प्रिलिम्स फैक्ट्स (12 Dec, 2022)



HAKUTO-R मून मिशन: जापान

हाल ही में, एक जापानी अंतरिक्ष स्टार्टअप ispace Inc ने अपने HAKUTO-R मिशन के तहत स्पेसएक्स (SpaceX) फाल्कन 9 रॉकेट से चंद्रमा पर अपना निजी लैंडर M1 लॉन्च किया है।

  • यह जापान और किसी निजी कंपनी द्वारा अपनी तरह का पहला चंद्र मिशन है।

moon-mission

मिशन के मुख्य बिंदु:

  • परिचय:
    • HAKUTO-R नाम उस सफेद खरगोश को संदर्भित करता है जिसका जापानी लोककथाओं से पता चलता है कि वह चंद्रमा पर रहता है।
    • M1 लैंडर में जापान की JAXA अंतरिक्ष एजेंसी से दो रोबोटिक रोवर, दो-पहियों वाले नारंगी के आकार के उपकरण और UAE द्वारा दुबई शाही परिवार के संरक्षक ‘राशिद’ के नाम पर एक चार-पहिया रोवर तैनात करेगा।
      • यदि रोवर राशिद सफलतापूर्वक उतरता है, तो यह अरब दुनिया का पहला चंद्र मिशन होगा।
      • अभी तक मात्र अमेरिका, रूस और चीन ही चंद्रमा की सतह पर रोबोट पहुँचाने में सफल हुए हैं।
    • इसमें जापानी कंपनी NGK स्पार्क प्लग कंपनी द्वारा बनाई गई एक प्रयोगात्मक सॉलिड-स्टेट बैटरी भी होगी।
  • विशेषताएँ:
    • इसे इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह न्यूनतम ईंधन का उपयोग करेगा और कार्गो के लिये अधिक स्थान प्रदान करेगा।
    • यह पृथ्वी से 1.6 मिलियन किलोमीटर (दस लाख मील) की यात्रा कम गति, कम ऊर्जा वाले प्रक्षेपवक्र पर चंद्रमा की ओर कर रहा है, जहाँ यह लूपिंग रिटर्न करने के बाद अप्रैल के अंत तक पहुँच जाएगा।
  • उद्देश्य:
    • इसका उद्देश्य एटलस क्रेटर में नीचे उतरने से पहले जल के भंडार की खोज करना है, जो चंद्रमा के निकट के हिस्से के उत्तरपूर्वी क्षेत्र में स्थित है और 87 किमी (54 मील) से अधिक चौड़ा एवं 2 किमी (1.2 मील) से अधिक गहरा है।
    • मिशन की सफलता जापान और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग में ऐसे समय में एक मील का पत्थर साबित होगी जब चीन तेज़ी से प्रतिस्पर्द्धी होता जा रहा है साथ ही इसके कारण अब यूक्रेन पर रूसी रॉकेट आक्रमण नहीं कर पाएंगे।
    • जापान ने नासा के साथ 2025 से चंद्रमा पर पेलोड भेजने के लिये एक अनुबंध किया है जिसका उद्देश्य 2040 तक स्थायी रूप से कर्मचारियों वाली चंद्र कॉलोनी बनाने का लक्ष्य है।

 अन्य चंद्र मिशन:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न. सेलीन-1, चंद्र कक्षीय मिशन निम्नलिखित में से किससे संबंधित है? (2008)

(a) चीन
(b) यूरोपीय संघ
(c) जापान
(d) USA

उत्तर: (c)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 12 दिसंबर, 2022

9वीं विश्व आयुर्वेद कॉन्ग्रेस

गोवा में 11 दिसंबर को 9वीं विश्व आयुर्वेद कॉन्ग्रेस के समापन सत्र को प्रधानमंत्री द्वारा संबोधित किया गया। अपने ज्ञान-विज्ञान और सांस्कृतिक अनुभव के माध्यम से विश्व के कल्याण का संकल्प अमृतकाल के लक्ष्यों में से एक है और आयुर्वेद इसके लिये एक ठोस और प्रभावी माध्यम है। आयुर्वेद एक ऐसा विज्ञान है, जिसका दर्शन, जिसका आदर्श वाक्य - ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयः’ है। विश्व के 30 से ज़्यादा देशों ने आयुर्वेद को पारंपरिक दवाओं की एक प्रणाली के रूप में मान्यता दी हुई है। इसे ज़्यादा से ज़्यादा देशों तक प्रचारित करना और आयुर्वेद को मान्यता दिलाना इसका लक्ष्य है। इस हेतु आयुष से जुड़े तीन संस्थानों, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद-गोवा, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन-गाज़ियाबाद और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ होमियोपैथी-दिल्ली का लोकार्पण भी किया गया जो आयुष हेल्थ केयर सिस्टम को नई गति प्रदान करेगा।

एम्स (AIIMS) नागपुर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 11 दिसंबर 2022 को एम्स नागपुर का उद्घाटन किया गया। पूरे देश में स्वास्थ्य अवसंरचना को सुदृढ़ बनाने हेतु एम्स नागपुर के उदघाटन से राष्ट्र की स्वास्थ्य व्यवस्था को मज़बूती प्राप्त होगी। एम्स नागपुर, जिसका शिलान्यास जुलाई 2017 में प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था, की स्‍थापना केंद्रीय क्षेत्र की स्‍कीम प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत की गई है। 1575 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से विकसित एम्स नागपुर अत्याधुनिक सुविधाओं से पूर्ण है जिसमें ओपीडी, आईपीडी, नैदानिक सेवाएँ, ऑपरेशन थिएटर और 38 विभाग हैं। इस अस्पताल द्वारा महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र को आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता से लाभ होगा।

वंदे भारत एक्सप्रेस

प्रधानमंत्री ने नागपुर से बिलासपुर के बीच 11 दिसंबर, 2022 को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का उद्घाटन किया। यह स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित सेमी हाई स्पीड, स्व-चालित ट्रेन है जिसे गति तथा यात्री सुविधा के मामले में राजधानी ट्रेनों की शुरुआत के बाद भारतीय रेलवे के अगले कदम के रूप में देखा जाता है। पहली वंदे भारत ट्रेन का निर्माण इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF), चेन्नई द्वारा 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के हिस्से के रूप में लगभग 100 करोड़ रुपए की लागत से किया गया था। वंदे भारत अलग लोकोमोटिव द्वारा संचालित यात्री कोचों की पारंपरिक प्रणालियों की तुलना में ट्रेन सेट तकनीक (Train Set Technology) के अनुकूलन का भारत का पहला प्रयास था। हालाँकि ट्रेन सेट कॉन्फिगरेशन एक जटिल प्रक्रिया है लेकिन इसे बनाए रखना आसान है, यह कम ऊर्जा खपत के साथ ट्रेन संचालन में अधिक लचीली है। विकास के चरण के दौरान वंदे भारत ट्रेन बिना लोकोमोटिव के संचालित होती हैं जो एक प्रणोदन प्रणाली पर आधारित हैं, इसे डिस्ट्रिब्यूटेड ट्रैक्शन पावर टेक्नोलॉजी (Distributed Traction Power Technology) कहा जाता है, जिसके द्वारा ट्रेन सेट संचालित होता है। यह तेज़ त्वरण के कारण अधिकतम 160 किमी. प्रति घंटे की गति प्राप्त कर सकती है, जिससे यात्रा का समय 25% से 45% तक कम हो जाता है।