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार 2024

स्रोत: पी.आई.बी.

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी विभाग दुग्ध हितधारकों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से हर वर्ष राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार प्रदान करता रहा है।

    • पशुधन और डेयरी क्षेत्र में राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कारों में से एक है।
    • विभाग ने पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) राज्यों के लिये एक विशेष पुरस्कार शामिल किया है ताकि पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) में डेयरी विकास गतिविधियों को प्रोत्साहित और बढ़ावा दिया जा सके।
    • यह पुरस्कार निम्नलिखित श्रेणियों में प्रदान किया जाता है:
      • स्वदेशी मवेशी/भैंस नस्लों का पालन करने वाले सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान।
      • सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी समिति (DCS)/दुग्ध उत्पादक कंपनी (MPC)/डेयरी किसान उत्पादक संगठन (FPO)।
      • सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (AIT)।
    • पशुपालन और डेयरी विभाग राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) के तहत वर्ष 2021 से प्रतिवर्ष राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार प्रदान कर रहा है।
      • देशी गोजातीय नस्लों के वैज्ञानिक तरीके से संरक्षण एवं विकास के उद्देश्य से RGM की शुरुआत दिसंबर 2014 में की गई थी।

    और पढ़ें: राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार


    नेशनल वन हेल्थ मिशन

    स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स

    हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राष्ट्रीय एक स्वास्थ्य मिशन (National One Health Mission) की पहली कार्यकारी समिति की बैठक की अध्यक्षता की।

    • इस मिशन को 2022 में प्रधानमंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (Prime Minister's Science, Technology, and Innovation Advisory Council - PM-STIAC) द्वारा अनुमोदित किया गया था। मिशन का उद्देश्य मानव और पशु दोनों क्षेत्रों की प्राथमिकता वाली बीमारियों के खिलाफ समग्र महामारी तैयारी तथा एकीकृत रोग नियंत्रण प्राप्त करने में मंत्रालयों के बीच समन्वय करना है।
    • यह मिशन 'वन हेल्थ' दृष्टिकोण को संस्थागत बनाने में मदद करेगा।
      • वन हेल्थ एक ऐसा दृष्टिकोण है जो यह मानता है कि लोगों का स्वास्थ्य पशुओं और हमारे साझा वातावरण के स्वास्थ्य से निकटता से जुड़ा हुआ है।
    • राष्ट्रीय एक स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत प्रमुख प्रयास:
      • एकीकृत रोग निगरानी लागू करना
      • पर्यावरण निगरानी प्रणाली
      • मज़बूत प्रकोप जाँच तंत्र विकसित करना
    • इस मिशन द्वारा महत्त्वपूर्ण उपकरणों जैसे कि टीके, निदान और चिकित्सा, नैदानिक ​​देखभाल, विभिन्न क्षेत्रों में डेटा तथा सूचना को सुव्यवस्थित करने एवं सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाने के लिये लक्षित अनुसंधान व विकास के रूप में तैयारी के महत्त्वपूर्ण स्तंभों पर भी ध्यान दिया जाएगा।

    One_Health

    और पढ़ें: वन हेल्थ


    डार्क नेट

    स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

    हाल ही में, राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (NEET-UG) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (UGC-NET) परीक्षा के पेपर परीक्षा से पूर्व ही डार्क वेब पर लीक हो गए, जिससे देश भर में विरोध और समस्याएँ उत्पन्न हुई।

    डार्क नेट:

    • डार्क नेट इंटरनेट का एक छिपा हुआ भाग है जो नियमित सर्च इंजन की पहुँच से परे होते हैं। इसे सिर्फ टोर (द ओनियन राउटर) जैसे विशेष ब्राउज़र का उपयोग करके एक्सेस किया जा सकता है।
    • इसे आरंभ में मुख्य रूप से सरकारी और सैन्य उपयोग के लिये सुरक्षित एवं निजता संबंधी संचार की सुविधा के लिये विकसित किया गया था
    • डार्क नेट पर संचार को एन्क्रिप्टेड किया जाता है, जिससे प्रेषक और रिसीवर के बीच संचार का कोई संकेत शेष नहीं रह जाता है, जिससे यूजर के लिये उच्च निजता सुनिश्चित होती है।

    भारतीय कानून के अनुसार डार्क नेट के उपयोग या पहुँच को दंडनीय नही है, क्योंकि भारत में इसका उपयोग वैध है। हालाँकि, अवैध उद्देश्यों के लिये इसका उपयोग करना कानून के तहत दंडनीय है

    डार्क नेट पर मैलवेयर का खतरा:

    • मैलवेयर डार्क नेट द्वारा विकसित होता है, जहाँ कुछ प्लेटफार्मों को यह सक्रिय रूप से प्रभावित करता है, जिससे साइबर अपराधियों को साइबर आक्रमण आरंभ करने के लिये उपकरण उपलब्ध होते हैं। 
      • इसी तरह, यह डार्क नेट वेबसाइटों पर छिपा रहता है, जो वेबसाइटों यूजर को सरफेस वेब की तरह प्रभावित करता है।
    • डार्क नेट यूजर अक्सर उपलब्ध विभिन्न प्रकार के दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयरों में से कीलॉगर्स, बॉटनेट मैलवेयर, रैंसमवेयर और फिशिंग मैलवेयर का सामना करते हैं।

    RBI का वित्तीय समावेशन सूचकांक

    स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

    भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने घोषणा की है कि वित्तीय समावेशन सूचकांक (FI-सूचकांक) मार्च 2023 के 60.1 से बढ़कर मार्च 2024 में 64.2 हो गया है, जो पूरे देश में वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत प्रदान करता है।

    • FI-सूचकांक वित्तीय समावेशन का एक व्यापक माप है, जो 0 से 100 तक होता है, जिसमें 0 पूर्ण वित्तीय बहिष्करण को दर्शाता है और 100 पूर्ण वित्तीय समावेशन को दर्शाता है।
      • FI-सूचकांक प्रतिवर्ष जुलाई में प्रकाशित किया जाता है।
    • इसमें मुख्य रूप से तीन मानदंड शामिल हैं: पहुँच (35%), उपयोग (45%), और गुणवत्ता (20%) यह सूचकांक बैंकिंग, निवेश, बीमा, डाक सेवाओं एवं पेंशन को कवर करने वाले 97 संकेतकों पर आधारित है।
      • इसे वित्तीय सेवाओं की पहुँच, उपलब्धता, उपयोग और साथ ही गुणवत्ता की आसानी को मापने के लिये सरकार एवं क्षेत्रीय नियामकों के परामर्श से विकसित किया गया था।
      • सूचकांक में सुधार सभी उप-सूचकांकों में वृद्धि से प्रेरित था, जिसमें कुल वृद्धि में उपयोग आयाम का सर्वाधिक योगदान था।
    • यह सूचकांक बिना किसी आधार वर्ष के निर्मित किया गया है, जो पिछले कई वर्षों में वित्तीय समावेशन की दिशा में सभी हितधारकों के संचयी प्रयासों को दर्शाता है।

    और पढ़े: प्रधानमंत्री जन धन योजना के नौ वर्ष