गुइलेन बैरे सिंड्रोम
पेरू ने GBS और कोविड-19 के बीच संभावित संबंध के विषय में चिंता व्यक्त करते हुए गुइलेन बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में हाल ही में हुई वृद्धि को देखते हुए 90 दिनों के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की है।
- विशेष रूप से पेरू ने वर्ष 2019 में भी GBS के बड़े प्रकोप का अनुभव किया, एक विशिष्ट अवधि के दौरान 683 संदिग्ध या पुष्ट मामले सामने आए।
गुइलेन बैरे सिंड्रोम:
- परिचय: GBS एक बहुत ही दुर्लभ ऑटोइम्यून विकार (Autoimmune Disorder) है जो परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System) को प्रभावित करता है। इसमें शुरुआत में मांसपेशियों में कमज़ोरी, दर्द एवं सुन्नता जैसे लक्षण देखे जाते है, जो 6-12 माह या उससे अधिक समय तक चलने वाले पक्षाघात (Paralysis) में परिवर्तित हो सकते हैं।
- यह सिंड्रोम मांसपेशियों की गति, दर्द, तापमान और स्पर्श संवेदनाओं के लिये ज़िम्मेदार तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है।
- हालाँकि यह वयस्कों और पुरुषों में अधिक सामान्य है, GBS सभी उम्र के व्यक्तियों में हो सकता है।
- कारण: GBS का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, GBS प्राय: संक्रमण से पहले होता है। यह जीवाणु या विषाणु संक्रमण हो सकता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को शरीर पर ही आक्रमण करने के लिये प्रेरित करता है।
- दुर्लभ मामलों में टीकाकरण एवं सर्जरी से GBS विकसित होने का जोखिम थोड़ा बढ़ सकता है, लेकिन ऐसा होने की संभावना बहुत कम है।
- अध्ययनों से जानकारी प्राप्त होती है कि फ्लू जैसे संक्रमणों से GBS होने का जोखिम फ्लू के टीके से होने वाले जोखिम से कहीं अधिक है।
- उपचार: GBS उपचार में प्लास्मफेरेसिस जैसी प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं, जो प्लाज़्मा को हटा देती है और इसे अन्य तरल पदार्थों से परिवर्तित कर देती है।
- GBS और कोविड-19: कोविड-19 से पीड़ित वयस्कों और बच्चों दोनों में GBS के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा कोविड-19 टीकों के प्रशासन के बाद GBS के मामलों पर भी चिंता जताई गई है।
- जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन (वायरल वेक्टर वैक्सीन) प्राप्त करने वाले 12.8 मिलियन लोगों में से GBS के लगभग 100 संदिग्ध मामलों की पहचान की गई थी।
- फाइज़र (mRNA वैक्सीन) और एस्ट्राजेनेका (वायरल वेक्टर वैक्सीन) लेने के बाद भी GBS के कुछ मामले सामने आए हैं।
- WHO की एक उपसमिति ने पाया कि एडेनोवायरस वेक्टर कोविड-19 टीकों के साथ जीबीएस के दुर्लभ मामले सामने आए हैं, लेकिन mRNA टीकों के साथ नहीं।
- हालाँकि वर्तमान के अध्ययनों से पता चलता है कि इन संभावित दुष्प्रभावों के बावजूद कोविड-19 टीकाकरण के लाभ जोखिमों से कहीं अधिक हैं।
- SARS-CoV-2 संक्रमण या टीकाकरण के बाद GBS की घटना दर कम है।
- जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन (वायरल वेक्टर वैक्सीन) प्राप्त करने वाले 12.8 मिलियन लोगों में से GBS के लगभग 100 संदिग्ध मामलों की पहचान की गई थी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. कोविड-19 विश्वमहामारी को रोकने के लिये बनाई जा रही वैक्सीनों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
लम्बानी कला
कर्नाटक के हम्पी में G20 संस्कृति कार्य समूह (CWG) की तृतीय बैठक एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में देखी गई, क्योंकि इस कार्यक्रम में 'थ्रेड्स ऑफ यूनिटी' शीर्षक से 'लम्बानी वस्तुओं के सबसे बड़े प्रदर्शन' के लिये गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया गया था।
- इस उपलब्धि ने कर्नाटक में खानाबदोश लम्बानी समुदाय की 450 से अधिक लम्बानी महिला कारीगरों और सांस्कृतिक अभ्यासकर्ताओं के सामूहिक प्रयासों को प्रदर्शित किया।
- लम्बानी कारीगरों का समर्थन करके यह पहल महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता में योगदान देती है। यह CWG की तीसरी प्राथमिकता 'सांस्कृतिक और रचनात्मक उद्योगों और रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना' के अनुरूप है।
लम्बानी कला:
- लम्बानी कला, लम्बानी या बंजारा समुदाय द्वारा प्रचलित कपड़ा अलंकरण का एक रूप है, जो भारत के कई राज्यों विशेषकर कर्नाटक में रहने वाला एक खानाबदोश समूह है।
- इसकी विशेषता रंगीन धागे, दर्पण का काम के साथ ढीले बुने हुए कपड़े पर सिलाई पैटर्न की समृद्ध शृंखला है।
- इसमें एक सुंदर पैचवर्क बनाने के लिये अनुपयोगी कपड़े के छोटे टुकड़ों को कुशलतापूर्वक एक साथ सिलाई करना भी शामिल है।
- इसे एक टिकाऊ अभ्यास के रूप में मान्यता प्राप्त है जो रीसाइक्लिंग के साथ पुन:उपयोग के सिद्धांत पर काम करता है।
- लम्बानी कढ़ाई तकनीक तथा सौंदर्यशास्त्र पूर्वी यूरोप, पश्चिम एशिया और मध्य एशिया में कपड़ा निर्माण की परंपराओं के साथ समानता रखते हैं, जो वैश्विक कपड़ा कला के अंतर्संबंध को प्रदर्शित करते हैं।
- संदुर लम्बानी कढ़ाई, कर्नाटक के संदुर क्षेत्र की एक विशिष्ट प्रकार की लम्बानी कला को वर्ष 2010 में भौगोलिक संकेतक टैग प्रदान किया गया था।
G20 संस्कृति कार्य समूह:
- G20 संस्कृति मंत्रियों ने वर्ष 2020 में पहली बार बैठक की और G20 एजेंडा को आगे बढ़ाने में संस्कृति के अंतर्संबंधित योगदान पर प्रकाश डाला।
- विकास के विभिन्न पहलुओं पर संस्कृति के प्रभाव को देखते हुए अन्य नीति क्षेत्रों के साथ इसके तालमेल को स्वीकार करते हुए इसे वर्ष 2021 में संस्कृति कार्य समूह के रूप में G20 एजेंडे में एकीकृत किया गया था।
- G20 संस्कृति कार्य समूह शेरपा ट्रैक के हिस्से के रूप में वर्ष 2023 में G20 प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार करने के लिये भारतीय अध्यक्षता में स्थापित 13 विषयगत कार्य समूहों में से एक है।
- संस्कृति कार्य समूह के प्राथमिकता क्षेत्र:
- सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण और पुनर्स्थापन
- धारणीय भविष्य के लिये जीवंत विरासत का दोहन
- सांस्कृतिक एवं रचनात्मक उद्योगों तथा रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना
- संस्कृति के संरक्षण और संवर्द्धन के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. G20 के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: C |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 13 जुलाई, 2023
कृषि अवसंरचना के वित्तीयन को बढ़ावा देने को BHARAT अभियान शुरू
हाल ही में कृषि मंत्रालय ने बैंकों से कृषि अवसंरचना कोष (Agriculture Infrastructure Fund- AIF) को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने का आह्वान किया है, यह कृषि क्षेत्र में फसल-कटाई के बाद के बुनियादी ढाँचे और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों को विकसित करने के उद्देश्य के लिये एक वित्तपोषण संबंधी सुविधा है। वर्ष 2025-26 तक 1 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य संवितरण के साथ AIF द्वारा वर्ष 2032-33 तक ब्याज में कमी लाने सहित क्रेडिट गारंटी सहायता प्रदान की जाएगी। धन के प्रवाह में तेज़ी लाने के लिये मंत्रालय ने BHARAT (बैंक्स हेराल्डिंग एक्सेलेरेटेड रूरल एंड एग्रीकल्चर ट्रांसफॉर्मेशन) अभियान की शुरुआत की है जिसमें बैंकों से एग्री इंफ्रा फंड के प्रचार में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया गया है। एक महीने तक चलने वाले इस इस अभियान के दौरान बैंकों को 7,200 करोड़ रुपए का लक्ष्य हासिल करने के लिये प्रोत्साहित किया गया है। इसके लिये वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, लघु वित्त बैंकों, एनबीएफसी और चुनिंदा सहकारी बैंकों के 100 से अधिक बैंकिंग अधिकारियों की भागीदारी एवं समर्थन की मांग की गई है।
भारत और EFTA के बीच TEPA वार्ता में तेज़ी
हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वस्त्र मंत्री ने लंदन में यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (European Free Trade Association- EFTA) के प्रतिनिधिमंडल के साथ एक सफल बैठक संपन्न की। चर्चा भारत और EFTA के बीच व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता (Trade and Economic Partnership Agreement- TEPA) वार्ता को आगे बढ़ाने पर केंद्रित थी। इन वार्ताओं का प्राथमिक उद्देश्य एक निष्पक्ष, पारस्परिक रूप से लाभकारी और भारत तथा EFTA के बीच व्यापक व्यापार समझौता है। EFTA एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसे वर्ष 1960 में उन यूरोपीय राज्यों के लिये एक वैकल्पिक व्यापार ब्लॉक के रूप में स्थापित किया गया था जो यूरोपीय संघ (EU) में शामिल होने में असमर्थ या अनिच्छुक थे। EFTA भारत का 9वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसका 2020-21 में भारत के कुल व्यापारिक व्यापार का लगभग 2.5% हिस्सा है। TEPA का उद्देश्य उत्पादों की एक विस्तृत शृंखला पर टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को खत्म/कम करके भारत तथा EFTA के बीच व्यापार और निवेश के अवसर उत्पन्न करना है।
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GACL द्वारा हाइड्राज़िन हाइड्रेट और शुद्ध फॉस्फोरिक एसिड का घरेलू उत्पादन शुरू
आत्मनिर्भर भारत मिशन के अंतर्गत आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रमुख क्लोर-क्षार उत्पादक, गुजरात अल्कलीज़ एंड केमिकल्स लिमिटेड (GACL) ने हाइड्राज़ीन हाइड्रेट की शिपमेंट शुरू कर दी है। इसके अलावा GACL ने 33,870 MTA की क्षमता वाला संयंत्र स्थापित करके भारत में शुद्ध फॉस्फोरिक एसिड निर्माताओं की कमी को भी संबोधित किया है। हाइड्राज़ीन हाइड्रेट एक रासायनिक यौगिक है जिसका सूत्र N2H4·H2O है। इसका उपयोग मुख्य रूप से विभिन्न रासायनिक प्रतिक्रियाओं, जैसे- फार्मास्यूटिकल्स और कृषि रसायनों के संश्लेषण को कम करने वाले एजेंट के रूप में किया जाता है।
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पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने पोषक तत्त्वों से भरपूर गेहूँ की किस्म विकसित की
एक अभूतपूर्व प्रयोग के साथ पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) द्वारा PBW RS1 नामक गेहूँ की एक नई किस्म सफलतापूर्वक विकसित की गई है, जिसमें उच्च स्तर का एमाइलोज स्टार्च होता है जो टाइप-2 मधुमेह के साथ हृदय रोग संबंधी खतरे को कम करने के लिये जाना जाता है। PBW RS1 में कुल स्टार्च सामग्री (66-70%) अन्य गेहूँ किस्मों के समान है, लेकिन इसमें अन्य किस्मों में पाए जाने वाले 7.5-10% की तुलना में उल्लेखनीय 30.3% प्रतिरोधी स्टार्च सामग्री है। यह किस्म न केवल पोषण संबंधी लाभ प्रदान करती है, बल्कि पीले रतुआ के प्रति पूर्ण प्रतिरोधी तथा भूरे रतुआ कवक रोगों के प्रति मध्यम प्रतिरोध भी प्रदर्शित करती है। अपने पोषण संबंधी लाभों के बावजूद PBW RS1 पंजाब में अन्य गेहूँ किस्मों की तुलना में कम औसत अनाज उपज के कारण खेती के मामले में एक चुनौती प्रस्तुत करता है।
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